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17 Jun 2019 · 1 min read

योग दिवस विशेष

मालिनी छंद में लिखने का प्रयास
हे मानव छोड़कर, जग के मोह-माया।
बनकर निर्मोही ही ,कर निर्मल काया।।
होते ही प्रभात तुम, भागते रहते हो।
कुछ क्षण को ही सही,थोड़ा विश्राम कर।
जीवन को ले अपना ,कब तक भागेगा।
है तुझको क्या मिला,है तूने क्या पाया।
इसलिए तो है कहा ,सोच अपने लिए ।
है मानव विचार कर, धर यह ध्यान ।
अपना ले जीवन में, योग का ज्ञान।।
प्रातः उठकर कर, ले अनुलोम -विलोम।
हो शान्ति चहुँओर ,नभ गाये प्रभाती।
उठकर उस पल, कर कपालभाँति।
भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम-तुच्छ कवि ‘भारत ‘
ग्राम+पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ)
जिला-दुमका(झारखंड)
पिन कोड-814151
कार्यक्षेत्र:-आई.एस.डी.,सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता-बीकाॅम(प्रतिष्ठा)
साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास:-साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में ।
वाट्सएप:-9934358195

Language: Hindi
391 Views
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