Rakesh Dubey "Gulshan" Tag: ग़ज़ल/गीतिका 24 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rakesh Dubey "Gulshan" 10 Jan 2017 · 1 min read कम किसी से नहीं गुणवती बेटियां हौसलों से भरी डोलती बेटियां हर कठिन लक्ष्य को भेदती बेटियां ———————————– पाँव रोको नहीं आज टोको नहीं पंख पाकर गगन चूमती बेटियां ———————————– सौम्य मुस्कान से घर महकता रहे... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 590 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 10 Jan 2017 · 1 min read कम किसी से नहीं गुणवती बेटियां हौसलों से भरी डोलती बेटियां हर कठिन लक्ष्य को भेदती बेटियां ----------------------------------- पाँव रोको नहीं आज टोको नहीं पंख पाकर गगन चूमती बेटियां ----------------------------------- सौम्य मुस्कान से घर महकता रहे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 670 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 27 Nov 2016 · 1 min read बात दर बात हो फैसला कुछ नहीं बात दर बात हो फैसला कुछ नहीं एक छल है ये छल के सिवा कुछ नहीं ----------------------------------------------- मिट गये हम ख़ुशी से वतन के लिये और तुम कह रहे हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 535 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 19 Nov 2016 · 1 min read बिछड़ी है आसमां से पलक पर झुकी है क्या आँखों में अश्कबार घटा ढूँढती है क्या बिछड़ी है आसमां से पलक पर झुकी है क्या आँखों में अश्कबार घटा ढूँढती है क्या ----------------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- ई (स्वर), रदीफ़- है क्या वज़्न-221 2121 1221 212 ----------------------------------------------------- बिछड़ी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 649 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 14 Nov 2016 · 1 min read वफ़ा करते दिले- बीमारे- उल्फ़त से नज़र भर देखते मुझको मुहब्बत से वफ़ा करते दिले- बीमारे- उल्फ़त से नज़र भर देखते मुझको मुहब्बत से ---------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- अत, रदीफ़- से वज़्न-1222 1222 1222 1222 अरक़ान- मुफ़ाईलुन × 4 बहर-बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 14 Nov 2016 · 1 min read बरगला ये हवा रही है मुझे साथ अपने बहा रही है मुझे बरगला ये हवा रही है मुझे साथ अपने बहा रही है मुझे ---------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- आ, रदीफ़- रही है मुझे वज़्न-2122 1212 22/112 अरक़ान-फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन बहर- बहरे खफ़ीफ मुसद्दस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 655 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 10 Nov 2016 · 1 min read ज़िंदगी की धूप ने झुलसा दिया सारा बदन ज़िंदगी की धूप ने झुलसा दिया सारा बदन जल रहा है आज बनकर एक अंगारा बदन ------------------------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- आरा, रदीफ़- बदन वज्न- 2122 2122 2122 212 अरक़ान- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 918 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 8 Nov 2016 · 1 min read नया साहिल बनाना चाहता है समंदर क्या जताना चाहता है नया साहिल बनाना चाहता है समंदर क्या जताना चाहता है ----------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- आना, रदीफ़- चाहता है वज्न- 1222 1222 122 अरक़ान- मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन बहर- बहरे हज़ज मुसद्दस महज़ूफ़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 445 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 7 Nov 2016 · 1 min read ज़ख़्म आहिस्ता दुखाकर चल दिये ज़ख़्म आहिस्ता दुखाकर चल दिये आप जो ये मुस्कुराकर चल दिये ----------------------------------------- ग़ज़ल, क़ाफ़िया-आकर, रदीफ़-चल दिये वज़्न- 2122 2122 212 (फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन) ----------------------------------------- ज़ख़्म आहिस्ता दुखाकर चल दिये आप... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 335 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 6 Nov 2016 · 1 min read वफ़ा पर हमारी न उँगली उठाना वफ़ा पर हमारी न उँगली उठाना कि रुसवा करेगा हमें कल ज़माना ---------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- आना,रदीफ़-ग़ैर मुरद्दफ़ अरक़ान-फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन वज्न-122 122 122 122 बहर-बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम ----------------------------------------------... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 354 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 6 Nov 2016 · 1 min read इम्तिहाँ मत लीजिये मेरी वफ़ा का इम्तिहाँ मत लीजिये मेरी वफ़ा का आपको कुछ डर नहीं है क्या ख़ुदा का ---------------------------------------------- ग़ज़ल क़ाफ़िया- आ, रदीफ़- का अरक़ान-फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन वज़्न-2122 2122 2122 बहर- बहरे रमल मुसद्दस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 476 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 24 Jul 2016 · 1 min read राग अधरों पर सजाना आ गया राग अधरों पर सजाना आ गया लो मुझे भी गीत गाना आ गया छटपटाहट आज मन की भूल कर दर्द में भी मुस्कुराना आ गया नेह की इक बूँद को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 318 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 24 Jul 2016 · 1 min read आदमी के काम आना आदमी का काम है आदमी के काम आना आदमी का काम है देखना क्या रात या दिन दोपहर या शाम है डूब जाता है सफ़ीना साहिलों के पास आ बस भँवर बेकार में ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 543 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 24 Jul 2016 · 1 min read बात मतलब की करे संसार है बात मतलब की करे संसार है बस दिखावे के लिये ये प्यार है काटती हैं रात दिन तन्हाईयां ज़िंदगी जीना बड़ा दुश्वार है दो निवालों के लिये अब देखिये आदमी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 758 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 24 Jul 2016 · 1 min read अँधेरी बस्तियों को रोशनी का सिलसिला देना अँधेरी बस्तियों को रोशनी का सिलसिला देना उजालों की तमन्ना में हमारा दिल जला देना सजाये ख़्वाब है हमने लहू का रंग भर भर कर हमें आया न नींदों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 339 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 21 Jul 2016 · 1 min read कौन अरबी फ़ारसी पढ़ कर कभी शायर हुआ कौन अरबी फ़ारसी पढ़कर कभी शायर हुआ इश्क़ ने जिसको रुलाया बस वही शायर हुआ आज भी उन गेसुओं में है गुलाबों की महक काट कर साये में जिनकी जिन्दगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 606 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 16 Jul 2016 · 1 min read कली बुझी बुझी हुई गुलों में ताज़गी नहीं कली बुझी बुझी हुई गुलों में ताज़गी नहीं सभी बहुत उदास हैं नसीब में ख़ुशी नहीं बहार वादियों से छीन ले गई है ख़ुश्बुएं चमन परस्त बागवाँ की नींद पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 532 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 16 Jul 2016 · 1 min read लिपटकर हम न साहिल से कभी रोये यहाँ यारो जिये तूफ़ान की जद में हमें आंधी ने पाला है कहीं है चर्च गुरुद्वारा कहीं मस्जिद शिवाला है ख़ुदा को भी सभी ने कर यहाँ तक़सीम डाला है किसी ने आज देखा है मुझे तिरछी नज़र से फिर मुहब्बत में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 533 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 10 Jul 2016 · 1 min read सोच समझ कर बोला कर राज़ न दिल के खोला कर सोच समझ कर बोला कर राज़ न दिल के खोला कर इतनी सख़्ती ठीक नहीं ख़ुद को थोड़ा पोला कर सब तो एक न जैसे हैं बोल न सबको भोला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 582 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 10 Jul 2016 · 1 min read बोलें सोच विचार कर, कह कर गये कबीर बोलें सोच विचार के, कह कर गये कबीर रखो जीभ के पाँव में, डाल सदा जंजीर घाव न भरते उम्र भर, देते कष्ट अपार जब जब मन को वींधते, कटु... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 757 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 14 Jun 2016 · 1 min read झूमकर जो कल उठी थी झूमकर जो कल उठी थी एक बदली मनचली थी आँख बन बैठी समंदर हर पलक भीगी हुई थी होश में आये तो जाना क्या गजब की बेख़ुदी थी नूर था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 531 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 12 Jun 2016 · 1 min read जख़्म जब भी जिगर का हरा हो गया जख़्म जब भी जिगर का हरा हो गया दर्द हद से बढ़ा और दवा हो गया दिल मचलने लगा है सरे शाम से क्या बताएं तुम्हें दिल को क्या हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 321 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 12 Jun 2016 · 1 min read आदमी अमीर हूँ आदमी अमीर हूँ खो चुका ज़मीर हूँ जो न खुल के रो सकी वो जिगर की पीर हूँ जख़्म के जहान की दर्द की नज़ीर हूँ जाने किस हसीन की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 351 Share Rakesh Dubey "Gulshan" 12 Jun 2016 · 1 min read न मुझको घाट का रक्खा न घर का ग़ज़ल- न मुझको घाट का रक्खा न घर का अजब अंदाज है उसकी नजर का जला कर रख दिया है आशियाना करूँ क्या मैं भला ऐसे शजर का कभी देखा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 639 Share