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16 May 2023 · 1 min read

नारी नारायणी

दिन भर बैठी आस लगाए
प्रियतम मन ही मन मुस्काए
बरतन घस संगीत बजाए
कपडों से बतियाती जाए

ज्यों दफतर को निकले साजन
तन्हा लागे सब धर आंगन
टीवी में कैसे मन उलझाए
सुनसानी को ही पीती जाए

सुंदर दिखे सदा धर अपना
खुद सुंदर खिला चेहरा भी रखना
नियम रोज बनाती जाए
पर सब खुश फिर भी ना रह पाए

बच्चे बुड्ढों सबकी मां
सबके दुख को हरती हां
सेहत मे वो धुलती जाए
माथे पर वो शिकन ना लाए

तन मन से वो थक कर बोझल
टूटी झुकी ना कुछ कह पाए
शाम ढले जब साजन धर आए
उस पे अपनी भड़ास लुटाए

Language: Hindi
3 Likes · 181 Views
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