Sarfaraz Ahmed Aasee Tag: कविता 47 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच उलझा हुआ है दिल ये, ग़मे-दो जहां के बीच कोई तो है मक़ाम तिरा मर्कज़े - सजूद खोई हुई जबीं है कई आस्ताँ के... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · शेर 1 333 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दहशत कई ऐसे भिखारी हैं हमारे शहर में जो किसी देवता या भगवान् के नाम का सहारा नहीं लेते और मांगते हैं भीख दो चार नहीं हज़ार रुपये वो कमाते हैं... Hindi · कविता 193 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सुगन्ध शर्म से लाल पड़ गया था डूबते हुए सूरज की तरह उसका चाँद सा हसीन सफ़ेद चेहरा जब मैंने चूम लिया था उसकी नर्मो-नाज़ुक गुदाज़ हथेली जिनमें बसी हुई थी... Hindi · कविता 387 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read समय की उत्पत्ति समय की उत्पत्ति ईश्वर के अस्तित्व से हुई है या ईश्वर की उत्पत्ति समय के अस्तित्व से सत्य चाहे जो भी हो पर है सर्वोपरि समय ही क्यों कि समय... Hindi · कविता 158 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मरीचिका जीवन के पथ पर भागता रहता हूँ मैं सदैव अपनों से परायों से जिस्मों से सायों से धर्मों समुदायों से भागम-भाग के जीवन में कहाँ ठहराव है मैं नहीं जानता... Hindi · कविता 206 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दौड़ कभी दौड़ा करता था मैं तितलियों के पीछे पीछे अब दौड़ रहा हूँ मैं शब्दों के पीछे पीछे यह शब्द ही जैसे तितलियों के पर रूप हैं और दौड़ना मेरे... Hindi · कविता 212 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read संविधान दाता गणतन्त्र दिवस की सुबह आज मैंने देखा है गलियों से गुज़रती हुई बच्चों की लम्बी- लम्बी कतारें हाथों में तिरंगा और चित्रपट लिए अलग अलग समूहों में राष्ट्रगान गाते हुए... Hindi · कविता 188 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read प्रदूषण संगे मरमर का गढ़ा प्रेम का प्रतीक मैं चन्द्रमाँ का बनके दर्पण एक महल के रूप में मुद्दतों से मैं खड़ा हूँ एक नदी के छोर पर सिसकियाँ भरता हुआ... Hindi · कविता 302 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अवतार अवतार शब्द मात्र भ्रम के हैं नहीं होता कोई किसी का पर-रूप पर-आत्मा सबकी अपनी आत्मा है सबका अपना रूप। यदि सत्य है अवतरण की धारणा तो मैं ही हूँ... Hindi · कविता 225 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दीप मैं हूँ एक दीप किसी आरती की थाल का प्रज्वलित हूँ कामना और वेदना की अग्नि से। कामना कि - आये कोई वीर मेरे सामने उसकी छाती में उतर कर... Hindi · कविता 246 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अवरोधक मन चाहता है देखूं वह सैकडों वर्ष पुरानी देशी-स्वदेशी सलिल-अश्लील समस्त हस्त कलाएँ परन्तु रोक देती हैं मुझे मादक-उन्मादक नग्न और संभोगरत कामलिप्त मूर्तियां।। मैं नहीं गया कभी घूमने-घुमाने मन... Hindi · कविता 206 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read कवि रात्रि जागरण केवल उल्लूक ही नहीं करता कवि भी करता है वैचारिक मन्थन के लिए समाजिक चिन्तन के लिए। देखता है वह सारी रात अपने दूरदर्शी नेत्रों से रात की... Hindi · कविता 1 198 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read प्रेम नन्ही सी मासूम कली वह गुड़िया जैसी भोली भाली बात बात पर लड़ती मुझसे हंसती रोती शोर मचाती कभी झनककर दूर हो जाती कभी चहक कर पास वो आती छिना... Hindi · कविता 197 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read तुम अकड़ गयीं मेरी रीढ़ की सारी हड्डियां और तन गयीं हैं सारी नसें मेरी गर्दन कीं नहीं झुकता अब यह सर कहीं किसी के आगे मन्दिर, मस्जिद चर्च, गरुद्वारा सब... Hindi · कविता 201 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read विश्वास मैं निराश हो चुका हूँ अपनी कविताओं में छुपे भावों के भविष्य से जिनकी कल्पना वर्षों पहले की थी मैंने तुझे अपनाने की कल्पना तुझे बस पाने की कल्पना मेरी... Hindi · कविता 211 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read नास्तिक मेरे भीतर भी पनपने लगा है बीज निराशिता का और रहने लगा है मन निरन्तर मेरा निराश डरता हूँ कि मैं नास्तिक ना हो जाऊँ क्यों कि निराशिता ही जनक... Hindi · कविता 207 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मेरा अतीत हूँ एक सूखी डाल मैं जब सोचूं बीती बात भर जाते हैं नयन अश्रु की होती है बरसात। कागा मुझ पर बना घौसला तितरिया के संग नितदिन करता बात बात... Hindi · कविता 414 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मिथ्या एक अपाहिज पंख विहीन भूरा मच्छर मेरी अ-कविता की पुस्तक रक्त-रंग की अंतिम रचना रक्त-रस शीर्षक पर बैठा स्याही का रस चूस रहा था। चूस रहा था काले मोटे शब्दों... Hindi · कविता 190 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read चांद और माँ मैं क्षितिज की गोद में जब देखता हूँ आज भी अधजली रोटी की माफ़िक़ अर्ध पीला चन्द्रमा बेधती हैं आत्मा को चन्द्रमा के मध्य उभरीं काली भूरी अधकटी चित्र सी... Hindi · कविता 198 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read युग परिवर्तन हर्षित है मन मेरा देखकर नई सहस्त्राब्दी के आगमन की शोभा को युग परिवर्तन को चन्द्रमा और सूर्य को बंधक बनाने की मानव अभिलाषा की कोरी कल्पनाओं से।। हर्षित है... Hindi · कविता 402 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सम आयु आयुएक धुंधले दर्पण की भांति मेरी यह बुझी बुझी सी बूढ़ी आँखें जिनमें झाँक कर तुम देखना चाहते हो अपना अतीत का चेहरा। वह चेहरा जो कभी किसी कालीन की... Hindi · कविता 187 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read समय चक्र मैं इस लिए बूढ़ा हो गया क्यों कि मैं धरती के साथ समय के अनुकूल चला अनुभव किया भूत और भविष्य को रात और दिन को परिवर्तित होती ऋतु सर्दी... Hindi · कविता 174 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अधिपत्य अधिपत्यमेरा कोई अधिकार नहीं फिर भी चाहता हूँ मैं तुम पर सम्पूर्ण अधिपत्य। नहीं चाहता हूँ देखना तुम्हे किसी और की भुजाओं में क़ैद। मन द्वेष से भर उठता है... Hindi · कविता 482 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दर्द उगते और डूबते सूर्य की भाँति लाल मेरी माँ की बूढ़ी आँखें विवश करती हैं मुझे बार बार अपने भीतर झाँकने के लिए यह जानने के लिए कि- कौन छुपा... Hindi · कविता 259 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read लज्जा लज्जाभागती जाती थी वह थक कर थम जाती थी वह एक निर्धन नव-यौवना। समेटती वह अपने तन के जीर्ण-शीर्ण वस्त्र को एक असहाय हिरणी सी भागती जाती थी वह। वस्त्र... Hindi · कविता 229 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read यादें तुम्हारी भयानक यादों कीं छोटी बड़ी छिपकलियां रेंगती रहती हैं दिन रात मेरे टूटे दिल की खुरदरी दीवारों पर कभी उल्टी कभी सीधी छत से ज़मीन तक चढ़ती और उतरती... Hindi · कविता 205 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read आज का सुकरात मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ जाने कैसा था वह कल का कालचक्र सोचता हूँ अपने हाथों कर लिया विषपान जो सोचता हूँ डर गया होगा समय... Hindi · कविता 351 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अभिलाषा मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मेघपट से मैं गिरा स्वाती की एक बूंद हूँ सूर्य की स्वर्णिम किरण की तेज है मुझमें तो क्या तप रहा... Hindi · कविता 192 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read छलिया नहीं देख पाया मैं आज तक तेरा असली रूप छलता है मुझे तू भी बादलों की तरह नित्य नए आकार में परिवर्तित कर स्वयं को **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 203 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read आतंकवाद यह किसने उखाड़ फेंके गुलाबों के सरसब्ज़ मासूम पौधे और उगा दिया है जगह जगह खूंरेज़ संगीनों के मज़बूत दरख़्त ?? **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 213 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मैं मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ आज हूँ एक जीर्ण-शीर्ण पीत काग़ज़ ढेर में रद्दी के गल रहा दिन रात मैं झेलता बूढ़े बदन पर धूप की... Hindi · कविता 206 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भाष्कर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं जो होता नीले अम्बर पर चमकता और दमकता "भाष्कर'' मेरी पहली रश्मियों की तेज से जागता अधखिला धरती का यह... Hindi · कविता 168 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मंदिर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं हूँ एक बूढ़ी नदी के तट पे निर्मित एक अति प्राचीन मन्दिर मन के सब दीपक बुझे मूर्तियां काई में... Hindi · कविता 198 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read लोलिता छुपी है कोई "लोलिता'' मेरे जीवन के उपन्यास में सिसकियाँ भरती हुई अपना सब कुछ खो कर बहुत कुछ पा लेने की आस धरे। खोज रही है मुझमे अपने बाल्यकाल... Hindi · कविता 290 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read यथार्त की बलि यथार्त के नाम पर चला है जब भी क़लम और पड़ी है नीव किसी उपन्यास की जाने अन्जाने ही हुई है बदनाम समाज में कोई न कोई "लोलिता" ***** सरफ़राज़... Hindi · कविता 150 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अभिलाषा मैं एक ठूँठ जैसे वृक्ष कोई "ताड़" का दूर बस्ती से अकेला हूँ खड़ा मन में सौ सपने संजोये जूझता बरसों से ही आते-जाते अंधड़ों से और सहता चिलचिलाती धूप... Hindi · कविता 197 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सहानुभूति के दो शब्द हर लेते हैं मन की सारी पीड़ाएँ जब भी कोई बोलता है सहानुभूति के दो शब्द।। क्षण मात्र में ही हृदय भाव विहवल हो उठता है जाने कितनी ही व्यथाएं... Hindi · कविता 483 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शब्द मन की व्याकुलता तन की अभिलाषा तथा आत्मिक अभिरुचियों को अभिव्यक्त करने का माध्यम होता है "शब्द" "शब्द" बोलता है चिट्ठियों में ,पत्रियों में समाचार पत्र और विज्ञापनों में अंकित... Hindi · कविता 211 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read संघर्ष जा री हट्ठी गौरइया कि तुझसे अब मैं हार चुका खोल दिया है , द्वार देख ले उस पिंजरे का जिसमे तू और तेरे साथी ब्रितानी शासन के जैसे दण्ड... Hindi · कविता 1 1 304 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भय का भूत नींद खुली जब रात को मैंने छत पर देखा दूर खुली खिड़की से कोई काली छाया घूर-घूर कर शायद- मुझको देख रही थी। अंगारों सी दहक रही थीं आँखें उसकी... Hindi · कविता 501 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शून्य कुछ वर्षों का ही इतिहास है हमारे पास जब कि यह धरती हज़ारों हज़ार वर्ष पुरानी है और यह अम्बर अनगिनत गिनतियों के आंकड़े से पार का। हमें ज्ञात नहीं... Hindi · कविता 157 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read गिद्ध और लाशें कल सांय एक गिद्ध मेरी छत के बुर्ज पर बैठा ख़ून का आंसू बहा रहा था थका-हारा अभी -अभी उतरा था वह सुदूर आकाशीय सफ़र से शायद - 'भुज' से... Hindi · कविता 160 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read परिवर्तन यह प्रथाएं हमारी पोषित हैं हमने जना(जन्मा) है इन्हें समय-समय पर निज स्वार्थ हेतु धार्मिक/अधार्मिक समाजिक/असमाजिक मकड़जाल में गूंथ कर। कितनी क्रूर और विभत्स थी हमारी वह 'सतीप्रथा' जो नहीं... Hindi · कविता 160 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read नूतन वर्ष ख़त्म किया है कई बार मैंने फाड़ कर घर की दीवार पर टंगे पंचांग का एक-एक पृष्ठ आज पुनः फाड़ रहा हूँ घर की दीवार पर टंगे पंचांग का अंतिम... Hindi · कविता 157 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सम्बन्ध पश्चताप कर अपना लिया था पुनःमेरे बाप ने मेरी माँ के साथ मुझे भी और ढो रहा है आजतक मुझसे अपनी सन्तान के सम्बन्ध का बोझ- वह नहीं जानता मैं... Hindi · कविता 199 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read हिमालय कौन हूँ मैं कौन हूँ ? पाषाणी तन का मैं प्रिय जन जन का मैं धरती से गौरवान्वित अम्बर से लज्जित हूँ अन गिनत रत्नों के ढेर से सुसज्जित हूँ... Hindi · कविता 168 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read चन्द्रमाँ चन्द्रमा की उपमाओं से सुसज्जित मेरी सारी कवितायेँ हंस रही हैं मुझ पर क्यों कि- आज फिर दिख रहा है आकाश की गोद में उंघता हुआ खपरैल पर बैठे कोई... Hindi · कविता 273 Share