Vishnu Prasad 'panchotiya' 117 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2024 · 1 min read अंधी पीसें कुत्ते खायें। सरकार हमारी बड़ी महान योजनाओं पर करती काम। बड़ी-बड़ी वह योजना लाती पूरे देश है में उसे फैलाती। भूखों की भूख मिटाने हेतु दाल और अनाज बंटवाती। गरीब कल्याण की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 97 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2024 · 1 min read नशा किस बात का है। है मनुष्य कर ले नशा मगर पर बता नशा किस बात का है। शराब का है या सवाब का है धन दौलत और मान का है या अपनी झूठी शान... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 96 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read मुँह में राम बगल में छुरी। कुछ लोगों की आदत बुरी दिन प्रतिदिन करते-फिरते सब की प्रशंसा भूरी भूरी पर पीट पीछे करते हैं वह षड्यंत्र योजना पूरी पूरी। बच के रहना इनसे विष्णु इनकी की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 80 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read जिसकी लाठी उसकी भैंस। डर-डर के भी जीना क्या एक दिन सभी को जाना है । अन्याय कभी न करना मगर अन्याय कभी न सहना है। जब तक जीना है जग में स्वाभिमान से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 107 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल। गजब निराली तेरी माया जो ना अधिकारी वही है पाया जिसको धन की कदर नहीं है वही कुबेर खजाना पाया। धन दौलत के बूते पर ही समाज में उसने नाम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 96 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read एक और परीक्षा बाकी है। मतलब कि इस दुनिया में एक और परीक्षा बाकी है। स्वाभिमान की रक्षा हेतु एक और तपस्या बाकी है। आने दो उस समय को मैं क्यों प्रतीक्षा कर रहा हूँ।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 81 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read अतिथि की तरह जीवन में अतिथि की तरह जीवन में दुख सुख की बयार आती है एक के बाद ही एक सही पतझड़ तो कभी बहार आती है प्रकृति का यह अटल सत्य है। तपती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तेरे अंदर भी कुछ बात है रे मन तू इतना मत हो उदास तेरे अंदर भी कुछ बात है तू अपना कर सकता है विकास। माना खायी दर-दर की तूने ठोकर अब तक जीवन में अरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तमाशा लगता है जीव जगत का जीना मरना एक तमाशा लगता है। कठपुतली सा खेल दिन रात भूलोक पर चलता है। इसकी डोर विधाता के पास सबको नाच नचाता है। रचना बड़ी निराली... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 47 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read बंदिश में नहीं रहना है अन्याय कभी ना करना मगर अन्याय कभी न सहना है। अपने जीवन की कथा यही बंदिश में नहीं रहना है। स्वाभिमान है अटल मेरा मैं इसे नहीं झुकने दूंगा। धन... Poetry Writing Challenge-3 1 98 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read और इच्छा हो जाती है मैंने जिंदगी से पूछा अरे तू इतनी रूखी रूखी सी क्यों है? इतने सुख पाने के बाद भी तू इतनी सुखी सुखी से क्यों है ? वह कौन सी तेरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 38 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read सच्चा आनंद कोई जाकर उससे पूछे सच्चा आनंद क्या होता है जिसने दिन भर काम किया है कड़ी धूप में काम किया है खेत जोते पत्थर तोड़े। पल भर न विश्राम किया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 71 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read कर्मों का फल भुगतना है आज नहीं तो कल सबको कर्मों का फल भुगतना है। समय से टक्कर लेना क्या जब समय के आगे झुकना है। अरे मानव क्या सोच रहा तेरा अभिमान बना रहे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 46 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read कल आजकल कल की दुनिया में मन को मिले न कल हर पल हर पल हर पल। हो गये आजकल हम कल के गुलाम कल तक जो लेते थे परिश्रम से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 51 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2024 · 1 min read तू कल बहुत पछतायेगा आज काट ले पेड़ मगर तू कल बहुत पछतायेगा पेड़ काट कर घर बना ले या बना ले फर्नीचर तू। जंगल काट कर खेत बना ले या लगा ले कारखाने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 53 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 May 2024 · 1 min read वाणी अगर यह कोई मुझसे पूछे की दुनिया में सबसे बड़ा हथियार होता है क्या? नि: संकोच एक मत मेरा उत्तर होगा यही की दिखने में वह बड़ी सयानी है दुनिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 73 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 May 2024 · 1 min read लालच मैंने लालच से पूछा एक दिन तू इतना मोटा है कैसे तेरा आहार क्या है ? जो इतना फल फूल रहा है। कद तेरा इतना कैसे बढ़ता ही जा रहा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 58 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 9 May 2024 · 1 min read विवेक प्राण तत्व में एक विशेष तत्व है जिसे बुद्धि तत्व कहते हैं। पर इसे नियंत्रित करने वाला ही विवेक तत्व कहलाता है। यही तो है जो यह बतलाता क्या सही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 79 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 9 May 2024 · 1 min read बुद्धि बुद्धि बड़ी विचित्र होती है । किसी में कम होती है तो किसी में अधिक होती है। स्मरण शक्ति का स्रोत यही है। यही अतीत बतलाती है। समस्या पैदा करने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 71 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू हे मनुष्य बड़ा लोभी है तू वासना का भोगी है तू धन का लालच कितना तुझमें अरे बड़ा फरेबी है तू मिथ्या अभिमान दिखावा खातिर कितना बड़ा ढोंगी है तू... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 37 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read अपना उल्लू सीधा करना खाना पीना और खिलाना यही चलन ही यही जमाना भोलेपन का लाभ उठाना बल के आगे दुम हिलाना उसको भावे वही दिखाना चाहे उसका पानी भरना जैसे भी हो कैसे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 47 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read जनसंख्या का भार आजाद भारत की आबादी होने को डेढ़ अरब के पार कब तक भारत सह सकेगा जनसंख्या का भार। समस्या यह छोटी नहीं है यह हमें समझना होगा राजनीति से ऊपर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 67 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read फेसबुक को पढ़ने वाले फेसबुक को पढ़ने वाले मिल जाएंगे आपको करोड़ों में पर साहित्य को पढ़ने वाले मिलेंगे हमें बस हजारों में । तो क्या साहित्य का मूल्य अब वह नहीं रह गया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 42 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read मैं एक नदी हूँ मैं एक नदी हूँ हाँ मैं वही नदी हूँ जिसे तुम माँ कहते हो जिसकी तुम पूजा करते हो। जिसका अपार वर्णन वेदों पुराणों में है। मैं मानव सभ्यता की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 54 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 May 2024 · 1 min read हे जीवन पथ के पंथी हे जीवन पथ के पंथी तू जा कहाँ रहा है यह पथ जरा कठिन है चलना जरा संभल के इस मार्ग में है रोड़े ,कांटों की चुभन है क्या सहन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 55 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 1 May 2024 · 1 min read हे कृतघ्न मानव! हे मानव! तू कितना कृतघ्न है। जिस वृक्ष ने तुझे जीवन दिया तु उसे निर्दयता से काटा जा रहा तू इतना निर्दय कब हो गया? जो तुझे सांस देते रहे... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 44 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 25 Mar 2024 · 1 min read अभी सत्य की खोज जारी है... क्या लिया यहाँ क्या दिया यहाँ बस अर्थ चक्र में फँसा रहा। किस हेतु जीवन जी रहा कुछ पता नहीं बस लगा रहा। मैं काम क्रोध की अग्नि में जीवन... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 4 173 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 21 Jan 2024 · 7 min read श्री राम भक्ति सरिता (दोहावली) श्री गजानन गणपति, सहज करो कल्याण विष्णु मन रमे राम में, दो ऐसा वरदान।1 बुद्धि के दाता प्रभु, गजानन महाराज, विष्णु सुबुद्धि दीजिए, राम भक्ति के काज।2 श्वेत अंबर धारिनी,... Hindi · दोहा 1 176 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 4 Sep 2023 · 1 min read सुन लो दुष्ट पापी अभिमानी सुन लो दुष्ट पापी अभिमानी तुम इतना ना दंभ भरो अपने अभिमान में चूर होकर सनातन पर ना चोट करो पाप का घड़ा थोड़ा ही खाली है जिस दिन समझलो... Quote Writer 486 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 4 Sep 2023 · 1 min read जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप उसे बदनाम कर रहे हैं, आस्तीनों के सांप। जो अनादि है अनंत, जिसका ना कोई पार है क्या मिटाएगा मूर्ख उसे, तेरी... Quote Writer 246 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 31 Aug 2023 · 1 min read राम कहने से तर जाएगा राम कहने से तर जाएगा राम का नाम ले, जीवन तेरा संवर जाएगा। राम राम जय राजा राम। राम राम जय सीता राम।। तीनों लोकों के स्वामी श्री राम रघुनाथ... Hindi · गीतिका 1 298 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 Jun 2023 · 1 min read हम नही रोते परिस्थिति का रोना हम नही रोते परिस्थिति का रोना दुनिया भर के सामने। इसका ये अर्थ तो नहीं कि अपने हालात अच्छे हैं। ये आँखे झुकी हुई है सम्मान में बड़ों के। इसका... Quote Writer 1 546 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 Jun 2023 · 1 min read यह कौन सा विधान हैं? सुन रही वसुंधरा सुन रहा है गगन सुमधुर गीत आज गुनगुना रही पवन। प्रभात सूर्य तेज लिए पूर्व मुस्कुरा रहा लाल ताम्र रंग की रश्मियाँ लुटा रहा। कली-कली खिल उठी... Poetry Writing Challenge · गीत · गीतिका 373 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 1 Jun 2023 · 1 min read कहते हैं हम कहते हैं हम सुन पाकिस्तान कान खोलकर आज सीधे-सीधे आजा अपनी हरकतों से बाज। क्यों हमारे जागीरो पर नजर गड़ा कर बैठा है आतंकवाद को पनाह देता तु आतंकवाद का... Poetry Writing Challenge · कविता 267 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 31 May 2023 · 1 min read श्री कृष्ण का चक्र चला असुर दैत्य दुष्ट पापियों का जब जब धरा पर पाप बढ़ा साधु संत ऋषि मुनियों पर जब इनका अत्याचार बढ़ा तब तब धर्म की रक्षा हेतु प्रभु श्री कृष्ण का... Poetry Writing Challenge · कविता 457 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2023 · 1 min read मैं राम का दीवाना मैं राम का दीवाना राम राम जपता हूंँ अपने हृदय में छवि श्रीराम की रखता हूँ। तुम हो मेरे आराध्य मेरे रामजी हो तुम हो दिनों के नाथ दीनानाथ जी... Poetry Writing Challenge · गीत · गीतिका 1 472 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 May 2023 · 1 min read हे कृतघ्न मानव! हे मानव! तू कितना कृतघ्न है। जिस वृक्ष ने तुझे जीवन दिया तु उसे निर्दयता से काटा जा रहा तू इतना निर्दय कब हो गया? जो तुझे सांस देते रहे... Poetry Writing Challenge · कविता 1 663 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 May 2023 · 1 min read जीवन के खेल जीवन का खेल समझ ना आया कभी धूप तो कभी छाया जो चाहा क्या मिला मुझे? आज तक कुछ समझ ना पाया ज्वार भाटा के समान आते रहे उतार-चढ़ाव मैं... Poetry Writing Challenge · कविता 100 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 May 2023 · 1 min read सुनो पुलिस जी सुनो पुलिस जी रिश्वत खाना छोड़ भी दो सरकार। वरना पछताओगे रिश्वत खाने के बाद। जनता बेचारी पर करते मनमानी और नेताओं का भरते तुम पानी पैसा तो खाते हो... Poetry Writing Challenge · कविता 112 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 May 2023 · 1 min read रंग बदलते आप नेता गिरगिट के समान ,रंग बदलते आप। अपने वोट के खातिर ,कहे पुण्य को पाप। प्यारे भारत देश का, करते तुम ना मान जब देखो बस लगत हो, करने को... Poetry Writing Challenge · दोहा 1 2 89 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 May 2023 · 1 min read नाच ना आवे आंगन टेढ़ा विद्वानों को समझ न आये अपने काम को सही बताएं परिस्थिति पर दोष लगाये अपनी गलती पर पर्दा डाले जो अभ्यास की कमी रही मेहनत पर क्यों जी लगाए अल्प... Poetry Writing Challenge · कविता 1 87 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 29 May 2023 · 1 min read आजादी का दीवाना था था गजब फौलादी वह आजादी का परवाना था आजाद रहा न झुका कभी आजादी का दीवाना था। ब्राह्मण कुल में जन्मा पर वह वनवासी संग रहता था उन मित्रों संग... Poetry Writing Challenge · कविता 1 675 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2023 · 1 min read श्याम की बंसी श्याम की बंसी की धुन सुन सुन कर गोपीकायें व्याकुल होने लगी है। चली यमुना तीर दौड़ी-दौड़ी टोली टोली सुधी अपनी वे भूलने लगी है। मोद भरे घनश्याम के मोह... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 169 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2023 · 1 min read एक तेरे नाम पर हजारों आँसू पी गई वह एक तेरे नाम पर दर बदर फिरती रही वह एक तेरे नाम पर। क्या होता दिल का लगाना थी नही वह जानती पर कब दीवानी... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 1 186 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2023 · 1 min read जीवनसाथी वह रात सुहानी रात थी जिसमें आए थे अनेक बराती उनसे क्या मुझको लेना देना मेरा तो केवल एक ही था साथी वह बना मेरा जीवन साथी। गठबंधन का पवित्र... Poetry Writing Challenge · कविता 70 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2023 · 1 min read संबंधों का मेला है विधाता की इस सृष्टि में संबंधों का मेला है। पर लोगों की इस भीड़ में हर व्यक्ति अकेला है। भौतिक सुख की चाह में क्यों भाग रहा है प्राणी। जितने... Poetry Writing Challenge · कविता 1 2 89 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 May 2023 · 1 min read जीवन का सुख मैंने अपने जीवन की नाव को धकेला था एक सुंदर सुखद टापू की खोज में। मन आशा से भरा हुआ कि संभवतः जीवन के सुख का आनंद उस पड़ाव पर... Poetry Writing Challenge · कविता 100 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 27 May 2023 · 1 min read अहंकार हर व्यक्ति में एक विकार भरा हुआ है अपार अहंकार ही अहंकार ना समझ सका स्वयं वह रावण जिसने उसके कुल का विनाश किया वही तो था अहंकार था कंस... Poetry Writing Challenge · कविता 468 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 27 May 2023 · 1 min read प्रेम प्रेम जगत की रित यही, प्रेम भये सब होय यह तो निर्मल धार है, शितल करे सब कोय। निश्छल हृदय प्रेम बसे, कपट न जिसको भाय जैसे मीरा बावरी, गिरधर... Poetry Writing Challenge · दोहा 301 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 27 May 2023 · 1 min read बरसाती बयार तपती वसुधा को शीतल करने चली बयार बरसाती बयार। संग लाई अपने बूंदों की लड़ियाँ और माटी की सौंधी सुगन्ध कृषको की आँखों में चमक और होठों पर मधुर मुस्कान... Poetry Writing Challenge · कविता 1 192 Share Page 1 Next