Buddha Prakash Tag: कविता 324 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Buddha Prakash 6 Apr 2024 · 1 min read शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है शिक्षा का मंदिर खुला हुआ है, बुद्धि के पट बंद है जिसके, मंगहाई और बेरोजगारी का आलम, संगत शराब व्यसन में डूबा है, कैसे ना रहे खाली ये विद्यालय, जब... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 3 132 Share Buddha Prakash 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य खोज लिया है जब जीवन तुम्हारा ,जीना है तुमको, दुःख तुम्हारे ,हरने है खुद को, कौन तुमसे बढ़ कर होगा ? तुमको तुमसे मिलाने के लिए, तुम्हारा सत्य तुम्हे पाने के लिए, तुम ही... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 2 128 Share Buddha Prakash 1 Apr 2024 · 1 min read क्या सत्य है ? जन्म हुआ है तो मरण भी होगा, कौन ध्यान इसपर है देगा ? क्या सत्य और क्या झूठ है, जग मे हुई क्या भूल है ? अपने को कौन निहारता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 99 Share Buddha Prakash 30 Mar 2024 · 1 min read खोज करो तुम मन के अंदर खोज करो तुम मन के अंदर, मन मंदिर है तन के अंदर, विराजमान जहाँ मस्त कलंदर, सत्य है अंदर , जग है भ्रम वहम दर्पण। मोह लोभ क्रोध भय काम... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 130 Share Buddha Prakash 30 Mar 2024 · 1 min read राह दिखा दो मेरे भगवन राह दिखा दो मेरे भगवन, अंधकार के जग में, सत्य असत्य को मै भी जानु , खोज कर दूँ उस राह की, सत्य की हो वह खोज, बन जाऊँ मार्गदाता,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 135 Share Buddha Prakash 30 Mar 2024 · 1 min read सत्य तत्व है जीवन का खोज सत्य ही प्रेरणा, सत्य ही साथी, सत्य तत्व है, जीवन में खोज। ज्ञान पीपासु, छुपा रहस्य है, वही सत्य है, होगी सत्य की खोज। हर खोज का कारण, तभी निवारण,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 179 Share Buddha Prakash 18 Mar 2024 · 1 min read मेरी गोद में सो जाओ मुझे मोल भाव में रखते है, कीमत कितनी है आंकते है, प्रकृति का एक अभिन्न अंग हूँ, हर जीवों का किस्सा हूँ। माँ की ममता मुझमें है छुपी, मेरी गोद... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 3 2 93 Share Buddha Prakash 21 Feb 2024 · 1 min read नीला ग्रह है बहुत ही खास देखो अन्य ग्रहों को, उनकी प्रकृति कितनी दूभर है, कोई आग का पिंड बन गया, कोई हिम खण्ड का गोला है, मुरझाये से दिखते है सब, प्राणियों के बिन सब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 129 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read सब्र का बांँध यदि टूट गया सब्र का बांँध यदि टूट गया, फलती-फूलती दुनिया उजड़ जाएगी, बसे नगर ढ़ह जाएंँगे, जीवन कुछ क्षण रुक जाएगी, आपदा बन कर आएगी जब, नदियाँ झील और सागर का जल,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 4 147 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति को जो समझे अपना तरस रहा जो बूँद–बूँद को, जल का मोल वही जाने, सूखी रोटी खा रहा चाओ से, अन्न का मूल्य वही जाने, साँसो के लिए जो तड़प रहा, प्राणों की अहमियत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 121 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read भेद नहीं ये प्रकृति करती सुन्दर गगन चुम्बी इमारतों ने, मन मेरा कितना मोह लिया, स्वच्छ और सुन्दर उपवन संग सजा है, प्रकृति का आशीर्वाद मिला है। निस दिन मानव भू मंडल में, करता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 155 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा हे ! जग में रहने वाले, संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा ! प्रकृति के हो तुम आसरे, यूँ धरा की सुंदरता बिगाड़ो ना !! रमणीयता घने वन- उपवन की,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 104 Share Buddha Prakash 18 Feb 2024 · 1 min read मौसम का मिजाज़ अलबेला मौसम का मिजाज़, बनते बिगड़ते देर नहीं, पल भर मे धूप – छाँव, क्षण मात्र में वर्षा का जल, प्रकृति की अद्भुत घटना स्वतंत्र, हृदय प्रसन्न और सुंदर हो मौसम।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 114 Share Buddha Prakash 18 Feb 2024 · 1 min read पर्यावरण में मचती ये हलचल पर्यावरण में मचती ये हलचल, सुनामी बन कर आती है सागर से, लील जाने को जीवन। पर्यावरण में मचती ये हलचल, महामारी बन कर फैलती बीमारी, पीड़ा देती जीवन को।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 121 Share Buddha Prakash 18 Feb 2024 · 1 min read अपनी धरती कितनी सुन्दर अपनी धरती कितनी सुन्दर, कितना सुंदर वन उपवन यहाँ, हरे- भरे पेड़ और पौधे, हरियाली इसकी है शान। अपनी धरती कितनी सुन्दर, ऊँचे पर्वत शिखरे अपार, जहाँ होते है मेघों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 3 186 Share Buddha Prakash 17 Feb 2024 · 1 min read जग जननी है जीवनदायनी जग जननी है जीवनदायनी ।। करती सबसे अच्छा व्यवहार, रखें हम मानव इसका ख्याल, ना करे संसाधन बर्बाद, सीमित ये सम्पदा है अपनी, अन्यथा हो जाएगी जल्द ही समाप्त। बोलो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 1 181 Share Buddha Prakash 17 Feb 2024 · 1 min read धरा प्रकृति माता का रूप खुशहाली है जहाँ सदाबहार, ऐसी धरती है अपनी प्यारी, बोझ नहीं जो समझती तुमको, माँ की भांँति सब न्यौछावर करती। हरा–भरा वन उपवन , सागर, नदिया, झील-सरोवर, ऊँचे पर्वत और... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 191 Share Buddha Prakash 16 Feb 2024 · 1 min read ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम कल-कल करती नदियों का स्वर, सरसराहट करके बहते पवन । बारिश की हल्की छम-छम का मधुर आनंद, सुरीली ध्वनि कोयल और पंछियो की, धरा मे भरते कितने सरगम।। प्रकृति के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 190 Share Buddha Prakash 16 Feb 2024 · 1 min read अपनी चाह में सब जन ने अपनी चाह में सब जन ने, राह बनायी स्वार्थ भाव से, भूल गये किस पर है निर्भर, उस प्रकृति को भी हानि पहुँचायी। अपनी चाह मे सब जन ने, सुन्दर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 1 122 Share Buddha Prakash 16 Feb 2024 · 1 min read जल बचाओ , ना बहाओ जिस धरा मे बसते है जीवन, उस जीवन का एक ही आधार, जल ही जीवन, अमृत जीवन का, इसको बचाना महत्वपूर्ण है सदा। बिना जल के प्यास नहीं बुझती, प्राण... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 118 Share Buddha Prakash 16 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति ने चेताया जग है नश्वर घन -घोर घटा जब छा गए, रिमझिम-रिमझिम बारिश आ जाये, बरसात का टूटा शैलाब, बादल फाटा ये हुआ आपदा, बढ़ गयी नदियों में जल की तादाद, बिस्तार हुआ और आ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 159 Share Buddha Prakash 15 Feb 2024 · 1 min read मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को भूमि अपनी हो गयी मैली, होती थी उपजाऊ और सुनहली, स्वस्थ मृदा मे बोते थे बीज, लालच मे पड़ कर खाते है विष, रासायनिक उर्वकों का उपयोग, जहरीले कीटनाशको का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 151 Share Buddha Prakash 15 Feb 2024 · 1 min read पेड़ से कौन बाते करता है ? मूक बाधिर जीवित , इन पेड़ से कौन बातें करता है? कौन पूछता इनका हाल , जिनके फल-फूलों से जग पलता है, गर्मी में जो छाया देते, सर्दी में लकड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 1 142 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read धरा और इसमें हरियाली धरा और इसमें हरियाली, यहाँ जीवन और जीवित है प्राणी, सौर मंडल का एकलौता ग्रह, नीला ग्रह पृथ्वी है हरा भरा। जल और थल से मिलकर बना, वायुमंडल से है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 211 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ धरती को हमने बचाया, यदि सभी ने पेड़ लगाया, अशुद्ध धरा की वायु गैस को, कार्बन के कण को अवशोषित करके, हरे भरे पेड़ ने प्राण वायु हमको दिया। हरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 225 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read संसाधन का दोहन डोल रही एक, एक दिन धरा प्रचंड, थर थर कांप रहा था, भूमंडल का हर अंश । वन उपवन हैरान हुए सब, उजड़ गया क्या कोई वन ? जल स्रोत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 197 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read जल प्रदूषण दुःख की है खबर जल प्रदूषण दुःख की है खबर, दूषित जल बीमारियों की जड़, पर्यावरण संरक्षण दुश्वार, होगी बड़ी चिंता की बात। कारखानों का दूषित जल, मत बहाओ नदियों में कल, कचरा और... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 141 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read जल संरक्षण बहुमूल्य जल का संरक्षण करना, है नहींं कोई बड़ी बात, घर - घर यदि ध्यान दे, हर मानव पहचान ले । जल संरक्षण अपना दायित्व, जन-जीवन है इसके आधीन, बच्चा बूढ़ा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 174 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read रो रो कर बोला एक पेड़ रो रो कर बोला एक पेड़, मत काटो मुझको ये दोस्त । दोस्ती का खूब फर्ज़ निभाऊँगा, मीठे मीठे फल खिलाऊँगा।। हरा–भरा तुम मझको है रखना, शुद्ध हवा तेरे जीवन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 144 Share Buddha Prakash 14 Feb 2024 · 1 min read ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें, ये ऊँचे–ऊँचे पर्वत शिखरें, इस धरा के होते गर्व सदैव, अमूल्य धरोहर जग के प्राणियों का, मानव का विशेष प्राकृत धन है। ये ऊँचे–ऊँचे पर्वत शिखरें, बनते रक्षक और बनाते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 179 Share Buddha Prakash 22 Jan 2024 · 1 min read बदल चुका क्या समय का लय? ये बात कही और नही, खास बहुत थे करीब तुम, विश्वास नहीं था होगा क्या ? ये समय का फेर-बदल , निकट जो था ? दो गज़ दूरी पर, क्या... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 3 149 Share Buddha Prakash 9 Jan 2024 · 1 min read आओ उस प्रभु के दर्शन कर लो। आओ प्रभु के दर्शन कर लो, उस अम्बर मे उजागर हुआ, घने घन को चीरते हुए, ओढ़े स्वेत कफन धरा है, प्रकाश लालिमा से रंग कर, मिटा दिया जो कोहरे... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 118 Share Buddha Prakash 7 Jan 2024 · 1 min read आँखों के आंसू झूठे है, निश्छल हृदय से नहीं झरते है। चुप रहकर जो सह लेते जो, क्या दुख उन्ही को होता है ? ये भ्रम सभी का होता है, ये दर्द उसी का होता, महसूस हृदय से जो करता, प्रीत... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 3 1 208 Share Buddha Prakash 31 Dec 2023 · 1 min read हे ! भाग्य विधाता ,जग के रखवारे । याद तुम्हारा जो करता निस दिन, कृपा उसी पर बनी रहती है, सच्चे हृदय से समर्पित है जो, भक्ति उसका देता है फल। परम परमेश्वर बंदन करते हम भी, जीवन... Hindi · कविता 1 252 Share Buddha Prakash 5 Dec 2023 · 1 min read वायु प्रदूषण रहित बनाओ। हम जीव है पृथ्वी के, श्वास लेते है इसी वायु में, मिल कर बना है कई गैसो से, वायुमंडल में है मिलते। शुद्ध वायु ऑक्सीजन अपनी, प्राण सभी के निर्भर... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 2 2 127 Share Buddha Prakash 5 Dec 2023 · 1 min read वन को मत काटो वन को मत काटो , अपने निजी स्वार्थ मे, वसुंधरा का एक हिस्सा है, प्रणियों के जीवन का किस्सा है। वन देते है फल–फूल और औषधियाँ, जीव-जंतुओ का होता है... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 1 95 Share Buddha Prakash 4 Dec 2023 · 1 min read जल प्रदूषण दुख की है खबर जल प्रदूषण दुःख की है खबर, दूषित जल बीमारियों की जड़, पर्यावरण संरक्षण दुश्वार, होगी बड़ी चिंता की बात। कारखानों का दूषित जल, मत बहाओ नदियों में कल, कचरा और... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 1 197 Share Buddha Prakash 4 Dec 2023 · 1 min read पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ धरती को हमने बचाया, यदि सभी ने पेड़ लगाया, अशुद्ध धरा की वायु गैस को, कार्बन के कण को अवशोषित करके, हरे भरे पेड़ ने प्राण वायु हमको दिया। हरे... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 1 350 Share Buddha Prakash 4 Dec 2023 · 1 min read जल बचाओ, ना बहाओ। जिस धरा मे बसते है जीवन, उस जीवन का एक ही आधार, जल ही जीवन, अमृत जीवन का, इसको बचाना महत्वपूर्ण है सदा। बिना जल के प्यास नहीं बुझती, प्राण... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 1 209 Share Buddha Prakash 3 Dec 2023 · 1 min read धरा और हरियाली धरा और इसमें हरियाली, यहाँ जीवन और जीवित है प्राणी, सौर मंडल का एकलौता ग्रह, नीला ग्रह पृथ्वी है हरा भरा। जल और थल से मिलकर बना, वायुमंडल से है... Hindi · कविता · प्रकृति की छाव में 1 271 Share Buddha Prakash 15 Oct 2023 · 1 min read अर्धांगिनी चुप चाप रो रहा रातो को, दुःख जो ढो रहा उन बातो पे, कभी प्रेम गीत जो गाता था, कोकिल सा कंठ बजाता था, तन्हाइयों मे नहीं सो रहा है,... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 1 256 Share Buddha Prakash 15 Oct 2023 · 1 min read मजबूत रिश्ता एक पल को मोहताज नहीं, जीवन मे एहसास नहीं, सदियों से नहीं बिखर सका, रिश्ते मे कुछ खास है बाकी। कैसा भी हो, कुछ भी हो अनबन, छुपा हुआ है... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 231 Share Buddha Prakash 20 Aug 2023 · 1 min read मौसम का मिजाज़ अलबेला मौसम का मिजाज़, बनते बिगड़ते देर नहीं, पल भर मे धूप - छाँव, क्षण मात्र में वर्षा का जल, प्रकृति की अद्भुत घटना स्वतंत्र, हृदय प्रसन्न और सुंदर हो मौसम।... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 3 314 Share Buddha Prakash 13 Aug 2023 · 1 min read *मन के धागे बुने तो नहीं है* खोयी और उदास हूँ, मोती आँखों के गिरे कही, उनको किसी ने चुने नहीं, सूख गये धरा में अब, दर्द के निशान पड़े वही। ना मोती सुशोभित, ना पुष्प से... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 212 Share Buddha Prakash 4 Aug 2023 · 1 min read *क्रोध की गाज* *... क्रोध की गाज....* आसमान से गिरती गाज़, और धरा को सहना पड़ता, क्रोध, हे मानव ! ऐसा होता, करते जब भी क्रोध तुम, खो आपे से हो कर के... Hindi · कविता 1 588 Share Buddha Prakash 4 Jul 2023 · 1 min read फ़ितरत का रहस्य किसकी क्या फ़ितरत , किसको है पता , जिसने इसको समझा, फ़ितरत कुछ और थी। बड़ी मासूमियत होती है, फ़ितरत छुपती है जहाँ, सदा चौंका देती है अंततः, पीठ पीछे... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · प्रकाश की कविताएं 7 2 447 Share Buddha Prakash 2 Jul 2023 · 1 min read फ़ितरत नहीं बदलनी थी । फ़ितरत नहीं बदलनी थी उसकी, पहली मुलाक़ात मे जो दिखी थी, एक ना एक दिन स्वतः बाहर आना था, हकीकत मे जो अंदर छुपी थी, उम्र कितनी भी गुजर जाए... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · प्रकाश की कविताएं 8 1 307 Share Buddha Prakash 2 Jul 2023 · 1 min read औरों की खुशी के लिए । कुछ काम ऐसे भी करने चाहिए, औरों की खुशी के लिए, अपने स्वार्थ को दरकिनार कर के, खुद के दुखों को तज कर । कभी कभी जीवन जी लेना चाहिए,... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 204 Share Buddha Prakash 28 Jun 2023 · 1 min read बस गया भूतों का डेरा जब से कलयुग ने घेरा, डिजिटल का हुआ सवेरा, मोबाइल ने रुख मोड़ा, बस गया भूतों का डेरा। तारे चमकते थे आसमान में, चमचमाहट नजर आती आधी रात में, रात्रि... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं · हास्य-व्यंग्य 3 380 Share Buddha Prakash 23 Jun 2023 · 1 min read जीवन का मकसद क्या है? जीवन का मकसद क्या है? किसको इस बात की परवाह है, अपनी ही चिंता मे डूबे है सब, स्वार्थ सिद्धी ही एक कार्य है अब, अपना उल्लू सीधा हो जाये,... Hindi · कविता · प्रकाश की कविताएं 2 539 Share Previous Page 2 Next