Bhupendra Rawat 352 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Bhupendra Rawat 22 May 2020 · 1 min read तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है वक़्त के गुज़र जाने का मलाल है खो गए है वो हंसी लम्हें कहीं उन्हीं पलों का आया फिर से ख्याल है भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 3 263 Share Bhupendra Rawat 20 May 2020 · 1 min read कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे तन्हा सफर में कदम और कहां जायेंगे भटक जायेंगे मंज़िल की राह से जब भी ग़म मिटाने मयखाने की ओर चले जायेंगे भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 5 291 Share Bhupendra Rawat 20 May 2020 · 1 min read नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है ज़िन्दगी का बोझ तले मजदूर शहर छोड़ चले है जारी इस शतरंज के खेल में मजदूर एक बार फिर से छले है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 349 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read मासूमियत से भरे नादान सवाल माँ माँ भगवान क्या होते है? माँ थोड़ा मुस्कुराते हुए अपने बेटे को कहती है बेटा जिनकी हम पूजा करते है,लेकिन माँ वो तो पत्थर होते है। तो पत्थर भगवान... Hindi · कहानी 5 2 419 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read भूख मिटाने कुछ लोग, गांव छोड़ शहर की ओर आये थे गांव छोड़ भूख मिटाने कुछ लोग,शहर की ओर आये थे दो वक्त की रोटी के खातिर शहरी रीति रिवाज अपनाये थे मालूम हुआ मज़दूरों को खाने कोरोना भूत शहर आया... Hindi · मुक्तक 4 230 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए बदलते रिश्तों के साथ जीने के ढंग बदल गए आज इंसान इंसानियत को तलाश रहा बदलते मौसम के जैसे आज... Hindi · मुक्तक 5 2 598 Share Bhupendra Rawat 19 May 2020 · 1 min read लोगों के रंग बदल जाते है लोगों के रंग बदल जाते है जीने के ढंग बदल जाते है बदलते है मौसम के अंदाज़ जैसे वैसे लोगों के मन बदल जाते है सारे वादें टूट जाते है... Hindi · कविता 4 302 Share Bhupendra Rawat 18 May 2020 · 1 min read ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे देख रहे है मंज़र सब आने जाने वाले बिलख बिलख कर रो रहे,अपने चाहने वाले फब्तियां कस रहे है आज सब ज़माने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 232 Share Bhupendra Rawat 17 May 2020 · 2 min read आलीशान बंगलो में बैठे मजदूर नीति के निर्माणकर्ता कोरोना महामारी जैसी संकट की स्थिति में आलीशान बंगले में बैठकर मजदूरों की समस्याओं पर व्यख्यान करने वाले समस्त विपक्ष के नेताओ का प्रवासी मजदूरों के प्रति लगाव बहुत ही... Hindi · लेख 4 3 611 Share Bhupendra Rawat 17 May 2020 · 3 min read स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा का स्तर स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा के गिरते हुए स्तर में सुधार लाने के लिए सत्ताधीश सरकार द्वारा समय समय पर कई प्रयास किये गए । शिक्षा के क्षेत्र में सुधार... Hindi · लेख 3 3k Share Bhupendra Rawat 15 May 2020 · 1 min read विद्यालय एक पूंजीवादी संस्था समाज के अशिक्षित वर्ग को शिक्षित करने के उद्देश्य से खोली गई समाजिक संस्थाओं का एकमात्र उद्देश्य आज अधिक से अधिक लाभ कमाने तक सीमित रह गया है। ट्यूशन फीस... Hindi · लेख 4 3 495 Share Bhupendra Rawat 7 May 2020 · 1 min read चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला बस एक दिन और शेष रहा कल से खुलेगी मधुशाला सरकार के निर्देशों का पालन करेगा हर कोई पीने वाला तब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 261 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी इंतेज़ार के तन्हा सफर में तू छल गयी इंतेज़ार के ज़िंदा लम्हों में अब शेष मायूसी है तेरे इंतेज़ार में ज़िन्दगी श्मशान... Hindi · मुक्तक 4 3 284 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read ये गलती गिनाने का वक़्त नही है ये गलती गिनाने का वक़्त नही है रूठ कर चले जाने का वक़्त नही है माना वक़्त थोड़ा नाराज है,मुझसे ये नाराज़गी जताने के वक़्त नही है भूपेंद्र रावत 6।05।2020 Hindi · कविता 3 2 259 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बची है ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बच रखी है तेरे नाम की छोटी सी खुशी रखी है मर जाता बेवज़ह,ज़हन में ख्याल आया मेरी चंद सांसे तेरे पास गिरबी रखी... Hindi · कविता 3 415 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना बात बात पर आता है,रूठ जाना होता नही सहन कुछ भी,उनसे आ गया हर बात में ताने सुनाना भूपेंद्र रावत 6।05।2020 Hindi · मुक्तक 3 425 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ ढीला, ढाला पैजामा पहन झूम झूम कर आता हूँ हाथ पर आग गोले लेकर उछल पार कर जाता हूँ बन्द थैले में अपने,हंसी... Hindi · कविता 6 1 310 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान अगर माता पिता न होते तो इस दुनिया में हम कैसे आ पाते माता पिता ही तो हमको जीना है... Hindi · कविता 4 1 268 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी तेरा होना हर मुश्किल आसान कर देता है नशा ही तो है, आगोश में तेरे जहां की हर परेशानी को दूर कर देता है भूपेंद्र... Hindi · कविता 4 1 388 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है, युद्ध, और खड़ी कर देते है मशीन गिरा देते है, स्तम्भ बिछा देते है लाश,बना देते है श्मशान फहरा दिया जाता है,... Hindi · कविता 4 1 376 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ । माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ । दूर क्षितिज को छू आसमा का भ्रमण करना चाहता हूँ । बिना किसी भेद भाव के... Hindi · कविता 4 495 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 1 min read मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है तेरी यादों ने एक लम्हा और सजाया है अब तेरी यादें ही तो बस ज़ीने का बहाना है तेरी झील सी आंखों... Hindi · कविता 3 2 280 Share Bhupendra Rawat 6 May 2020 · 2 min read लॉकडाउन 3.0 सोशल डिस्टेंसइंग की धज्जियां उड़ाती सरकारी नीतियां लेख ........ कोरोना की मार झेल रहे सभी देशों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए अपनी रणनीतिया तैयार करने के साथ ही अब उन रणनीतियों को जमीनी स्तर पर... Hindi · लेख 3 2 369 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read कोरोना की जंग तो नही लेकिन कोरोना की जंग तो नही लेकिन भूख और जीवन के बीच दो वक्त की रोटी की जंग आज नही तो कल मार ही डालेंगी भूख की लड़ाई है जीवन से... Hindi · कविता 5 2 520 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है खामोश रहकर सब कुछ कहना एक कला है शब्दों को मरहमों का लेप लगाना आता है ज़िन्दगी जीने का यही अच्छा सिलसिला... Hindi · कविता 4 2 233 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया मन्ज़िल का सफ़र अधूरा छूट ही गया ज़िद्द थी,जीने की और तुझे ऐ ज़िन्दगी मग़र मौत के आगे आखिर झुक ही गया भूपेंद्र रावत... Hindi · मुक्तक 4 358 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे आस्तीन के साँप बाहर निकल कर आयेंगे झूठ ही तो सहारा था सच को छुपा लेने का मंझधार की डूबती कश्ती को... Hindi · मुक्तक 4 365 Share Bhupendra Rawat 1 May 2020 · 1 min read न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी हर एक ख्वाइश आज मोहताज है ज़ी तो रहे है,फ़क़त तेरी खुशी के लिए जिस्त-ओ-जिस्म में कहां बची अब सांस है भूपेंद्र रावत 1।05।2020 Hindi · कविता 3 238 Share Bhupendra Rawat 30 Apr 2020 · 1 min read बहुत खुश थे ज़िन्दगी को पाकर बहुत खुश थे ज़िन्दगी को पाकर हंसते हंसते हर ग़म को गले लगाया था बेखबर थे जिन्दगी असलियत से तेरी अपनो के शहर में अज़नबी से दिल लगाया था भूपेंद्र... Hindi · कविता 3 2 419 Share Bhupendra Rawat 29 Apr 2020 · 1 min read किताब के पन्नो में रूठा हुआ मिला मुझे वो शख़्स किताब के पन्नो में रूठा हुआ मिला मुझे वो शख़्स जो मुरझा गया है दफ़न किताब के पन्नो के साथ वही मोती, वही एहसास जो खटखटा रहें है,द्वार इतिहास की... Hindi · कविता 3 2 271 Share Bhupendra Rawat 29 Apr 2020 · 1 min read सारे दरवाज़े बन्द कर दिए वापस आने के सारे दरवाज़े बन्द कर दिए वापस आने के रिश्ते सारे तोड़ लिए इस ज़माने से फ़क़त एक मर्ज़ ही तो था इलाज़ हो जाता क्या मिला तुम्हे रूठ कर जाने... Hindi · कविता 4 1 211 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read ख्वाइशें जीने कहां देती है ख्वाइशें जीने कहां देती है गर बिछड़ना भी चाहो,तो मरने कहां देती है उम्र कट जाती है,ख्वाइशों के बोझ तले अधूरी ख्वाइशें सजा-ए-मौत सुना देती है भूपेंद्र रावत 28।04।2020 Hindi · मुक्तक 5 360 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read तुम्हारा इंतेज़ार है मुझको तुम्हारा इंतेज़ार है मुझको तिल तिल करके मरने से प्यार है मुझको जब तक सांसे है निहार लेने दे तेरे दीदार का आज तक इंतेज़ार है मुझको भूपेंद्र रावत 28।04।2020 Hindi · मुक्तक 4 245 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read इस तरह खुद को ज़ाया करते है इस तरह खुद को ज़ाया करते है तड़पते है,और खुद को भिगाया करते है जीने की ये भी एक कला है,सीख लो गुज़रें लम्हों को याद कर यूं मन्द मन्द... Hindi · मुक्तक 5 365 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read ज़िन्दगी एक सफ़र में गुज़र जाती है ज़िन्दगी एक सफ़र में गुज़र जाती है मन्ज़िल अंत तक अधूरी रह जाती है कोई खड़ा इंतेज़ार करता रहता है चोरी से आकर मौत गले लगाकर चले जाती है भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 4 177 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read आसमां करीब है मेरे आसमां करीब है मेरे जुगनुओं से गुफ्तगू जारी है तुम भी आकर देखो जरा महफ़िल में, आज जुगनुओं की नही तुम्हारी बारी है। भूपेंद्र रावत 27।04।2020 Hindi · कविता 3 379 Share Bhupendra Rawat 28 Apr 2020 · 1 min read लोन ली हुई है ज़िन्दगी लोन ली हुई है ज़िन्दगी अब किश्ते चुका रहा हूँ छोटी सी ज़िन्दगी है,साहब यूं ही बोझ तले गुज़ार रहा हूँ भूपेंद्र रावत 28।04।2020 Hindi · कविता 3 432 Share Bhupendra Rawat 27 Apr 2020 · 3 min read मायज़ाल:ज़िन्दगी का कठोर सच "तुम्हारी राह कब से देख रही थी।कहां रह गए थे ?आज तुमने आने में देर कर दी।तुम्हें मालूम नही घर पर भी कोई है जो तुम्हारा इंतज़ार करता है,लेकिन तुम्हे... Hindi · कहानी 1 448 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read दिल जीतने का कोई उपहार दो न दिल जीतने का कोई उपहार दो न छूटी वाला फिर से कोई इतवार दो न कल तक हर पहर ख्यालों में क़रीब था फिर से क़रीब आ वही प्यार दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 220 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read पुरानी कोई कहानी न पूछो पुरानी कोई कहानी न पूछो उनकी दी हुई निशानी न पूछो आज भी तन्हा भटका है मुसाफ़िर तन्हा सफर की ज़िंदगानी न पूछो भूपेंद्र रावत 24।04।2020 Hindi · मुक्तक 1 406 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read पता है डूब कर मर ही जाना है पता है डूब कर मर ही जाना है फिर भी उस सफ़र पर जा रहा हूँ मैं जिस राह से तोड़ आया रिश्ता पुराना कदमों के निशान को खोजता जा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 476 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read फासलों से दूरी है मेरी फासलों से दूरी है मेरी आज भी मोहब्बत अधूरी है मेरी खफ़ा तू जब से है वफ़ाओं से दूरी है मेरी भूपेंद्र रावत 25।04।2020 Hindi · मुक्तक 1 459 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read फुर्सत के लम्हे गुज़र जाया करते थे फुर्सत के लम्हे गुज़र जाया करते थे आज उन्ही लम्हों को काटना दुश्वार हो रहा है तेरे संग गुज़ारे थे जो लम्हें हंसते हंसते आज उन्हीं लम्हों का इंतेज़ार हो... Hindi · कविता 1 240 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read एक और मज़हब बना कर देखते है एक और मज़हब बना कर देखते है इंसानो का दर्द मिटा कर देखते है न हो बैर इंसानो का इंसानो से ऐसी रस्म निभा कर देखते है भूपेंद्र रावत 25।04।2020 Hindi · मुक्तक 1 195 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read हर रोज़ आँखों में एक ख़्वाब सजाता हूँ हर रोज़ आँखों में एक ख़्वाब सजाता हूँ मैं रोज़ ख्वाबों का सौदागर बन जाता हूँ खूबसूरत दुनिया ख्वाबों की,झूठी कहानी है सुबह उठता हूँ तो,एक ख़्वाब बेच आता हूँ... Hindi · मुक्तक 1 206 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read घर मे क़ैद खुद को कर लिया है घर मे क़ैद खुद को कर लिया है तेरे शहर में कदम अपना रख लिया है लोकडाउन है आजकल दुनिया सारी तेरे दिल को ही अपनी दुनिया समझ लिया है... Hindi · मुक्तक 1 242 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read भविष्य कभी टिका नही वर्तमान रुका नही भविष्य कभी टिका नही वर्तमान रुका नही समय की इस दौड़ में बच सका ना कोई जीवित है जो,वो स्तय है इतिहास ही तो गुज़रा वक़्त है वर्तमान के कर्मो... Hindi · कविता 1 419 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read प्रतिशोध की ज्वाला को जब तपाया जाता है प्रतिशोध की ज्वाला को जब तपाया जाता है उचित अनुचित के अंतर को भुला दिया जाता है जब जब नारी पर दांव लगाया जाता है मनोरंजन का स्थान युद्ध क्षेत्र... Hindi · कविता 1 1 194 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read तेरे इश्क़ की नदियों में बहता जा रहा हूँ तेरे इश्क़ की नदियों में बहता जा रहा हूँ हर मोड़ पर राह बदलता जा रहा हूँ अब मन्ज़िल की तलाश है, बस मैं खुद से ही दूर होता जा... Hindi · मुक्तक 1 308 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read तेरी हर चाल से वाकिफ हूँ मैं तेरी हर चाल से वाकिफ हूँ मैं अनजाने सफ़र का ठहरा मुसाफ़िर हूँ मैं सोच समझकर रखा है क़दम अंगारों में घायल सिरफिरा सा आशिक़ हूँ मैं भूपेंद्र रावत 21।04।2020 Hindi · मुक्तक 1 510 Share Previous Page 2 Next