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22 Mar 2017 · 1 min read

है समाज का दर्पन कविता

जीने का अवलंबन कविता
मेरे दिल की धड़कन कविता

कसी हुई है गति यति लय पर,
छंदों का अनुशासन कविता

भावों का कागज़ पर चित्रण,
शब्दों का है अंकन कविता

पायल की झंकार सुहानी
चूड़ी की है खन-खन कविता

विरह वेदना ख़ुशी मिलन की
पागल मन की उलझन कविता

कोयलिया का मधुर गीत है
और भ्रमर का गुंजन कविता

अमर प्रेम गाथा मोहन की
गीता का है दर्शन कविता

मानवता को सदा समर्पित
करे खलों का मर्दन कविता

जैसा है वैसा दिखलाती
है समाज का दर्पन कविता

1 Like · 248 Views
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