MITHILESH RAI Tag: मुक्तक 503 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid MITHILESH RAI 20 Oct 2018 · 1 min read मुक्तक मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है। मेरे ज़ख्म को तेरा ठुकराना याद है। लबों को खींच लेती है पैमाने की तलब- हर शाम साक़ी को मेरा आना याद है।... Hindi · मुक्तक 4 1 461 Share MITHILESH RAI 15 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक मैं तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ? मैं तड़पाती यादों की जागीरों का क्या करूँ? मैं अश्कों को पलकों में रोक सकता हूँ लेकिन- मैं दर्द की लिपटी हुई... Hindi · मुक्तक 3 1 284 Share MITHILESH RAI 30 Oct 2017 · 1 min read मुक्तक जिन्दगी जब भी किसी से प्यार करती है! हर वक्त उसी का इंतजार करती है! शाम गुजर जाती है उसी की यादों में, रात तन्हाई की बेकरार करती है! रचनाकार-... Hindi · मुक्तक 2 2 299 Share MITHILESH RAI 22 Apr 2018 · 1 min read मुक्तक मेरी हर कोशिश तुम्हें पाने के लिए थी! तेरी जुल्फों के तले आने के लिए थी! लेकिन समझ न पाया मैं तेरी दिल्लगी, तेरी हर अदा तो तड़पाने के लिए... Hindi · मुक्तक 2 369 Share MITHILESH RAI 30 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक सामने है साक़ी हाथों में शराब है। मेरी निगाहों में तेरा ही शबाब है। प्यास जल रही है तेरी कब से लबों पर- हुस्न का ख़्यालों में फ़ैलता महताब है।... Hindi · मुक्तक 2 226 Share MITHILESH RAI 30 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक सामने है साक़ी हाथों में शराब है। मेरी निगाहों में तेरा ही शबाब है। प्यास जल रही है तेरी कब से लबों पर- हुस्न का ख़्यालों में फ़ैलता महताब है।... Hindi · मुक्तक 2 1 219 Share MITHILESH RAI 28 May 2019 · 1 min read मुक्तक मैं हर ख़्वाब में एक मंज़र रखता हूँ। मैं ज़ख़्मों को दिल के अंदर रखता हूँ। कभी इम्तिहान ले लो मेरे सब्र का- मैं ख़ुद में ग़मों का समन्दर रखता... Hindi · मुक्तक 2 1 291 Share MITHILESH RAI 14 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम पास नहीं हो लेक़िन तन्हा रात वही है। चाहत है वही यादों की बरसात वही है। हर ख़ुशी भी दूर है मेरे आशियाने से- ख़ामोशी के पल में दर्दे-हालात... Hindi · मुक्तक 2 255 Share MITHILESH RAI 24 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक ख़्वाब टूटते हैं मग़र यादें रह जातीं हैं। चाहतों की दिल में फ़रियादें रह जातीं हैं। देख़तीं रहतीं हैं आँखें राहें मंज़िल की- वस्ल की भटकी हुई मुरादें रह जातीं... Hindi · मुक्तक 2 540 Share MITHILESH RAI 25 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे। मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे। अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी- मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ कबसे। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 2 531 Share MITHILESH RAI 25 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक हौसला मैं चाहत का बुलन्द रखता हूँ! दर्द को पलकों में नजरबंद रखता हूँ! कहीं ख्वाब खो न जाऐं हसीन लम्हों के, हर याद को मैं जिगर में बंद रखता... Hindi · मुक्तक 1 337 Share MITHILESH RAI 28 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक मुझे चाहतों का ईनाम मिल गया है! मुझे बेरुखी का पैगाम मिल गया है! बिखरी हुई लकीरें हैं अरमानों की, दर्द का आलम सुबह शाम मिल गया है! #महादेव_की_कविताऐं'(22) Hindi · मुक्तक 1 1 255 Share MITHILESH RAI 31 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक मेरी जिन्दगी से यादों को तुम ले लो! मेरे दर्द की फरियादों को तुम ले लो! हर घड़ी रुलाती हैं अब तेरी ख्वाहिशें, मेरे ख्यालों से इरादों को तुम ले... Hindi · मुक्तक 1 225 Share MITHILESH RAI 20 Feb 2017 · 1 min read मुक्तक कोई है पराया कोई अपना सा होता है! कोई यादों का काफिला सपना सा होता है! ख्वाबों की तस्वीरें भी तरसाती हैं जिस्म को, कभी धड़कनों का चलना तड़पना सा... Hindi · मुक्तक 1 273 Share MITHILESH RAI 10 Mar 2017 · 1 min read मुक्तक तेरे बगैर मैं तो तन्हा जिया करता हूँ! शामों-सहर मैं तुमको याद किया करता हूँ! जिन्द़गी थक जाती है करवटों से लेकिन, नींद में भी तेरा मैं नाम लिया करता... Hindi · मुक्तक 1 1 340 Share MITHILESH RAI 23 Mar 2017 · 1 min read मुक्तक तेरी जुदाई से मैं हरपल डर रहा हूँ! तेरी बेरुखी से मैं हरपल मर रहा हूँ! कबसे भटक रहा हूँ मैं तेरे ख्यालों में, शामें-मय़कशी तेरे नाम कर रहा हूँ!... Hindi · मुक्तक 1 247 Share MITHILESH RAI 6 May 2017 · 1 min read मुक्तक टूट रहा हूँ मैं गमे-अंजाम सोचकर! टूट रहा हूँ मैं गमे-नाकाम सोचकर! मंजिल डरी हुई है दर्द-ए-बेरुखी से, तेरी बेवफाई का पैगाम सोचकर! मुक्तककार- #महादेव' Hindi · मुक्तक 1 1 177 Share MITHILESH RAI 13 May 2017 · 1 min read मुक्तक जब तेरी नजरों से मुलाकात होती है! चाहत की दिल से रूबरू बात होती है! यादों का तूफान कभी रुकता नहीं मगर, तन्हाइयों के आलम में रात होती है! मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 1 1 342 Share MITHILESH RAI 27 May 2017 · 1 min read मुक्तक हर शाम चाहतों की आहट सी होती है! हर शाम जिगर में घबराहट सी होती है! जब रंग तड़पाता है तेरी अदाओं का, मेरी साँसों में गर्माहट सी होती है!... Hindi · मुक्तक 1 247 Share MITHILESH RAI 13 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक तेरी याद से खुद को आजाद करूँ कैसे? तेरी चाहत में खुद को बरबाद करूँ कैसे? लब्ज भी खामोश हैं बेबसी की राहों में, तेरी मैं तकदीर से फरियाद करूँ... Hindi · मुक्तक 1 436 Share MITHILESH RAI 16 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक तेरे सिवा कुछ भी नजर आता नहीं है! ख्वाबों का सफर भी मुस्कुराता नहीं है! राह खींच लेती है यादों की इसतरह, तेरा ख्याल मुझसे दूर जाता नहीं है! मुक्तककार... Hindi · मुक्तक 1 1 327 Share MITHILESH RAI 15 Jul 2017 · 1 min read मुक्तक जिन्दगी मिलती नहीं किसी को सस्ती बनकर! कोई तन्हा है कहीं कोई हस्ती बनकर! नेकियाँ करते चलो तुम भी कुछ जमाने में, जिन्दगी जी लो तुम राहों में मस्ती बनकर!... Hindi · मुक्तक 1 521 Share MITHILESH RAI 18 Jul 2017 · 1 min read मुक्तक कोई खौफ़ नहीं है मरने से मुझको! दामन में अश्कों के बिखरने से मुझको! क्या रोकेगी तन्हाई शामों-सहर की, जिन्दगी भर इंतजार करने से मुझको! मुक्तककार-#मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 258 Share MITHILESH RAI 26 Aug 2017 · 1 min read मुक्तक गमों को दिल में छुपाना आसान नहीं है! शमा यादों की बुझाना आसान नहीं है! जब भी छूट जाते हैं हमसफर राहों में, अकेले लौट कर आना आसान नहीं है!... Hindi · मुक्तक 1 371 Share MITHILESH RAI 4 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं! तेरी चाहत में गिरफ्तार बैठे हैं! कोई डर नहीं है जुल्मों के दौर का, हर जख्म के लिए हम तैयार बैठे हैं!... Hindi · मुक्तक 1 284 Share MITHILESH RAI 6 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक खुद की तरह जीने का जूनून रखता हूँ! दिल में अरमानों का मज़मून रखता हूँ! अभी हौसला जिन्दा है पाने का तुमको, खुद में तूफानों को मक़नून रखता हूँ! मुक्तककार-#मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 302 Share MITHILESH RAI 18 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक अब तो मंजिलों के भी दाम हो गये हैं! रिश्ते जिन्दगी के नीलाम हो गये हैं! दर्द की लकीरें तैरती हैं अश्कों में, अब तो जख्मों के कई नाम हो... Hindi · मुक्तक 1 344 Share MITHILESH RAI 8 Oct 2017 · 1 min read मुक्तक मैं तेरी तमन्ना को छोड़कर आया हूँ! मैं दर्द की बंदिश को तोड़कर आया हूँ! मैं भूल गया हूँ मंजिलें राह-ए-इश्क की, अश्कों के तूफान को मोड़कर आया हूँ! मुक्तककार... Hindi · मुक्तक 1 1 280 Share MITHILESH RAI 25 Oct 2017 · 1 min read मुक्तक तेरी बेकरारी आज भी कमाल है! मेरी जिन्दगी को तेरा ही ख्याल है! भूल गया हूँ दर्द के अंजाम को मगर, तेरी जुदाई का आज भी मलाल है! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 1 273 Share MITHILESH RAI 2 Dec 2017 · 1 min read मुक्तक तेरी याद में तन्हा होकर रह जाता हूँ! तेरी याद में तन्हा रोकर रह जाता हूँ! जब भी तीर चुभते हैं तेरी रुसवाई के, जाम के पैमानों में खोकर रह... Hindi · मुक्तक 1 1 390 Share MITHILESH RAI 5 Dec 2017 · 1 min read मुक्तक मेरा हरेक आलम ख्वाब तेरा लगता है! तेरा ख्याल सर्दियों में धूप सा जलता है! जब भी सताती हैं सरगोशियाँ इरादों की, नींद के आगोश में दर्द तेरा चलता है!... Hindi · मुक्तक 1 1 194 Share MITHILESH RAI 11 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक तेरी याद कभी-कभी मुस्कान देती है! तेरी याद कभी-कभी तूफान देती है! टूटी हुई चाहत भी जुड़ जाती है कभी, कभी-कभी हर आलम सूनसान देती है! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 574 Share MITHILESH RAI 4 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक है चाहत उस मुकाम की जहाँ कोई कमी न हो! ख्वाब हों पलकों में अश्कों की कोई नमी न हो! हर तरफ फैली हुई हो रोशनी उम्मीदों की, सुख की... Hindi · मुक्तक 1 250 Share MITHILESH RAI 5 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक हर शख्स जमाने में बदल जाता है! वक्त की तस्वीरों में ढल जाता है! उम्मीद मंजिलों की होती है मगर, गमों की आग से ख्वाब जल जाता है! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 1 263 Share MITHILESH RAI 11 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक मैं जब भी चाहूँ तुमको पुकार लेता हूँ! अपने लफ्जों में तुमको उतार लेता हूँ! मैं जानता हूँ तुम कभी न आओगे मगर, तेरी याद को दिल में संवार लेता... Hindi · मुक्तक 1 415 Share MITHILESH RAI 2 Apr 2018 · 1 min read मुक्तक तेरे आ जाने से फिर बहार आ गयी है! हरतरफ तेरी खुशबू खुशगवार आ गयी है! वीरान था आलम मेरी तमन्नाओं का, मेरी जिन्दगी फिर से एक बार आ गयी... Hindi · मुक्तक 1 221 Share MITHILESH RAI 25 Jul 2018 · 1 min read मुक्तक ग़मों को दिल में छुपाना आसान नहीं है। शमा यादों की बुझाना आसान नहीं है। जब भी छूट जाता है हमसफ़र राहों में- अकेले लौट कर आना आसान नहीं है।... Hindi · मुक्तक 1 1 384 Share MITHILESH RAI 25 Sep 2018 · 1 min read मुक्तक मैं अधूरा सा हूँ तेरे नाम के बग़ैर। यादों की तड़पाती हुई शाम के बग़ैर। मैं देखकर ज़िन्दा हूँ तेरी तस्वीरें- आँखें भी सोती नहीं हैं जाम के बग़ैर। मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 1 1 318 Share MITHILESH RAI 20 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक तुम कभी दिल से न रिश्ता तोड़ देना। तुम कभी तन्हा न मुझको छोड़ देना। मुश्किल है अब तुम बिन मेरी ज़िन्दग़ी- राहे-दर्द पर न मुझको मोड़ देना। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 3 303 Share MITHILESH RAI 4 Dec 2018 · 1 min read मुक्तक तेरी चाहत मेरी आदत की तरह है। मेरी ज़िन्दग़ी में इबादत की तरह है। धड़कनों में गूँज़ती है यादों की सदा- मेरी बंदगी की इबारत की तरह है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 268 Share MITHILESH RAI 21 Jan 2019 · 1 min read मुक्तक मैं जब कभी तेरी तस्वीर देख लेता हूँ। मैं अपने ख़्यालों की तक़दीर देख लेता हूँ। ख़्वाबों के समन्दर में उठती है चिंगारी- मैं तेरी अदाओं का तीर देख लेता... Hindi · मुक्तक 1 237 Share MITHILESH RAI 17 Mar 2019 · 1 min read मुक्तक क्यों तुम मेरी यादों में ग़म कर जाते हो? आकर मेरी निगाह को नम कर जाते हो। दर्द की आहट से डर जाती है ज़िन्दग़ी- मेरी ख़ुशियों के पल को... Hindi · मुक्तक 1 687 Share MITHILESH RAI 7 May 2019 · 1 min read मुक्तक तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ? मैं तेरे ख़्यालों की जंज़ीरों का क्या करूँ? अश्क़ों को छुपा लेता हूँ पलकों में लेकिन- मैं तेरे सपनों की ज़ाग़ीरों का क्या... Hindi · मुक्तक 1 472 Share MITHILESH RAI 27 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक कभी-कभी रिश्ते भी बेग़ाने नज़र आते हैं। कभी-कभी अपने भी अनज़ाने नज़र आते हैं। जब यादें तोड़ देतीं हैं क़िस्तों में दिलों को- उस वक़्त आदमीं को पैमाने नज़र आते... Hindi · मुक्तक 1 480 Share MITHILESH RAI 18 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम कभी तो आओगे सबको छोड़कर। रस्मों की जंज़ीर से ख़ुद को तोड़कर। हमको मिल जाएँगीं कभी तो मंज़िलें- दर्द की राहों से रुख़ अपना मोड़कर। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 453 Share MITHILESH RAI 23 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक मैं तेरी तस्वीर को कब तलक़ देख़ूँ? मैं दर्द की लक़ीर को कब तलक़ देख़ूँ? सिसक रहें हैं लफ़्ज़ भी मेरी ज़ुबाँ पर- मैं ज़ख़्में-तक़दीर को कब तलक़ देख़ूँ? मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 1 482 Share MITHILESH RAI 30 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक मुझे तेरी चाहत ने सँभलने न दिया। मुझे दर्द से ख़ुद को ज़ुदा करने न दिया। आती रहती है सदा यादों की हर-पल- मुझे ज़ख़्म देकर भी कभी मरने न... Hindi · मुक्तक 1 247 Share MITHILESH RAI 3 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कभी-कभी ख़्वाब भी सुहाना लगता है। कभी-कभी ख़्याल भी फ़साना लगता है। कभी किसी को हम सफ़र मिलता ही नहीं- कभी किसी को प्यार पुराना लगता है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 269 Share MITHILESH RAI 7 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक तुझे भूलने की क़ोशिश नाक़ाम हो रही है। तेरे बग़ैर मेरी तन्हा शाम हो रही है। मैं भूल गया हूँ अपनी तमन्नाओं को मग़र- हर साँस की रवानी तेरे नाम... Hindi · मुक्तक 1 410 Share MITHILESH RAI 23 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कोई कहे कैसे उसको ग़म नहीं है? जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है। तुम हर तरफ़ ढूँढ़ लो इलाज़े-मर्ज़ को- इस दर्द का कोई भी मरहम नहीं... Hindi · मुक्तक 1 310 Share Page 1 Next