Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 146 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 11 Nov 2024 · 4 min read लावारिस अजितेश अतिशीघ्रता में लग रहा था, दौड़ कर ट्रेन पकड़ किसी तरह डिब्बे में सवार हो गया। दरवाजे पर खड़ा होकर हाफ रहा था, या यूँ कहे कि अपनी थकान... 23 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 4 Nov 2024 · 2 min read दीपक और दिया दिया और दीपक गाँव का सरोवर आज शांत ,उपेक्षित और उदास , अपने अतीत में झांकता जब पूरा गांव होता था पास । कभी उसके तट पर एक दिव्य रौनक... 29 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 18 Oct 2024 · 1 min read बढ़ती वय का प्रेम बढ़ती वय के इस सोपान पर पड़ती है जब नजर सुदूर अतीत में तलाशती बेखबर अपने पहले प्यार की पहली नजर। जिसका सामना करने का साहस नही कर पाया था... 46 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 14 Oct 2024 · 1 min read जीवन सरल नही जब से होश संभाला मैंने सबको कहते यह पाया है, जीवन सरल नही निर्मेष माँ ने यही गुनगुनाया है। ढली शाम उस चौबारे पर दीपक की थी लौ जलती, रामायण... 34 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 28 Sep 2024 · 2 min read सूखता पारिजात सूखता पारिजात चिरपरिचित द्वारिकाधीश का धाम कालिंदी कूल व सुवासित कदंब डार संध्या वंदन व एक ढलती हुई शाम कृष्ण की आराधना व स्वर राम-राम समाप्त कर दिन के सारे... 43 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 27 Aug 2024 · 4 min read पारले-जी पारले-जी " कइसन पेपर भयल आपके " उस युवती ने बच्चे को अभ्यर्थी अपने पति को पकड़ाते और सड़क के बगल में विछाये चादर को समेटते हुए पूछा। " पेपर... 48 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 21 Aug 2024 · 4 min read फायदा सुबह लगभग आठ बजे का समय था। ट्रैन की रफ़्तार धीरे-धीरे काम हो रही थी। शायद कोई स्टेशन आने वाला हो, यह सोच कर मैंने कुछ खाने की इच्छा से... 86 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 29 Jul 2024 · 4 min read खुद्दारी खुद्दारी गाँव से अपनी बाइक से एक मित्र के साथ लौट रहा था। एक लंबा सफर तय करने के बाद कुछ सादा और हाइजीन खाने की इच्छा हो रही थी।... 56 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 26 Jul 2024 · 3 min read सुनहरी उम्मीद फिजियो थेरेपी सेंटर के अल्ट्रासोनिक मशीन पर लेटे मैं अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहा था। डॉ0तिवारी पूरी तन्मयता से मरीजों का एक एक कर निदान बता रहे थे, किसी... 63 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 20 Jul 2024 · 1 min read एक घर मे दो लोग रहते है एक ही घर में दो लोग एक ही घर में रहते दो लोग लक्षित एकांत का चरम परिवेश। हास्य व्यंग से दूर एक रूटीन में चलते एकाकी जीवन को अपने... 124 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 12 Jul 2024 · 1 min read जल प्रवाह सा बहता जाऊँ। जीवन के इस कठिन राह पर सोचा खुद को सरल बनाऊं, मंद मंद हँस हँस कर मैं अब जल प्रवाह सा बहता जाऊँ। चल पड़ा लिए यह पावन सोच अविरल... 1 2 67 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 17 Jun 2024 · 2 min read पिता के नाम पुत्री का एक पत्र माँ को गुजरे साल हुए यादें नित्य सताती है छांव पिता की देख आज आँखे भर भर आती है। जग सारा दीपक समान माता घृत समान है होती, बनकर बाती... 99 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 10 Jun 2024 · 3 min read Passion for life My mummy has suspected carcinoma of lungs. She was under active treatment of one of the renowned cancer specialist of city . I used to care her besides my routine... 1 1 66 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 Jun 2024 · 1 min read मन करता है विस्मृत तुम्हे बेमन से करना चाहता हूँ, गुड़ खाते हुए गुलगुले से दूर चाहता हूँ। मन करता है बेशक तुमसे दूर ही रहूँ, पर दूर रहने की कोशिश भी कहाँ... 1 120 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 Jun 2024 · 1 min read बरसात आने से पहले पिछले नवरात्र में कहे थे आने को पर आये नही, चलो बरसात आने से पहले अगर आ जाओ तो सही। गेहूँ कट कर खलिहान में सारे आ गये है, गन्ने... 1 100 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 28 May 2024 · 4 min read समाज का डर लगभग नित्य मैं शाम को कार्यालय के उपरांत काशी के प्राचीन घंटों पर विचरण करता रहा था। प्रारम्भ मैं चेतसिंह घाट की सीढ़ियों पर चित्रकार प्यारे लाल के पास बैठ... 97 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 20 May 2024 · 2 min read लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था) डबराल जी की व्यथा 'लगड़ी किरण' का मैं भी गवाह रहा हूँ निज रचनाधर्मिता के शैशवावस्था में निरापद ऐसे अनुभवों से मैं भी गुजर चुका हूँ। याद है मुझे मेरी... Facebook · Humour 127 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read वाणी वाणी से गुण होत है वाणी से गुण जाय, वाणी से चलता पता सबका सुनो सुभाय। मुख में बीड़ा पड़त है एक वाणी के संग , दूज वाणी से डसे... Poetry Writing Challenge-3 2 104 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read चिंतन करत मन भाग्य का करत करत चिंता सदा पहुंचा चिता के पास। दूर नहीं तृष्णा हुई पूजी न मन की आस।। आज किनारे पहुंचा जो देख अतीत की ओर। बंजर सारे खेत रह गए... Poetry Writing Challenge-3 2 91 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मुझे बिखरने मत देना मुझे बिखरने मत देना संभला हूँ सिद्दतों से टूट कर जुड़ा हूँ मैं तुम्हे चाहते मुद्दतों से। माना कि तेरा चाहना बस एक तिलस्म सा था संभला मैं समय से... Poetry Writing Challenge-3 3 96 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read नदी किनारे क्या याद है तुम्हे? नदी किनारे को वो शाम जहाँ पहुचते ही तेरी आँखे हो जाती थी रतनाम। तुम्हे देखते ही चीड़ झूमने लगते थे बौराये हुए आम्र मंजरियों से... Poetry Writing Challenge-3 3 96 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read पल कभी इंतजार के एक एक पल बड़े भारी लगते थे काटते नही कटते थे आज जब तुम्हारा साथ छूट चला है वही जीने का एकमात्र सहारा बना है। यूं नदी... Poetry Writing Challenge-3 2 100 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read तन्हाई उम्मीदों की बिसात पर ये जिंदगी चल रही, बहुत उबरना चाहा पर तेरी तन्हाई मारती गयी। मिले थे जब से तुमसे वह समय स्वर्णिम रहा, अब तो बस यह जीवन... Poetry Writing Challenge-3 1 85 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read अब वो मुलाकात कहाँ कभी जी भर की बातें थी मुलाकात अब भारी, तेरी उल्फ़त से थी भरपूर विगत वो रात सब सारी याद है बात युवपन की लकीरे हो रही गाढ़ी , जिस्म... Poetry Writing Challenge-3 1 89 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read अहसास तेरे होने का अहसास तेरे होने का बस क्या से क्या कर जाता है, पथरीले प्रेम डगर पथ को नर्म मुलायम कर जाता है। जैसे याद तेरी आती है मन मुखरित हो उठता... Poetry Writing Challenge-3 81 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read जीना भूल गए है हम जीना भूल गए है हम तुम्हारी रुखसती के बाद खामोश हो गये है हम, एक वाक्य में कहे अगर जीना भूल गये है हम। वो घंटों की मुलाकात थी लम्हों... Poetry Writing Challenge-3 98 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read कलंक प्रेम किया नहीं अबतलक कारण रहा कलंक। मातु पिता की छबि सदा बेदाग रहे निष्कलंक।। आम बात सोचे सभी काम करो ये विचार। नहीं संग आलोचना जीवन बने अचार।। कहि... Poetry Writing Challenge-3 39 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read नादान परिंदा नादान परिंदा बेचारा फंस गया देख मुलायम चारा। मना किया था माता ने विश्वास न करना मानव पे। चिकनी चुपड़ी बात ये करते मन मे बहुत पाप है धरते। बिन... Poetry Writing Challenge-3 1 111 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read नादान परिंदा नादान परिंदा बेचारा फंस गया देख मुलायम चारा। मना किया था माता ने विश्वास न करना मानव पे। चिकनी चुपड़ी बात ये करते मन मे बहुत पाप है धरते। बिन... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 100 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read माँ मुझे विश्राम दे दिवस श्रृंखला बीत चुकी माँ बचन निभाता आया हूँ अब दे दो माँ विश्राम मुझे अब दर्द नही सह पाता हूँ। एक प्रतिज्ञा ली थी मैंने परोपकार करता ही रहूंगा,... Poetry Writing Challenge-3 1 118 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read कसौटी जिंदगी की ध्वस्त हुए जीवन प्रतिमान लगी किनारे बंदगी, आता नही समझ मुझको कैसी है कसौटी जिंदगी। पूरित जीवन के जैसे हो अभीष्ट सारे प्रतिफल, संगीत समाहित जीवन में जैसे नदियों की... Poetry Writing Challenge-3 1 76 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 2 min read चुनावी मौसम धूप प्रचंड में चल रहे झेलते लू के थपेड़े, चुनावी मौसम आ गया हाथ दोनों जुड़ चुके। दादा दादी के मधुर मनोहर उद्बोधन, कक्का के हाल चाल ले बाँटते हलुआ... Poetry Writing Challenge-3 1 77 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मुर्दे भी मोहित हुए अगले मोड़ पर वह आज भी बैठती उदास, ढोते कृशकाय तन मन करता दीखता विलाप। कई प्रयास के बाद उसने मुहं आखिर खोला, क्या बताऊ बाबू खूब खेलता रहा मौला।... Poetry Writing Challenge-3 1 101 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 3 May 2024 · 1 min read मन्नत के धागे हाथ का कलावा हर उत्सव पर बदलता है पर मां के मन्नत का धागा आज भी मेरे बाजू पर यथावत बना रहता है। याद है एक बार मैं बीमार बहुत... Poetry Writing Challenge-3 1 107 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read नव्य द्वीप नव्य द्वीप का रहने वाला ले आया हूँ प्रेम की गागर, चाह मेरी की अब समेट लू तेरे प्यार की पूरी सागर। भर भर के अतिरेक प्रेम था सदा किया... Poetry Writing Challenge-3 1 86 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read नव्य द्वीप का रहने वाला नव्य द्वीप का रहने वाला ले आया हूँ प्रेम की गागर, चाह मेरी की अब समेट लू तेरे प्यार की पूरी सागर। भर भर के अतिरेक प्रेम था सदा किया... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 103 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read हिस्से की धूप तुम्हारे हिस्से की कुछ धूप को हमने चुराया है, कुछ रस्म बेवफाई का हमने निभाया है। कटे जो हाथ अपना तो सुनो अहसास होता है, कटा दूजे का कर तो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 92 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read पापा तेरे जाना सुनो पापा सहा नहि जाता मुझसे है तेरे बिन दूभर है जीना कहूँ ये दास्तां किससे है। लिखे कुर्बानिया तेरी किसी के बस नहीं पापा कलम ऐसी विधाता... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 106 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read गीता हो या मानस शाम जीवन की हो रही सुनो है आयु ये कहती , कोई भी पार्टी निर्मेश शुरू भी शाम से होती। असीमित झंझटों से थे अभी तक घिर गए थे हम,... Poetry Writing Challenge-3 1 82 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read नमन तुमको है वीणापाणि भॅवर में ज्ञान की कश्ती करो उस पर तुम माता जननी ज्ञान की हो तुम दया मुझ पे करो माता । कुंठित ज्ञान की गंगा पड़ी अज्ञान सागर में ज्ञान... Poetry Writing Challenge-3 1 94 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read पापा तेरे जाना सुनो पापा सहा नहि जाता मुझसे है तेरे बिन दूभर है जीना कहूँ ये दास्तां किससे है। लिखे कुर्बानिया तेरी किसी के बस नहीं पापा कलम ऐसी विधाता... Poetry Writing Challenge-3 1 109 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 2 min read सियासत सियासी दुकानें सब ओर सज चुकी है, कहीं बिक रही गरीबी कहीं बेरोजगारी तो कहीं शिक्षा तबियत से बिक रही है। कहीं पुरानी शिक्षा को मैकाले की बता कर खुद... Poetry Writing Challenge-3 1 96 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read अमरत्व चिरायु बनने की चाह एक जीव की अभिलाषा, पर जीवन व मृत्यु के बीच झूलती प्रत्याशा। एक सिक्के के दो पहलू सनातन से रहे दोनों ही है, निरापद एक के... Poetry Writing Challenge-3 1 71 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read वैशाख की धूप इस बार का वैशाख जेठ से भारी लग रहा, तपिश का ये आलम है कि आग सा ये जल रहा। भास्कर बरसा रहा अनल जल स्वाहा सा, देखो बेचैन वृन्द... Poetry Writing Challenge-3 1 81 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 2 May 2024 · 1 min read हिस्से की धूप तुम्हारे हिस्से की कुछ धूप को हमने चुराया है, कुछ रस्म बेवफाई का हमने निभाया है। कटे जो हाथ अपना तो सुनो अहसास होता है, कटा दूजे का कर तो... Poetry Writing Challenge-3 1 84 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 1 May 2024 · 1 min read मजदूर हूँ साहेब मजदूर हूँ साहेब रोज बिकता हूँ मै सरेआम खुले बाजार में, मै मजदूर हूँ साहेब सोता हूँ खुले आसमान में। कंकड़ों की चादर शिलाओं की बना तकिया, बिस्तर कुछ खास... Poetry Writing Challenge-3 2 79 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 22 Feb 2024 · 1 min read आजाद लब निरा यह व्यर्थ कहना कि हुए आजाद लब मेरे, किया कोशिश हजारों पर खुले अल्फाज नहि मेरे। अभी कल रस्म हल्दी थी चढ़ाना जब था वो सेहरा, मुसलसल सांस टूटी... Poetry Writing Challenge-2 1 98 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 21 Feb 2024 · 1 min read धरा स्वर्ण होइ जाय नीली छतरी वाला नीली छतरीवाला करता है सभी की रक्षा हाँ बीच बीच में बेशक ही लेता वह सबकी परीक्षा होना नहीं निराश तुम ना समझे मकरंद परखा हीरा जाय... Poetry Writing Challenge-2 133 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 21 Feb 2024 · 1 min read जीवन के लक्ष्य, जीवन एक ज्योति, या जीवन एक झंझावात, जीवन है तिमिरमय या जीवन है पद्मावत। जीवन की उपमा कितनी जीवन से कितनी आशा कैसे जीवन के मोह को कहूँ जीवन की... Poetry Writing Challenge-2 114 Share Dr. Ramesh Kumar Nirmesh 21 Feb 2024 · 1 min read निर्मेष के दोहे चाहे वह धनवान हो, या कि रहा बलवान। डसा कोरेना ने सबको, निर्भय हो भगवान।। बंद तुम्हारे मंदिर भी, बंद हो गया धाम। भक्तों से तुम भी थके, करते हो... Poetry Writing Challenge-2 103 Share Page 1 Next