Sandeep Pande Language: Hindi 59 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read सबके राम मर्यादा के पुरुषोत्तम हो तुम सदियो से दिल राज हो तुम जीवन मनुष्य जीने का इकलौता आधार हो तुम हर पल जीवन का तुमरा आदर्श बनी है अद्भुत गाथा तप... Poetry Writing Challenge · कविता 3 243 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read धरती मेरी स्वर्ग अम्बर से उतरी अमृत धारा प्रकृति का खेल निराला आनंदित वसुधा,पेड -पौधे सब जीव जन्तु हर्ष विभोर है अब पहाड पर्वत स्वच्छ हुए है स्नान से मन भीग गये है... Poetry Writing Challenge · कविता 3 251 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read सन् 19, 20, 21 कहीं दूर निकल आई है प्रगति दो शताब्दी के ठौर क्या क्या बदले रूप और रंग पूर्वावलोकन हो जाए इस ओर जुल्म बडे गोरे राज के तब गदर उठा सन्... Poetry Writing Challenge · कविता 3 176 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read कोरोना तेरा शुक्रिया खो गई थी धरती जो , प्रगति की कुछ होड़ मे लाकर कुछ ठहराव दिया हे कोरोना तेरा शांत शुक्रिया छा गई थी मैली चादर जो शहर नाम के जंगल... Poetry Writing Challenge · कविता 3 217 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read मूडी सावन रोज रोज की ड्यूटी कैसी मेरी ही क्यों है जिम्मेदारी अब के क्यो कर बरसू मैं ही मेरा बिलकुल मूड नहीं है मूड ही से जगता मानुष खाना मूड जमे... Poetry Writing Challenge · कविता 3 205 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read इश्क बाल औ कंघी बेतरतीब, बेमुरव्वत, बिखरे बाल बेमक़सद बासी जीवन सा हाल ज्यों कंधी का हो ग्रह प्रवेश संवर संवर जाए हर बाल विशेष अलहड मस्ती का परिचायक केश अकेला बस लोफर नायक... Poetry Writing Challenge · कविता 3 291 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read अहसास प्रेम सदा ईक गहरा सागर जितना डूबे आभास बढाए मुख ना कुछ बोल निकाले अहसासों की बाढ लगाए बाहर की सब सुधबुध खो के भीतर ईक तुफान मचाए कुछ ना... Poetry Writing Challenge · कविता 3 216 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read नारी नारायणी दिन भर बैठी आस लगाए प्रियतम मन ही मन मुस्काए बरतन घस संगीत बजाए कपडों से बतियाती जाए ज्यों दफतर को निकले साजन तन्हा लागे सब धर आंगन टीवी में... Poetry Writing Challenge · कविता 3 198 Share Sandeep Pande 16 May 2023 · 1 min read परिवार तिनका तिनका जोड़ के उभरे नीड धरौंदा हर जुडती ईंट बने किस्से ,याद सलौना कोठी खूब इतरा रही खुश बांह अपनी फैलाए दस कमरों की भीड़ में गुम अपनों की... Poetry Writing Challenge · कविता 3 227 Share Previous Page 2