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4 Nov 2021 · 1 min read

दर्द

उगते और डूबते
सूर्य की भाँति लाल
मेरी माँ की बूढ़ी आँखें
विवश करती हैं मुझे
बार बार
अपने भीतर झाँकने के लिए

यह जानने के लिए कि-
कौन छुपा है
रक्त रंजित अमौन
जल रहा है जो रात दिन
अखण्ड ज्योति की तरह

उगते और डूबते
सूर्य की भाँति लाल
प्रसन्न-अप्रसन्न मुद्रा में
अट्हास भरता हुआ
चीखता है-
मत देख मुझे

मैं देखने के लिए नहीं
अनुभव के लिए हूँ।।
*****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
238 Views
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