डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' Tag: कविता 180 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read कविता रोला छंद मात्रा विधान- 24 मात्रिक छंद, 11 ,13 पर यति, विषम चरण के अंत में गुरु लघु, सम चरण के अंत में 2 गुरु "सृष्टि को आन बचाओ" देवलोक... Hindi · कविता 1 257 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 3 Aug 2019 · 1 min read कविता भक्ति रस प्रधान विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति... Hindi · कविता 1 1 526 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jun 2019 · 1 min read कविता विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति अंत तुकान्तता हो... Hindi · कविता 731 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jun 2019 · 1 min read कविता विषय - मकरन्द छंद विधान~ [ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु] (111122,111122,11111111,111122) 26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर दो-दो चरण समतुकांत,पहली दूसरी यति अंत तुकान्तता हो... Hindi · कविता 1 263 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 20 Apr 2019 · 1 min read कविता सिसकते वृक्ष बना मानव धरा दानव सिसक हर वृक्ष कहता है, घुटन जीने नहीं देती भयावित वृक्ष रहता है। हरित आभा धरा को दे किया श्रृंगार उपवन का, ज़हर पीकर... Hindi · कविता 464 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक अँधेरे रास क्या आते उदासी सह नहीं पाया। तुम्हारे बिन गुज़ारीं रात तन्हा रहह नहीं पाया। मिला धोखा मुहब्बत में नहीं उम्मीद थी जिसकी- गिला,शिकवा, शिकायत को कभी मैं कह... Hindi · कविता 1 610 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 22 Mar 2019 · 1 min read कविता प्राजक्ता का ललित सुमन बिखर रही है रजत चाँदनी छिटकाती यौवन मतवाला, प्राजक्ता के ललित सुमन का खिला यामिनी गात निराला। कोमल, सुरभित,श्वेत वर्णीय केसर देह सहज मन भायी, तम... Hindi · कविता 1 255 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Mar 2019 · 1 min read कविता "मैं कौन हूँ" ********* कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं? प्रश्न का एक जवाब हूँ मैं। (1)ईश्वर की भेजी दुनिया में कोमल, बलशाली रचना हूँ, रिश्तों की जीती परिभाषा... Hindi · कविता 1 242 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 10 Feb 2019 · 1 min read विरहवेदना 'चित चोर' (मत्तगयंद सवैया छंद) ************************* श्याम सखा चित चोर लियो तुम नैंनन नेह लगा दुख पाए। भोर भई मन देखत का अब माखन ,दूध, दही न सुहाए। गोकुल, गोपिन,... Hindi · कविता 266 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 25 Jan 2019 · 1 min read कविता नाम-डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' पता-डी. 63/12 बी क.,पंचशील कॉलोनी, निअर विराट विला अपार्टमेंट, हरि सरदार की गली, महमूरगंज, वाराणसी। पिनकोड-221010 दिनांक-25.1.2019 'सिंहासन' आज लिखें इतिहास नया हम सत्ता के... Hindi · कविता 1 264 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 6 Jan 2019 · 1 min read कविता *कलुषित स्पर्श* रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं, देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं। लूट तन बाहें घसीटीं चींख सुन कोई न आया,... Hindi · कविता 1 614 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Jan 2019 · 1 min read कविता *कलुषित स्पर्श* रो रही कुदरत ज़मीं पर मृत अधर भी काँपते हैं, देश की बेटी लुटी है लोग चोटें नापते हैं। लूट तन बाँहें घसीटीं चींख सुन कोई न आया,... Hindi · कविता 1 2 526 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 2 min read कविता "नूतन वर्ष" ********* सभी ये साल नूतन हैं सभी यादें पुरानी हैं, गुज़र जाएँ यहाँ जो पल कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं लगी हर रुत सुहानी... Hindi · कविता 3 299 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 28 Dec 2018 · 1 min read कविता "सलामे इश्क अठरा साल" सभी ये साल सोलह हैं,सभी यादें पुरानी हैं। गुज़र जाएँ यहाँ जो पल,कहें अपनी कहानी हैं। सितम हर रोज़ झेले हैं,नहीं शिकवा शिकायत है। कहूँ क्या... Hindi · कविता 2 261 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read "माँ" "माँ" ------ बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 35 792 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 16 Nov 2018 · 1 min read कविता "माँ" ----- बारिश की बूदों में माँ तू, प्रेम सरस बरसाती है। तेज धूप के आतप में तू ,छाँव बनी दुलराती है। तुझसे मेरा जीवन है माँ, मैं तेरी ही... Hindi · कविता 3 300 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 1 Nov 2018 · 1 min read कविता *बूढ़ा बरगद* ------------------- बूढ़ा बरगद ठूँठ बना अब याद करे बीता कल अपना, कहाँ खो गई भोर सुहानी बेबस मन अब देखे सपना। कभी घनी थीं शाखा मेरी बैठ परिंदे... Hindi · कविता 1 398 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Oct 2018 · 1 min read कविता मुक्त काव्य समारोह - 240 दिन - गुरुवार दिनांक -२८/१२/२०१७ अध्यक्ष - आदरणीय श्री शिवानंद सहयोगी जी संचालक- आदरणीय श्री धीरज श्रीवास्तव जी संरक्षक- आदरणीय श्री ओम नीरव जी हास्य-रचना... Hindi · कविता 346 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Oct 2018 · 1 min read कविता "कौन मनाएगा दीवाली?" घर -आँगन लक्ष्मी बिन सूना, नहीं तेल, दीया, बाती। रौशन दुनिया लड़ियों से है, जगमग ज्योति नहीं भाती। मान दीप का ही ग्रसता है- जेब कुम्हार की... Hindi · कविता 1 314 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 9 Oct 2018 · 1 min read कविता 'दानी सुमन' ********* फूल खिलके यहाँ मुस्कुराने लगे। गीत मधुमास के गुनगुनाने लगे।। प्रीत चूनर पहन चाँदनी तन सजी। ओस मुक्तक गिरे झिलमिलाने लगे।। अंक झूला झुला शाख हँसने लगी।... Hindi · कविता 384 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता *यादें* आज फटे गत्ते की उस डायरी में पीछे छूटी यादों का एक पुलंदा मिला रिश्ते निभाते हुए बिसराया हुआ पतझड़ का एक गुलाब मिला। दम तोड़ते पृष्ठों पर काली... Hindi · कविता 272 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता जन्मदिवस तन समर्पित मन समर्पित क्या तुझे उपहार दूँ जन्मदिन पर आज तेरे क्या तुझे सौगात दूँ? पुष्प वेणी केश में मधुमास बनकर जा बसूँ प्रीत का रसपान कर मैं... Hindi · कविता 384 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता *मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ!!* ********************** मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूँ जीवन में कभी न हारी हूँ मैं अद्भुत इक चिंगारी हूँ मैं सौ पुरुषों पर भारी हूँ। मत... Hindi · कविता 532 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता "पर्यावरण बचाओ" **************** मानव दानव बने धरा पर #वृक्ष समूचे काट रहे हैं बेघर पंछी घर को तरसें #जंगल सारे पाट रहे हैं। #नीर बिना प्यासी है धरती पनघट हुए... Hindi · कविता 1 291 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता "दोस्ती" दोस्ती दिलों में महकता अनमोल एक रिश्ता है मेरी दोस्त मन में बसा प्यारा सा फरिश्ता है। सुख में लुटाती प्यार जो निश्छल प्रेम विश्वास है दोस्ती का मोल... Hindi · कविता 469 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता 'रंग छटा गोकुल में बिखरी' ********************* साँवरि सूरत मोहनि मूरत नंद लला उर चैन चुरावत। आज जिया अकुलाय रहा अति मोर शिरोमणि रूप लुभावत। होठ धरी मुरली मुसकावत गोपिन राग... Hindi · कविता 341 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता बाल सखा चित चोर लियो तुम ढोल, मृदंग रहे मदमाए चंदन भाल लगा इठलावत श्वेत वसन तन खूब सुहाए। मोहनि मूरत सांवरि सूरत चंद्र सलौना रूप लुभाए फाल्गुन मास बसे... Hindi · कविता 1 1 478 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 8 Oct 2018 · 1 min read कविता मधुशाला” (माहिया छंद) ************ रातों को आते हो नींद चुरा मेरी मुझको तड़पाते हो। नैनों बिच तू रह दा मधुबन सा जीवन काँटे सम क्यों जी दा? दिल डूब गया... Hindi · कविता 276 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 7 Oct 2018 · 1 min read कविता *किताब* -------------- आज किताबें व्यथा सुनातीं कैसा ये कलयुग आया है? मोबाइल हाथों में देकर पुस्तक का मान घटाया है। ज्ञान स्रोत गूगल बन बैठा जग में ऐसा तोड़ कहाँ... Hindi · कविता 403 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित थी अटल दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी जिसके भीतर नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर... Hindi · कविता 250 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित थी अटल दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी जिसके भीतर नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर... Hindi · कविता 413 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *आँसू* नयनों के सागर मध्य रहा ये मुक्तक सीप समाहित सा, निष्ठुर जग मोल लगा न सका रह गया ठगा उत्साहित सा। विकल व्यथाएँ जलते उर की क्रंदन करती धधक... Hindi · कविता 380 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 4 Oct 2018 · 1 min read कविता *दीवारें* विश्वासी ईंटों से निर्मित मजबूत दीवारों की हसरत, लेप स्वार्थ का लगा दिया व्यापी भीतर जिसके नफ़रत। भाई-भाई के बीच खड़ीं मतभेद करातीं दीवारें, अपनों का उपहास उड़ाकर क्यों... Hindi · कविता 266 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 30 Sep 2018 · 1 min read आँसू *आँसू* नयनों के सागर मध्य रहा ये मुक्तक सीप समाहित सा, निष्ठुर जग मोल लगा न सका रह गया ठगा उत्साहित सा। विकल व्यथाएँ जलते उर की क्रंदन करती धधक... Hindi · कविता 258 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "किन्नर" ****** किसे सुनाऊँ मौन व्यथा मैं कौन जगत में है अपना, जन्म लिया किन्नर का जब से लगता है जीवन सपना। मातृ कोख से जन्मा हूँ मैं क्यों समझा... Hindi · कविता 1 1 257 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "वैश्या का क्यों नाम दिया?" ********************* वैश्या का अंतर्मन कहता तू पाकीज़ा बन मिसाल, देह रौंदते हैवानों से कर ले आज लाख सवाल...। किसकी बेटी ने खुद चल कर कोठे... Hindi · कविता 306 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "हे केशव नव अवतार धरो" घात लगाए बैठे दानव मानवता क्यों भूल गए? रक्त रंजित धरा पर हँसते देकर हमको शूल गए। संबंध भुला शकुनी मामा पापी दुर्योधन दाँव चले।... Hindi · कविता 295 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "किसकी पराजय?" चली उम्मीद की आँधी जना जब पुत्र माता ने बजी शहनाइयाँ घर में दिया कुलदीप दाता ने। सजा अरमान की डोली झुलाया लाल को पलना पिता ने थाम... Hindi · कविता 228 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "शोषित धरा" ********** इंद्रधनुष से रंग चुराकर सुंदर रचना बाकी है दूर प्रदूषण जग से करके भू का सजना बाकी है। बंजर भू के कोमल उर में नील नीर की... Hindi · कविता 258 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ?मैं और मेरी माँ? बारिश की बूदों में माँ तू, मेघ सरस बन जाती है। तेज धूप के आतप में तू ,आँचल ढ़क दुलराती है। तन्हाई में बनी खिलौना ,आकर... Hindi · कविता 498 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता “देशभक्त की अभिलाषा” ***************** निष्ठुर मन की बुझी बाती सा, मैं क्यों जीवन मौन धरूँ? जी चाहे मैं रजत रेत सा हस्त पकड़ से फिसल पड़ूँ। आशाओं के पंख लगा... Hindi · कविता 1 319 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता ' कलम से ' ********* मैंने कलम हाथ में थामी नन्हें अक्षर लिखना सीखा। बना कलम को ताकत अपनी सुख-दुख उससे कहना सीखा। तन्हा स्वप्न सजा रातों में ख़्वाबों ने... Hindi · कविता 395 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *खामोशी* ******* संवेगों की मौन व्यथाएँ मूक भाव अभिव्यक्ति है दमित चाह ज्यों बंद यौवना चुप्पी साधे दिखती है। कलकल स्वर में निर्झर बहता विरह वेदना कह जाता काँटों से... Hindi · कविता 390 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता “प्रकृति बचाओ” रक्त अश्रु बहा प्रकृति करे ये रुदन नहीं ध्वस्त करो मेरा कोमल बदन वृक्ष पवन जल तुमसे छिन जाएँगे प्रदूषित धरा पर जन क्या पाएँगे? कुपोषित नदी कूड़ेदान... Hindi · कविता 441 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता *?रिश्ते?* ************* प्रीत बरसती थी रिश्तों में अंगारे क्यों धधक रहे हैं ? बोए हमने फूल यहाँ थे काँटे फिर क्यों उपज रहे हैं? संस्कार अब विलुप्त हो गए माँ... Hindi · कविता 215 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता विरह गीत (मत्तगयंद छंद, 7भगण +दो गुरु) ******************** श्याम सखा चित चोर लियो तुम नैंनन नींद नहीं अब आए। भोर भई मन देखत कान्हा माखन ,दूध, दही न सुहाए। गोकुल,... Hindi · कविता 301 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "कशमकश" ********** ये कशमकश ये मुश्किलें भी हमको नाच नचाती हैं, सुलझ न पाए गुत्थी कोई उलझन ये बन जाती हैं। असमंजस का भाव जगातीं, दिल को ये भटकाती हैं,... Hindi · कविता 191 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता सफ़र ****** दुष्कर सफ़र काट जीवन में अंगारों के पार गया, नयनों से नीर बहा मेरे क्यों ना देखूँ ख्वाब नया। सुखद सलौना प्रेम खिलौना उर में मेरे प्यार पला,... Hindi · कविता 417 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "घूँट-घूँट ज़िंदगी" ************** बेबस, आहत ताने सह कर औरत घुट-घुट कर मरती है, नव रूप धरे इस जीवन में आँचल में काँटे भरती है। जिस दिन बेटी को जन्म दिया... Hindi · कविता 386 Share डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना' 2 Sep 2018 · 1 min read कविता "उदास पनघट" ************ छुपा कर दर्द सीने में नदी प्यासी बहे जाती। बसा कर ख्वाब आँखों में परिंदे सी उड़े जाती। निरखते बाँह फैलाकर किनारे प्यार से इसको- समेटे प्यास... Hindi · कविता 224 Share Previous Page 2 Next