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:: सांग / स्वांग विधा का स्वरूप, परम्परा एवं उसकी देंन :: सन्दीप कौशिक [+91-8818000892 / 7096100892]
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - सत्यवान-सावित्री # अनुक्रमांक-3 # प्रकट होगी देबीमाई, चलकै ब्रहमलोक तै आई, राजन् आज तेरे अस्थान मैं, री देबी चाहू देखणी, एक बर तेरी शान मैं ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - सत्यवान-सावित्री # अनुक्रमांक- 2 # भवानी मात ज्वाला री, समरू देबी नाम तेरा, मंदिर मैं आज्या, माई दर्शन दिखा ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - देवी गंगामाई # अनुक्रमांक-12 # कन्या बोली ऋषि मेरे तै, करवाले नै ब्याह, पेट मै करूंगी डेरा, बणकै तेरी मां ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - देवी गंगामाई # अनुक्रमांक - 1 # पवन पवित्र बहता पाणी, आठो आम रहै चलता, परमगती से भारत के म्हां, गंगे धाम रहै चलता ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-3 # तूं है जननी भारत माँ, तेरा जाणै ना कोऐ भा, सबकी तूं कल्याणी री, शक्ति-जगदम्बा ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-1 # समरूं तनै हमेश मैं, करिये बेड़ा पार भवानी री, आज मनाई, दुर्गे माई री ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - गोपीचंद-भरथरी # अनुक्रमांक-26 # जिसका कंथ रहै ना पास, कामनी रहती रोज उदास, छः रूत बारा मास, बिचारी दुखिया मन मै ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - सारंगा परी # अनुक्रमांक-17 # होए बीर कै असूर-देवता, और मनुष देहधारी, बीर नाम पृथ्वी का, जिसपै रचि सृष्टि सारी ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-2 # मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री ।। टेक ।।
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# काव्य विविधा # अनुक्रमांक-5 # तेरे सिद्ध होज्यांगे काम, सुणै तो राम-कथा रामायण की, अमर कहाणी सै, हनुमान की ।। टेक ।।
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# सांग - बाबा छोटूनाथ # अनुक्रमांक-13 # चार धाम गंगा-जमना से, 68 तीर्थ के ! न्यारे, करके नै अस्नान देखिये, नाम गिणादूं मैं सारे || टेक ||
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग - कृष्णलीला # अनुक्रमांक-18 # गोपनी राधे संग आई, बणे थे ललिहारी नंदलाल ।। टेक ।।
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#काव्य विविधा # अनुक्रमांक-20 # जमाने भोई बड़ी बलवान, भोई अपणे बळ चालै तो, के करले इंसान ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग /किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-14 # करके दया बचाले छत्री, भूलु नहीं अहसान तेरा, मेरी आत्मा कहती रहैगी, भला करै भगवान तेरा ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग /किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-15 # नाम देवदत निश्चर बुद्धि, मुर्ख-मूढ़ ग्वार तेरी, बिना भजन माणस की जूनी, पशुआं तै बेकार तेरी ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग /किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-36 # बीत गए युग फिरते-फिरते, चैरासी के फेरे मै, बात पूराणी गया जमाना, वचन भूलग्या तेरे मै ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग /किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-31 # या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी, वो सबके दुख दूर करै, गिरधारी ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग /किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-19 # घोर-घटा सामण का महिना, आए तीज त्योहार, बाग जनाना प्रदेशी, हाम झुलण आली नार ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# सांग/किस्सा - महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक-17 # मारण आळे तै हो सै, बलवान बचाणे आळा, उसनै कौण मारदे जग मै, जिसका राम रूखाळा ।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
पंडित राजेराम की काव्य विविधा पंक्तियाँ
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
#सांग - सारंगापरी # अनुक्रमांक-4 # एक साधू रमता राम सै, लिया भगमा बाणा माई।। टेक ।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
जीवन वृत
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
फुटकड़ रचना @ खूब रची करतार नै, या दुनिया मतवाली, कैसी चक्र मै डाली || टेक ||
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
आधी रात शिखर तैं ढलगी हुया पहर का तड़का। बिना जीव की कामनी कै हुया अचानक लड़का।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
हो गुरुजी मनै ऐसा ज्ञान सिखादे, कोए गावणिया हे गादे..!!टेक!!
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
होनहार कवि
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
गांव लोहारी जाटू इतिहास
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# सांग-महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक - 1 # टेक - लेख मै 24 बताये, श्री विष्णु के अवतार।।
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किस्सा / सांग - गंगामाई # अनुक्रमांक - 9 # टेक -वेद पुराण शास्त्र कहते गऊ परम का सार गऊ माता सै तारण आली भवसागर तै पार || #
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
" लोककवि लोकगायक पंडित राजेराम भारद्वाज संगीताचार्य जीवन चरित्र "
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - सारंगा परी # अनुक्रमांक - 16 # टेक - भीड़ पड़ी मै नहीं किसे का दिया साथ लुगाईयां नै| बड़े.2 चक्कर मै गेरे कर मुलाकात लुगाईयां नै।।#
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा - गोपीचंद # अनुक्रमांक - 25 # टेक - गुरू की बाणी आई याद सब चेल्या नै, मन मैं करया विचार #
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - # नल-दमयन्ती # रचनाकार सूर्यकवि पं लख्मीचंद
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - # कृष्ण जन्म # अनुक्रमांक - 13 - बहरे तबील # टेक - सुणी आकाशवाणी, मेरी मौत बखाणी, ये सुणकै कहाणी, मेरा टूट गया दम, हे देवकी डरूं, तुझे मार मरूं, पाछै बात करूं, तनै पहले खतम। ।टेक।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - # महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक - 36 # टेक - किया बखान महात्मा बुद्ध नै ऐसा कलयुग आवैगा, बिन मतलब ना कोए किसे कै पास बैठणा चाहवैगा।। टेक।।
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किस्सा / सांग - # महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक - 10 # टेक - टेम-टेम की बात टेम कै गैल पुराणी हो सै, टेम घड़ी ना टलै समो तै आणी जाणी हो सै।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - # जयमल फता #
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किस्सा / सांग - # चमन ऋषि - सुकन्या # टेक - 28 गोत ब्राहम्ण सारे ध्यान उरै नै करणा सै, गृहस्थ आश्रम पति पत्नी का धर्म सनातन बरणा सै।।टेक।
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किस्सा / सांग - # कंवर निहालदे - नर सुल्तान # अनुक्रमांक - 38 #
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किस्सा / सांग - # हरिश्चंद्र - फुटकड़ रागनी # रचनाकार - कवि शिरोमणि प. मांगेराम जी
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किस्सा / सांग – # चापसिंह - सोमवती # अनुक्रमांक - 31 # & टेक – बादशाह आलम, जहांपना मुगलेआज़म, मुजरा करूंगी सलावालेकम मेरी दुहाई, सुणो पनाह इलाही, नृत करने आई मै चाहती हुकम।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग – # चापसिंह - सोमवती # अनुक्रमांक - 29 # & टेक – सभी राग चालकै गा दूंगी राजा के दरबार मै, गाणे और बजाणे आली नाचूं सरे बजार मै।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग – # चापसिंह - सोमवती # अनुक्रमांक - 28 # & टेक – कई किस्म के नाच बताएं, ना बेरा नाचण आली नै, गावण के घर दूर बावली, देख अवस्था बाली नै। ।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
साध संगत # किस्सा - बाबा जगन्नाथ @ लोहारी जाटू धाम #
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग – # महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक – 7 # & टेक – बड़े बड़े विद्वान ज्योतषी होए ब्राहमण बेदाचारी, बेद विधि आगे की जाणै कोन्या पेट पूजारी। ।टेक।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग – # गोपीचंद – भरथरी # अनुक्रमांक - 24 # & टेक – कितका कौण फकीर बता बुझै चंद्रावल बाई, भूल गई तू किस तरिया गोपीचंद सै तेरा भाई।।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
शरीर रूपी प्रतीकात्मक उपदेशक भजन
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
किस्सा / सांग - # पिंगला - भरथरी # & टेक - पड़ी फिक्र मै किस ढाला बुझै भरतार तेरा सै।
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य
# किस्सा / सांग - @ महात्मा बुद्ध # अनुक्रमांक - 10 # टेक :- *महाराणी गई छोड़ कंवर नै चाला करगी।*
लोककवि पंडित राजेराम संगीताचार्य