Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2017 · 1 min read

अरे मूढ़ मन

अरे मूढ़ मन!
इतना हठी न बन
ऐसी चंचलता भी ठीक नहीं
व्यर्थ क्यूँ सामर्थ्य का दहन करता है
कभी कंदराओं में
कभी अट्टालिकाओं पर
कभी कलकल बहती सरित् की धाराओं में
कभी एकांत प्रिय वनचरों के निकट
यूँ भटकना तेरा सही नहीं
अरे! क्या तुझे अपने कर्म पर
शर्म का बोध नहीं होता
कभी उलझ जाता है तू
किसी नायिका के
भुजंग से लहराते केशों पर
कभी व्यर्थ प्रलाप करता है
विरह की वेदना में
नहीं ये उचित नहीं है
बांधता क्यूँ नहीं तू स्वयं को
एकाग्रता की डोर में
क्यूँ नहीं करता चिंतन
भूत और भविष्य का
देख मित्र! कर्म ही सुवासित होते हैँ
जीवन की इस बगिया में
यदि कर्म पुष्प कुम्हला गए
तो क्या अर्पण कर पाऊँगा
अपने इष्ट के सामने
मैं कौन सा मुख दिखाऊँगा
सँभल औ’ सँभाल मुझे
इस बंधन से निकाल मुझे
चल मेरे साथ मित्र
पग से पग मिला तो तू
सद्गुणों के कुसुम से
ये जीवन बगिया खिला तो तू
अ मेरे मन चल कोई
कर्म ऐसा हम करें
परिवार और ये जगत
गर्व हम पर करे
देख तुझे साथ मेरे चलना होगा
अन्यथा फिर साथ तेरे
मैं निर्मम हो जाऊँगा
निरंकुशता मैं तेरी
मूढ़ सहन न कर पाऊँगा
माया इक भ्रम है
छोड़ इसका साथ तू
उस पिता के ध्यान में
चल आ स्वयं को साध तू
देख तेरे साथ ही
हार भी मेरी जीत भी
अब मनन करना तुझे
उचित क्या अनुचित क्या
सोनू हंस

Language: Hindi
2 Comments · 538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझे तेरी जरूरत है
मुझे तेरी जरूरत है
Basant Bhagawan Roy
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
Harminder Kaur
भ्रूणहत्या
भ्रूणहत्या
Dr Parveen Thakur
■ आज मेरे ज़मीं पर नहीं हैं क़दम।।😊😊
■ आज मेरे ज़मीं पर नहीं हैं क़दम।।😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पिछले पन्ने 6
पिछले पन्ने 6
Paras Nath Jha
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
अनिल कुमार
इस छोर से.....
इस छोर से.....
Shiva Awasthi
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अम्न का पाठ वो पढ़ाते हैं
अम्न का पाठ वो पढ़ाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
कवि दीपक बवेजा
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
"समय"
Dr. Kishan tandon kranti
आश्रय
आश्रय
goutam shaw
क्षितिज के पार है मंजिल
क्षितिज के पार है मंजिल
Atul "Krishn"
ज़िंदगी आईने के
ज़िंदगी आईने के
Dr fauzia Naseem shad
अगर प्यार करना गुनाह है,
अगर प्यार करना गुनाह है,
Dr. Man Mohan Krishna
स्वयं को तुम सम्मान दो
स्वयं को तुम सम्मान दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
लॉकडाउन के बाद नया जीवन
लॉकडाउन के बाद नया जीवन
Akib Javed
तेवर
तेवर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
Sanjay ' शून्य'
हाल मियां।
हाल मियां।
Acharya Rama Nand Mandal
तुमसे ही से दिन निकलता है मेरा,
तुमसे ही से दिन निकलता है मेरा,
Er. Sanjay Shrivastava
গাছের নীরবতা
গাছের নীরবতা
Otteri Selvakumar
Mere hisse me ,
Mere hisse me ,
Sakshi Tripathi
जीवन में सफल होने
जीवन में सफल होने
Dr.Rashmi Mishra
*दशरथ (कुंडलिया)*
*दशरथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन साथी
जीवन साथी
Aman Sinha
कहते हैं,
कहते हैं,
Dhriti Mishra
Loading...