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11 Jan 2021 · 1 min read

हमदर्द को मिला इश्क़

आज भी ये बातें उसके मेरे दरम्यां है
सौ गिले शिक़वे उससे पर मेरी जाँ है

जिस दिन देखा था उसको थकी हुए
मेरी बाहोँ में उसके विश्राम को हाँ है

सोचता हूँ छूटहि के दिन भर सोचूं मैं
उसके ख्याल मेरे लिए हमेशा जवां है

याद है बचपन मे उसकी चोटी खींचना
हैरत इतनी अब भी वो इतनी मेहरबाँ है

हमारे इश्क़ की कहानी में दम है इतना
नए चेहरों में दम ढूँढो तो मिलता कहाँ है

मैं आफ़ताब बनकर रहा अँधेरे में उसके
गवाही लेलो उसका दिल ही मेरा मकां है

हमदर्द में इश्क़ मिला या विरासत में यारों
मुझे लगता नहीं ऐसे मै जमीं वो आसमाँ है

हमदर्द

1 Comment · 208 Views
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