कुमार अविनाश केसर 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कुमार अविनाश केसर 16 Mar 2022 · 1 min read तुझे जिया बूँद से - समुंद तक तुम- इतना फैले... कि सिमट नहीं पाए... किसी भी अंक में। इतना विस्तार.... कि अणु से ब्रह्मांड तक- सिलसिले में है यात्रा... अनंत तक!! पर....... Hindi · कविता 510 Share कुमार अविनाश केसर 27 Jan 2022 · 1 min read महफिल मिला ना कारवां हम तो अपनी हमसरी कुछ इस तरह ढूंढते रहे,आज तक अपना कहीं महफिल मिला, ना कारवां। या खुदा जब भी तुम्हारी याद दिल को छू गई, दिल के इशारे ने... Hindi · शेर 1 1 456 Share कुमार अविनाश केसर 20 Feb 2022 · 1 min read सूरज सूरज, तुम क्यों जलते हो इतना? कहाँ से आती है तुम्हारी ज्वाला? क्यों इतनी तपन है तुममें? कैसे उठाए फिरते हो इतना ताप? मैं जब भी महसूसता हूँ - तुम्हारी... Hindi · कविता 1 2 454 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read कलम उठाऊँ तो क्या लिखूँ कलम उठाऊँ, तो क्या लिखूँ? गीत लिखूँ या प्यार तुम्हारा! जलन तुम्हारी लिख डालूँ, या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की... Hindi · कविता 421 Share कुमार अविनाश केसर 18 Mar 2022 · 1 min read माथे पे मुहब्बत लिख दिया है जर्रे जर्रे से उठ आएँगी अब तो सदाएँ दरो दीवार पे हमने तेरा नाम लिख दिया है। सर तमन्नाओं के क़लम करके कागज़ पे मैंने हाले दिल अपना पैगाम लिख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 416 Share कुमार अविनाश केसर 9 Apr 2022 · 1 min read चाँद ने कहा चाँद ने एक दिन चाँदनी से कहा तुम जनम भर निभाओगी वादा करो। चाहे कोई भी हो मेरी मजबूरियाँ, साथ छोड़ोगी ना तुम ये वादा करो। चाँद ने एक दिन.....................।... Hindi · कविता 2 436 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read अब आती नहीं चिड़िया!!! अब चिड़िया आती नहीं मुंडेर पर! फड़फड़ाते नहीं पंख, सुबह को समेटकर- अब गाती नहीं चिड़िया.... अब आती नहीं चिड़िया... कौवे भी, अतिथि का संदेश लेकर नहीं आते.... कहां चली... Hindi · कविता 465 Share कुमार अविनाश केसर 26 Jan 2022 · 1 min read प्यार का गीत प्यार से हमको तुम यूं पुकारा करो, आंख में डाल आंखें दुलारा करो। कि रहे दूरियां न तेरे दिल से अब, ख्याल हर एक पल तुम हमारा करो। मेरे हृदय... Hindi · गीत 1 399 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read बसंत के गीत कहीं तीसी फुला गइल, कहीं मिसरी घुला गइल। इ बसंत आवत - आवत, हियरा जुड़ा गइल। लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल। कोइली विदेशी आके, सब डार -... Bhojpuri · गीत 1 404 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read हे दीपशिखे! हे दीपशिखे तुम सतत निरंतर इन अजस्र स्रोतों में बहती रहती हो, हे दीपशिखे! दुनिया की मधुरमयी धारा में नित स्रोतस्विनी होकर तुम, स्वतप्त पिघलती रहती हो, हे दीपशिखे! तू... Hindi · कविता 1 381 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read सो गया है आदमी जानवर भी है परेशाँ आदमी की फितरतों से, कौन जाने जानवर ही हो गया है आदमी! रास्ते पर चल रहा है मखमली चेहरा लिए वह, खुद ही खुद का पैरहन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 5 414 Share कुमार अविनाश केसर 12 Feb 2022 · 1 min read मेरा बचपन मेरा बचपन जब भी जाता गाँव, दौड़कर बचपन मेरा आता है. सुबक-सुबक भीगी आँखों से, मुझको गले लगाता है। वह छप्पर-छजनी का घर, मुझे अब भी वहीं बुलाता है। जाऊँ... Hindi · कविता 360 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read भँवरा बन बउराइल साजन रहिया उनकर देखत-देखत भर गइल अँखिया लोर। बटिया जोहत हियरा लचके जैसे बाँस मकोर।। भइल सजनिया चंदा मुखड़ा जैसे आँख चकोर, छटपट-छटपट जियरा तड़पे, चैन मिले ना थोड़। ए सखी,... Bhojpuri · कविता 1 389 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read स्त्री स्त्री , विशाल है- मन से.... संसार से.... अस्तित्व से....। पुरुष? प्रयासरत है... पकड़ने को... समेटने को... अपने अस्तित्व में। जिस दिन स्त्री सिमट जाएगी। विलय हो जाएगा- पुरुष। तिल-तिल...... Hindi · कविता 373 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read घर की देहरी पर टंगा दिन घर की देहरी पर टंगा दिन कहता है, साँझ हुई अब नादानों आराम करो। माँ निकली है, तुलसी चौरे, लेकर बाती! दीपक की लौ हिलकर कहती 'नाम' करो। Hindi · मुक्तक 360 Share कुमार अविनाश केसर 19 Feb 2022 · 1 min read आकाशदीप चाँद! आज तुम - बहुत सुंदर दिख रहे हो। जानते हो - कैसे? विचारों के घने बादलों के बीच, मन के आकाश पर, लुक-छिप करते, इशारों के अनकहेपन जैसे!! रुई... Hindi · कविता 345 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read अनपढ़ माँ लोग कहते थे कि तुम... पढ़ना लिखना नहीं जानती। बस, ढोर-पशुओं को... देख सकती थी... पाल सकती थी... खिला पिला सकती थी... माँ! तूने - मुझे..... कैसे लिख दिया!! सोचता... Hindi · कविता 353 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read तुमसे दूर जब जब दुनिया ने मुझे याद दिलाया मेरी चालाकी का अंदाज, मैं तुमसे दूर.. बहुत दूर... बहुत दूर होता गया। --- कुमार अविनाश केसर Hindi · मुक्तक 331 Share कुमार अविनाश केसर 18 Feb 2022 · 1 min read वर्षों बाद वर्षों बाद वर्षों बाद भी देखने पर आसमान औँधा ही दीख पड़ता है- नीलिया उजाले से पूता हुआ। बरसों बाद भी देखने पर चाँद ऊपर ही दिखता है- दूधिया हँसी... Hindi · कविता 1 311 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 6 min read महाभिनिष्क्रमण 1. .................रास्ते में राजकुमार ने देखा - एक दुबला-पतला,आँखों से क्षीण रोशनी वाला व्यक्ति...फटे-पुराने और गंदे कंबल ओढ़े, रास्ते के किनारे पड़ा है। मर गया या लेटा है! "बाबा" -... Hindi · कहानी 313 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ठीक नहीं हर ज़गह आईना हो जाना ठीक नहीं, रिश्तों को आज़माना ठीक नहीं। ठीक है कि कोई मुरव्वत नहीं होती, पर मौत का कोई बहाना ठीक नहीं। वह उठकर चला गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 341 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read कविता के आंसू आज कविता रोती है सिर पटक पटक कर! कितनों के अरमान ढह गए! कितनों के मंजिल जा छूटे! कितनों के शीशों के जैसे चनक चनक के दिल जा टूटे! दानवता... Hindi · कविता 2 1 294 Share कुमार अविनाश केसर 10 Feb 2022 · 1 min read वज़ूद बहुत देखा है, ज़माने के सितारों का कमाल ! सुबह होते ही जिनका कोई वजूद ना रहा। Hindi · शेर 2 292 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read तुम परिंदे हो तुम परिंदे हो, चाहे जहां उड़ लो, बसेरा धरती का कोना है! कर लो सैर दुनिया की, दफ़न मिट्टी में होना है!! Hindi · मुक्तक 1 284 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read भगवान का दर्द राम! तुम एक चरित्र हो, ग्रंथों से जटिल लेकिन उससे भी पवित्र हो। जैसा नाम, वैसा काम! लेकिन कोई न दे सका वैसा दाम। तुम्हारी मर्यादा ने तुम्हें ही छल... Hindi · कविता 279 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read हमको क्या सीखलाते हैं टिम टिम करते नभ के तारे, हमको क्या सीखलाते हैं? सूरज-चंदा दूर गगन से, हम को क्या सीखलाते हैं? प्यारी चिड़िया अपनी धुन में, बोलो क्या-क्या गाती है? न्यारी-सी फूलों... Hindi · कविता · बाल कविता 277 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 277 Share कुमार अविनाश केसर 8 Feb 2022 · 1 min read उनको सलाम! (लता जी के लिए ) जिंदगी को जिंदगी दे के गए जो इस जहाँ में, जिंदगी को रोशनी देकर गए उनको सलाम!! लाख तूफानों में रोशन ही रहे जिनके दीये, रोशनी बुझते हुए को दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 264 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read माँ शारदे हे जगतारिणी! वीणाधारिणी! जगजननी माँ शारदे! तू जग को तार दे! ये जग अंधेरे से घिरा है! आदमी पद से कितना गिरा है! सबको ज्ञान का सार दे! माँ शारदे!... Hindi · गीत 1 255 Share कुमार अविनाश केसर 30 Mar 2022 · 1 min read भुलाने क्यों नहीं देते तुम्हें मैं भूलना चाहूँ, भुलाने क्यों नहीं देते। वो मंजर दिल तड़पने का, भुलाने क्यों नहीं देते! खामोशी लब पे आ जाए तो जीना हो बहुत मुश्किल पुरानी बात को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 263 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ज़ुबान से फिर गया नज़र के सामने कोई सितारा टिमटिमाया इस शहर के सामने, परछाइयों से कोई गुज़र गया नज़र के सामने। मैं दीप जला के बैठा ही था अंधेरे में कल यहाँ, कोई साये सा गुज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 253 Share कुमार अविनाश केसर 8 Feb 2022 · 1 min read दर्द के बहाने न देख इस बेदर्द जमाने के चलते-फिरते ताने न देख! दिल के ज़ज्बातों के आगे होंठ के गाने न देख!! डूब के, दरियाव के मौजों में पलते जाले न देख! दिल में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 228 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read शख्शियत माना कि खूबसूरत होता है गुलाब चमन में यारों. बहार - ए - गुलशन में वही खुदा तो नहीं होता! Hindi · शेर 263 Share कुमार अविनाश केसर 1 Apr 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... Hindi · कविता 225 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read तेरे ख़्वाब में मैं तेरे नक्शे कदम यूं चल नहीं सकता, तुम्हारी आदतों में इस कदर मैं ढल नहीं सकता, मुझे मज़बूर इतना भी नहीं करना कभी 'केसर', तेरे ख़्वाब में अब फिर... Hindi · शेर 1 210 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पाँच साल बाद तुम कहाँ रहते हो ? इतने दिन! पाँच साल लंबे दिन ! पाँच साल लंबी रातें! किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वादों के... Hindi · कविता 212 Share कुमार अविनाश केसर 27 Jan 2022 · 1 min read एक ही मुकाम मेघ हुआ, घास भीगी, कास भींगे, दुपहरी उदास भींगी, बुढ़िया उदास भींगी, मिट्टी का प्यार भीगा, मन का कुछ भार भीगा, पत्ती फूल फल भीगे, चित के सब मल भीगे।... Hindi · कविता 1 218 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read बुद्धत्व बुद्ध आये , मुस्कुराए और अंगुलिमाल हार गया। बुद्ध, हमेशा- आता है, मुस्कुराता है और अंगुलिमाल हार जाता है। नहीं, नहीं! बुद्ध नहीं आता! बुद्ध नहीं मुस्कुराता!! अंगुलिमाल नहीं हारता!!!... Hindi · कविता 214 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read होली होली तुम ने खोली- मन की गठरी। राग रंग में हंसी ठिठोली। पत्तों-पत्तों, कली-फूल में घुल मिल गई - वासंती बोली। कोयल बोली - आई होली! मन में है उल्लास... Hindi · कविता 209 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read नींद ना आती तो आँचल ओढ़ा देती माँ! नींद ना आती तो आँचल ओढ़ा देती माँ, भूख लगती तो सागर लुटा देती माँ, पता नहीं, बटुए में कैसे निकल आते थे दो चार रुपए! एक माँगूँ तो दो... Hindi · मुक्तक 2 216 Share कुमार अविनाश केसर 13 Mar 2022 · 1 min read सब धरा रह जाएगा इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जायेगा। Hindi · कोटेशन 200 Share कुमार अविनाश केसर 3 Feb 2022 · 1 min read बगरो बसंत है सुमन प्रभात का खिला, गगन धरा से जा मिला, ज्योति किरण फुट पड़ी, हिलती कमरिया गगरिया से बोलती - जलभर.... जलभर.... मनभर.... मनभर.... नित्य प्रति भोर में मुर्गा है बाँगता।... Hindi · कविता 1 248 Share कुमार अविनाश केसर 29 Jan 2022 · 1 min read तेरी याद सीने में है तेरे जाने का ग़म अबतक मेरे सीने में है। तेरा वो खुद्दार सितम अबतक मेरे जीने में है, रफ्ता-रफ्ता तेरी साँसों-सी महकने लगी है। तेरी निगाहों की वो जलती-सी तन्हाइयाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 196 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read टूटा हुआ तारा हूँ नसीब मुझको, मेरे घर का उजाला ना हुआ, चलता हुआ बंजारा हूँ कहाँ जाऊँ मैं! तुम्हें चमन की खुशबुएँ हो मुबारक, उजड़ा हुआ दयारा हूँ, कहाँ जाऊँ मैं! जलाए रखा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 210 Share कुमार अविनाश केसर 26 Jan 2022 · 2 min read लौटो गांधी आओ, फिर से धरती पर उग आओ गांधी। फिर से भारत मांग रहा है तेरी एक कुर्बानी, कर्म तुम्हारा याद रखेगा भारतवर्ष जुबानी, मार्ग दिखाता सत्य तुम्हारा हरदिल है बलिदानी,... Hindi · कविता 1 200 Share कुमार अविनाश केसर 31 Jan 2022 · 1 min read भरम कुछ भरम पाल रखे हैं, टूट जाएँ तो अच्छा है। अपने पराये पाल रखे हैं, छूट जाएँ तो अच्छा है। जिन्हें तुम्हारी परवाह नहीं 'केसर' वे कभी कभी रूठ जाएँ... Hindi · शेर 2 2 186 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read स्वेच्छा ये दर्द तुम्हारा है, जिसको मन हो,दे देना। सपने तिरते आँखों के, बस, मुझको ही दे देना। Hindi · मुक्तक 186 Share कुमार अविनाश केसर 12 Apr 2022 · 1 min read झूठ बताकर झूठ बताकर उसने मुझको रुसवा कर दिया, ऊँची ऊँची नाक से कायम रुतबा कर दिया। झाँक के मैंने गिरेबान में उसके जब देखा, क़ौम का देकर वास्ता जारी फतवा कर... Hindi · मुक्तक 218 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read तुम मेरी तन्हाई रख लो तुम मेरी तन्हाई रख लो मैं तेरी रुसवाई रख लूँ। तुम वफ़ा हमारी रख लो, मैं तेरी बेवफाई रख लूँ। Hindi · मुक्तक 186 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read क्या लिखूंँ जलन तुम्हारी लिख डालूँ या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की मुस्कान लिखूँ या मन के डर का तार तुम्हारा! कहो... Hindi · मुक्तक 1 197 Share Page 1 Next