Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Nov 2021 · 1 min read

विश्वास

मैं निराश हो चुका हूँ
अपनी कविताओं में छुपे
भावों के भविष्य से
जिनकी कल्पना
वर्षों पहले की थी मैंने
तुझे अपनाने की कल्पना
तुझे बस पाने की कल्पना

मेरी वह सारी कल्पनायें
बाढ़ में बहते तिनके की तरह
बह गयीं
मेरे हृदय के सागर की
उफनाती लहरों में
और
टूट गया मैं
तथा मेरा विश्वास
रूपी-अरुपी
अनगिनत खुदाओं से
****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
183 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अतीत कि आवाज
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
6) जाने क्यों
6) जाने क्यों
पूनम झा 'प्रथमा'
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
खुले लोकतंत्र में पशु तंत्र ही सबसे बड़ा हथियार है
प्रेमदास वसु सुरेखा
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
Phool gufran
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
Neeraj Agarwal
प्यार जताने के सभी,
प्यार जताने के सभी,
sushil sarna
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
Bhupendra Rawat
बादल बरसे दो घड़ी, उमड़े भाव हजार।
बादल बरसे दो घड़ी, उमड़े भाव हजार।
Suryakant Dwivedi
हाँ, नहीं आऊंगा अब कभी
हाँ, नहीं आऊंगा अब कभी
gurudeenverma198
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
5 हिन्दी दोहा बिषय- विकार
5 हिन्दी दोहा बिषय- विकार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आओ प्रिय बैठो पास...
आओ प्रिय बैठो पास...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
■ सियासी बड़बोले...
■ सियासी बड़बोले...
*Author प्रणय प्रभात*
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
तोड़ डालो ये परम्परा
तोड़ डालो ये परम्परा
VINOD CHAUHAN
शादी की अंगूठी
शादी की अंगूठी
Sidhartha Mishra
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2650.पूर्णिका
2650.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
गरीबी……..
गरीबी……..
Awadhesh Kumar Singh
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Dr.Priya Soni Khare
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
क्या हमारी नियति हमारी नीयत तय करती हैं?
Soniya Goswami
*कविवर रमेश कुमार जैन की ताजा कविता को सुनने का सुख*
*कविवर रमेश कुमार जैन की ताजा कविता को सुनने का सुख*
Ravi Prakash
**मन में चली  हैँ शीत हवाएँ**
**मन में चली हैँ शीत हवाएँ**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...