सोनू हंस Language: Hindi 114 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next सोनू हंस 30 Oct 2021 · 2 min read दिवाली लोग खुशियाँ मना रहे हैं। मंगल गीत गा रहे हैं। शायद वे कोई उत्सव मना रहे हैं। खैर छोडो़ मुझे क्या! मुझे तो अपनी तलाश पूरी करनी है। यह सोचता... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 329 Share सोनू हंस 25 Sep 2021 · 1 min read उद्वेलित कामनाओं के साथ चंचल मन की उमंगों के साथ, तिरोहित होती तरंगों के साथ; उद्वेलित औ' उद्वेगित कामनाओं के साथ, भय से भीति संवेदनाओं के साथ; ताडि़त कल्पनाओं की उडा़नों के साथ; फिर... Hindi · कविता 360 Share सोनू हंस 9 Aug 2021 · 2 min read वीर बर्बरीक बज चुकी थी रणभेरी कौरवों अरु पांडवों की, मानो सज चुकी थी सेनाएँ देवों और दानवों की। कारक युद्ध के अनेक थे राज्य की लालसा या प्रतिशोध की भावना, ईश... Hindi · कविता 2 2 720 Share सोनू हंस 6 Aug 2021 · 1 min read देखो जग सारा जागा है उषा की आहट पाकर तिमिर डरकर भागा है तुम भी जागो हे मनुज देखो जग सारा जागा है अठखेली करती दिनकर किरणें पोखर में संग वारि के देखो कमल नयन... Hindi · कविता 2 405 Share सोनू हंस 2 Jul 2021 · 1 min read मिलन देखो..... तुम चले आना.. थोड़ा सा समय निकालकर बहुत सी बातों को बाँटना हैं तुमसे और बहुत सी यादों को सहेजकर रखना है तुम्हें याद है न जब हम पहली... Hindi · कविता 417 Share सोनू हंस 2 Jul 2021 · 23 min read कुसुमकली आज कुसुम को क्वारंटाइन हुए तेरह दिन बीत गए थे! अपने संपूर्ण परिश्रमी जीवन की अंतिम थकान के उसके माथे पर छलक आए श्रम-बिंदु और पूरे जीवन भर हृदय की... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 3 566 Share सोनू हंस 1 Jul 2021 · 11 min read अहसास बारिश मूसलाधार थी पर राजसिंह के कदम शहर की ओर तेजी से बढ़ रहे थे। काले दैत्य-मेघों की गड़गड़ाहट दिल में दहशत पैदा करती थी परंतु राजसिंह मानो इन सबसे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 3 296 Share सोनू हंस 1 Jul 2021 · 5 min read मेरा कसूर क्या था...? मैं अपनी जननी की कोख में अपने अधपके शरीर के साथ इस जगत को देखने के सुंदर सपनों में अकसर खो जाती थी। कैसा होगा वो संसार! शायद मेरे सपनों... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 3 451 Share सोनू हंस 1 Jul 2021 · 2 min read प्रायश्चित्त भास्कर ने उषा के साथ आँखें खोली ही थी कि चिडि़यों की चहचहाहट ने सम्राट अशोक को नींद से जगा दिया। "बस एक और विजय, और फिर समस्त आर्यावर्त मेरा... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 3 306 Share सोनू हंस 6 Mar 2018 · 1 min read माँ तो माँ होती है माँ तो माँ होती है अपने शिशुओं के लिए अपना वजूद खोती है क्योंकि . . . . . माँ तो माँ होती है ढाँप लेती है माँ अपनी संतति... Hindi · कविता 544 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 1 min read वो धुंधली आकृतियाँ एक धुंधली सी आकृति मन के अवचेतन कोने को छूकर निकल गई और.... चेतन मन की चैतन्यता पानी भरती सी रह गई उन विस्मित करती विस्मृत यादों को सहेजना असंभव... Hindi · कविता 325 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 1 min read मैं मुझे ढूँढता सा रहा मेरा 'मैं' और मैं कहीं कोेने में स्वयं को तलाशने में लगा रहा सिमटते देह के बिंदुओं को मेरी परछाइयाँ भी न लक्षित कर सकीं अस्तित्व... Hindi · कविता 270 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 1 min read ओ नंद जसोदा ललना. . . . ओ नंद जसोदा ललना, दीवाने आ गए हैं। तेरी ब्रज गली में आके, कुछ तो पा गए हैं॥ मेरी चाहतों के मालिक, तेरे इंतज़ार में हूँ; मेरी जिंदगी बना दे,... Hindi · कविता 588 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 1 min read समय की रेत सरकने तो दो इन समय के दरवाजों को देखना सब भेद खुल जाएँगे आज जो इन दरकती रेतों पर अपने निशां छोड़ बैठे हैं कल इन्हें तलाशने वे हाँफते चले... Hindi · कविता 410 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 1 min read नीलकंठ पी लिया जब कालकूट महेश भोलेनाथ ने, दुष्ट गरल कुछ इस तरह से शेखियाँ बघारने लगा। मेरे स्पर्श मात्र से ये धरा भी जलने लगे, भयहारी को भय दिखा वो... Hindi · कविता 414 Share सोनू हंस 27 Feb 2018 · 2 min read आ रही हो न देखो. . . . . सुनो न अब और न रुलाना मुझे आँखों के तलाव अब सूख चुके हैं इनकी बहने की क्षमता निम्न हो गई है पर तुम्हारा ये... Hindi · कविता 481 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read गीता श्लोक देहिनोअस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवन जरा। तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति॥ श्री० गीता, अ०-२, श्लोक- १३ ॥काव्यानुवाद॥ रे पार्थ, जब ये जीवात्मा देह धारण करे, बाल, युवा, वृद्ध की अवस्था का वो... Hindi · कविता 504 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read ये रातें ये रातें..... अब मेरे लिए, दहशत का पर्याय लगती हैं, तेरे न होने से, ये काट खाने को दौड़ती हैँ; और वो पूनम का चाँद भी, अब बासी लगता है... Hindi · कविता 325 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read रंगीला फागुन रंगीला फागुन आ गयो, री सखी! फागुन आ गयो; मोरा जिया रा यूँ हरसा गयो... री सखी! फागुन आ गयो। चलै है बयार घुली-घुली जाए रंग जू, चलूँ सूँ मटकती... Hindi · कविता 492 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read महाशिव प्रार्थना #ॐ नम: शिवाय# महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान् शिव को समर्पित मेरी ये रचना- हे कल्याण स्वरूप शिव जी, माया अधीश महेश्वर जी। शंभु आनंद दो मन मेरे, कर... Hindi · कविता 300 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read शहरी व ग्रामीण जीवन मैं ग्राम का हूँ मैं शहर में भी हूँ अधिक दूर नहीं मैं ग्राम से औ' शहर से ग्राम जिन्दगी मनभावन है वो बचपन जो बीता है मेरा ग्राम में... Hindi · कविता 759 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read मुझे बेवफा न समझ मुझे बेवफा न समझ, सितारों की तरह हर बार टूटता रहा हूँ आखिर यूँ कब तक टूटता रहूँगा एक दिन अपना वजूद खो दूँगा मिल जाऊँगा मैं भी इस जमीं... Hindi · कविता 412 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read प्रायश्चित भास्कर ने उषा के साथ आँखें खोली ही थी कि चिडि़यों की चहचहाहट ने सम्राट अशोक को नींद से जगा दिया। "बस एक और विजय, और फिर समस्त आर्यावर्त मेरा... Hindi · लघु कथा 518 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read नीड़ का मोह एक पंछी को अपने कुछ कार्यों की निष्पत्ति के लिए किसी आश्रय की आवश्यकता थी। अचानक एक घने वृक्ष पर उसे एक नीड़ दिखाई दिया। उसने उसे अपना आश्रय बना... Hindi · लघु कथा 877 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read अक्स एक अक्स है जो, रातों की मेरी परवाह करता है; मुझमें समाहित सा मुझमें साँसे भरता रहता है जिन्दगी जो कभी कारगर नहीं हुई संघर्षों में मगर वो रहा साथ... Hindi · कविता 445 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read वो बात अब नहीं जमाने में वो बात नहीं अब जमाने में, जो कभी हुआ करती थी; वो हवाएँ अब नहीं चलती, जो कभी चला करती थी। जिंदगी मसरूफ थी तो क्या हुआ, दिलो में प्यार... Hindi · कविता 275 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read अरे मूढ़ मन अरे मूढ़ मन! इतना हठी न बन ऐसी चंचलता भी ठीक नहीं व्यर्थ क्यूँ सामर्थ्य का दहन करता है कभी कंदराओं में कभी अट्टालिकाओं पर कभी कलकल बहती सरित् की... Hindi · कविता 2 557 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read मैं.... इंतजार में हूँ प्रिये मैं..... इंतजार में हूँ प्रिय तुमने वादा किया था जो आने का कि मैं आऊँगी और सराबोर कर दूँगी तुम्हें अपने प्यार के सुनहरे रंगों से मगर कितने फागुन आए... Hindi · कविता 241 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read नारी शक्ति जागो क्यूँ हवस का सामान समझी जाती हैं नारियाँ! क्यूँ भोग्या की दृष्टि से देखी जाती हैं नारियाँ! क्यूँ दाग ये लगता है पुरुष समाज पर! क्यूँ पुरुष प्रधान समाज का... Hindi · कविता 353 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read भूलें नजर आज सब कुछ मुझे आ रहा है, कोई मुझसे यूँ जुदा हुए जा रहा है; उम्र थी जब न कुछ सोच पाया, जिसे खोजना था न खोज पाया। क्यूँ... Hindi · कविता 598 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read मेरे श्याम मुझे साथ अपने ले चल, मेरे श्याम.... साँवरे..... रहता है तू जहाँ पर मेरे श्याम..... साँवरे..... वो डारियाँ कदंब की, तेरा साथ मेरे होना; मेरे सामने रहे ये, तेरा रूप... Hindi · कविता 318 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read किस्मत ए रंज इस मद्धिम रोशनी में कोई पिघल रहा है अपने आगोश में ही कोई जल रहा है हमें खामोशियों को मगर साथ रखना है वजूद को जिंदा जिंदगी के बाद भी... Hindi · कविता 327 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read प्लास्टर प्लास्टर........ अजीब चीज है न पर काम की है हाथ टूट जाए तो प्लास्टर पैर टूट जाए तो प्लास्टर कुछ भी टूट जाए तो प्लास्टर बड़े अजीब हैं न ये... Hindi · कविता 1 1 460 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 2 min read पुष्प और अलि एक उपवन में यूँ खिली एक इठलाती कली, देख उसको पास में जा पहुँचा आवारा अलि। मुसका उठा वो उस प्यारी कली को देखकर, रोज उसको देखने आता वो झूम-झूमकर।... Hindi · कविता 467 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read अ मेरी कलम जानता हूँ तुझसा श्रेष्ठ, मेरे लिए कोई नहीं। अ 'कलम' तेरे प्रति, प्रीत मेरी कभी सोई नहीं॥ पर तेरी श्रेष्ठता पर प्रश्न चिह्न, क्या मैं लगा नहीं रहा। तेरी प्रतिष्ठा... Hindi · कविता 277 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read समय मैं.............. वक्त को दरकिनार कर चलता रहा, अपनी जवानी की उमंग में वक्त को मसलता रहा। नहीं.... नहीं आज नहीं... कल पर छोड़ता रहा, वक्त के हर नियमों को लापरवाही... Hindi · कविता 363 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read जो हो रहा है होने दो मुझे जिंदगी से शिकवा नहीं, जो हो रहा है वो होने दो, हम शायद किसी काबिल नहीं, जो खो गया वो खोने दो। आखिर खिजाएँ आ गईं, और वो कली... Hindi · कविता 630 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read अनुशासन अनुशासन से ही मनुजता की पहचान है, अन्यथा मनुज फिर पशु के समान है। अनुशासन ही उच्चता का सोपान है, सड़ते संस्कारों का निदान है। अनुशासन से ही जन्म लेते... Hindi · कविता 318 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read राधिका प्रेम *विधा*- राधिका छंद (प्रति चरण 22 मात्रा, यति 13, 9) मेरे प्रेम की न श्याम नहीं मिले थाह। तकूँ तकूँ दिनि-रैन मैं तेरी यूँ राह॥ अँसुवन रुकै न दिनि-रैनि पथराए... Hindi · कविता 362 Share सोनू हंस 4 Apr 2017 · 1 min read श्याम और राधा (प्रथम बार) देखत नैना श्याम के, राधा है हरषाय। ऐसे मंजुल सुमन तो, मानस* भी नहिं पाय॥ **************************** हिरदय में हिलोर रही, प्रेम लहरें अपार। वृषभानुजा पूछ रही, कान्हा कौन कुमार॥ ****************************... Hindi · दोहा 210 Share सोनू हंस 26 Mar 2017 · 1 min read चार दोहे मेरे जीवन में नहीं, कोई भी इक आस। स्वाति बूँद मिले नहिं फिर, चातक बुझै न प्यास॥ *************************** राह कोई सूझत नहिं, छानू पथ-पथ खाक। जैसे बिना श्राद्ध दिवस, पूछै... Hindi · दोहा 318 Share सोनू हंस 22 Mar 2017 · 5 min read वो एक रात 8 नीलिमा की हालत बहुत ही खराब थी। वह हाँफती सी छत की सीढ़ियों को चढ़ती चली गई। छत पर पहुँचते ही नीलिमा को रवि दिखाई नहीं दिया। "चीख तो यहीं... Hindi · कहानी 437 Share सोनू हंस 22 Mar 2017 · 1 min read उजली-सी किरण वो उजली सी किरण चली थी कुछ यूँ निकलकर नभ से गिरी सी धरा पर चली आई कभी शाख पर कभी पात पर कभी किसी नीर के विविध गात पर... Hindi · कविता 533 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 8 min read वो एक रात 7 बटुकनाथ धूनी के पास पहुँच गए। वहाँ उपस्थित वे व्यक्ति बटुकनाथ को विस्मय और डर से देख रहे थे। लेकिन बटुकनाथ वहाँ जाकर शांति से बैठ गए।थोड़ी देर निस्तब्धता बनी... Hindi · कहानी 614 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 6 min read वो एक रात 6 #वो एक रात 6 रवि अंदर की ओर भागता चला गया। अचानक वह किसी से टकराया। वह नीलिमा थी जो रवि की चीख सुनकर बाहर चली आई थी। रवि को... Hindi · कहानी 361 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 6 min read वो एक रात 5 #वो एक रात 5 चारों दोस्त भी गाँव से आई आवाज की ओर चल दिए। शोर बढ़ता जा रहा था। भीड़ ने एक घेरा सा बना रखा था। न जाने... Hindi · कहानी 387 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 7 min read वो एक रात 4 #वो एक रात 4 उसके चलने से जंगल के सूखे पत्तों पर चड़-चड़ की आवाज उत्पन्न हो रही थी। उसका व्यक्तित्व अपने आप में अद्भुत था। सिर पर सन से... Hindi · कविता 385 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 7 min read वो एक रात 3 #वो एक रात 3 चीख सुनकर रवि हैरत में पड़ गया तथा थोड़ा घबरा भी गया कहीं नीलिमा को कुछ हो तो नहीं गया। वह तुरंत किचन की ओर भागा।... Hindi · कविता 317 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 7 min read वो एक रात 2 #वो एक रात 2 रवि की हालत देखकर नीलिमा के हाथ पैर फूल गए। वह भागी हुई कमरे के अंदर गई और पानी की बोतल लाकर उसके छींटे रवि के... Hindi · कविता 440 Share सोनू हंस 20 Mar 2017 · 5 min read वो एक रात 1 रवि दीक्षित को आज और दिन से ज्यादा वक्त हो गया था, ओफिस में काम करते-करते। यूँ तो 8 बजे ओफ हो जाता था परंतु अभी भी बहुत सी फाईलों... Hindi · कहानी 322 Share Previous Page 2 Next