Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jan 2021 · 1 min read

सड़े गले दहेज़ कानूनों की आड़ में

मैं भाई अगर उसकी साज़िशों का मारा नहीं होता
सच कहता हूँ हम दोनों में कोई बंटवारा नहीं होता

अच्छी नहीं लगती मां की आँखों में ये नमी मुझकों
जाकर कह दो उसको खून ये कभी खारा नहीं होता

अगर नहीं आती हम दोनों के बीच काली गुत वाली
समझ ले गर उनकी साजिशें ,दिल बेचारा नहीं होता

वो काली नागिन सी जुल्फ़े ले डसने को आती थी यूँ
सफ़ीना डोलने को भवरों में पर मुझे गंवारा नहीं होता

सड़े गले दहेज़ कानूनों की आड़ लेकर आई डायन वो
पर नहीं समझते मां बाप से ऐसे ही छुटकारा नहीं होता

अपने साये से मेरे हिस्से की धूप भी खाई जो उन्होंने
ना फैले नफ़रत घर में ये किस्सा क्यों दुबारा नहीं होता

सर्द रातें भी जलाती मुझकों इस क़दर क्या बतलाऊँ
नींद ग़मों से उम्र भी लेगई,बेबसी में इशारा नहीं होता

अशोक सपड़ा हमदर्द

209 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
निर्णय
निर्णय
Dr fauzia Naseem shad
चौपई /जयकारी छंद
चौपई /जयकारी छंद
Subhash Singhai
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
विकास का ढिंढोरा पीटने वाले ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
कवि रमेशराज
"अहमियत"
Dr. Kishan tandon kranti
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मुस्कान
मुस्कान
Neeraj Agarwal
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
गुमनाम 'बाबा'
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
అమ్మా తల్లి బతుకమ్మ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
मुझे मिले हैं जो रहमत उसी की वो जाने।
सत्य कुमार प्रेमी
2663.*पूर्णिका*
2663.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"" *समय धारा* ""
सुनीलानंद महंत
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Mamta Rani
अधूरा सफ़र
अधूरा सफ़र
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
सनातन सँस्कृति
सनातन सँस्कृति
Bodhisatva kastooriya
यह आखिरी खत है हमारा
यह आखिरी खत है हमारा
gurudeenverma198
गंदे-मैले वस्त्र से, मानव करता शर्म
गंदे-मैले वस्त्र से, मानव करता शर्म
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हम जितने ही सहज होगें,
हम जितने ही सहज होगें,
लक्ष्मी सिंह
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
बुंदेली मुकरियां
बुंदेली मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
*अपने बाल खींच कर रोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कभी मिलो...!!!
कभी मिलो...!!!
Kanchan Khanna
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
#अपनाएं_ये_हथकंडे...
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
शेखर सिंह
हममें आ जायेंगी बंदिशे
हममें आ जायेंगी बंदिशे
Pratibha Pandey
समय
समय
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
लेखन-शब्द कहां पहुंचे तो कहां ठहरें,
manjula chauhan
Loading...