कवि रमेशराज Language: Hindi 315 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read |नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी हम चोर लुटेरों ने घेरे हर सू है चीख-पुकार | इस बार || हम घने अंधेरों ने घेरे दिखती न रौशनी यार | इस बार || हम सेठ-कुबेरों ने घेरे... Hindi · तेवरी 567 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read नये शिल्प में रमेशराज की तेवरी कोई तो किस्सा पावन हो, वृन्दावन हो अब चैन मिले मन को कुछ तो | तहखानों बीच न जीवन हो, घर-आँगन हो सुख के पायें साधन कुछ तो | अपमान... Hindi · तेवरी 709 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read रमेशराज की एक तेवरी दारू से कुल्ला बम भोले अब खुल्लमखुल्ला बम भोले | ईमान बेचकर इस युग में खुश पण्डित-मुल्ला बम भोले | हर रोज सियासत मार रही चाँदों पे टुल्ला बम भोले... Hindi · तेवरी 497 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी जनता पर वार उसी के हैं चैनल-अख़बार उसी के हैं | इसलिए उधर ही रंगत है सारे त्योहार उसी के हैं | सब अत्याचार उसी के हैं अब थानेदार उसी... Hindi · तेवरी 593 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी पीयें ठर्रा-रम बम भोले हम सबसे उत्तम बम भोले | जनता से नाता तोड़ लिखें सत्ता के कॉलम बम भोले | + हम पै कट्टे-बम बम भोले हम यम के... Hindi · तेवरी 397 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी मैं तो हूँ पावन बोल रहा अब पापी का मन बोल रहा | नित नारी को सम्मान मिले हँसकर दुर्योधन बोल रहा | सूखा को सावन बोल रहा अंधों का... Hindi · तेवरी 828 Share कवि रमेशराज 3 Jun 2017 · 3 min read रमेशराज के विरोधरस के दोहे क्रन्दन चीख-पुकार पर दूर-दूर तक मौन आज जटायू कह रहा ‘सीता मेरी कौन‘? +रमेशराज बल पा ख़ूनी शेर का शेर बनें खरगोश यही शेर ठंडा करे कल को इनका जोश... Hindi · दोहा 1 521 Share कवि रमेशराज 25 May 2017 · 2 min read रमेशराज के प्रेमपरक दोहे तुमसे अभिधा व्यंजना तुम रति-लक्षण-सार हर उपमान प्रतीक में प्रिये तुम्हारा प्यार | +रमेशराज +मंद-मंद मुसकान में सहमति का अनुप्रास जीवन-भर यूं ही मिले यह रति का अनुप्रास | +रमेशराज... Hindi · दोहा 403 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read तेवरी हिंसा से भरा हुआ नारा अब बोले धर्म बचाना है हर ओर धधकता अंगारा अब बोले धर्म बचाना है | जो कभी सहारा नहीं बना अपने बूढ़े माँ-बापों का ऐसा... Hindi · तेवरी 696 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read तेवरी जिनको देना जल कहाँ गये सत्ता के बादल कहाँ गये ? कड़वापन कौन परोस गया मीठे-मीठे फल कहाँ गये ? जनता थामे प्रश्नावलियां सब सरकारी हल कहाँ गये ? जो... Hindi · तेवरी 655 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read तेवरी गुलशन पै बहस नहीं करता मधुवन पै बहस नहीं करता । जो भी मरुथल में अब बदला सावन पै बहस नहीं करता | कहते हैं इसे न्यूज़-चैनल ये जन पै... Hindi · तेवरी 377 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक गुलशन पै बहस नहीं करता मधुवन पै बहस नहीं करता वो लिए सियासी दुर्गंधें चन्दन पै बहस नहीं करता | +रमेशराज ----------------------------- “असुर ” कहो या बोलो-“ खल हैं “... Hindi · मुक्तक 373 Share कवि रमेशराज 18 May 2017 · 1 min read रमेशराज के दो मुक्तक जटा रखाकर आया है, नवतिलक लगाकर आया है मालाएं-पीले वस्त्र पहन, तन भस्म सजाकर आया है जग के बीच जटायू सुन फिर से होगा भारी क्रन्दन सीता के सम्मुख फिर... Hindi · मुक्तक 512 Share कवि रमेशराज 10 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक 1. हम शीश झुकाना भूल गये सम्मान जताना भूल गये, तेज़ाब डालते नारी पर अब प्यार निभाना भूल गये | +रमेशराज ======================== 2. ये टाट हमेशा हारेंगे चादर-कालीनें जीतेंगे तू... Hindi · मुक्तक 354 Share कवि रमेशराज 10 May 2017 · 1 min read || तेवरी || सूखा का कोई हल देगा मत सोचो बादल जल देगा | जो बृक्ष सियासत ने रोपा ये नहीं किसी को फल देगा | बस यही सोचते अब रहिए वो सबको... Hindi · तेवरी 367 Share कवि रमेशराज 6 May 2017 · 1 min read तेवरी उसकी बातों में जाल नये होने हैं खड़े बवाल नये | बागों को उसकी नज़र लगी अब फूल न देगी डाल नये | छलना है उसको और अभी लेकर पूजा... Hindi · तेवरी 587 Share कवि रमेशराज 6 May 2017 · 1 min read तेवरी खुशियों के मंजर छीनेगा रोजी-रोटी-घर छीनेगा | है लालच का ये दौर नया पंछी तक के पर छीनेगा | हम जीयें सिर्फ सवालों में इस खातिर उत्तर छीनेगा | वो... Hindi · तेवरी 1 665 Share कवि रमेशराज 6 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक बस यही फैसला अच्छा है मद-मर्दन खल का अच्छा है | जो इज्जत लूटे नारी की फांसी पर लटका अच्छा है || +रमेशराज ----------------------- सब हिस्से के इतवार गये त्यौहार... Hindi · मुक्तक 360 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 3 min read माया फील गुड की [ व्यंग्य ] ‘फील गुड’ मुहावरे का इतिहास बहुत पुराना है। आदि देव शिव ने अनेक राक्षसों को इसका अनुभव कराया। भस्मासुर ने तो शिव से वरदान प्राप्तकर इतना फील गुड किया कि... Hindi · कविता 549 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 5 min read चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ] वैसे मैं न तो बीमा ऐजेन्ट हूँ और न किसी बीमा कम्पनी वाले का रिश्तेदार | फिर भी अपनी सफेद दाड़ी और नकली दांतों के अनुभव के आधार पर इतना... Hindi · कविता 1 843 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 4 min read दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ] काफी दिनों से खादी का कुर्ता-पजामा बनवाने की प्रबल इच्छा हो रही है। इसके कुछ विशेष कारण भी है, एक तो भारतीय-बोध से जुड़ना चाहता हूं, दूसरे टेरीकाट के कपड़े... Hindi · कविता 698 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 4 min read साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ] आज हम आपको जिस स्वास्थ्य मंत्री से साक्षात्कार करा रहे हैं, इनका स्वास्थ्य पिछले वर्षों में महाजन के सूद की तरह दिन दूना और रात चौगुना बढ़ा है। इनके स्वास्थ्य... Hindi · कविता 633 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 3 min read पुलिस बनाम लोकतंत्र (व्यंग्य) +रमेशराज लोकतंत्र में पुलिस की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। अब आप कहेंगे कि लोकतंत्र से पुलिस का क्या वास्ता! है क्यों नहीं साहब! अजी पुलिस का डंडा और लोकतंत्र... Hindi · कविता 332 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 4 min read कहानी अजगर +रमेशराज --------------------------------------------------- आप जि़द कर रहे हैं तो सुना ही देता हूं कि मुझे इन दिनों एक रोग हो गया है, सिर्फ अपनी बेरोज़गारी पर ही सोचते रहने का... Hindi · कहानी 818 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 5 min read कहानी वक़्त एक चाबुक है +रमेशराज ------------------------------------------- पारबती है ही कुछ ऐसी, भूख से लड़ती है, भूख और बढ़ती है। गरीबी उसकी विवशता का जितना ढिंढोरा पीटने का दावा भरती है,... Hindi · कहानी 582 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 1 min read रमेशराज के 2 मुक्तक मिलता नहीं पेट-भर भोजन अब आधी आबादी को नयी गुलामी जकड़ रही है जन-जन की आज़ादी को | भारत की जनता की चीख़ें इन्हें सुनायी कम देतीं हिन्दुस्तानी चैनल सारे... Hindi · मुक्तक 308 Share कवि रमेशराज 4 May 2017 · 1 min read तेवरी मैं भी अगर भाट बन जाता गुण्डों को सेवक बतलाता | कोयल के बदले कौवों को सच्चा स्वर-सम्राट सुझाता | सारे के सारे खलनायक मेरे होते भाग्य-विधाता | ज़हर घोलता... Hindi · तेवरी 421 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 3 min read रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरी....1. ----------------------------------------------- कैसे भये डिजीटल ऊधौ पहले थे हम सोने जैसे, अब हैं पीतल ऊधौ | अब हर बात तुम्हारी लगती है छल ही... Hindi · तेवरी 408 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी- सरकारी कारण लुटौ खूब कृषक कौ धान रह गयौ बिना रुपैया, धान कौ हाय बुवैया | दरवाजे पे कृषक के ठाडौ साहूकार ब्याज के बदले भैया, खोलि लै जावै गैया... Hindi · तेवरी 878 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read लोकशैली में तेवरी नारे थे यहाँ स्वदेशी के हम बने विदेशी माल , सुन लाल ! अपने हैं ढोल नगाड़े पर ये मढ़े चीन की खाल , सुन लाल ! हम गदगद अपने... Hindi · तेवरी 370 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read वर्णिक छंद में तेवरी गण- [राजभा राजभा राजभा राजभा ] छंद से मिलती जुलती बहर –फ़ायलुन फ़ायलुन फ़ायलुन फ़ायलुन ................................................................... आपने नूर की क्या नदी लूट ली गीत के नैन की रोशनी लूट ली... Hindi · तेवरी 423 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read लोकशैली में तेवरी सडकों पै मारपिटाई करते बर्बर आतताई होते सरेआम उत्पात दरोगा ठाड़ो देखै | हाथों में छुरी तमंचे जन को लूट रहे नित गुंडे गोदें चाहे जिसका गात दरोगा ठाड़ो देखै... Hindi · तेवरी 408 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read रमेशराज की एक हज़ल बोलै मति हमकूँ ठलुआ, हमतौ चाकी के गलुआ, जै राधे की। प्रेम-बाँसुरी बजा रहे हम हमकूँ कहियो मत कलुआ, जै राधे की। बूँद-बूँद यूँ दिन-भर टपकें नैना सरकारी नलुआ, जै... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 401 Share कवि रमेशराज 3 May 2017 · 1 min read रमेशराज की तेवरी जनता की थाली बम भोले अब खाली-खाली बम भोले | श्रम जिसके खून-पसीने में उसको ही गाली बम भोले | इस युग के सब गाँधीवादी कर लिए दुनाली बम भोले... Hindi · तेवरी 709 Share कवि रमेशराज 2 May 2017 · 7 min read रमेशराज के कुण्डलिया छंद कुंडलिया छंद ------------------------------------------- जनता युग-युग से रही भारत माँ का रूप इसके हिस्से में मगर भूख गरीबी धूप , भूख गरीबी धूप, अदालत में फटकारें सत्ता-शासन इस भारत माँ को... Hindi · कुण्डलिया 1 1 873 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 3 min read रमेशराज की पेड़ विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। नदी है कितनी महान।। नदी सींचती है / खेत जलती हुई रेत नदी बूंद-बूंद रिसती है पेड़ पौधों की जड़ों में नदी गुजरती है पेड़ों के भीतर से... Hindi · कविता 372 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 8 min read रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। मेरे बारे में ।। पत्नी जानती है जानती है पत्नी यही कि- इस अभाव-भरे माहौल में मैंने बहुत चीजों में कटौती कर दी है मसलन अब सिरगेट की... Hindi · कविता 325 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 3 min read रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद-।। सच मानो होरीराम।। ------------------------------------------------- युग-युग से पीड़ित और शोषित होरीराम वक्त बहुत बदल चुका है, तुम भी बदलो। भूख, मजबूरी, शोषण, तिरस्कार, पशुओं सी जिन्दगी-- इनके अलावा कुछ और... Hindi · कविता 600 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 7 min read रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1. -मुक्तछंद- || सुविधा-विष || कैसी बिडम्बना है कि हम सभी अक्सर व्यवस्था की आदमखोर तोंद पर मुक्का मारने से पहले उन सारी तनी हुई मुटिठ्यां को कुचल देना चाहते हैं... Hindi · कविता 553 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 7 min read रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2. -मुक्तछंद- ।। एक शब्द ।। आज यह होना ही चाहिए कि हम सब धीरे-धीरे भूख से विलखते हुए धुआ-धुआ होते हुए लोगों के बीच एक शब्द टटोलें / आग एक... Hindi · कविता 682 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 5 min read रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। बच्चा मांगता है रोटी।। बच्चा मांगता है रोटी मां चूमती है गाल | गाल चूमना रोटी नही हो सकता, बच्चा मागता है रोटी। मां नमक-सी पसीजती है बच्चे... Hindi · कविता 1 431 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 4 min read रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। जूता और बच्चा ।। जूते को लगातार चमकाता है उसे आईना बनाता है रंग और क्रीम के साथ जूते पर पालिश करता हुआ बच्चा। बच्चा गुनगुनाता है मीठी... Hindi · कविता 439 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 4 min read रमेशराज की पिता विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। ओ पिता ।। मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ ओ पिता ओ पिता मैं तुमसे पूछना चाहता हूं मेरे इन निष्कंलक हाथों में अहिंसा का हनुमान चालीसा थमाकर इस... Hindi · कविता 312 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 4 min read रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ -मुक्तछंद- ।। बहरहाल ।। चिडि़या अब साफ पहचानने लगी है कि हर पेड़ के पीछे चिड़ीमार बहेलिया है बन्दूक या गुलेल के साथ। चिडि़या अब साफ जानने लगी हैं कि... Hindi · कविता 604 Share कवि रमेशराज 1 May 2017 · 11 min read रमेशराज की कविता विषयक मुक्तछंद कविताएँ ।। बोखलाई हुई कुर्सी की भाषा ।। संविधान की ठीक नाक पर एक खूबसूरत चेहरा गिद्ध की तरह चुपचाप बैठ जाता है और फिर नोचने लगता है प्रजातन्त्र की मवाद... Hindi · कविता 570 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 1 min read रमेशराज के दो लोकगीत – लोकगीत-1. “ डिजीटल कर ले लांगुरिया “ ------------------------------------------------------ दाल डिजीटल हो गयी, उसके सँग में प्याज चकाचौंध में आ गये फल सब्जी भी आज, मुख पै आये दुःख के भाव... Hindi · गीत 458 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 2 min read नंगा चालीसा [ रमेशराज ] लुच्चे छिनरे सिरफिरे रहें तुम्हारे साथ, तुम घूमो हर नीच के डाल हाथ में हाथ | नमो नमो नंगे महाराजा, लाज सबै पर तुम्हें न लाजा ||1|| झूठ तुम्हारे पांव... Hindi · गीत 687 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 4 min read रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत धर्म का मतलब नहीं, ‘काटो गला’—1 -------------------------------------------- गोलियों से गात छलनी यूं न कर प्यार के जज़्बात छलनी यूं न कर। इस तरह तू दुष्ट मत चाकू चला धर्म का... Hindi · गीत 507 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 6 min read रमेशराज के समसामयिक गीत ।। आज हमारे चाकू यारो ।। ---------------------------------------- बिना ध्येय के रक्तपात को आतुर बन बैठे, आज हमारे चाकू यारो हम पर तन बैठे । हमने छुरियों को समझाया उनका कत्ल... Hindi · गीत 375 Share कवि रमेशराज 30 Apr 2017 · 4 min read रमेशराज के विरोधरस के गीत -गीत- मैं नेता हूं +रमेशराज ------------------------------------------ कहीं तुम्हें भी चिपका दूंगा कोई पद भी दिलवा दूंगा एक लाख केवल लेता हूं। मैं नेता हूं।। मेरी सारी झूठी बातें जैसे मरुथल... Hindi · गीत 317 Share Previous Page 2 Next