Rekha Drolia 199 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rekha Drolia 6 May 2024 · 1 min read क्या क्या बदले बहना बाबुल मैया बदले आँगन अमिया सखियाँ बदले उमंग तरंग प्रसंग बदले जीने के भी ढंग बदले काया साया छाया बदले आत्मा अंतस् अमाया बदले चाल ढाल ख़्याल बदले मन... Hindi · कविता 20 Share Rekha Drolia 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना -जीवन का क्रम जीवन का क्रम आना जाना तू पल पल छिन छिन जी ले उम्मीदों की लौ बुझ रही आस का दीपक सा बर ले इंसानियत की ज्योत जला जगती के हर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 28 Share Rekha Drolia 18 Apr 2024 · 1 min read फ़र्क़.. फ़र्क़.. Quote Writer 1 26 Share Rekha Drolia 18 Apr 2024 · 1 min read नहीं रखा अंदर कुछ भी दबा सा छुपा सा नहीं रखा अंदर कुछ भी दबा सा छुपा सा सच कहा जो भी लगा भला सा बुरा सा जो झूठ बोल लेती तो अच्छा होता बुरा बना गया मुझे ये... Quote Writer 1 32 Share Rekha Drolia 4 Apr 2024 · 2 min read निकलो… मकड़ी स्वयं कहाँ फँसती है चाहे जितने भी जाल बिछाये रिश्ते स्तिथि या ख़्याल जाल से हम निकल न पाये निकलो,निकलो वहाँ से जहां तुम हो न हो कोई फ़र्क़... Hindi · कविता 1 41 Share Rekha Drolia 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य की खोज प्रत्यक्ष है पर दिखता नहीं चीखता है पर सुनता नहीं भान है पर मान नहीं निशब्द मौन हर कहीं क्यूँ है सत्य मूक क्यों नहीं कहता दो टूक क्या सुनती... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 59 Share Rekha Drolia 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य की खोज मैं हर पल इधर उधर न जाने किधर किधर ढूँढती रही आठों पहर सच मिले चुटकी भर कभी उसकी बातों में बेवजह मुलाक़ातों में संग गुज़ारी रातों में मोहब्बत के... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 4 50 Share Rekha Drolia 17 Mar 2024 · 2 min read माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी आज हाथ लगी माँ की ज़िंदगी की किताब धूल भरे पन्नों में दबे थे क़िस्से और ख़्वाब अल्मस्त बचपन था बेसुध बेफ़िकर यौवन फ्रॉक से साड़ी तक के सफ़र का... Hindi · कविता 40 Share Rekha Drolia 10 Feb 2024 · 1 min read मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर अल्हड़ मन मेरा चहके सौंधी मिट्टी सा महके जैसा चाहे ढल जाए ज़िंदगी की चाक पर मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर उत्सव है मन का गाँव थिरक... Hindi · कविता 1 102 Share Rekha Drolia 20 Jan 2024 · 1 min read बलराम विवाह रेवतक राजा सतयुग माही। सुता रेवती जैसी कोई नही।। गुणी सयानी शिक्षित नारी। सुयोग्य वर की चिंता भारी।। भूपति ने सकल जग छाना। मिलहि न वर सुता सम जाना।। ब्रह्मदेव... Hindi · कविता 1 64 Share Rekha Drolia 30 Dec 2023 · 1 min read सृजन टूटने से क्यों कर डरना छूटने का भय क्यों करना अंत ही तो आरंभ का प्रमाण है टूट टूट बिखर क्यों मरना टूट कर मिलता नव जीवन होता है सुंदर... Hindi · कविता 1 160 Share Rekha Drolia 18 Dec 2023 · 1 min read द्वारिका गमन कृष्ण ने कंस को वध किन्हा। कृष्ण वध जरासंध प्रण लिन्हा।। आठों याम एक ही विचारा। यदुओं पर आक्रमण बारम्बारा।। ले यवनी दल घेरो मथुरा द्वारा। कृष्ण कर दियो रिपु... Hindi · कविता 153 Share Rekha Drolia 8 Dec 2023 · 1 min read रुक्मिणी संदेश विदर्भ देश जहँ भीष्मक नरेश। तहाँ रुक्मिणी थी सुता भेष।। स्वरूपवती सुभग सयानी। सर्वगुणी सों सब विधि जानी।। सुनि कृष्ण रूप लीला ललामा। भजति हृदय महँ आठों यामा ।। प्रेम... Hindi · कविता 1 160 Share Rekha Drolia 8 Nov 2023 · 1 min read ओ लहर बहती रहो … चाँदनी को दे रही विदाई उनीन्दी पलक अँगड़ा जागी लहर ललाट धनक अलक तीर पर उतरी नहाने कनक रश्मि कुनकुनी ओ लहर बहती रहो कर सब अनसुनी पग बूँदों की... Hindi · कविता 1 4 189 Share Rekha Drolia 9 Oct 2023 · 1 min read घर छोड़ गये तुम ममता के ख़ज़ाने से मुँह मोड़ गए तुम चंद सिक्कों की ख़ातिर घर छोड़ गए तुम घर की शून्यता निगल रही है धीरे धीरे उम्मीद का हर कतरा निचोड़ गए... Hindi · कविता 1 2 138 Share Rekha Drolia 16 Sep 2023 · 1 min read क्या ऐसी स्त्री से… न पैरों की जूती न जाने जी हज़ूरी न पति परमेश्वर न आधी अधूरी न पौरुष न अहंकार ने जीता राम मिले तो बन गई सीता न चाटुकारिता की चाशनी... Hindi · कविता 1 379 Share Rekha Drolia 2 Sep 2023 · 1 min read झुंड झुंड ही तो है… ख़्वाबों का ख़्यालों का जवाबों का सवालों का अधूरी मुलाक़ातों का अनचाही सौग़ातों का रिश्तों का कुछ वादों का पाक नापाक इरादों का अधूरे बिखरे सपनों... Hindi · कविता 1 1 200 Share Rekha Drolia 19 Aug 2023 · 1 min read मैं घाट तू धारा… मैं बनारस का घाट तू गंगा की धारा तेरा स्पर्श पावनी मैं पावन हुआ सारा प्रीत अर्घ्य हर लहर दे दे हुआ पत्थर तू बह निकली देखा न मुड़ के... Hindi · कविता 1 277 Share Rekha Drolia 5 Aug 2023 · 1 min read क्या अब भी तुम न बोलोगी कब तक चुप रहोगी कब तक मुँह न खोलोगी क्या बाक़ी रह गया सहने को क्या अब भी तुम न बोलोगी तुमको बेलन उनको कलम अधिकारों की परिपाटी प्रजनन का... Hindi · कविता 1 164 Share Rekha Drolia 24 Jun 2023 · 1 min read दिल से …. न लफ़्ज़ों की ज़रूरत न आँखों का इशारा गुफ़्तगू थी रूह की इश्क़ नायब था हमारा रूठने मनाने किसी बहाने तो आ मेरे हमनवा ये कैसी काहिली ये क्या हाल... Hindi · ग़ज़ल 1 2 154 Share Rekha Drolia 8 Jun 2023 · 1 min read तू बस झूम… एक सितारा ही तो टूटा तू क्यों फिरता रूठा रूठा लाख सितारे देख जड़े हैं अंबर के आँचल में पड़े हैं एक मुक़द्दर तेरा लिखेगा होना है जो हो कर... Hindi · कविता 276 Share Rekha Drolia 7 Jun 2023 · 1 min read दुख दुख Quote Writer 1 2 251 Share Rekha Drolia 1 Jun 2023 · 1 min read मुर्दा समाज फिर एक चित्कार गूंज उठी फिर शून्य से टकराकर लौटी एक दरिंदे का वहशीपन देखा देखी दुनिया की चाल मुखौटी वार पर वार बेरहमी अत्याचार पर दुनिया के कान पर... Hindi · कविता 210 Share Rekha Drolia 20 May 2023 · 1 min read ……..नाच उठी एकाकी काया संबंधों की टहनी टाँके फूल वक्त बदला बन गये शूल झूठ का आडंबर रचा है रिश्ते हैं या एक सज़ा है विरक्ति हो गई है कबसे इससे उससे शायद सबसे... Hindi · कविता 199 Share Rekha Drolia 7 May 2023 · 1 min read नहीं लगता.. अब चले भी आओ की दिल नहीं लगता लगता है की लग गया है पर नहीं लगता उसने कहा बस चंद दिनों की तो बात है लौट कर वो आएगा... Hindi · कविता · ग़ज़ल 256 Share Rekha Drolia 10 Apr 2023 · 1 min read जीवन बीते कल को कस के है पकड़े आने वाले कल के भय में है जकड़े इस पकड़ा पकड़ी में आज रहा निकल कण कण मुट्ठी से जीवन रहा फिसल मुट्ठी... Hindi · कविता 279 Share Rekha Drolia 25 Mar 2023 · 1 min read कवि की कल्पना हरे हरे शामियाने में अमलतास के झूमर श्वेत सलोनी कामिनी झरे हवा में करती घूमर नैन मटक्का संध्या संग करे सिंदूरी गुलमोहर पात पात झूम रहे पीत कृष्णचूड़ा मनोहर ओस... Hindi · कविता 330 Share Rekha Drolia 8 Mar 2023 · 1 min read नारी वो…जो.. नारी वो नभ जो सूरज को गोद खिला ले नारी वो रात जो चंदा को माथे सजा ले नारी वो नीर जो पर्वत चीर जाए निकल नारी वो जल जो... Hindi · कविता 1 2 257 Share Rekha Drolia 24 Feb 2023 · 1 min read जब जब …… जब जब टूट बिखरती हूँ मैं कविता में सिमटती हूँ कुछ शब्द उबारे डूबी धड़कन बटोरे आंसू पलकन पलकन अक्षर अक्षर बारे उम्मीद बाती शब्द सेतु बांधे विचलित मन भावों... Hindi · कविता 190 Share Rekha Drolia 4 Feb 2023 · 1 min read ये ज़िंदगी क्या सँवर रही…. तप रही कभी पिघल रही पल पल मुट्ठी फिसल रही उस पार लगी या भँवर रही ये ज़िंदगी क्या सँवर रही कुछ ठोकरें कुछ नसीहतें कुछ रंग बदलती सोहबतें दुआ... Hindi · कविता 147 Share Rekha Drolia 21 Jan 2023 · 1 min read फूली सरसों… सुदूर गगन की छाँव प्रीत पैंजनिया पाँव इठला इठला नर्तन झूमी सरसों वन वन धूप से आँख मिचोली मेड़ों पर हंसी ठिठोली अलसी संग हिल हिल कानाफूसी मिल मिल कनक... Hindi · कविता 270 Share Rekha Drolia 1 Jan 2023 · 1 min read पर खोल… नए साल की शुरुआत कर ले पर खोल चल उड़ ले….. शैल सा शील धर ले पीर के पर्वत चढ़ ले हो हौसला चट्टानों सा ऊँचाइयाँ तय कर ले पर... Hindi · कविता 200 Share Rekha Drolia 19 Dec 2022 · 1 min read लांघो रे मन…. जो लाँघी रेखाएँ तो होंगे महायुद्ध कहते आए वेद पुराण गुणी प्रबुद्ध पर जो न तोड़ती सीमाएँ तो बहती कैसे सरिताएँ सरहदों के पार बहती कैसे स्वच्छंद चंचल हवाएँ पंछी... Hindi · कविता 1 184 Share Rekha Drolia 15 Dec 2022 · 1 min read कविता कविता जब बह निकली काग़ज़ पर कहाँ उतरी पहले उतरी अंतर्मन पर ज्यूँ नाव उतरती पानी पर शब्दों की पतवार थामे भाव हौले हौले गोते खाते रह रह कर मन... Hindi · कविता 382 Share Rekha Drolia 12 Dec 2022 · 1 min read धूप बादलों से लड़ के पेड़ों पर चढ़ के छत पर कूदी अल्हड़ धूप खिड़की से झांके आँगन में भागे दिप दिप दमके यौवन रूप जल पर नर्तन चमके लोचन इत... Hindi · कविता 236 Share Rekha Drolia 10 Dec 2022 · 1 min read अंतर्घट धीरे धीरे आप अपने अंतर्मन की पीड़ा पीते जाते हो अंतर्घट भरने लगता है फिर एक दिन छलक उठता है पीड़ा जब हद से ज़्यादा हो जाती है तो बहने... Hindi · कविता 1 149 Share Rekha Drolia 9 Dec 2022 · 1 min read तनहा कभी किंचित कोशिश कभी पूरा प्रयास किसी का तो हो जाऊँ बस इतनी थी आस समय गँवा दिया हर का होने में अब अकेला तनहा बैठा हूँ कोने में रेखांकन।रेखा Hindi · कविता 1 518 Share Rekha Drolia 3 Dec 2022 · 1 min read दर्द इतनी नाराज़गी क्यों क्यों इतना ग़ुस्सा है हम दोनों का रिश्ता टूट रहा हिस्सा हिस्सा है हो कितनी भी नफ़रत प्यार एक दिन जीत ही जाता है कितनी नादान थी... Hindi 1 189 Share Rekha Drolia 19 Nov 2022 · 1 min read औरत सदियों से टुकड़े होते रहे तेरे कभी पैंतीस कभी पैंतीस हज़ार पर मूर्ख फिर भी न संभली तू भरोसा करती रही बार बार पिघल गयी फिसल गयी फ़ना होने को... Hindi 288 Share Rekha Drolia 28 Oct 2022 · 1 min read सफलता जो हो कभी निराश छूट जाए सब आश बैठे हताश सब कुछ हार जीना लगता बोझिल बेकार चहुँ ओर तम का घेरा लगे न कोई अपना मेरा सब कुछ लगता... Hindi 3 2 205 Share Rekha Drolia 21 Oct 2022 · 1 min read आस का दीपक कुछ रिश्ते थे जो टूट गये कुछ साथ थे जो छूट गये अब हो खुशियों का मेला ये दिल रहता तनहा अकेला सूनेपन की चादर ओढ़ कर घर सोता है... Hindi 1 219 Share Rekha Drolia 15 Oct 2022 · 1 min read अस्तित्व लौ की क्या क़ीमत जो बाती न जली होती बाती का क्या मूल्य जो दीये की ओट न मिलती दीये का क्या अस्तित्व माटी जो न पकी होती माटी का... Hindi 2 2 223 Share Rekha Drolia 5 Sep 2022 · 1 min read क्या चाहिए…. ये चाहिए वो भी चाहिए कभी न सोचा क्या चाहिए मन के घट को ख़ूब खंगाला तब पाया मुझे क्या चाहिए पेड़ों की मौन क़तार नही फूलों सा खिलखिलाना चाहिए... Hindi 2 283 Share Rekha Drolia 19 Aug 2022 · 1 min read कृष्ण मुरारी कैसे क्या लिखूं तुम पर बलिहारी अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी देवकी ललना यशोदा के पलना वासुदेव का चंदा नन्द के अंगना कंस का काल गोकुल का ग्वाल निर्लिप्त योगेश्वर... Hindi 268 Share Rekha Drolia 15 Aug 2022 · 1 min read आज़ादी का परचम केसरी श्वेत हरा संग संग लहरा रहे एकता का अमृत कलश छलका रहे नित प्रगति का सोपान चढ़ते जा रहे अमन चैन शांति का बिगुल बजवा दो घर घर आज़ादी... Hindi 1 221 Share Rekha Drolia 6 Aug 2022 · 1 min read मन का पाखी… मन का पाखी लो उड़ चला क़ैद पिंजरे में रहा कब भला गिरी गगन धरा दरिया पवन छोड़ नीचे जहां बादलों में पला पात पात कभी डाल डाल भूल सारे... Hindi 316 Share Rekha Drolia 31 Jul 2022 · 1 min read मुख पर तेज़ आँखों में ज्वाला मुख पर तेज़ आँखों में ज्वाला कवि तुमने ऐसा क्या लिख डाला लिख डाला पीड़ा विरह वेदना बहुत हो चुका अब और न सहना पिंजरे की मैना पिंजरे में न... Hindi 1 2 229 Share Rekha Drolia 19 Jul 2022 · 1 min read कौन हो तुम…. ये जो मलय बयार बनके आए हो ये जो हल्के खुमार सा तुम छाए हो ये जो धकधक माही समाए हो कौन हो तुम अपने हो या पराए हो ये... Hindi 1 267 Share Rekha Drolia 11 Jul 2022 · 1 min read धरा करे मनुहार… नदिया भेजे नभ में संदेसा धरती चाहे बूँदों का बोसा बिरहन सूख सूख काँटा भई बैरी बदरा अब यूँ न तरसा मेघ बजाओ ढोल मृदंग ले बूँदों की बारात संग... Hindi 1 2 233 Share Rekha Drolia 4 Jul 2022 · 1 min read मैं वट हूँ मैं गमले में उगा बोनसाई का पेड़ नही जिसे तुम काटो छाँटो औनापौना और कर दो पूरा अस्तित्व बौना बौनी ख्वाहिशें बौने ख़्वाब बौना ज़िंदगी का हर हिसाब मैं तो... Hindi 2 372 Share Page 1 Next