बसंत कुमार शर्मा Tag: ग़ज़ल/गीतिका 73 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बसंत कुमार शर्मा 22 Sep 2016 · 1 min read इस दिल को आराम नहीं हैं यूँ तो हम गुलफाम नहीं हैं लेकिन हम गुमनाम नहीं हैं आदत है कवितायेँ लिखना यूँ न समझना काम नहीं हैं खेत और खलिहानों जैसा कोई तीरथ धाम नहीं हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 255 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Sep 2017 · 1 min read ठहर जाता तो अच्छा था मापनी 1222 1222 1222 1222 इधर जाता तो अच्छा था, उधर जाता तो अच्छा था. रहा भ्रम में, कहीं पर यदि, ठहर जाता तो अच्छा था. उभर आता तो अच्छा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 481 Share बसंत कुमार शर्मा 24 Nov 2016 · 1 min read हम तो परदे खोल रहे हैं हम तो परदे खोल रहे हैं क्यों सिंहासन डोल रहे हैं बेड़ा गरक हो चुका उनका फिर भी नफरत घोल रहे हैं खुसुर पुसुर है घर पर, जिनके खातों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 222 Share बसंत कुमार शर्मा 22 Mar 2017 · 1 min read है समाज का दर्पन कविता जीने का अवलंबन कविता मेरे दिल की धड़कन कविता कसी हुई है गति यति लय पर, छंदों का अनुशासन कविता भावों का कागज़ पर चित्रण, शब्दों का है अंकन कविता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 254 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Apr 2017 · 1 min read जो करो तुम बस करो जी जान से आपकी झोली भरेगी ज्ञान से. यदि करोगे मित्रता विद्वान से. हाथ फैलाना नहीं अपने कभी हाथ ऊपर रख जियो बस शान से है सुरक्षित देश का हर नागरिक, सैनिकों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share बसंत कुमार शर्मा 9 May 2017 · 1 min read ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे नींद में आकर जगाता है मुझे ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे झूमती आती घटायें बदलियाँ, प्यार का मौसम बुलाता है मुझे सर्दियों में सूर्य भाया था बहुत, गर्मियों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share बसंत कुमार शर्मा 12 Apr 2017 · 1 min read हमें न पत्थरबाज चाहिए होना सबका काज चाहिए, हमको ऐसा राज चाहिए जिसे फ़िक्र हो आम जनों की, सर पर उसके ताज चाहिए अन्दर बाहर सदा एक हो, हमको वह आवाज चाहिए नया मुकाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 644 Share बसंत कुमार शर्मा 10 Apr 2017 · 1 min read मगर खत्म अपनी कहानी नहीं है नहीं आज बचपन जवानी नहीं है मगर खत्म अपनी कहानी नहीं है मुझे जिन्दगी ने सताया है जी भर मगर हार मैने भी मानी नहीं है भरा प्रेम से है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Apr 2017 · 1 min read मुहब्बत आप करते है सताया है बहुत हमने, शिकायत आप करते हैं हमारे ख्वाब में आकर, शरारत आप करते हैं ये माना हम नहीं दिल में, बताओ फिर जरा ये भी हमारी चिट्ठियों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 321 Share बसंत कुमार शर्मा 1 Apr 2017 · 1 min read अप्रैल फूल बनाकर हँस लो अप्रैल फूल बनाकर हँस लो सबको आज हँसाकर हँस लो रूठा हुआ शाम से कोई उसको सुबह मनाकर हँस लो क्यों बैठो हो गाल फुलाकर थोड़ा सा पिचकाकर हँस लो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Mar 2017 · 1 min read भूल गया घर द्वारा मन बचपन के वे खेल खिलोने, निश्छल चंचल प्यारा मन ढूंढ रहा कागज़ की कश्ती, सुधियों में आवारा मन कभी नगर में कभी गाँव में, कभी धूप है छाँव कभी नदिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 435 Share बसंत कुमार शर्मा 26 Mar 2017 · 1 min read जब वफ़ा पर सवाल होता है जब वफ़ा पर सवाल होता है तब बुरा दिल का’ हाल होता है जब तलक हम सँभल नहीं पाते फिर नया इक बवाल होता है याद आता है बचपना जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 471 Share बसंत कुमार शर्मा 22 Mar 2017 · 1 min read गम तो बांटो जरा किसी के नीर भरी हैं उसकी अँखियाँ बीत रहीं हैं चुप-चुप रतियाँ साजन गए विदेश न लौटे कौन सुने अब मन की बतियाँ सूनी सूनी अमराई है, सखियों की राह तकें अमियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 298 Share बसंत कुमार शर्मा 21 Mar 2017 · 1 min read चर्चा करें मीडिया वीर हो जाये जनता चुनाव में, थोड़ा सा भी यदि गंभीर सही लोग आयेंगे चुनकर, बदलेगी सबकी तकदीर अंधे बहरों के शासन में,अबला किसे सुनाये पीर चौराहों पर लुटे द्रोपदी, खींच... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 393 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Mar 2017 · 1 min read दिल से जरा गुजरना साहब कष्टों से क्या डरना साहब रोज रोज क्या मरना साहब लगे हुए हम सब लाइन में इक दिन पार उतरना साहब पूजा पाठ भले मत करना पीर किसी की हरना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 627 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Mar 2017 · 1 min read तो किस्मत हार जाती है लगन से की गई मेहनत, नहीं बेकार जाती है अगर दम कोशिशों में हो, तो किस्मत हार जाती है बड़ी बेचैन रहती है, किनारे पर भी’ ये कश्ती कभी इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 485 Share बसंत कुमार शर्मा 18 Mar 2017 · 1 min read हर साँझ सुरमई है हर भोर है सुहानी, हर साँझ सुरमयी है जब से मिले हैं तुमसे, चेहरे पे हर ख़ुशी है गुलशन में’ ही मगन है, चाहत नहीं गगन की इक फूल से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 452 Share बसंत कुमार शर्मा 16 Mar 2017 · 1 min read जिन्दगीं में और आफत अब न हो हो चुकी जो भी सियासत अब न हो मुल्क से मेरे बगावत अब न हो आपको सौंपा है’ दिल अनमोल ये इस अमानत में खयानत अब न हो हमसे’ पीकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share बसंत कुमार शर्मा 6 Mar 2017 · 1 min read शूल होते हैं' फूल होते हैं शूल होते हैं’ फूल होते हैं प्यार में सब कबूल होते हैं हर कहीं हम झुका नहीं करते कुछ हमारे उसूल होते हैं प्यार के पल ही’ संपदा अपनी बाकी’... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 187 Share बसंत कुमार शर्मा 2 Mar 2017 · 1 min read मेरे प्यार की खुशबू हमारी कोशिशें कम हों तो’ किस्मत हार जाती है कहीं चप्पू बिना कश्ती, नदी के पार जाती है किया वादा तो है उसने, मुझे मंदिर में मिलने का अगर शनिवार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 274 Share बसंत कुमार शर्मा 1 Mar 2017 · 1 min read नाम मेरा गुलफाम नहीं है नाम मेरा गुलफाम नहीं है लेकिन वह गुमनाम नहीं है खेत और खलिहानों जैसा कोई तीरथ धाम नहीं है पकड़े हैं चाक़ू तलवारें जिन हाथों को काम नहीं है जिसको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share बसंत कुमार शर्मा 26 Jul 2017 · 1 min read तमन्ना हमें न जन्नत की कब किसी से यहाँ मुहब्बत की. जब भी’ की आपने सियासत की. जुल्म सहती रही सदा धरती, आसमां ने कहाँ शहादत की ताव दे मूँछ पर सभी बैठे, कौन बातें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share बसंत कुमार शर्मा 4 Sep 2018 · 1 min read गुनगुनाने से रहे जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे हर किसी के गीत हम तो गुनगुनाने से रहे पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर हो रही मुश्किल बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 260 Share बसंत कुमार शर्मा 31 Aug 2018 · 1 min read गुनगुनाने से रहे जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे हर किसी के गीत तो हम गुनगुनाने से रहे पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर हो रही मुश्किल बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Aug 2018 · 1 min read स्वयं से आज मिलने जा रहा हूँ खयालों में जिसे बुनता रहा हूँ हुआ जब सामना घबरा रहा हूँ गली में प्रेम की मुश्किल बहुत है दिल-ए-नादान को समझा रहा हूँ अलग है प्यार की खुशबू सभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 244 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Jul 2018 · 1 min read बचपन सी सौगात न कोई झूठी मूठी बात न कोई बचपन सी सौगात न कोई सच के आगे झूठ कपट की होती है औकात न कोई जिसमें सपने देख न पायें होती ऐसी रात न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 471 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Jul 2018 · 1 min read ढूँढ रहा हूँ बड़े जतन से सिले थे’ माँ ने, वही बिछौने ढूँढ रहा हूँ ढूँढ रहा हूँ नटखट बचपन, खेल-खिलौने ढूँढ रहा हूँ नदी किनारे महल दुमहले, बन जाते थे जो मिनटों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 530 Share बसंत कुमार शर्मा 25 Jan 2018 · 1 min read मुहब्बत में वफ़ाएँ ढूंढते हैं लोग जाने क्यों मुहब्बत में किसी को भी मिले हैं क्या, कभी भी फूल उल्फत में कहाँ चिंता वतन की अब, यहाँ पर लोग करते हैं तिजारत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 476 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Jan 2018 · 1 min read झूठी मूठी बात न करिए झूठी मूठी बात न करिए वादों की बरसात न करिए नाजुक है दिल टूट न जाए, इससे भीतरघात न करिए ख्यात न हों, कुछ बात नहीं है, पर खुद को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 376 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Aug 2017 · 1 min read प्रेम पर होती टिकी हर देश की बुनियाद है कैद हैं धनहीन तो, जो सेठ है,आजाद है झुग्गियों की लाश पर बनता यहाँ प्रासाद है थाम कर दिल मौन कोयल डाल पर बैठी हुई, तीर लेकर हर जगह बैठा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 298 Share बसंत कुमार शर्मा 5 May 2017 · 1 min read सूरज पर चढ़ रही जवानी ओढ़े हुए आग की चादर, करने आया है मनमानी तपा रहा जमकर धरती को, सूरज पर चढ़ रही जवानी यहाँ बहुत दुश्मन पानी के, सुखा रहे हैं धीरे धीरे मर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 264 Share बसंत कुमार शर्मा 13 Jul 2017 · 1 min read आ तो सही इक बार मेरे गाँव में आ तो सही इक बार मेरे गाँव में अद्भुत अतिथि सत्कार मेरे गाँव में हर वक्त रहते हैं खुले सबके लिए सबके दिलों के द्वार मेरे गाँव में तालाब नदियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 368 Share बसंत कुमार शर्मा 13 Jun 2017 · 1 min read मुहब्बत होती है स्वीट कभी नमकीन, मुहब्बत होती है जग में बहुत हसीन, मुहब्बत होती है थोड़ा थोड़ा त्याग, तपस्या हो थोड़ी, फिर न कभी ग़मगीन, मुहब्बत होती है चढ़ती है परवान, नाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 441 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Jun 2017 · 1 min read चलो फटे में टाँग अड़ाएँ यार चलो नेता बन जाएँ और फटे में टाँग अड़ाएँ शेयर जैसे सुबह उछलकर, लुढ़क शाम को नीचे आएँ जंतर मंतर पर जा बैठें, मूंगफली का भाव बढ़ाएँ दिखे अगर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 235 Share बसंत कुमार शर्मा 31 May 2017 · 1 min read मौन मुझे स्वीकार नहीं है यदि करना इनकार नहीं है, क्यों करता इकरार नहीं है चुप चुप रहना उसकी आदत, मौन मुझे स्वीकार नहीं है दिल से कभी न कह पायेगा, करता मुझसे प्यार नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 330 Share बसंत कुमार शर्मा 24 May 2017 · 1 min read शब्द पानी हो गए छोड़कर हमको किसी की जिंदगानी हो गए ख्वाब आँखों में सजे सब आसमानी हो गए प्रेम की संभावनाएँ थीं बहुत उनसे, मगर, जब मिलीं नजरें परस्पर, शब्द पानी हो गए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 300 Share बसंत कुमार शर्मा 11 May 2017 · 1 min read कोई रिश्ता निभाया जा रहा है कोई रिश्ता निभाया जा रहा है मुझे फिर से बुलाया जा रहा है पड़ीं हैं नींव में चुपचाप ईंटे, भले बोझा बढाया जा रहा है अभी कुछ शांत हैं लहरें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 534 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Feb 2017 · 1 min read अगर हृदय में प्यार न होता सुखमय ये संसार न होता अगर हृदय में प्यार न होता काँटों से यदि प्यार न पाते फूलों का घर द्वार न होता लोभ मोह में अगर न पड़ते रिश्तों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Nov 2016 · 1 min read पागल जैसा पागल क्यों है पागल जैसा पागल क्यों है मन इतना भी चंचल क्यों है भरा भरा है घर तो पूरा खाली माँ का आँचल क्यों है हरियाली है अलसायी सी थका थका सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 696 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Dec 2016 · 1 min read जब से उन्हें निहारा है जिस दिन से उन्हें निहारा है इन आँखों में उजियारा है राह दिखाती सबको संसद दिया तले तो अंधियारा है पतवार बिना कोई कश्ती कब पाती यहाँ किनारा है पास... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 217 Share बसंत कुमार शर्मा 24 Dec 2016 · 1 min read महक बाकी भी तक है छुआ था जुल्फ को तेरी, महक बाकी अभी तक है पुरानी उस मुहब्बत की, कसक बाकी अभी तक है छनन छन पायलों की सुन, जगा हूँ ख्वाव में हर पल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 445 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Dec 2016 · 1 min read शिकायत यहाँ हुजूर ग़ज़ल करते नहीं हैं’ लोग शिकायत यहाँ हुजूर थोड़ी तो’ हो रही है’ मुसीबत यहाँ हुजूर बिकने लगे हैं’ राज सरे आम आजकल चमकी खबरनबीस की’ किस्मत यहाँ हुजूर बिछती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 386 Share बसंत कुमार शर्मा 21 Dec 2016 · 1 min read आंसू कहाँ बहाने निकले जनता को बहकाने निकले नेता वोट जुटाने निकले मंचों पर जब जंग छिड़ गयी क्या क्या तो अफसाने निकले नेता,अफसर,चमचों के घर, नोट भरे तहखाने निकले कहते थे घर-बार नहीं,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 514 Share बसंत कुमार शर्मा 9 Dec 2016 · 1 min read सूरज के घर मची खलबली जब भी धरती पर शमा जली सूरज के घर मची खलबली गांधी के फोटो के पीछे मिली हमें हर जगह छिपकली चंदा है बेचैन गगन में इक जुगनू की बारात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 357 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Dec 2016 · 1 min read सच्चाइयाँ वो अब कहाँ कविता जहाँ पर जन्म ले तन्हाइयाँ वो अब कहाँ कुछ शब्द हैं पर भाव की गहराइयाँ वो अब कहाँ फूलों भरी वो वादियाँ कलकल कहाँ झरनों की अब झूले कहाँ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 508 Share बसंत कुमार शर्मा 4 Dec 2016 · 1 min read दिल से जरा गुजरना साहब कष्टों से क्या डरना साहब रोज रोज क्या मरना साहब लगे हुए हम सब लाइन में इक दिन पार उतरना साहब पूजा पाठ भले मत करना पीर किसी की हरना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 643 Share बसंत कुमार शर्मा 29 Nov 2016 · 1 min read बूँद नयन से ढलकी कैसे बूँद नयन से ढलकी कैसे ऐसी हालत मन की कैसे तुझको याद न आई है तो आई मुझको हिचकी कैसे सौंप दिया था मैंने सब कुछ तेरी चाहत भटकी कैसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 358 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Dec 2016 · 1 min read नींदें उड़ाता कौन है चुपके’ चुपके रात में यूँ आता’ जाता कौन है रोज आकर स्वप्न में नींदें उड़ाता कौन है था मुझे विश्वास जिस पर दे वही धोखा गया आस फिर से इक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 245 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Nov 2016 · 1 min read झूठ के बीच पल न पाये हम झूठ के बीच पल न पाये हम साथ दुनिया के’ चल न पाये हम जी रहे लोग जिंदगी दुहरी रंग में उनके’ ढल न पाये हम प्रेम बंधन में बँध... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 279 Share बसंत कुमार शर्मा 21 Nov 2016 · 1 min read यूँ सूरज की शान बहुत है © बसंत कुमार शर्मा यूँ सूरज की शान बहुत है मगर दिए का मान बहुत है प्रेम हृदय में उपजाने को पल भर की पहचान बहुत है तपती धरती पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 381 Share Page 1 Next