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28 May 2019 · 1 min read

मुक्तक

मैं हर ख़्वाब में एक मंज़र रखता हूँ।
मैं ज़ख़्मों को दिल के अंदर रखता हूँ।
कभी इम्तिहान ले लो मेरे सब्र का-
मैं ख़ुद में ग़मों का समन्दर रखता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 285 Views
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