Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2018 · 2 min read

वेलन्टाइन

वेलेंटाइन पाश्चात्य संस्कृति का द्योतक है। पर अगर इस मूल संस्कृति के जीर्ण-शीर्ण पन्नों को अगर पलटा जाए तो इस तथ्य से हम अवगत होंगे कि उस महान सन्त ने पारस्परिक सौहार्द की वकालत करते हुए कहा था कि प्रेम ये दो शब्द का अर्थ संकीर्ण नहीं बल्कि मूलतः विस्तारित है।
यदि उनके शब्दों पर अगर विचार किया जाए तो पहली बार इस मूल शब्द से तब हम अवगत होते हैं जब माँ की अंगुली को थाम करके जब हम चलना प्रारम्भ करते हैं और हमारे पिता जब हमें बचपन में कंधे पर बिठाकर घूमाते थे ।
प्रेम के दूसरे रूप से तब हम परिचित होते हैं जब पहलीबार हम अपनी जीवन संगिनी को समझते हैं। यहाँ कतई समझने की भूल न करें कि आजकल समाज में जो पनपी हुई कुव्यवस्था है वो प्रेम हो सकती है।
प्रेम समर्पण है न कि आधुनिक समाज में फैली हुई बुराई।
इस को समझाने के लिए मुझे एक प्रसंग याद आ रहा है जो मेरे पिता ने मुझे कभी सुनाया था-कि एक बार की बात है दो भाई थे जिसमें एक भाई ईश्वर आराधना में निरन्तर लगा रहता था और दूसरा नर्तकी के नृत्यावलोकन में निरन्तर रत रहथा था।
एक बार दोनों भाईयों ने अपनी आदतों की अदलाबदली की जिसके फलस्वरूप पहला भाई नृत्यावलोकन के लिए गया पर उसको वहाँ भी ईश्वर दिख रहे थे और दूसरा जो कभी आराधना नहीं करता था उसे ईश्वर की प्रतिमा में भी नृत्यांगना नजर आ रही थी।
ऐसा इसलिए था कि दोनों का अपने आराध्य के प्रति प्रेम अटल था।
इसलिए माता-पिता की अन्नय भक्ति जो है वो ही प्रेम अटल है बाकि सब मिथ्या है।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 322 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
***कृष्णा ***
***कृष्णा ***
Kavita Chouhan
विश्व कप-2023 फाइनल
विश्व कप-2023 फाइनल
दुष्यन्त 'बाबा'
चौबीस घन्टे साथ में
चौबीस घन्टे साथ में
Satish Srijan
जो गुज़र गया
जो गुज़र गया
Dr fauzia Naseem shad
मां नही भूलती
मां नही भूलती
Anjana banda
विकल्प
विकल्प
Sanjay ' शून्य'
रूप पर अनुरक्त होकर आयु की अभिव्यंजिका है
रूप पर अनुरक्त होकर आयु की अभिव्यंजिका है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शे'र
शे'र
Anis Shah
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
Babli Jha
मां बेटी
मां बेटी
Neeraj Agarwal
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
श्री राम जय राम।
श्री राम जय राम।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
* कभी दूरियों को *
* कभी दूरियों को *
surenderpal vaidya
💐प्रेम कौतुक-260💐
💐प्रेम कौतुक-260💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ग्रीष्मकाल के दौर में
ग्रीष्मकाल के दौर में
*Author प्रणय प्रभात*
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
तुमको सोचकर जवाब दूंगा
gurudeenverma198
उधार ....
उधार ....
sushil sarna
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
Vishal babu (vishu)
दूध बन जाता है पानी
दूध बन जाता है पानी
कवि दीपक बवेजा
*दही सदा से है सही, रखता ठीक दिमाग (कुंडलिया)*
*दही सदा से है सही, रखता ठीक दिमाग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
पराक्रम दिवस
पराक्रम दिवस
Bodhisatva kastooriya
देश काल और परिस्थितियों के अनुसार पाखंडियों ने अनेक रूप धारण
देश काल और परिस्थितियों के अनुसार पाखंडियों ने अनेक रूप धारण
विमला महरिया मौज
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Many more candles to blow in life. Happy birthday day and ma
Many more candles to blow in life. Happy birthday day and ma
DrLakshman Jha Parimal
सज जाऊं तेरे लबों पर
सज जाऊं तेरे लबों पर
Surinder blackpen
राख का ढेर।
राख का ढेर।
Taj Mohammad
"दरख़्त"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...