कुमार अविनाश केसर 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read सो गया है आदमी जानवर भी है परेशाँ आदमी की फितरतों से, कौन जाने जानवर ही हो गया है आदमी! रास्ते पर चल रहा है मखमली चेहरा लिए वह, खुद ही खुद का पैरहन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 5 402 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 273 Share कुमार अविनाश केसर 10 Feb 2022 · 1 min read वज़ूद बहुत देखा है, ज़माने के सितारों का कमाल ! सुबह होते ही जिनका कोई वजूद ना रहा। Hindi · शेर 2 292 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read कविता के आंसू आज कविता रोती है सिर पटक पटक कर! कितनों के अरमान ढह गए! कितनों के मंजिल जा छूटे! कितनों के शीशों के जैसे चनक चनक के दिल जा टूटे! दानवता... Hindi · कविता 2 1 292 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read नींद ना आती तो आँचल ओढ़ा देती माँ! नींद ना आती तो आँचल ओढ़ा देती माँ, भूख लगती तो सागर लुटा देती माँ, पता नहीं, बटुए में कैसे निकल आते थे दो चार रुपए! एक माँगूँ तो दो... Hindi · मुक्तक 2 211 Share कुमार अविनाश केसर 31 Jan 2022 · 1 min read भरम कुछ भरम पाल रखे हैं, टूट जाएँ तो अच्छा है। अपने पराये पाल रखे हैं, छूट जाएँ तो अच्छा है। जिन्हें तुम्हारी परवाह नहीं 'केसर' वे कभी कभी रूठ जाएँ... Hindi · शेर 2 2 183 Share कुमार अविनाश केसर 8 Apr 2022 · 1 min read निशानी छोड़ जायेंगे चले हैं ज़िन्दगी में हम दीया एक प्यार का लेकर उजाले अपनी यादों के कहीं तो छोड़ जाएंगे। तुम अपनी राह पे चलना, हम अपनी राह चलते हैं. निशानी पाँव... Hindi · मुक्तक 1 152 Share कुमार अविनाश केसर 11 Feb 2022 · 1 min read प्रश्न तुम कहाँ रहते हो ? इतने दिन! पाँच साल लंबे दिन ! पाँच साल लंबी रातें! किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वादों के... Hindi · कविता 1 155 Share कुमार अविनाश केसर 18 Feb 2022 · 1 min read वर्षों बाद वर्षों बाद वर्षों बाद भी देखने पर आसमान औँधा ही दीख पड़ता है- नीलिया उजाले से पूता हुआ। बरसों बाद भी देखने पर चाँद ऊपर ही दिखता है- दूधिया हँसी... Hindi · कविता 1 310 Share कुमार अविनाश केसर 18 Feb 2022 · 1 min read ज़िन्दगी मैंने तुम से चाहा था गगन भर प्यार! यह कैसी किस्मत की मार!! तूने मुझसे ही ठान दी रार!! कहां तो चाहा था- आसमान के कैनवास पर, बिखरे रंगों के... Hindi · कविता 1 165 Share कुमार अविनाश केसर 20 Feb 2022 · 1 min read सूरज सूरज, तुम क्यों जलते हो इतना? कहाँ से आती है तुम्हारी ज्वाला? क्यों इतनी तपन है तुममें? कैसे उठाए फिरते हो इतना ताप? मैं जब भी महसूसता हूँ - तुम्हारी... Hindi · कविता 1 2 452 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ज़ुबान से फिर गया नज़र के सामने कोई सितारा टिमटिमाया इस शहर के सामने, परछाइयों से कोई गुज़र गया नज़र के सामने। मैं दीप जला के बैठा ही था अंधेरे में कल यहाँ, कोई साये सा गुज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 249 Share कुमार अविनाश केसर 10 Feb 2022 · 1 min read एक दीया अपने लिए ये खामोश, काली रातें, क्यों घूरती हैं मुझको! एक नन्हा -सा दीया तो हमने अपने लिए जलाया था। Hindi · शेर 1 159 Share कुमार अविनाश केसर 31 Mar 2022 · 1 min read अदावत में मेरे हमदम तड़पता छोड़ जाते हो चले जाते हो मुड़कर तुम, तड़पता छोड़ देते हो। तम्मनाओं को मेरे तुम, तड़पता छोड़ जाते हो। अधूरे ख़्वाब हैं मेरे, ज़मीं पे ही सरकते हैं। ख़्वाबों में भी तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 136 Share कुमार अविनाश केसर 30 Mar 2022 · 1 min read भुलाने क्यों नहीं देते तुम्हें मैं भूलना चाहूँ, भुलाने क्यों नहीं देते। वो मंजर दिल तड़पने का, भुलाने क्यों नहीं देते! खामोशी लब पे आ जाए तो जीना हो बहुत मुश्किल पुरानी बात को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 260 Share कुमार अविनाश केसर 18 Mar 2022 · 1 min read माथे पे मुहब्बत लिख दिया है जर्रे जर्रे से उठ आएँगी अब तो सदाएँ दरो दीवार पे हमने तेरा नाम लिख दिया है। सर तमन्नाओं के क़लम करके कागज़ पे मैंने हाले दिल अपना पैगाम लिख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 409 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read भँवरा बन बउराइल साजन रहिया उनकर देखत-देखत भर गइल अँखिया लोर। बटिया जोहत हियरा लचके जैसे बाँस मकोर।। भइल सजनिया चंदा मुखड़ा जैसे आँख चकोर, छटपट-छटपट जियरा तड़पे, चैन मिले ना थोड़। ए सखी,... Bhojpuri · कविता 1 379 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read जनता ज़िंदाबाद हो गईल!! जनता ज़िंदा लाश हो गईल, घोड़वन स के घास हो गईल. जिनगी सब के झंड बनल बा, नेतवन के घमंड चढ़ल बा. जनधन योजना सबकर घर के धनवा धो गईल.... Bhojpuri · कविता 1 207 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read बसंत के गीत कहीं तीसी फुला गइल, कहीं मिसरी घुला गइल। इ बसंत आवत - आवत, हियरा जुड़ा गइल। लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल। कोइली विदेशी आके, सब डार -... Bhojpuri · गीत 1 401 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read कैनवास में माँ का चेहरा कल रात... किसी ने... खटखटाया द्वार! अनमने... ऊँघते... डगमगाते... खोल दिए.. मैंने - द्वार! बहुत देर तक.. कोई न झाँका!! देखा मैंने - मैंने ही देखा द्वार पार! बचपन खड़ा... Hindi · कविता 1 1 174 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read टूटा हुआ तारा हूँ नसीब मुझको, मेरे घर का उजाला ना हुआ, चलता हुआ बंजारा हूँ कहाँ जाऊँ मैं! तुम्हें चमन की खुशबुएँ हो मुबारक, उजड़ा हुआ दयारा हूँ, कहाँ जाऊँ मैं! जलाए रखा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 206 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read तेरे ख़्वाब में मैं तेरे नक्शे कदम यूं चल नहीं सकता, तुम्हारी आदतों में इस कदर मैं ढल नहीं सकता, मुझे मज़बूर इतना भी नहीं करना कभी 'केसर', तेरे ख़्वाब में अब फिर... Hindi · शेर 1 206 Share कुमार अविनाश केसर 26 Jan 2022 · 1 min read प्यार का गीत प्यार से हमको तुम यूं पुकारा करो, आंख में डाल आंखें दुलारा करो। कि रहे दूरियां न तेरे दिल से अब, ख्याल हर एक पल तुम हमारा करो। मेरे हृदय... Hindi · गीत 1 391 Share कुमार अविनाश केसर 27 Jan 2022 · 1 min read एक ही मुकाम मेघ हुआ, घास भीगी, कास भींगे, दुपहरी उदास भींगी, बुढ़िया उदास भींगी, मिट्टी का प्यार भीगा, मन का कुछ भार भीगा, पत्ती फूल फल भीगे, चित के सब मल भीगे।... Hindi · कविता 1 216 Share कुमार अविनाश केसर 27 Jan 2022 · 1 min read महफिल मिला ना कारवां हम तो अपनी हमसरी कुछ इस तरह ढूंढते रहे,आज तक अपना कहीं महफिल मिला, ना कारवां। या खुदा जब भी तुम्हारी याद दिल को छू गई, दिल के इशारे ने... Hindi · शेर 1 1 454 Share कुमार अविनाश केसर 28 Jan 2022 · 1 min read जनता ज़िंदाबाद हो गईल जनता ज़िंदा लाश हो गईल, घोड़वन स के घास हो गईल. जिनगी सब के झंड बनल बा, नेतवन के घमंड चढ़ल बा. जनधन योजना सबकर घर के धनवा धो गईल.... Hindi · कविता 1 175 Share कुमार अविनाश केसर 29 Jan 2022 · 1 min read तेरी याद सीने में है तेरे जाने का ग़म अबतक मेरे सीने में है। तेरा वो खुद्दार सितम अबतक मेरे जीने में है, रफ्ता-रफ्ता तेरी साँसों-सी महकने लगी है। तेरी निगाहों की वो जलती-सी तन्हाइयाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 192 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read हे दीपशिखे! हे दीपशिखे तुम सतत निरंतर इन अजस्र स्रोतों में बहती रहती हो, हे दीपशिखे! दुनिया की मधुरमयी धारा में नित स्रोतस्विनी होकर तुम, स्वतप्त पिघलती रहती हो, हे दीपशिखे! तू... Hindi · कविता 1 379 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read लोग ये जो सड़कों पर चलते हैं हाथ हिलाते हुए लोग, महफ़िलों में बेवज़ह, बेदिल हाथ मिलाते हुए लोग, अनजाने, अनसुलझे, बेदम, बेगाने, दीवाने लोग, कौन जाने कहाँ रुकेंगे ये रिश्तों... Hindi · मुक्तक 1 143 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read शर्तों पर ज़िन्दगी आग सुलगती रहे तो ठीक है, ज़ज़्बात उफनते रहें तो ठीक है, जिंदगी का क्या ठिकाना! या रब! शर्तों पर ही सही, चलती रहे तो ठीक है!! Hindi · मुक्तक 1 144 Share कुमार अविनाश केसर 30 Jan 2022 · 1 min read तुम परिंदे हो तुम परिंदे हो, चाहे जहां उड़ लो, बसेरा धरती का कोना है! कर लो सैर दुनिया की, दफ़न मिट्टी में होना है!! Hindi · मुक्तक 1 280 Share कुमार अविनाश केसर 1 Feb 2022 · 1 min read माहताब भी कत्लेआम कर जाएगा! तुम रोज इसमें इस तरह झाँका ना करो, ये आइना है टूट कर बिखर जाएगा। लबों पे अपने दर्द की हिचकियाँ न लाना कभी, सुन के मंजर ये सारा दहल... Hindi · शेर 1 156 Share कुमार अविनाश केसर 3 Feb 2022 · 1 min read बगरो बसंत है सुमन प्रभात का खिला, गगन धरा से जा मिला, ज्योति किरण फुट पड़ी, हिलती कमरिया गगरिया से बोलती - जलभर.... जलभर.... मनभर.... मनभर.... नित्य प्रति भोर में मुर्गा है बाँगता।... Hindi · कविता 1 236 Share कुमार अविनाश केसर 26 Jan 2022 · 2 min read लौटो गांधी आओ, फिर से धरती पर उग आओ गांधी। फिर से भारत मांग रहा है तेरी एक कुर्बानी, कर्म तुम्हारा याद रखेगा भारतवर्ष जुबानी, मार्ग दिखाता सत्य तुम्हारा हरदिल है बलिदानी,... Hindi · कविता 1 195 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read माँ शारदे हे जगतारिणी! वीणाधारिणी! जगजननी माँ शारदे! तू जग को तार दे! ये जग अंधेरे से घिरा है! आदमी पद से कितना गिरा है! सबको ज्ञान का सार दे! माँ शारदे!... Hindi · गीत 1 252 Share कुमार अविनाश केसर 2 Sep 2022 · 1 min read अक्षर बीज अक्षर बीज ======== विचार! ज्यों बहती नदी सधार! पत्थरों के पंख पर- चढ़ दौड़ी जैसे नदी! अक्षुण्ण! अजस्र!! वेगवती!!! वाक्य! हिलते-डुलते शब्दों का गठबंधन! तह पर तह ढाली गई नींव!... Hindi 1 131 Share कुमार अविनाश केसर 28 Dec 2022 · 1 min read मेरी सिरजनहार अजस्र! तुम सृजन से कोमल, प्रलय से कठोर, अतृप्त छोर! कौन है तुल्य? तेरा अतुल्य! 'यस्याः पतरम् नास्ति' परातीता! अब कौन 'अस्ति'? कौन 'नास्ति'? तरु-तृण के तुहीन-कणों से- तरल! स्रोतस्वी... Hindi 207 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पाँच साल बाद तुम कहाँ रहते हो ? इतने दिन! पाँच साल लंबे दिन ! पाँच साल लंबी रातें! किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वादों के... Hindi · कविता 210 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ठीक नहीं हर ज़गह आईना हो जाना ठीक नहीं, रिश्तों को आज़माना ठीक नहीं। ठीक है कि कोई मुरव्वत नहीं होती, पर मौत का कोई बहाना ठीक नहीं। वह उठकर चला गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 335 Share कुमार अविनाश केसर 28 Aug 2022 · 1 min read ये जो बारिश है अभी हुआ मेघ- धारासार... मूसलाधार... लगा - जैसे- छिद गया हो.... एक बड़ा- सा.. बहुत बड़ा- सा... गुब्बारा! जैसे - पानी से भरे... किसी बड़े से..... धूसर पॉलिथीन की.... पेंदी... Hindi 170 Share कुमार अविनाश केसर 2 Sep 2022 · 1 min read कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ =================== जलता है संसार! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? मानवता की हार ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? होठों पर चित्कार,हाय! आँखों... Hindi 225 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read भगवान का दर्द राम! तुम एक चरित्र हो, ग्रंथों से जटिल लेकिन उससे भी पवित्र हो। जैसा नाम, वैसा काम! लेकिन कोई न दे सका वैसा दाम। तुम्हारी मर्यादा ने तुम्हें ही छल... Hindi · कविता 277 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read शब्द और भाव शब्द- तुम तक.... नहीं पहुंचे। जब भी... उठे दर्द! कहीं भीतर से। आवाज पहुँची.... शब्द नहीं पहुंचे!! जब कभी... नाच उठा... मयूर मन। खिल उठे... दिग दिगंत... मन प्राण गूंज... Hindi · कविता 154 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read स्त्री स्त्री , विशाल है- मन से.... संसार से.... अस्तित्व से....। पुरुष? प्रयासरत है... पकड़ने को... समेटने को... अपने अस्तित्व में। जिस दिन स्त्री सिमट जाएगी। विलय हो जाएगा- पुरुष। तिल-तिल...... Hindi · कविता 370 Share कुमार अविनाश केसर 1 Apr 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... Hindi · कविता 221 Share कुमार अविनाश केसर 5 Apr 2022 · 1 min read प्रेम ने कहा प्रेम ने एक दिन मुझसे ऐसा कहा, उम्र चाहत की मुझको बड़ी चाहिए। ज़िन्दगी की अनुभूति मुझसे मिली, दिल की दौलत हमें हर घड़ी चाहिए। Hindi · मुक्तक 143 Share कुमार अविनाश केसर 6 Apr 2022 · 1 min read प्रेम में मिलन प्रेम में मन मिले, तन मिले न मिले, मन मगन हो झूमेगा घड़ी हर घड़ी। साथ दिल का मिले गर भरी ज़िन्दगी, धड़कनें गुनगुनाएँ घड़ी दर घड़ी। फूल के पराग... Hindi · मुक्तक 158 Share कुमार अविनाश केसर 7 Apr 2022 · 1 min read तुम्हारा सच भले पुतवा दो दीवारें, हज़ारों रंग रोगन से, ईंटें चीख के कहतीं, मकाँ का दर्द क्या-क्या है! माना तुम छिपाने में बहुत माहिर भी हो लेकिन ये ऑंखें बोल देती... Hindi · कविता 122 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read बेटियों के प्रति बेटियों के प्रति मैं, कैसे भूल जाऊँ कि तुमने उड़ेल रखे थे - दर्द! अपने सारे। हथेली पर रक्खे नमक की तरह। जो अब चू रहे हैं - नमकीन पानी... Hindi · कविता 177 Share कुमार अविनाश केसर 9 Apr 2022 · 1 min read चाँद ने कहा चाँद ने एक दिन चाँदनी से कहा तुम जनम भर निभाओगी वादा करो। चाहे कोई भी हो मेरी मजबूरियाँ, साथ छोड़ोगी ना तुम ये वादा करो। चाँद ने एक दिन.....................।... Hindi · कविता 2 434 Share Page 1 Next