PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 84 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read प्यारी रात सुबह का जोगी गेरुआ वस्त्र पहने लेकर अनूठा इकतारा सूर्य अराधना मे रत। प्रचंड तेजस्वी तपती दुपहरी अपने तप के तेज से करती व्याकुल इंद्रासन। सौम्य साध्वी संध्या बिखेर कर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 8 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 May 2024 · 1 min read मानी बादल हरियाली खोई बहाव में, धूसर हो गई धरती की, प्यारी-प्यारी चूनर धानी। कितने बरसे बादल मानी? पानी में डूबे गाॅंव-गाॅंव , कहाॅं जले चूल्हे औ'अलाव? चारों तरफ पानी पानी। कितने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 5 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 May 2024 · 1 min read शेष है - तूफान ,भूकंप, अकाल, बर्बादी , कीड़ों की तरह बढ़ती आबादी , जगह कहाॅं है रहने को ? शेष है- अभी तो बहुत कुछ कहने को। उबलती, उफनती हुई जवानी, बूढ़ी... Poetry Writing Challenge-3 1 14 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read अद्भुत प्रयास जिंदगी की दौड़ में यह भीड़ ,भागती हुई उलझ चुकी है, अपने ही घेरों में। जब- जब टूटेंगे भीतर के घेरे हर और होगा उज्ज्वल उजास। भागता समय एक क्षण... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 24 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 May 2024 · 1 min read आकाश और पृथ्वी तुम आकाश हो अनंत तक फैले मगर हृदय में शून्य समेटे। यह पृथ्वी है बहुत सीमित मगर मिट्टी से संस्कारित। मैंने सुना है लोग कहते हैं क्षितिज पर मही आकाश... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 25 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read नव रूप रात की स्याही घोलकर सूरज दिन पृष्ठ पर कुछ अंकित करने लगा है। किरणों के शब्दों से छूकर हृदय सुनहरी गुलाल मुख पर मलने लगा है। पा प्रकाश का अवलंबन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 19 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read काश! तन थका- थका, मन बुझा-बुझा, नयनों से झलके सिर्फ अवसाद। जाने कहाॅं खोया जीवन का मधु स्वाद? एक सराय बना घर सुबह शाम सफर दोपहर में दफ्तर रात में तेरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 77 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद तुम कहते हो मैं सोचना बंद कर दूं तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। मगर तुम नहीं जानते इस तरह तो सृजन का अंत हो जाएगा। मेरा दर्द होगा नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 72 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read तुम आओ एक बार तुम आओ एक बार। अनवरत प्रतीक्षारत ऑंखें अश्रु भीगी पलकों की पाॅंखें चित्रित-सी एकटक पथ रही है निहार। तुम आओ एक बार। तुम्हारे आने का अटूट विश्वास आतुर हृदय हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 83 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 May 2024 · 1 min read मेरी प्रतिभा मेरी प्रतिभा तू मेरे ऑंगन की दीपशिखा बन जा। मुझे तू उन्मत्त बना इस जीवन की मदिरा बन जा।। उर क्रन्दन करता है मेरा विश्वासों की टूटन से, विलग नहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 123 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 3 May 2024 · 1 min read सृष्टि का रहस्य नारी जीती रही है , अपनी अंतर्विरोधों के बीच वह नहीं जानती थी कि वह क्या है? कितनी ही चरित्र अभिनीत कर चुकी है और निरंतर कर रही है। मगर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 21 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 May 2024 · 1 min read वह नारी व्यस्तताओं के मकड़ जाल में उलझा हुआ जीवन का दामन। फिर भी काव्य-सृजन हित कैसे चुन लेती अमर क्षण मनभावन। लपक झपक कर काम-काज विद्यादान हेतु बने शारदा। हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 2 103 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 1 May 2024 · 1 min read संवेदना जब हृदय अभिभूत हो जाए , किसी प्राणी की वेदना से। तन में घनीभूत प्राण यूं, विचलित हो उठे वेदना से। संतृप्त भावों की धरा पर, संवेदना की शीतल बूंदें।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 115 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 24 Mar 2024 · 1 min read सत्य का अन्वेषक वह तो सत्य का अन्वेषक है, पथरीली राहों का राही। पूरा सच कब लिख पाती है, यहाॅं स्वार्थ की काली स्याही। पर्वत-पर्वत ढूंढी थी बूटी, संजीवन मिली ना सपनों को।... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 6 635 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 24 Mar 2024 · 1 min read अंतिम सत्य सत्य की खोज सृष्टि के आरंभ से आज तक जारी है। सत्य की खोज ने कितने ही लोगों को बना दिया महात्मा बुद्ध। कुछ लीक से हटकर चले, कुछ बनी... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 3 514 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 18 Feb 2024 · 1 min read Forget and Forgive Solve Many Problems Forget and Forgive Solve Many Problems Quote Writer 1 449 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 18 Feb 2024 · 1 min read नया इतिहास सृष्टि के भीतर जब सन्नाटा घिरता है, भावों का ज्वार धीमे से उतरता है। मानव मस्तिष्क मन का दिक् दर्शक बन, आत्म प्रलय का स्वयं प्रणेता बनता है। उस आत्मयज्ञ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 4 4 353 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 Feb 2024 · 1 min read उड़ चल पंछी उड़ चल पंछी तू अब उड़ चल। दे रहा चुनौती नील गगन, टकराने दे तू आज पवन। अपने डैनों का ले संबल, कर देना नभ में तू हल चल। उड़... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 4 2 355 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 17 Feb 2024 · 1 min read भटके नौजवानों से तुम क्यों भटक गए? तुम्हें भी तो उन्ही ने संस्कार दिए हैं, जिससे ये पावन संस्कार सबको है मिले। संबंधों की ऊर्जा क्यों नहीं समझी जबकि उन्होंने सिखाया संबंधों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 285 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read भला लगता है परिंदों का चहचहाना भला लगता है। फसलों का लहलहाना भला लगता है। तुतली बोली में पूछे मासूम सवालों को सुलझाना भला लगता है। एकांत में बैठकर चुपके-चुपके गुनगुनाना भला लगता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 281 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read आओ उर के द्वार असह्य हुआ है अब वेदना का ज्वार चाहता है तोड़ बहना सशक्त बांध दीवार। ढूॅंढता है टूटा मन एक ऐसा संबल सिर रख कर रो ले जहाॅं पर पल दो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 259 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 16 Feb 2024 · 1 min read शलभ से भोले शलभ! अब तुम मचलना छोड़ दो। दीप पर क्या असर अब जलना छोड़ दो। क्यूं विवश हो पहुॅंच जाते उसके द्वार ? क्या दबा सकते नहीं मन की मनुहार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 413 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 15 Feb 2024 · 1 min read वासंती बयार बहकी- बहकी सी लगे, ये वासंती बयार। सरसों से आंचल सजा, बैठी घर के द्वार।। धरा ने ओढ़ी चूनर ,किया नव श्रृंगार। पात- पात खिल उठा ,पा मधु मादक प्यार।।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · दोहा 4 2 280 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 14 Feb 2024 · 1 min read माँ शारदे माॅं शारदे यह वरदान दे, दिव्य वाणी व दिव्य दान दे। मिटा दे मन के ये अंधेरे, लगा दे फिर ज्योति के डेरे। हर दिशा में खुशियाॅं बिखेरे, नव प्रकाश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 2 228 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 Feb 2024 · 1 min read नई दृष्टि सब कुछ दुविधाग्रस्त हर तरफ सिर्फ़ उलझाव ही उलझाव। बहुत मुश्किल है मिल जाए हॅंसने को दो चार उन्मुक्त पल। ऊपरी चमक ने मानव आंखों को चुंधिया दिया है। वे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 484 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 10 Feb 2024 · 1 min read मेरा जीवन अभावों में जन्म मिला है अभावों ने ही पाला है, दुख है मेरी संचित पूंजी दुख ने मुझको ढाला है। कांटों के कंटकित वैभव में यह जीवन प्रसून खिला, अश्रु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 248 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 9 Feb 2024 · 1 min read कल का सूरज अशिक्षा,भुखमरी,बेकारी , ये सभी एक सपना होगा। आओ मिलकर हाथ बटाॅंओ, कल का सूरज अपना होगा। श्रम के बेधक बाणों से तो, अंधियारे को हटना होगा। मेहनत से जी ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 413 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 9 Feb 2024 · 1 min read तरुणाई इस देश की ले अंगड़ाई जाग उठी है तरुणाई इस देश की, वसुंधरा पर बच ना सकेगी अब लंका लंकेश की। घावों का दर्द छिपा कर गाए थे जो प्रणय तराने, उसी कंठ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 258 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 Feb 2024 · 1 min read माँ माँ, पृथ्वी होती है सुबह से शाम तक परिवार को बाॅंधे धुरी पर घूमती है। प्यार से भोजन बना स्नेह ममता उडेल सभी सदस्यों को खाना परोसती है। माँ! कपड़ों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 322 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 8 Feb 2024 · 1 min read श्रम-यज्ञ हम तो अविरल बहने वाले, हमको बस चलते जाना है। प्रेम-दीप का एक शलभ बन, बस तिल- तिल जलते जाना है। जिस दिवस भी कंटकित पथ पे, पग रुकेंगे परवश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 520 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read मृग-मरीचिका प्रकृति का अद्भुत ढंग जीवन में मिटते-भरते रंग। जीवन-सागर भी कुछ ऐसा ही है— सपनों को समेटे मिटती कामनाऍं। विवशता के घेरों में घुटती इच्छाऍं। मिटने के भय से भयाक्रांत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 328 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read विडम्बना युगो -युगो से पूछ रही अपनी आंख पसार, किसे करे समर्पित अपना निश्छल प्यार। कोमलता की कली किए नव श्रृंगार, नव दीपित यौवन लेकर मृदुल उपहार। अल्हड़ता से वह झूमा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 298 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 4 Feb 2024 · 1 min read नई सुबह नए वर्ष की नई सुबह से, जीवन में यह उपहार मिले। जय हो जीवन रूपी रण में, स्वागत करता हर द्वार मिले। सत्य हो हर स्वप्न तुम्हारा, ह्रदय-सीप में जो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 375 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 Feb 2024 · 1 min read सुकून अंधेरे में दिया जला दो, वहाॅं उजाला खिल जाएगा। किसी रोते लब को हॅंसा दो, सुकून तुमको मिल जाएगा। मौन रहकर आवाज दो तुम, कि हर लब सुर गुनगुनाएगा। गिरते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 273 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 28 Jan 2024 · 1 min read नेता मौसम के ढंग ज्यों बदलने लगे हैं, वे भी अपना तेवर बदलने लगे हैं। जाना है उन्हें जनता की अदालत में, मुखौटो पर फिर से रंग चढ़ने लगे है। कुर्सी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 221 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 28 Jan 2024 · 1 min read जिंदगी में - कुछ पढ़ी कुछ अनपढ़ी ही रह गई, जिंदगी में कितनी कथाऍं मिली। गूॅंजती है आज भी सुधि -गली में, कसमसाती दिलों में व्यथाऍं मिली। जलती रही जो कि मौन रह... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 321 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 26 Jan 2024 · 1 min read नववर्ष में नववर्ष में दिशाओं में किरणें ही फैले न कि अंधेरे छितराऍं। संध्या का रूपहला यौवन अभिशाप नहीं बन पाए। नववर्ष में जर्जर न हो सभ्यता चरण हरगिज न डगमगाए। आहत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 346 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 25 Jan 2024 · 1 min read मातृभूमि वंदना हे मातृभूमि तेरी जय हो ! मैं कैसे करूं बखान? अनवरत नभ में लहराए तेरा कीर्ति ध्वज महान। हर ऋतु रूप संवारें तेरा सागर चरण पखारे । सूरज चंद्रमा देते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 353 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 Jan 2024 · 1 min read सच्ची कविता जब-जब मौन मुखर हो जाता अधरों पर छा जाता बंद। उद्वेलित हो उठते जब प्राण कलम से बहे तब-तब छंद। नयनों से जब सावन बरसे ह्रदय नेह बूंद को तरसे।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 388 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 Jan 2024 · 1 min read आदमी कमरे में कैद होकर तड़प रहा है आदमी। आंगन में झलकती धूप आमंत्रित करती है उसे। समेट लो आकर अब अपने आंचल में मुझे। कमरे की खिड़की से तक रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 332 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 23 Jan 2024 · 1 min read सूरज सूरज! कहाॅं जा छिपे हो तुम? क्या किसी अंधेरी गुफा में? कैसे खोजूं तुम्हे? यह शरारत अच्छी नहीं। प्रकृति में सब त्रस्त, कितना कुछ अस्त- व्यस्त। लौट आओ शीघ्र ही,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 4 1 430 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 21 Jan 2024 · 1 min read मेरे प्रभु राम आए हैं आज चराचर के स्वामी अपने ही धाम आए हैं। मनाओ फिर से दीवाली मेरे प्रभु राम आए हैं। मेरे सोए भाग हैं जागे आज खड़े केवट से आगे। कैसे करूं... Hindi · कविता 13 12 620 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 18 Jan 2024 · 1 min read भावों का कारवाॅं भावों का कारवां कुछ यूं चलता रहा। कविता बनके वो हरफों में ढलता रहा।। लाखों सहके सितम उफ भी नहीं किया। दिल का दर्द ऑंसुओं में पिघलता रहा।। कीचड़ उछाली... Hindi 6 841 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 Sep 2023 · 1 min read हमारा चंद्रयान धरा का अमर प्रेम समर्पित अपने भाई चंद्र देव को। रक्षाबंधन के सुअवसर पर संदेश ले पहुॅंचा चंद्रयान। अंतरिक्ष में हो रहा गुंजित भारत के चंद्रयान का गान। विक्रम उतरा... Hindi · कविता 2 419 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 26 Jul 2023 · 1 min read नारी की वेदना ये मन कर रहा चीत्कार कैसे मचाया हाहाकार ? निर्वसन किया नारी को घूमा किया कलुषित तिरस्कार। अपमान न सिर्फ नारी का माॅं-बहनों का अपमान किया। लजाया दूध का आँचल... Hindi · कविता 16 9 624 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 2 Jul 2023 · 1 min read फितरत मौसम की तरह कैसे बदल जाऊं, यह अदा तो मेरी फितरत नहीं है। मेरा किरदार मेरी अमानत है, कीच उछालो ये इजाजत नहीं है। वक्त के थपेड़ों ने सूरत बदली,... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · ग़ज़ल 119 115 1k Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 6 Jun 2023 · 1 min read सत्य सत्य जब सामने आता है , सह नहीं पाते उसकी कड़वाहट। छिपाने की कोशिस करते हो, तुम व्यर्थ ही चिल्लाकर। मगर, नहीं जानते यह सत्य छिप नहीं सकता। शब्दों की... Poetry Writing Challenge · कविता 19 10 299 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 6 Jun 2023 · 1 min read प्रतीक्षा-पत्र साॅंझ का धुंधलका मन में उतर गया। वक्त के साथ -साथ सब कुछ बदल गया। पंगु होती जा रही बूढ़ी माँ की आस। कुंठाऍं घेर रही मन का आकाश। कजरारी... Poetry Writing Challenge · कविता 14 8 447 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 6 Jun 2023 · 1 min read पूजा के बाद मंदिर में पूजा के बाद, ऑंचल फैला कर, किसी ने माॅंगी मनौती, किसी ने माॅंगा प्रसाद। मेरे भी हाथ कुछ उठे, सिर झुका नमन कर, ऑंख उठाकर देखा मैंने, कर... Poetry Writing Challenge 11 4 377 Share PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य ) 6 Jun 2023 · 1 min read नव प्रभात आओ नव प्रभात! खिले-खिले पुष्प, ओस भीगे पात, कह रहे झूम - झूम आओ नव प्रभात! भक्ति में भीगे स्वर, पुलकित मृदुगात, शंख -ध्वनि कहती आओ नव प्रभात! मचल उठी... Poetry Writing Challenge · कविता 10 531 Share Page 1 Next