सिद्धार्थ गोरखपुरी Tag: कविता 82 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Aug 2024 · 1 min read धृतराष्ट सरकारें हुईं हैं धृतराष्ट सरकारें हुईं हैं सियासत.... महाभारत गरीब अभिमन्यु हुआ है तेल, दाल, आटा, आलू, प्याज़, टमाटर, लहसुन सात महाबली अंजाम -ए -अभिमन्यु .... सबको पता है किशन की तलाश... अर्जुन... Hindi · कविता 1 66 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Jun 2024 · 1 min read दर्शन दूर से झटके से देख लूँगा तुम्हे मैंने दर्शन किया मान लेना तुम हालांकि मैं मान नहीं पा रहा हूँ कि मैने दर्शन किया बात कुछ यूं है के मैं... Hindi · कविता 1 85 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 May 2024 · 1 min read असल आईना अंतर्मन की चमक अब फीकी पड़ गयी है बाहरी चमक के आगे रंग -ए -पॉलिश चढ़ाया जा रहा है बस अंतहीन मैल बैठी है जस के तस दिखावा शिखर पर... Hindi · कविता 1 1 135 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 May 2024 · 1 min read चल मोहब्बत लिखते हैं एहसास के पन्ने पर चल मोहब्बत लिखते हैं और बनाते हैं कुछ नोट कागज़ के खरीद फरोख्त के इस मौसमी दौर में मैं तुझे खरीदता हूँ तूँ मुझे खरीद दुनिया... Hindi · कविता 1 83 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 May 2024 · 1 min read ग़ुरूर गुरूर वेंटीलेटर पर है आक्सीजन नहीं चाहिए उसे वो मुक्ति चाहता है.... भगवान भरोसे गर बच गया तो मुक्ति की युक्ति चाहता है वो समझ गया है सबकुछ नश्वर है... Hindi · कविता 1 112 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Jan 2024 · 1 min read अदालत हमारा मुकदमा हमारी अदालत हमारा वकील और हमारी वकालत हमारी जिरह थी हमारी बहस थी हुआ फैसला ना फिर हारी अदालत हारी अदालत गई फिर अदालत लिए ख्वाब में जीतने... Hindi · कविता 1 451 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Nov 2023 · 1 min read कौन??? दिल टूटा तो सबर से जोड़ा सबर टूटे तो जोड़े कौन अपना दिल है अपनी ख्वाहिश अपनी खुशियाँ तोड़े कौन मेरी ओर सुनामी दुःख की आती है तो बह जाने... Hindi · कविता 1 648 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Nov 2023 · 2 min read पत्र स्वीकार किया है दुःख सारा सारा संकट.....सारी बाधा जी चाहे तो कर देना क्षण भर के लिए इसको आधा पत्र तुम्हारे नाम लिखा डाला है दान की पेटी में गम... Hindi · कविता 1 88 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Sep 2023 · 1 min read माँ का होना एक तरफ साथ में सारी दुनिया हो सुख -सुविधा की बगिया हो ख़ुशी दर पर दस्तक दे चाहे उससे गलबहियां हो जीवन में लोगों की भीड़ लगे पर जहाँ का होना एक... Hindi · कविता 1 533 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Aug 2023 · 1 min read मंजिल बोझिल नजरों से ओझिल रस्ता देख रहे मंजिल का अपने जेहन में सुलगते विचार अनेकों संग में शुरू के सुलगते सपने भ्रम है, के भ्रम है मुझको साथ न खुद... Hindi · कविता 368 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Jul 2023 · 1 min read डिजिटल डिजिटल हुई मोहब्बत और शादियां भी डिजिटल रिश्तों में फार्मेलिटी है जो निभ रहें हैं डिजिटल हाल - चाल अब तो कोर्रम का उदाहरण है चैट में समाहित हर रिश्तों... Hindi · कविता 392 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Jul 2023 · 1 min read फ़ितरत बदलेगी बदलना ज़ब तय ही है तो, नियति बदलेगी कुदरत बदलेगीl प्रेम - भाव के अधूरेपन की, कभी न कभी तो फ़ितरत बदलेगीl अधूरे स्वप्न अधूरा जीवनl आधे -आधे में कटता... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 1 571 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Jun 2023 · 1 min read भाव महादेव के चरणों में समर्पित..... तुममें और मुझमें बस एक समानता है, तुम भाव के भूखे हो और मैं भी.... माना के तुम्हारे भाव और मेरे भाव में अंतर है... Hindi · कविता 1 1 332 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 May 2023 · 1 min read आसान कहाँ है? आसान कहाँ है???? खुद की शिकायत करना अच्छे वक्त में खुद से खुद की हिफाजत करना आदमी चला जाता किसी और दुनिया में सिद्धार्थ, अच्छे वक्त में भूल जाता है... Hindi · कविता 1 252 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 May 2023 · 1 min read सफलता मैं चूमना चाहता हूं अपनी सफलता को जो पीछे छुपी है विफलता के वो देख रही है मुस्कुरा कर मुझे पर उसका देखना भी...... रास नहीं आ रहा विफलता को... Hindi · कविता 2 418 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Jan 2023 · 1 min read ये डीह बाबा..... शादी के खाहुन कुटले बा और माई से रिसियाईल बा काहें से कउनो बरदेखुआ दुआरे पर नाही आइल बा खिचड़ी बीत गईल...... लगत बा आ जाई फाग ये डीह बाबा!!!!!!!!!!... Bhojpuri · कविता 2 323 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jan 2023 · 1 min read मर्द ज़ब भी आँखों से ओझल कोई दर्द दिखाई देता है क्या ध्यान से देखा है सबने?? इक मर्द दिखाई देता है करुणा कलित हृदय में पीड़ा डेरा डाले सोती है... Hindi · कविता 1 117 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 8 Dec 2022 · 1 min read सही नहीं लगता कभी - कभार मुझे मैं ही, मैं नहीं लगता कभी तुम्हे सही नहीं लगता कभी मुझे सही नहीं लगता ये रिश्ते महज कोर्रम हो गए हैं ताल्लुकात पुराना वही नहीं... Hindi · कविता 1 91 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Nov 2022 · 1 min read खुलकर बोलूंगा जेहन का हर बोझ त्यागकर मन का हर इक संकोच त्यागकर भेद मैं मन के खोलूंगा आज मैं खुलकर बोलूंगा खुद के सम्मुख खुद को करके निज हाथ आशीष माथ... Hindi · कविता 2 234 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Oct 2022 · 1 min read बात बस इतनी थी कमरे के अगले दरवाज़े से वो क्लास में पैठा करती थी लड़कियों वाली पहली पंक्ति में बड़े शान से बैठा करती थी मैं पिछले दरवाजे से हरदम सकपका के पैठा... Hindi · कविता 3 156 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Aug 2022 · 1 min read धागा रहीम के धागे से थोड़ा इतर है ये धागा जिसके हर गाँठ में प्रेम है विश्वास है ये धागा मन के, बातों के, जज्बातों के एक अरसे से लगी हर... Hindi · कविता 1 171 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Jul 2022 · 1 min read शिव और सावन सावन शिव हुए अवतरित धरती पर सावन में निज ससुराल गए हुआ अर्घ्य और जलाभिषेक से स्वागत भाँग - धतूरे से मलामाल हुए मान्यता है के सावन में बाबा आते... Hindi · कविता 3 4 408 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jul 2022 · 1 min read तुम्हारी बात तुम्हारी बात को...... नजरअंदाज हम न कर पाए इसके चक्कर में न हम जी पाए न मर पाए अब तो जेहन का हर कतरा मुझे कोसता है बताओ भला इसे... Hindi · कविता 387 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jun 2022 · 1 min read नहीं चाहता मुस्कुराहट मेरे लब को छू लेगी अब पर ये ज़ालिम जमाना नहीं चाहता कौन है जग में जो कभी तन्हा न हुआ कौन है जो मुस्कुराना नहीं चाहता कोरी झूठी... Hindi · कविता 567 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Jun 2022 · 1 min read विजया के कहानी हमार जुबानी जब वियाह खातिर मार करेलीं पड़ी जालीं हम खतरा में कउनो त बाधा बा भईया हमरे वियाह वाले जतरा में पंडित जी त बतवले रहलन हमार वियाह बा त पतरा... Bhojpuri · कविता 321 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Jun 2022 · 1 min read भरोसे का मानक किस्मत बुलंद होती मशहूर कथानक होता काश के भरोसे का भी कोई मानक होता कथित अपनापन महज दिखावा है यारों समझ से परे एकमात्र छलावा है यारों घेर के खड़े... Hindi · कविता 1 4 250 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2022 · 1 min read पिता ऐसा अचूक प्रमेय है पद पिता का संभ्रांत है पर प्रेम सदा ही ध्येय है अनसुलझे सवालों का हल है ये पिता ऐसा अचूक प्रमेय है त्याग व तप का प्रमाण है जिसका त्याग... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 7 255 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Jun 2022 · 1 min read पिता गलतफहमी है के अलाव सा है पिता घना वृक्ष है पीपल की छाँव सा है पिता लहजा थोड़ा अलग होता है माना पर प्रेम अंतस में लबालब भरा है अपने... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 11 489 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 May 2022 · 1 min read अखबार के मौज हो गयी अब खोजी पत्रकार के जबसे टूट गए हर मानक अख़बार के सत्ता की हनक से निज हनक खो दिया लिख रहा न्यूज़ अब शासन के व्यवहार से... Hindi · कविता 162 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 May 2022 · 1 min read आँखें भी बोलती हैं न जीभ है न कंठ है कहने का न कोई अंत है दिखने में महज ये बात है पर मामला थोड़ा ज्वलंत है आँखें भावनाओं के इर्द -गिर्द जब भी... Hindi · कविता 2 1 329 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 May 2022 · 1 min read नीम का छाँव लेकर धूप में हम चल रहे जेहन में नीम का छाँव लेकर दूजी भाषा बोलते हैं अंतस में समूचा गाँव लेकर गर्म है धरती शहर की नम नहीं कोमल हृदय है... Hindi · कविता 2 2 623 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 May 2022 · 1 min read झूठ का बीज शब्द शहद सा बरसे ग़र तो सावधान होकर तुम सुनना कटु सत्य के फिर आगे चिकनी बातों को क्योंकर सुनना चिकनी - चुपड़ी बातों के पीछे घात लगाए अंतस बैठा... Hindi · कविता 2 2 188 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2022 · 1 min read ऐ मेघ ऐ मेघ ले - ले जद में अपने इस समूचे आसमां को कर दे गर्मी शांत अब तो उन्माद भरे इस तपिश की फिर दिखा दे इस जहाँ को के... Hindi · कविता 1 4 476 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read प्रारब्ध प्रबल है जीवन पथ पर कुछ खो जाने पर मानव हो जाता अधिक विकल है सबल -निबल नहीं है मानव बस केवल प्रारब्ध प्रबल है नीयत तय करती है नियति क्या खोना... Hindi · कविता 3 2 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 May 2022 · 1 min read गँवईयत अच्छी लगी माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी ममता भी... Hindi · कविता 3 2 668 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 May 2022 · 1 min read सिया जनक सुता जननी लव -कुश की अर्धांगिनी उत्तम पुरुष की त्याग की प्रतिमूर्ति सिया माँ बसती है प्रभु राम हिया मा नवमी तिथि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष में जब... Hindi · कविता 2 2 488 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read ये ख्वाब न होते तो क्या होता? ये ख्वाब न होते तो क्या होता? झोपड़ी में रहने वाले लोग जब थोड़े व्यथित हो जाते है वक़्त अपना भी बदलेगा जब ये खुद को समझाते हैं फिर रात... Hindi · कविता 3 2 601 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Apr 2022 · 1 min read क्या कोई जाता है? क्या कोई जाता है? धन, दौलत,शोहरत और मकान लेकर आदमी चला जाता है बस! जिंदगी भर का लगान देकर जो बोया था वही काटा है यही तो जिंदगी का तमाशा... Hindi · कविता 260 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Apr 2022 · 1 min read चौवन तंगहाली में है जीवन कट रहा जिम्मेदारी हजार और जाता यौवन कोई ख़ास हसरतें हुईं न पूरी बीत जाएगा आज मेरा चौवन हालत आज भी खराब है मेरी मन नहीं... Hindi · कविता 289 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Apr 2022 · 1 min read बांस का चावल मरते हुए बांस की अंतिम निशानी बांस चावल छः हजार प्रजातियों में सबसे खास बांस चावल आदमी के अंतिम गति में होता रहा हर दम शरीक कई बार कटा बढ़ता... Hindi · कविता 2 4 543 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Apr 2022 · 1 min read धूप कड़ी कर दी उसने कुछ इस तरह से मुश्किल बड़ी कर दी के मैं धूप में निकला तो उसने धूप कड़ी कर दी - सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कविता 2 487 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Apr 2022 · 1 min read श्रीराम धरा पर आए थे चैत्र शुक्ल नवमी तिथि पर श्रीराम धरा पर आए थे अवधपुरी में इस तिथि पर खुशियों के बादल छाए थे पुरुषो में पुरुषोत्तम हैं प्रभु मर्यादा को मर्यादित करते त्याग... Hindi · कविता 1 373 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Apr 2022 · 1 min read हो रही है शुरुआत कम से हो रही है पर हमारी बात हमसे हो रही है लोगों को भरोसा कैसे दिलाऊं उनकी बात भरम से हो रही है -सिद्धार्थ Hindi · कविता 308 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Apr 2022 · 1 min read परवाज तुमने परिंदे के परवाज को इसकदर जला दिया के जैसे घास-फूस का घर था तुमने घर जला दिया परिंदा हौसलों से उड़ने को बेताब क्या हुआ, तुमने उड़ने से पहले... Hindi · कविता 2 4 327 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Apr 2022 · 1 min read डगमग पाँव से गाँव चले पौवालय से पौवा लेकर डगमग पाँव से गाँव चले हीत -मित्र के प्रबल प्रेम में दिमाग़ में अनेक तनाव चले दिमाग़ बना है बुलेट ट्रेन जो बिन पटरी के दौड़... Hindi · कविता 283 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Mar 2022 · 1 min read हल आज भले न हो पर कल हमारे पास है हमारी समस्याओं का हल हमारे पास है -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कविता 1 171 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Mar 2022 · 1 min read अच्छे वक्त की वसीयत अच्छे वक़्त ने जब अपना वसीयत बदला मौकापरस्तों का तपाक से नीयत बदला अच्छे वक़्त की हिस्सेदारी कमतर ही मिलती है पर उसके बाद परिश्रम के बल बेहतर ही मिलती... Hindi · कविता 342 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Mar 2022 · 1 min read फ़साद तमाम मुश्किलें आईं न जाने कितना फसाद हुआ तब जाके मुझे हर इक वाकया अच्छे से याद हुआ -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कविता 331 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Mar 2022 · 1 min read गरज गरज होगा तो आ जाएंगे अच्छे दिन जब वो मानने से रहा तो मैं मनाने से रहा -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · कविता 125 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Mar 2022 · 1 min read रश्क रश्क अंतस में पाले हुए हो हजारों चैन की अहमियत बस तुम्हें ही पता है बेचैनी भरा दिन कैसे है कटता? तुम्हारी रातों की नींदे कहाँ लापता है आफरीन चेहरा... Hindi · कविता 1 214 Share Page 1 Next