अनिल मिश्र Tag: कविता 72 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 अनिल मिश्र 6 Sep 2018 · 1 min read ऐ हरी कलम ऐ हरी कलम मतवाली!धीरे धीरे चल तेरी झट-झट लचक-लचक पर,जाने कितनी जानें अटकी संभल संभलकर,सोच समझकर ऐ मतवाली धीरे चल। राज दुलारी,सबकी प्यारी ऐ हरी कलम!तू धीरे चल किसी की... Hindi · कविता 1 400 Share अनिल मिश्र 2 Sep 2018 · 1 min read श्रृंगार मत निकालो मीन तुम और मत निकालो मेख ज़िंदगी कविता रही है क्यों लिखूँ मैं लेख भावना प्रतिपल जली है प्रेम को भी बाँटकर नेह में लिपटी हुई बत्ती जली... Hindi · कविता 233 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2018 · 1 min read अंगुलियाँ तड़पती हैं एक पिता की सभी अंगुलियाँ एक छोटा,नन्हा बालक कब दौड़ता हुआ आए और झट से मुझे थाम ले तपस्या करती हैं दिन रात पिता की अंगुलियाँ इसी उद्देश्य... Hindi · कविता 390 Share अनिल मिश्र 16 Jan 2018 · 1 min read जिंदगी मत सुलझना ज़िंदगी उलझी रहो तुम तुम जो सुलझी लोग उलझन में उलझते जाएँगे प्रेम कृत्रिम सा बनाकर नेह पर भी सूद लेते जाएँगे ज़िंदगी खुद क़र्ज़ है किसी और... Hindi · कविता 1 1 492 Share अनिल मिश्र 13 Jan 2018 · 1 min read आशा आशाओं की डोर हो गयी काफी पतली बस टूटन की प्यास बसी है,अँखियन में। तिलकुट मधुर हो और कंकड़ भी मिले ना उसमें दही शुद्ध हो,दूध पाक,सब डूबें उसमें। जी... Hindi · कविता 514 Share अनिल मिश्र 1 Nov 2017 · 1 min read रिश्ते सारे रिश्ते टूट गए हैं,हम भी तुमसे रूठ गए हैं तुम जो हमसे दूर हुए हो हम भी भ्रम से दूर हुए हैं सिले-सिलाए रिश्ते लेकर क्या चलना है झिलमिल-झिलमिल... Hindi · कविता 380 Share अनिल मिश्र 30 May 2017 · 1 min read आवाज़ दिल की छोटी सी है सचमुच मगर यह बात दिल की है संभल जाओ ऐ हठधर्मियों आवाज़ दिल की है भारत लेता सदा है काम,दिल से,दिमागों से बचे हो इसलिए तुम भी,कि... Hindi · कविता 338 Share अनिल मिश्र 20 May 2017 · 1 min read मर्यादा अब कहाँ हैं बुद्ध गौतम तम ही तम सर्वत्र है अन्याय की बंशी सुनो यह यत्र है और तत्र है। नवजात की लाशें हैं बिखरी कूड़ों के ढेर में श्वान... Hindi · कविता 443 Share अनिल मिश्र 14 May 2017 · 2 min read माँ "मदर्स डे"-सुनने में अच्छा लगता है,आधुनिकता प्रमाणित होती है इससे,हाँ हम सब अंधे दौड़ में हैं,मदर्स डे मनाकर माँ को सम्मान देना चाहते हैं। हमारे देश की पुरानी माएँ जिनलोगों... Hindi · कविता 366 Share अनिल मिश्र 9 May 2017 · 1 min read साँस जी तो करता है बस चला जाऊँ छोड़कर सब कुछ इसी क्षण पर तेरे कारण,सिर्फ तेरे कारण हर साँस एक और साँस लेने को कह जाती है। Hindi · कविता 376 Share अनिल मिश्र 8 May 2017 · 1 min read नेह नेह *** मनुज!तेरे ह्रदय में नेह का दीपक नहीं जलता है क्यूँ अब? भाती नहीं है रागिनी अब कंठ की है वेदना उर में जग के जलन में नेह की... Hindi · कविता 451 Share अनिल मिश्र 20 Apr 2017 · 1 min read गिरगिट इस रंगीन जगत से गिरगिट तुम बाहर आ जाओ आज रंग बदलना बंद करो अब धोती-कुरता धारो आज। रंग बदलना तेरा प्रतिपल मानव को बहकाता है वस्त्रहीन होकर अब मानव... Hindi · कविता 512 Share अनिल मिश्र 12 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी जब कभी यह ज़िन्दगी बेचैन सी होने लगे करुण रस में हास्य रस का बीज यह बोने लगे कल्पना के जगत् में भी बात सच कहने लगे मधुशाला में भी... Hindi · कविता 296 Share अनिल मिश्र 10 Apr 2017 · 1 min read आवाज़ इन साँसों की छटपट बेचैनी को जगत् में कौन समझा है,बताओ ह्रदय की आवाज़ सुनने पास आओ। राह दिल की सत्य से होकर गुज़रती है भावनाएँ बीच में झटका भी... Hindi · कविता 242 Share अनिल मिश्र 8 Apr 2017 · 1 min read बाजार महानगर के व्यस्त,बेचैन,छटपटाते बाजार में ज़िंदगी अपनापन ढूँढ़ते-ढूँढ़ते प्रतिपल बिकती रहती है कृत्रिमता की गहरी खाई हमें निगलती जाती है। प्रतिक्षण रंग-बिरंगे अंतहीन आकर्षण आतंरिक व्यवधानों के बाद भी पल-पल... Hindi · कविता 311 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2017 · 1 min read प्रेम रेत सी बंज़र ज़मीं पर,प्रेम का पौधा कहो कैसे लगाऊँ ढूँढूँ कहाँ मैं उर्वरा,जो नेह को भाये सदा। संबंध के झन-झन झिंगोले ने मस्तिष्क में तूफ़ान सा पैदा किया है।... Hindi · कविता 283 Share अनिल मिश्र 2 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी!तुम कब तक रहोगी बनकर पहेली इस ह्रदय में बोल भी दो बेचैन होती स्वांस में तुम प्रेम का रस घोल भी दो। आज उर के बंधनों नें झंकृत किया... Hindi · कविता 208 Share अनिल मिश्र 29 Mar 2017 · 1 min read माँ माँ!तेरा स्नेह मिले प्रतिपल जीवन को आलोकित कर दो मानव सच्चा बन पाऊँ मैं नीड़-नेह में रस भर दो। कृत्रिमता की होड़ लगी है मैं तेरा सुत,अन्जान बहुत मन,क्रम,वचन शुद्ध... Hindi · कविता 530 Share अनिल मिश्र 26 Mar 2017 · 1 min read गीत मत ह्रदय से गीत गाओ आज तुम रहने भी दो मौन मन की बात मत दिल में जगाओ रहने भी दो उषा का साथ भी पल भर निशा के साथ... Hindi · कविता 292 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2017 · 1 min read बेटी बेटी है आधार जगत का बेटी से है सार जगत का बेटी देवी,बेटी सीता बेटी बाइबल,कुरान और गीता। बेटी में संसार छिपा है जग का सारा सार छिपा है बेटी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 1 602 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2017 · 1 min read दीप मुझको बना दो ना मुझको दीपक बना दो ना मैं तेरे अँधेरे कमरे में यूँ ही जलता रहूँ कुछ ना दिखे पर ताप से अपनें यूँ ही तपता रहूँ ज़िन्दगी के साँस को खोता... Hindi · कविता 252 Share अनिल मिश्र 27 Jan 2017 · 1 min read हाथ धर दो मौन मन में बात कुछ आती नहीं बस तुम मेरे हाथों में अपना हाथ धर दो। मौन बेला ना खलेगी ज़िन्दगी की प्रगति के शिखर पर कदम यूँ बढ़ते रहेंगे... Hindi · कविता 446 Share Previous Page 2