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8 Oct 2018 · 1 min read

कविता

जन्मदिवस

तन समर्पित मन समर्पित क्या तुझे उपहार दूँ
जन्मदिन पर आज तेरे क्या तुझे सौगात दूँ?

पुष्प वेणी केश में मधुमास बनकर जा बसूँ
प्रीत का रसपान कर मैं गीत अधरों का बनूँ?

आसमाँ का चाँद बन मैं माँग तारों से भरूँ
या तुम्हारे नैन का दीपक बना जलता रहूँ?

अंजली भर नेह की सागर सरस बनता रहूँ
छाँव दे तरुवर बना जीवन सुखद करता रहूँ?

साँस धड़कन में बसा सरगम तेरी बनता रहूँ
भाव शब्दों में पिरो कविराज बन कविता करूँ?

तन समर्पित मन समर्पित क्या तुझे उपहार दूँ
जन्मदिन पर आज तेरे क्या तुझे सौगात दूँ?

डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ.प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर

Language: Hindi
335 Views
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