Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2017 · 1 min read

हमें न पत्थरबाज चाहिए

होना सबका काज चाहिए,
हमको ऐसा राज चाहिए

जिसे फ़िक्र हो आम जनों की,
सर पर उसके ताज चाहिए

अन्दर बाहर सदा एक हो,
हमको वह आवाज चाहिए

नया मुकाम अगर है पाना,
एक अलग अंदाज चाहिए

भेदभाव हो नहीं जहाँ पर,
ऐसा हमें समाज चाहिए

छुपे हुए हैं जितने रुस्तम,
खुलने सबके राज चाहिए

सर्व धर्म समभाव रहे बस,
हमें न पत्थरबाज चाहिए

618 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शहीदों लाल सलाम
शहीदों लाल सलाम
नेताम आर सी
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
Shweta Soni
भुलक्कड़ मामा
भुलक्कड़ मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
शिक्षार्थी को एक संदेश🕊️🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गरीब की आरजू
गरीब की आरजू
Neeraj Agarwal
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
"सावधान"
Dr. Kishan tandon kranti
अस्ताचलगामी सूर्य
अस्ताचलगामी सूर्य
Mohan Pandey
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दर्द-ए-सितम
दर्द-ए-सितम
Dr. Sunita Singh
दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Fuzail Sardhanvi
समझौता
समझौता
Dr.Priya Soni Khare
चांद पे हमको
चांद पे हमको
Dr fauzia Naseem shad
मातृभाषा हिन्दी
मातृभाषा हिन्दी
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
Ranjeet kumar patre
2883.*पूर्णिका*
2883.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
अंध विश्वास एक ऐसा धुआं है जो बिना किसी आग के प्रकट होता है।
Rj Anand Prajapati
"होली है आई रे"
Rahul Singh
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
अगले 72 घण्टों के दौरान
अगले 72 घण्टों के दौरान
*Author प्रणय प्रभात*
उठ वक़्त के कपाल पर,
उठ वक़्त के कपाल पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आलाप
आलाप
Punam Pande
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
शेखर सिंह
मुस्कुराना चाहते हो
मुस्कुराना चाहते हो
surenderpal vaidya
क्यों ज़रूरी है स्कूटी !
क्यों ज़रूरी है स्कूटी !
Rakesh Bahanwal
रिश्ते की नियत
रिश्ते की नियत
पूर्वार्थ
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
हम इतने सभ्य है कि मत पूछो
ruby kumari
Loading...