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20 Feb 2022 · 1 min read

सूरज

सूरज,
तुम क्यों जलते हो इतना?
कहाँ से आती है तुम्हारी ज्वाला?
क्यों इतनी तपन है तुममें?
कैसे उठाए फिरते हो इतना ताप?
मैं जब भी महसूसता हूँ –
तुम्हारी तड़प!
उत्तप्त हो उठता है –
मेरा रोम-रोम!!
आखिर,
तुम्हें किसने जलाया होगा-
प्रथम बार!!!
मैं सोचता हूँ –
एक बार जलने में,
असंख्य अग्निशिखाएँ…
अनंत तापपूँज….
एक साssssथ!प्रज्वलित हो उठे होंगे.
तब तुम जले होगे!!!!
जलना आसान नहीं है,
नहीं तो तुम सूरज न होते।
हर कोई सूरज नहीं होता।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 447 Views
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