Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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सबका आज ज़मीर दिखाने
kumar ashok3
जुबां का ज़ायका आएगा गर दे दो हमें रविवार
kumar ashok3
हम भी कोई एलियन नहीं
kumar ashok3
सरहदों पर आया हूँ
kumar ashok3
वक़्त के पास भी वक़्त न रहा
kumar ashok3
हम पुलिस वालों का ये कैसा
kumar ashok3
क़लम कश्मीर की ज़ुबान होगी
kumar ashok3
जिंदगी जीने के सिर्फ़
kumar ashok3
उसका चाँद सा चेहरा
kumar ashok3
सड़े गले दहेज़ कानूनों की आड़ में
kumar ashok3
मेरी भटकती आत्मा को भी
kumar ashok3
कहाँ तू बिकेगा
kumar ashok3
आना शव यात्रा पर
kumar ashok3
तुझे क्यो दर्द नही तेरा इक खिलौना टूट जाने में
kumar ashok3
हो सके तो मेरे मन की
kumar ashok3
आकाश को अश्कों का पानी लगे
kumar ashok3
अश्क़ गीत बन कह रहे हालात
kumar ashok3
मेरे सपनों का अब रहा ये हिन्दुस्तान नहीं
kumar ashok3
यहाँ सड़के भी मिलती हो कातिलों के नाम पर
kumar ashok3
तेरी द्रौपदी को तो कृष्न
kumar ashok3
कान लगे होते है दीवारों में
kumar ashok3
चढ़कर न उतरी इश्क़ खुमारी
kumar ashok3
लोग बनते चमचे बीबी के
kumar ashok3
नहीं चल रही राजनीतिज्ञों की दुकान
kumar ashok3
रंग मेकशो का वही मिलेगा
kumar ashok3
क्या कहा ए दिल तूने
kumar ashok3
हमदर्द को मिला इश्क़
kumar ashok3
भेजते रहें कबूतर पर कबूतर हम
kumar ashok3
मेरा बिस्तर
kumar ashok3
अपनी डिक्शनरी से ही गायब रविवार
kumar ashok3
इश्क़ हो हमारे दरम्यां
kumar ashok3
बदरंग हुई फिजा
kumar ashok3
ग़ज़ल बेरंग जिंदगी
kumar ashok3