दीपक झा रुद्रा Tag: कविता 77 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read कान्हा के दृष्टि में मधुरिम, मिरा सी अल्हड़ प्रियतम। प्रेम वृष्टि ये सृष्टि खोजे, यौवन से परे, बनो योगन। कान्हा के दृष्टि में मधुरिम, मिरा सी अल्हड़ प्रियतम। हो निर्मोही दैहिक द्रोही मादकता से परे नयन कानन गुंजित स्वर... Hindi · कविता 1 1 238 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read हृदय के यवनिका पर इस हृदय के यवनिका पर , जो छपी तस्वीर तेरी। है हृदय हर्षित उसी से, और हां तकदीर मेरी। देखिए कुस्मित हुई है, आज मन कि वो धरा भी जो... Hindi · कविता 221 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read बिकने लगा ज़मीर यहां पर कागज के टुकड़े के बदले, मिलता हवा और जल है। अब तो सोचो कैसा मानव आने को आतुर कल है। बिकने लगा जमीर यहां पर, और बिका नाहक पल है।... Hindi · कविता 251 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read लिख दूं कातिल है तेरी निगाहें, चेहरे की मुस्कान लिखूं। लिख दूं कातिल है तेरी निगाहें, चेहरे की मुस्कान लिखूं। तू मेरी दिल की धड़कन है, तुझको अपनी जान लिखूं। ख्वाबों में तुम बसने वाली दिल की चैन उड़ाती हो... Hindi · कविता 1 694 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read प्रेम क्या है? #प्रेम पर नई कविता लेकिन अभी अधूरी है आप पढ़िए और कहिए तो पूरा करने का प्रयास करूं।❤️ प्रेम में अमृत समाहित है सुखद मकरंद भी। प्रेम से ही भाष... Hindi · कविता 2 1 283 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read दिल में रहकर भी दिल से दूर थी वो। न जाने कौन सी मद में चूर थी वो। न जाने किसलिए मगरूर थी वो। खुदा कसम मैंने उसे संभाला था दिल में रहकर भी दिल से दूर थी वो।... Hindi · कविता 1 3 288 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read प्रेयसी इस हृदय के यवनिका पर , जो छपी तस्वीर तेरी। है हृदय हर्षित उसी से, और हां तकदीर मेरी। देखिए कुस्मित हुई है, आज मन कि वो धरा भी जो... Hindi · कविता 1 442 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read मुझको तूफान से खौफ नहीं मुझको तुफां से खौफ नहीं ,लेकिन डरता हूं साहिल से। बहुत कठिन था मगर बनाया, घर मैंने तो मुश्किल से। घर की चौखट पर ताक रहा, रातों की सघन अंधेरों... Hindi · कविता 2 2 202 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read वेदना वेदना देखिए कितनी भयानक आ गई है त्रासदी। भूल कर न भूल सकता है जिसे हां ये सदी। क्या लिखें कोई कथानक दृश्य है उन्माद का काल का रथ आ... Hindi · कविता 3 3 471 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read कैसे करूं बयां मैं!! 2212 122 2212 122 देखो शिकन नहीं है , मेरे जबीं पे यारों। क्या दौड़ था जिया मैं, कैसे करूं बयां मैं। ख़्वाब में चांदनी थी, आंखों में रोशनी थी।... Hindi · कविता 1 245 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read काल का नव रूप काल के नव रूप में आ गया फिर से कोरोना। देखिए कि दृश्य कृंदित दिख रहा जन जन का रोना। देखिए ये जाल कैसा बिछ रहा संसार में। छेद होता... Hindi · कविता 2 272 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read हे महादेव! हे महादेव, शंकर , प्रलयंकर,जुनि देखूँ जग केँ संहारक। अछि व्यथा सृष्टि के पालक,दृश्य समूचा हृदय विदारक । देखूंँ पसरल अछि हाथ काल केँ,जे रूप कोरोना केँ धेलक। छल हर्षित... Maithili · कविता · मैथिली · मैथिली छंद · मैथिली प्रवाहमय कविता 2 362 Share दीपक झा रुद्रा 21 Apr 2021 · 1 min read मनु के वंश को बचाइए लीजिए एक रचना सबसे मुश्किल और सबसे कम लिखे जाने वाले *छंद पंच चामर में* बसात में जहर घुला मिला जहान में यहां अभी पसारता दिखा कराल काल भाल को।... Hindi · कविता 1 2 602 Share दीपक झा रुद्रा 29 Sep 2020 · 1 min read है आरंभ की आकांक्षा। अंत ही आरंभ है आरंभ की आकांक्षा। तुम चलो विध्वंस मध्य आग को लपेटने। लपट लपट अग्नि हो झपट झपट हो कृपाण। और नवीन गान युद्ध राग को समेटने। प्रेम... Hindi · कविता 2 6 570 Share दीपक झा रुद्रा 16 Aug 2020 · 1 min read छंद मुक्त रचना बेवजह यूं ही इल्ज़ाम लगाने वाले। मेरे दामन में दाग दिखाने वाले। कुछ तो अपना भी ख्याल कर लो मेरे दर पर खुशियां पहुंचाने वाले। इश्क़ है तो दिल जां... Hindi · कविता 2 1 304 Share दीपक झा रुद्रा 12 Aug 2020 · 1 min read करती है! एक नज़्म आपके नज़र इश्क के, आगोश में, खामोश वक़्त, मुकर्रर, उकुबत को, कबूल करती है । यह जज़्बात है ,इश्क के जानिब से ख्याल बारहा हमको स्थूल करती है।... Hindi · कविता 2 4 433 Share दीपक झा रुद्रा 18 Jul 2020 · 2 min read कैसी विपदा अाई मुल्क में! *छंद मुक्त रचना* कैसी विपदा अाई मुल्क में कैसी विपदा अाई मुल्क में, क्या दीपक मैं गीत लिखूं। वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया मैं तो पापी का जीत लिखूं। प्रथम पद... Hindi · कविता 2 2 459 Share दीपक झा रुद्रा 16 Jul 2020 · 1 min read गांव को इस शहर में ,हर कदम पर खोजता हूं, गांव को। खेत की हरियालियों को बड़गदो के छांव को। खेत के दलदल के हमने हां कभी मिट्टी में लेटा। ख़्वाब थी... Hindi · कविता 2 4 263 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read सुनो न... सुनो न... ! एक बात तुमसे कहना है मुझे। संग तेरे उम्रभर रहना है मुझे। सुनो न...!सुनो ...न मानता हूं रहा अब मोहब्बत भी वफ़ादार नहीं। और मेरा कोई यहां... Hindi · कविता 3 3 284 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read को भी हिन्दुस्तानी गजल 122/122/122/122 तुम्हारे हवाले करूं जान को भी। मिरे ख़्वाब अरमां हुनर शान को भी। तुझी से मिरे चाहतें भी बची है! बचाया तुने यार ईमान को भी! मरा... Hindi · कविता 2 451 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jun 2020 · 1 min read प्रितक व्यथा (हास्य कविता) किये अभगला प्रीत केले तों आब भोग प्रितक तों दण्ड बड़े निक छलहू तोहर प्रेयसी बड़े रहौ ने प्रेम क घमंड !! ई प्रेम ककर भेेले अहि जग में जे... Hindi · कविता 2 5 521 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jun 2020 · 1 min read ख़्वाब छंद मुक्त रचना #ख़्वाब जिस्म के लिए मकां रूह के लिए इंसा दिल के लिए धड़कने और जिंदगी के लिए सांसें पता है कितनी जरूरी है चांद के लिए आसमां... Hindi · कविता 3 376 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 1 min read ख़ुदग़र्ज़ हूं मैं मुझे मालूम है कि मैं बहुत ख़ुदग़र्ज़ हूं। किसी का बोझ हूं किसी का कर्ज हूं। इश्क में जलता चिराग़ मत समझो मोहब्बत ना भले मगर तेरा तो फर्ज हूं।... Hindi · कविता 2 1 249 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 2 min read तू ईश्क है तू ईश्क है हमराह भी तू चैन दिलका चाह भी कैसे कहूं तुम कौन हो क्या पता क्यों मौन हो। अरमान तुम अभिमान तुम बख्शीस-ओ- वरदान तुम तुझमें सिमटा मेरा... Hindi · कविता 2 467 Share दीपक झा रुद्रा 28 May 2020 · 2 min read इश्क़ ए रकीब इश्क होता तो वो साथ होती । ख़्वाब थी तो कैसे साथ होती? शब भर रोता हूं मैं जैसे जैसे इश्क होता तो वो साथ रोती। डरते तो दुश्मन है... Hindi · कविता 3 2 273 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2020 · 1 min read प्रीत योगी मित आत्म बसाए क्यों नीर नयन तटबंध बनाकर कविताओं के माप में छंद लिखूं मुझसे ना मन बंध पाएगा हां बंध चंड हो उदंड लिखूं हां अछूत देह है नयन सरिता कहती है... Hindi · कविता 1 2 204 Share दीपक झा रुद्रा 25 May 2020 · 2 min read मोहब्बत सियासत वालों का सियासत के दिमागी जंग में खुद से उठा पटक और औरों से भी इस बीच छूट जाते हैं अपने वजह होता है वक़्त की कमी हम भिड़ के दुनियां के... Hindi · कविता 1 234 Share Previous Page 2