Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Mar 2023 · 1 min read

“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
======================
पहले चिठ्ठी लिखते थे
बहुत सी बातें होती थीं
दुख -सुख के बारे में ही
कहानियाँ लिखी जातीं थीं

गुप्त- बातें ,प्रेम- उपराग
लिफाफों में बंद रहता था
पत्र जिनके नाम से होता
उसे ही संदेश मिलता था

अन्तर्देशीय पत्र ,पोस्टकार्ड
हमारे संवादों के प्राण थे
आत्मीयता का बोध था
संबंधों से नहीं अंजान थे

याद है वो मंज़र हमें सब
लंबी कतारें प्रतीक्षा करना
STD बूथ से लेंड लाइन
में लोगों से बातें करना

अपनों से बातें करते थे
सबकी जिज्ञासा रहती थी
पास- पड़ोसी, दोस्त मित्र
सबकी ही आशा रहती थी

आया फिर नया जमाना
यंत्रों का आविष्कार हुआ
हम तो सक्षम बनते गए
नवयुग का पादुर्भाव हुआ

विराटरूप को हमने पाया
विधाओं के हम संचालक हैं
द्रुत गति से चलना सीखा
विश्व विजय के लायक हैं

पर हम कहीं रह गए अधूरे
आत्मीयता से कोसों दूर हुए
संवाद किसी से करते नहीं
ईगो के नशे में हम चूर हुए

मोबाईल टेलीफोन जेबों में है
बातें लोगों से होती नहीं है
सब हैं अपनों में व्यस्त यहाँ
कोई किसी की सुनता नहीं है

कितने तुम अब बौने बनोगे ?
जब अनगिनत हाथ तुम्हारे हैं
अस्त्र -शस्त्र से हो पूरित तुम
सब अपने क्षितिज के ही तारे हैं
=====================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
08.03.2023

Language: Hindi
159 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अब यह अफवाह कौन फैला रहा कि मुगलों का इतिहास इसलिए हटाया गया
अब यह अफवाह कौन फैला रहा कि मुगलों का इतिहास इसलिए हटाया गया
शेखर सिंह
होली का त्यौहार
होली का त्यौहार
Kavita Chouhan
*तुम और  मै धूप - छाँव  जैसे*
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
चाँद पूछेगा तो  जवाब  क्या  देंगे ।
चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
sushil sarna
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
Phool gufran
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
ग़ज़ल- हूॅं अगर मैं रूह तो पैकर तुम्हीं हो...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
मुझको मेरा अगर पता मिलता
मुझको मेरा अगर पता मिलता
Dr fauzia Naseem shad
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
*भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】*
*भले कितनी हो लंबी रात,दिन फिर भी निकलता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
"बुलबुला"
Dr. Kishan tandon kranti
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
आजा कान्हा मैं कब से पुकारूँ तुझे।
Neelam Sharma
लाख दुआएं दूंगा मैं अब टूटे दिल से
लाख दुआएं दूंगा मैं अब टूटे दिल से
Shivkumar Bilagrami
नदियों का एहसान
नदियों का एहसान
RAKESH RAKESH
हिन्द की हस्ती को
हिन्द की हस्ती को
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
◆धर्म-गीत
◆धर्म-गीत
*Author प्रणय प्रभात*
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
Kshma Urmila
जितना सच्चा प्रेम है,
जितना सच्चा प्रेम है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"लेखक होने के लिए हरामी होना जरूरी शर्त है।"
Dr MusafiR BaithA
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
नेता की रैली
नेता की रैली
Punam Pande
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
पाकर तुझको हम जिन्दगी का हर गम भुला बैठे है।
Taj Mohammad
वो और राजनीति
वो और राजनीति
Sanjay ' शून्य'
गीत गा रहा फागुन
गीत गा रहा फागुन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
भगिनि निवेदिता
भगिनि निवेदिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...