Bharat Bhushan Pathak 109 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read ॐ महाकालाय नम: महाकाल महाकालेश्वर। कृपासिन्धु जय भोलेश्वर।। है करुणाकर करुणेश्वर। ओंकारेश्वर शुम्भेश्वर।। जय कालकूट धारी त्रिपुरारी । जय महाकाय जय नागेश्वर ।। जय शिव शम्भु दयानिधाना। गंगाधर कालंजय भगवाना।। Hindi · मुक्तक 3 2 2k Share Bharat Bhushan Pathak 7 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ माँ तू ममता का विशाल व्योम। तू ही तो हो माँ ममता की सहस्त्ररश्मि। तुझसे ही शोभायमान है माँ ये भूतल। माँ तू करुणा की निर्झरी। कष्ट निवारिणी स्नेह... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 55 788 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Apr 2020 · 1 min read आत्म-शोधन उद्वेग,भावना विद्वेष से जाज्वल्यमान हो विचरता रहा पथिक कभी भाव शून्य हो तो कभी उद्वेलित किसी जलपात्र सादृश्य न जाने क्या-क्या , विचारता रहा पथिक महत्वकांक्षाओं की वो, विचित्र विमान... Hindi · कविता 1 3 669 Share Bharat Bhushan Pathak 7 Sep 2019 · 2 min read शिक्षक के उद्गार भारतवर्ष का बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है। इसने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में अपनी एक अद्भुत पहचान बनायी है। इसकी गरिमामयी इतिहास की गाथा का वहाँ से पता लगाया जा सकता... Hindi · लेख 621 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read दरिद्र नारायण भोज दरिद्र नारायण भोज की हो चुकी थी तैयारी । कोई लिया था लोटा ,कोई लिया था थाली ।। तलने लगी थी पूड़ियाँ, बनने लगी थी जलेबियाँ। लगने लगा था लोगों... Hindi · कविता · बाल कविता 1 3 557 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read है अर्जुन उठा लो गाण्डीव आज ये रणभूमि है। रणचण्डी का द्वार।। हे अर्जुन उठा लो गाण्डीव आज। है नहीं वो हस्तिनापुर न है कोई एक दुशासन आज।। हे अर्जुन लक्ष्य संधान कर लो खंडित हो... Hindi · तेवरी 1 549 Share Bharat Bhushan Pathak 25 Dec 2018 · 1 min read सोच एक आग कल भी लगी थी। एक आग आज भी लगी है।। कल आग अंग्रेजों ने लगाया। आज अँग्रेज़ी ने लगा रखी है।। अँग्रेज़ी का खेल तो देखिये हुजूर ।... Hindi · कविता 474 Share Bharat Bhushan Pathak 16 Jan 2021 · 1 min read बाहुबल निज बाहुबल पर है विश्वास,लक्ष्य साध संधान करो। हे मनुज!कुछ नहीं सोचना ,अब शीघ्र ये विधान धरो।। सदा नववर्ष मंगलमय हो, विचार मन में यही रखो। हार जीत जो भी... Hindi · कविता 622 Share Bharat Bhushan Pathak 23 Jun 2019 · 1 min read प्रश्न दिल नहीं मानता कि ........ इन्साँ जानवर से हो गए । और जानवर इन्साँ से हो गए ।। बदल लिया है दोनों ने खुद को खुद से । था पहले... Hindi · कविता 492 Share Bharat Bhushan Pathak 13 Nov 2018 · 1 min read नेता सूक्ष्मचालिसा जय नेता ज्ञान गुण सागर। जय देवेश समरथ भटनागर।। जनदुत अतुलित बलधामा।। राजनीतिपुत्र वोटसंग्राहक नामा। महावीर विक्रम बजरंगी। सुमति निवार कुमति के संगी।। कंचन बरन अद्भुत भेषा। हाथन घड़ी बाॅडीगार्ड... Hindi · दोहा 500 Share Bharat Bhushan Pathak 23 Dec 2020 · 1 min read नहीं कोरोना चीज बड़ी है लावणी छंद में तुच्छ प्रयत्न सादर समर्पित है:- विधान-१६-१४ मात्रा पर यति,कुल ३० मात्रा प्रति चरण। दो-दो चरण समतुकांत तथा चरणांत गुरु या दो लघु अनिवार्य । नहीं कोरोना चीज... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 30 476 Share Bharat Bhushan Pathak 23 Dec 2020 · 1 min read चिन्तन अज्ञान सर में डूबे प्राणी,ढूँढ रहा ज्ञानीबूँदे नहीं भटकना ऐसे तुम तो,यहाँ कभी आँखें मूँदे।। समझ-समझकर जो ना समझे,नासमझी इसको मानें। बड़बोली सब रह जाएगी,कर्म को धर्म ही जानें।। वैर... Hindi · कविता 2 3 464 Share Bharat Bhushan Pathak 18 Nov 2018 · 1 min read आसान कविताएँ किसने कह दिया की कविताओं को आसान भाषा में नहीं लिखा जाता । आसान भाषा में भी कविताएँ लिखी जा सकती है। प्रस्तुत है एक उदाहरण तीन चार बाल कविताओं... Hindi · लेख 443 Share Bharat Bhushan Pathak 23 Dec 2020 · 1 min read सुनो पते की बात बताऊँ मुखड़ा- सुनो पते की बात बताऊँ,कान खोलकर तुम सुनना, खून पसीना एक करो जी,व्यर्थ नहीं माथा धुनना ! सुनो पते की बात बताऊँ,कान खोलकर तुम सुनना, खून पसीना एक करो... Hindi · गीत 1 1 460 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read गुरु की महिमा वन्देऊ गुरु चरण सुखदायी। जै चरणन में गुरु प्रेम समाही।। एक घड़ी आधौ घड़ी ध्यान कर लीजै । जै चरणन में गुरु कृपा सहिजे।। गुरु कृपा समरस कछु नाहीं। रत्न... Hindi · दोहा 1 2 425 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Jun 2019 · 1 min read उठ जाग लक्ष्य संधान को मन्दाक्रान्ता छंद विधान में लिखने का तुच्छ प्रयास नियम:-मगण -ऽऽऽ भगण-ऽ।। नगण-।।। तगण-ऽऽ। तगण-ऽऽ। दो गुरू -ऽऽ चौथे, छठे व सातवें वर्ण पर यति उठ जाग ,लक्ष्य संधान को,पाने लूटे... Hindi · कविता 422 Share Bharat Bhushan Pathak 16 Aug 2019 · 1 min read विधा-मुक्त छंद जय, जय माँ भारती। सिंह-सुता दहाड़ती।। आगे कभी, पीछे कभी नीचे कभी, ऊपर कभी घूम-घूम अग्नि बाण मारती जय, जय माँ भारती । सिंह-सुता दहाड़ती।। मार्ग दुष्कर था,लक्ष्य अटल था।... Hindi · तेवरी 438 Share Bharat Bhushan Pathak 4 Aug 2019 · 1 min read दोस्त दोस्त होते हैं जो कुछ खास होते हैं। साथ होते हैं दिल के पास होते हैं। कभी रुठते हैं मगर मना भी जाते हैं। याद आते हैं जब वो पास... Hindi · कविता 402 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read पैसे की झंकार पैसे की झंकार । श्रवणीय नहीं बिन विकार।। चुका है बन जो आज जीवनधारा । है देता सर्वत्र यह साथ बन सहारा ।। इसी के झंकार से सर्वत्र। होते पूरित... Hindi · दोहा 441 Share Bharat Bhushan Pathak 17 Jun 2019 · 1 min read योग दिवस विशेष मालिनी छंद में लिखने का प्रयास हे मानव छोड़कर, जग के मोह-माया। बनकर निर्मोही ही ,कर निर्मल काया।। होते ही प्रभात तुम, भागते रहते हो। कुछ क्षण को ही सही,थोड़ा... Hindi · कविता 393 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read वाकपटुता सह वाचालता वाकपटुता और वाचालता में है क्या अंतर। दोनों के ही अर्थ हैं होते अति भयंकर ।। वाकपटुता है वाक्य पाटना । वहीं स्पष्टवादिता को वाचालता है समझना।। एक है मान-सम्मान... Hindi · दोहा 386 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read इन्सान का मोबाईल में रुपान्तर इन्सान का जब हो जाय मोबाईल में रुपान्तरण। करना होगा तब अत्याधुनिक प्रोग्राम का नवप्रवर्तन।। तब वायरस ग्रसित दाँत का होगा मौजूद एन्टीवायरस। भूख न लगने पर ,जी मिचलाने पर... Hindi · कविता 1 2 398 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read संविधान घोषणा स्वतन्त्रता की हुई जब। प्रारूप संविधान की बनी तब। स्वतंत्रता मिली जब समूल सकल। संविधान थी फूँकने को प्राण तत्पर सबल।। निर्ममता की पराकाष्ठा से परिपूर्ण थी स्वतंत्रता संघर्ष।... Hindi · मुक्तक 412 Share Bharat Bhushan Pathak 7 Nov 2018 · 1 min read जलेबी का घमण्ड जलेबी को एक बार हो गया घमण्ड । अकड़ कर बोली मैं हूँ सबसे मीठी । चाश्नी जब जलेबी से बोली... । वो तो ठीक है जलेबी बहन हो तो... Hindi · कविता · बाल कविता 3 2 377 Share Bharat Bhushan Pathak 28 Mar 2019 · 1 min read लिखूँ अब क्या मैं लिखूँ अब क्या मैं ? मुझे लिखना नहीं आता। लिख लेता हूँ उलझुलूल मन में जो है आ जाता। न पढ़ी है कभी कविताएँ । न लिखी है कभी गाथाएं... Hindi · कविता 1 391 Share Bharat Bhushan Pathak 8 Nov 2018 · 1 min read गणित और मेरी वार्तलाप हे गणित तू फिर आ गयी । काली घटा बन कर मुदित मन को आह्लादित करने।। परन्तु कोई बात नहीं आ ही गयी है तो मित्रवत ही रहना। था बचपन... Hindi · कविता 372 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read व्यस्त मानव मानव का आधुनिक होना अब बहुत खलता है। हाथ पकड़कर मजे में चलना अब कहाँ चलता है।। कल मानव में प्रेम बहुत था आज रार पलता है। मानव का मानव... Hindi · मुक्तक 381 Share Bharat Bhushan Pathak 8 Nov 2018 · 1 min read फ़ेसबुक पर मेरे विचार क्या ये वही फेसबुक है क्या ये वही फ़ेसबुक है? आकर जहाँ थी शान्ति मिल जाती ।। क्या ये वही है सदन? जहाँ जनमानस करते थे अभिनन्दन ।। अब ऐसी... Hindi · कविता 2 4 401 Share Bharat Bhushan Pathak 3 Oct 2019 · 1 min read जय जवान जय किसान था कर्मठ जो इन्सान। ध्येय था जिनका जय जवान जय किसान।। मथ कर धरती अपने परिश्रमरूपी श्वेदमथनी से कर रोपित असंख्य नवांकुर था दिया जो नारा जय जवान जय किसान।... Hindi · कविता 380 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read मेरी कारुणिक व्यथा रेस का घोड़ा जब-जब दौड़ा। सबको उसने पीछे छोड़ा।। आता रहा हमेशा प्रथम विदित हो रहा था मानो प्रथम आने की खा ली हो उसने कसम।। कहता थक चुका हार... Hindi · मुक्तक 346 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read मुर्दा जब जिन्दा से बोला मुर्दा जब जिन्दा से बोला । बताओ है क्या हाल। जिन्दा बेचारा काँप कर यूँ बोला.. हाँ भाई हाल है मेरा बहुत बेहाल।। पर ये तो बतलाओ कौन हो तुम।... Hindi · मुक्तक 3 2 350 Share Bharat Bhushan Pathak 13 Nov 2018 · 1 min read कष्ट में है भागीरथी कष्ट में है आज भागीरथी । हर और जो व्याप्त दुर्मति।। कल नारी की थी पूजा होती। है आज वो तिरस्कृत होती।। कल भगीरथ सम थे तपस्वी । ज्ञानवान ओजस्वी... Hindi · दोहा 2 365 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read मातेश्वरी को अर्पित जय रिपु दमनी कष्ट हरने। जय कल्याणप्रदायिके अम्बे।। जय जय हो महिषासुरमर्दिनी सिद्धिप्रदे। जय चण्डमुण्डविनाशिनी महाचण्डिके।। जय काली महाविकराली । भक्तों का कष्ट हरनेवाली।। जय माहेश्वरी महाविद्या। जय माते कमललोचने।। Hindi · दोहा 1 348 Share Bharat Bhushan Pathak 19 Mar 2019 · 1 min read होली स्पेशल घनाक्षरी का प्रयास:- हो होली में इस बार कुछ ऐसा विशेष हुड़दँग । उड़े प्रेम की गुलाल मला जाए सद्भावना और शान्ति का एकसाथ अनेक रंग ।। हो होली बड़ी मनभावन कर दे... Hindi · घनाक्षरी 366 Share Bharat Bhushan Pathak 18 Nov 2018 · 1 min read आज सिंहनाद करना होगा:-वीर रस का प्रयास आज सिंहनाद करना होगा। माँ भारती की अस्मिता खतरे में है... गिद्धधों से लड़ना होगा।। आज विजयघोष करना होगा। असंख्य असुरों के अनाचार से... स्वयं को रक्षित करना होगा।। आज... Hindi · तेवरी 3 1 335 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read हे गिरिधर .... ***श्रीकृष्ण स्तुति *** है गिरधर है गोपाल । करुणा कर दो दीनदयाल।। है मुरारी है चक्रधारी। तीनों लोक में महिमा न्यारी ।। मुरली मनोहर छवि अति प्यारी ।। है मधुसूदन... Hindi · दोहा 2 373 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 2 min read वेलन्टाइन वेलेंटाइन पाश्चात्य संस्कृति का द्योतक है। पर अगर इस मूल संस्कृति के जीर्ण-शीर्ण पन्नों को अगर पलटा जाए तो इस तथ्य से हम अवगत होंगे कि उस महान सन्त ने... Hindi · लेख 2 1 324 Share Bharat Bhushan Pathak 7 Jan 2020 · 1 min read मैं पथिक मैं पथिक चलता रहा मार्ग में भटकता रहा कभी उकताता थक हार कभी बैठता फिर बढ़ता कितनी बार खाए भी निराशाओं के ठोकर मैंने संघर्षों के काँटे चुभौता पीछे कभी... Hindi · कविता 1 2 362 Share Bharat Bhushan Pathak 8 Nov 2018 · 2 min read बाबा शुम्भेश्वरनाथ के श्री चरणों में समर्पित ॐ शुम्भेश्वरनाथाय नमः ॐ शुम्भेश्वरनाथाय नमः बाबा शुम्भेश्वरनाथ के श्री चरणों में समर्पित थे हुए प्राचीन काल में दो दानव अति भयंकर । था शुम्भ निशुम्भ नाम जिनका थे बंधन... Hindi · कविता 2 337 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read स्वतंत्रता की कहानी एक था माली । लगा रखी थी जिसने फूलों की डाली।। हर तरफ रंग-बिरंगे फूल और ढेर सारी हरियाली । थे लगे कहीं प्रेम के फूल और थी लगी कहीं... Hindi · कविता 308 Share Bharat Bhushan Pathak 12 Nov 2018 · 1 min read एक था जंगल ... . एक था जंगल । था चल रहा जहाँ दंगल।। हाथी सारे जज बने थे। बंदर बना हुआ था पहलवान ।। होने को थी ही दंगल की अब शुरुआत ।... Hindi · कविता · बाल कविता 311 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read प्रणय-निमंत्रण अयि गौरवशालिनी। दर्प विश संचालिनी।। विद्युत प्रगाढ़ता से परिपूर्ण हो कहाँ चली। अधर सुधा जल पान करा।। रसातल में कब तक रहूँ यूँही खड़ा । मादकता नयनों की छलका तो... Hindi · कविता 322 Share Bharat Bhushan Pathak 14 Nov 2018 · 1 min read बाल -दिवस चारों ओर है मस्ती छाई। आई देखो बाल दिवस आई।। बच्चों के मन को है भाता। हरओर उमंग है छाता।। सूर्यदेव भी हर्षित से नभमण्डल में दिख हैं रहे। बगिया... Hindi · कविता · बाल कविता 1 383 Share Bharat Bhushan Pathak 30 Nov 2019 · 1 min read जाग मातृभूमि जाग मातृभूमि जाग प्रलय का ले आग कर अब ताण्डव तू फिर भेंट चढ़ी है तेरी ही एक बेटी विकृत मानसिकता वाले दनुजसम मनुज की जाग मातृभूमि जाग गा विध्वंश... Hindi · तेवरी 1 2 330 Share Bharat Bhushan Pathak 14 Nov 2018 · 1 min read नेता भाई नेता भाई। ले मिठाई ।। वोट माँगने गाँव चले। सर पे गाँधी टोपी लगाकर। भटक रहे थे दर-दर जाकर।। गिरते- बजड़ते संभल-संभलकर । घर-घर पहुँचते हाथ जोड़कर।। कहीं लोग थे... Hindi · कविता 1 332 Share Bharat Bhushan Pathak 9 Nov 2018 · 1 min read मच्छर संग वार्तालाप एक दिन मच्छर आके मुझसे बोला। मान्यवर बताओ मेरा गुनाह क्या है।। मैंने तपाक से कहा रे मच्छर ... तु जो चट से आकर .... पट से बैठकर । झट... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 308 Share Bharat Bhushan Pathak 22 Aug 2019 · 1 min read हिंसाओं के बादल..... देख हिंसाओं के बादल...... - August 22, 2019 देख हिंसाओं के बादल किस प्रकार निकलते हैं। धरा रोती है, गगन रोता है । और यह समस्त संसार रोता है।। देख... Hindi · मुक्तक 1 294 Share Bharat Bhushan Pathak 10 Nov 2018 · 1 min read भोर नवीनता की चादर ओढ़कर आए प्रभात । सम्पन्नता का श्रृंगारकर आए प्रत्येक रात।। नवसृजनता का हो पुन: उद्भव । दृश्य हो चहुँओर प्रतिपल वैभव ।। पुष्पित पल्लवित हो विकासपुष्पगुच्छ। विलोपित... Hindi · मुक्तक 1 293 Share Bharat Bhushan Pathak 11 Nov 2018 · 1 min read छठ महापर्व सुन्दर पावन पुनीत बेला। चहुँओर दृश्य हर्षित रैला।। आदित्य देव का हो रहा अवतरण । उल्लासित दिख रहा खग-वृंद जन।। है विस्तारित चहुँओर सहस्त्ररश्मि की लालिमा। विध्वंशित हो गयी चहुँओर... Hindi · दोहा 3 297 Share Bharat Bhushan Pathak 8 Dec 2018 · 1 min read सुप्रभात हो कुछ इस भाँति चहुँओर प्रभात । शान्ति का साम्राज्य हो चहुँओर विराट ।। प्रफुल्लित हो वन उपवन आँगन। आनन्द मग्न हो कीट-पतंग और सबजन।। हो चहुँओर समृद्धि धन और... Hindi · कविता 302 Share Page 1 Next