इंदिरा गुप्ता 48 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid इंदिरा गुप्ता 30 May 2018 · 1 min read मैं एक छोटा सा बिंदु, फैलकर इतना बड़ा हो गया- की वह बन गया मैं, और मैं होगया उसका दास- उसने मुझे लील लिया। वह सब कूछ- और मैं कुछ नही,... Hindi · कविता 1k Share इंदिरा गुप्ता 23 Nov 2017 · 1 min read विश्वास(छंद मुक्त कविता) पहाड़ से गिरते झरने के जल सा, सर पटकता है चट्टानों पर मेरा विश्वास। इस जंगल मे जानवर ही जानवर हैं इंसान हो तो सुने मेरी चीख पुकार। दर्द मेरे... Hindi · कविता 747 Share इंदिरा गुप्ता 30 Mar 2018 · 1 min read कल्पना और यथार्थ चांदनी के रथ पर कल्पना की दुल्हन, उमंगों की चुनर ओढ़- चली छ म छ मा छ म। यथार्थ के राक्षस ने- रोक दिया रथ, मोड़ दिया जाना पहचाना अब... Hindi · कविता 682 Share इंदिरा गुप्ता 7 Nov 2017 · 1 min read ब्रह्म स्तय जगत मिथ्या माया शक्ति है ब्रह्म की पर उसको न चु पाये उसकी इच्छा आज्ञा से पल में यह संसार बनाये। जो है लेकिन मिट जाता है सत्य नही कहलाता है पल... Hindi · कविता 635 Share इंदिरा गुप्ता 18 Jan 2018 · 1 min read चलो आवो हम सब मिल चलें जमुना जी के टिड उत श्याम बंसी बजे राधा भर लावे नीर। राधा भर ल्यावे नीर कदम्ब की छांव है बैठी कान्ह ढ़ेर की बंसी... Hindi · कविता 524 Share इंदिरा गुप्ता 1 Jun 2018 · 1 min read छोटी कविता कसम ववश्वास की- जो साथ तेरा, हो सुलभ मुझको - हर दर्द का सहारा , भी पगडंडी बनेगा। शेष न रह जायेगी- शंका कोई हमको, हर श्वांस एक एक- स्वर्ग... Hindi · कविता 529 Share इंदिरा गुप्ता 18 Mar 2018 · 1 min read याद घाटियों पे- घिर रहा, गहरा अंधेरा। मन मे उभरता, आ रहा है- नक्श तेरा। जैसे आंसुओं के, नन्हे नन्हे हंस- तैरते से आ रहे है, पलकों का पंछी- कर रहा... Hindi · कविता 496 Share इंदिरा गुप्ता 15 Nov 2017 · 1 min read आत्म आलोचना अपनी कमी देखना आसान नहीं है व्यवहार में इसका प्रचार नहीं है। पूर्वाग्रह नहीं हो हो दृष्टि ईमानदार हर रात समीक्षा करो करो कमी की स्वीकार । दूसरा अपने को... Hindi · कविता 484 Share इंदिरा गुप्ता 24 Nov 2018 · 1 min read कहा कहां चले गए वो लोग जो कि दिल के पास थे न जाने कब बगल गए जो हमारी आस थे। विश्वास की हमारे लो धज्जियां सी उड़ गईं चाहतें चुप... Hindi · कविता 2 496 Share इंदिरा गुप्ता 29 Jan 2018 · 1 min read विनती शिखरिणी चंद है दीना नाथ अर्ज सुनो मेरी चेरी हूँ तेरी। कष्टों की वर्षा ये मन घबराए परीक्षा मेरी। थकी है सांसे थका है तन मन सुधि लो मेरी। अंत... Hindi · कविता 474 Share इंदिरा गुप्ता 27 Nov 2017 · 1 min read कविता यादें यादें घाटियों पर , घिर रहा गहरा अंधेरा। मन मे उभरता, आ रहा है -- नक्श तेरा। जैसे आंसुओं के , नन्हे नन्हे हंस -- तैरते से आ रहे है,... Hindi · कविता 460 Share इंदिरा गुप्ता 5 Jan 2018 · 1 min read दिल दिल मे है आंधी कोई अंदर दबी हुई वरना यह इतना परेशान सा क्यों है। अब तो चाहतों का भी कुछ शोर नहीं है कुछ नया करने का भी जोर... Hindi · कविता 460 Share इंदिरा गुप्ता 17 Oct 2017 · 1 min read दीवाली दीप अवलि किजगमग ज्योति धरा पर जब मुस्कायेगी अमावस्या की अंधियारी स्वयम दूर हो जाएगी । दीप नेह के ऐसे बालो हृदय हृदय से मिल जाये मतभेदों का टीम भागे... Hindi · कविता 445 Share इंदिरा गुप्ता 11 Jul 2018 · 1 min read भ्रम मैं अपने आप को मुक्त समझने वाला गर्वीला प्राणी। किसी बन्धन को न स्वीकारने की जिसने थी ठानी। अपनी ही जेल का कैदी बन गया गर्व सारा बूँद बूँद दम्भ... Hindi · कविता 465 Share इंदिरा गुप्ता 5 Feb 2018 · 1 min read यादें घाटियों पर, घिर रहा- गहरा अंधेरा। मन मे उभरता, आ रहा है- नक्श तेरा। जैसे आनसों के, नन्हे नन्हे हंस- तैरते से आ रहे हैं, पलकों का पंछी- कर रहा... Hindi · कविता 434 Share इंदिरा गुप्ता 13 Apr 2018 · 1 min read शेर बरछी चुभ के आप सहलाते हैं देखिए क्या दामने हवा से कभी आग बुझी है? नकोई शिकवा न परेशानी है क्या जानिए कैसी ये बदगुमानी है । मन पे एक... Hindi · मुक्तक 416 Share इंदिरा गुप्ता 16 May 2018 · 1 min read छोटी कविता कसम विश्वास की- जो साथ तेरा, हो सुलभ मुझको- हर दर्द का सहरा, भी पगडंडी बस्नेग। शेष न राह जाएगी- शंका कोई हमको, हर स्वांस एक एक- स्वर्ग की देहरी... Hindi · कविता 382 Share इंदिरा गुप्ता 10 Nov 2017 · 1 min read मत पुकारो,,,,,,,,,गीत मत पुकारो तुम मुझे मैं हूँ दीवाना तुम्हारा। झूठ को भी सच समझ दौड़ कर आ जाऊंगा तुम हो जलती शमा मैं हूँ परवाना तुम्हारा। मत पुकारो,,,,,, माना कि गुजरी... Hindi · गीत 427 Share इंदिरा गुप्ता 19 Aug 2018 · 1 min read तुम सम्बन्ध या रिश्ते यदि, नामों में बंध पाते- तो कितने ही रिश्ते, क्यों अनाम रह जाते। बन्धु, मीत, साथी सब तुमको समझती हूँ, शब्दों में भाव का- सूत्र स्वयम बुनती... Hindi · कविता 384 Share इंदिरा गुप्ता 9 Nov 2017 · 1 min read सम्बन्ध ज्यों मकड़ी जाल बुने हम बुनते सम्बन्ध उलझ पुलझ उनमे फंसे स्वीकारे प्रतिबन्ध। आशा सुख की संसार मे मात्र निराशा है भौतिकता में आनंद बस एक दुराशा है। पहले यह... Hindi · कविता 401 Share इंदिरा गुप्ता 17 Mar 2018 · 1 min read सांध्य धूप थक गई है धूप- की पेड़ों के काढ़े पे, सर टेके पसरी है। चेहरा पीला, आंखें नील गगन पर- कि चन्दा के रथ पर, चांदनी आ जाये- समेटे बाहों में,... Hindi · कविता 367 Share इंदिरा गुप्ता 19 Apr 2018 · 1 min read हाइकू मादक रात फूले रजनीगन्धा हाथ मे हाथ। मन भावनी सुगन्धित पवन शांति दायिनी चाँद बिखेरे धरा पर चंद्रिका रूप निखरे। मीठा संगीत लेता मन को जीत आ भी जा मीत।... Hindi · हाइकु 376 Share इंदिरा गुप्ता 6 Nov 2017 · 1 min read दोहे करूं तिहारी चाकरी नित्य रहूं मैं संग संसार ये सारा न दिखे ऐसा हो सत्संग। दया क्षमा नेकी करे कर के जाए भूल दूजे की नेकी न भूले यह जीवन... Hindi · कविता 361 Share इंदिरा गुप्ता 5 Dec 2017 · 1 min read कविता तुम तुम तुम क्या गए इस जिंदगी से जान ले गए खिलखिलातीसांसो की पहचान ले गए बोल छुटे सब यहीं स्वर तान ले गए झूमती खुशियों कामधुर गान ले गए। जिन... Hindi · कविता 345 Share इंदिरा गुप्ता 20 Mar 2018 · 1 min read शिखरिणी छ नंद नाइ कोपलें झांक झांक सुनतीं फागुन गीत। गदरा गए पेड़ पत्तों से लदे गूंजे संगीत। फूली बगिया हंसती सुगन्ध है ये मतवारी। होली उत्साह जागा है प्रकृति में मनवाँ वारी।... Hindi · कविता 361 Share इंदिरा गुप्ता 13 Jan 2019 · 1 min read जागती है रात सोता है दिन- जागती है रात, दिन का उजाला- अब बनता है पाप। कौन किसे रोके- कौन किसे टोके, दृष्टि पर सभी के - है मटमैली राख । कर्म जले,... Hindi · कविता 370 Share इंदिरा गुप्ता 19 Oct 2017 · 1 min read आत्म आलोचना अपनी कमी देखना आसान नही है । व्यवहार में इसका प्रचार नही है। पूर्वाग्रह नही हो हो दृष्टि ईमानदार। हर रात समीक्षा करो है इसकी ही दरकार। दूसरा अपने को... Hindi · कविता 390 Share इंदिरा गुप्ता 27 Nov 2017 · 1 min read आंसू आंसू कभी बड़े आघात भी -- हुम् झेल जाते है , कभी जरा सी बात पर-- भर आते हैं आंसू। क्या हुआ, बस इतना सा -- पूछ लेने पर ,... Hindi · कविता 298 Share इंदिरा गुप्ता 10 Nov 2017 · 1 min read दोहे,,,,,,,,,,,,,(साधना) त्रितप, दान, और प्रार्थना मानव की है साधना आध्यात्मक उन्नति करे करे पूर्ण आराधना। मनसा वाचा, कर्मणा त्रितप करे जो को आत्म शुद्धि निर्मल चित निश्चित वाको होइ। आनंदित मन... Hindi · दोहा 333 Share इंदिरा गुप्ता 16 May 2018 · 1 min read कल्पना और यथार्थ चांदनी के रथ पर- कल्पना की दुल्हन, उमंगों की चुनर ओढ़- चली छम छमा छ म । यथार्थ के राक्षस ने- रोक दिया रस्थ, मोड़ दिया जाना पहचान- अब तक... Hindi · कविता 310 Share इंदिरा गुप्ता 25 Oct 2017 · 1 min read चल रे हंसा चल रे हंसा उड़ि चले नहि रहना या देस इट कागामोती चुगे हिरनउड़ावे रेत। हिरण उड़ावे रेत बढ़ रहे अत्याचारी उजियारे पर मिट्टी डारे छाई मावस अंधियारी छाईमावस अंधियारी कोउ... Hindi · कविता 265 Share इंदिरा गुप्ता 5 Feb 2018 · 1 min read मुक्तक पतझड़ लाया उदासी फागुन बसंत बाहर नई कोपलें। मुस्काई प्रकृति का हुआ सृगार। जीवन मे बसाया भरष्टाचार भगवान से करवाया व्यापार फ़ोटो धूप धर थाली में भीख मंगवाया सरे बाजार। Hindi · मुक्तक 272 Share इंदिरा गुप्ता 7 Nov 2017 · 1 min read दोहजा रे काग जा उड़ जा जा रे काग जा उड़ि जा मोरे पिया के देस तुम्हरी जोगन राह में बैठी खईयो यह संदेस। यदि करते हो सचमुच प्यार करो समय से तुम इजहार। मन की... Hindi · दोहा 262 Share इंदिरा गुप्ता 26 Nov 2017 · 1 min read शेर मौत जो मांगी तो न आई तमाम उम्र अब जीने की तमन्ना है तो आई गले लगने। देने को यह जिंदगी बची। है मेरे पास पर कोई नही मिलता इसका... Hindi · शेर 259 Share इंदिरा गुप्ता 7 Dec 2017 · 2 min read जज़्बा लघु कथा हरखू हड़बड़ा के उठा।"ओह बड़ी देर हो गई।माँ ई दावा कहि की नहीं, मैं जानता था, ले दावा"मैं कहा लेती हूं बेटा तू क्यों परेशान होता है? ""... Hindi · लघु कथा 269 Share इंदिरा गुप्ता 9 Dec 2017 · 1 min read तीन शेर मुझे देखो मैं बूत हूँ मन्दिर में आस्था का बतौर रस्म आवोगे तो खाली ही हाथ जावोगे। दूरी भी नहीं कोई और पासभी नहीं हैं हुम् उनसे हैं मुखातिब उनकी... Hindi · शेर 244 Share इंदिरा गुप्ता 17 Mar 2018 · 1 min read दस्तक रात की ओस में, नहाई ये पीत आभा- सारे मन के कल्मष की, कलुष मिट गई है। हवाओं में मादक, संगीत से भरा है- भोर भीबसन्ती , होने लगी है... Hindi · कविता 225 Share इंदिरा गुप्ता 20 Mar 2018 · 1 min read जीवन वधू सँजोये स्वर्ण का सेंदुर पहनकर वासना मुदरी पिये दुर्बुद्धि की मदिरा उदात्त लाज जी चुनरी। बना मद को नयन काजल सजा हीरों से निज सेजिया लगा कर झूठ की बिंदिया... Hindi · कविता 225 Share इंदिरा गुप्ता 7 Jan 2018 · 1 min read सन्तान जब हाथ बढ़े दो मुस्काते हर सुबह रुकी हर शाम रुकी । तुतलाते शब्दों में जैसे ये सारी कायनात रुकी। वो पल सपनो से बीत गए सुधा कलश अब रीत... Hindi · कविता 227 Share इंदिरा गुप्ता 19 Apr 2018 · 1 min read हाइकू आँखिन सोहे तीखो कजरा स्याम मनवा मोहे। कान्हा के मुख दीं दिठौना मैया आत्मा को सुख। नजर लगे बाहर न भेजूंगी घर मे रहे। गोपियाँ आई चैन न परत है... Hindi · हाइकु 214 Share इंदिरा गुप्ता 7 Sep 2018 · 1 min read आम आदमी आम आदमी एक गधा है, उसका मुंह बनंधा है। नियति का चाबुक, उसपे साधा है। कदम कदम पर- लहू लुहान परकटे, पंछी की तरह- भरने को उड़ान, तड़फ रहा है-... Hindi · कविता 226 Share इंदिरा गुप्ता 22 Mar 2018 · 1 min read शेर मौत जो मांगी तो न आई तमाम उम्र जीने की तमन्ना है तो आई गले लगने। ख़ुद आया तेरे दर पे तो तूने भिखारी समझा अब तू भी बुलायेगा तो... Hindi · मुक्तक 205 Share इंदिरा गुप्ता 30 Dec 2018 · 1 min read सन्तान कविता जब हाथ बढ़े दो मुस्काते हर सुबह रुकी हर शाम रुकी। तुतलाते शब्दों में जैसे ये सारी कायनात रुकी। वो पल सपनों में बीत गए सुधाकलश सब रीत गए।... Hindi · कविता 1 218 Share इंदिरा गुप्ता 28 Jan 2018 · 1 min read जागे कौन जगाये कौन छ नंद मुक्त कविता सब पूछते है एक दूसरे से हम कहां जा रहे है? क्या ज्ज्माना आ गया है व्यभिचार सब पे छ आ गया है। जैसे हम जमाने... Hindi · कविता 215 Share इंदिरा गुप्ता 18 Mar 2018 · 1 min read निर्झर ऊपर से नीचे गिरता हूँ। कौन रोताहै- कौन हंसता है, बिन देखे बिन रुके- सीधे चल पड़ता हूँ। अनंत कर्म पथ का- गूंजता स्वर हूँ, हाँ मैं निर्झर हूँ। एक... Hindi · कविता 211 Share इंदिरा गुप्ता 29 Jan 2018 · 1 min read मुक्तक अपनी आजादी को माइक हमे बचाना है सर पर उड़ते इन गिद्धों को जड़ से मार गिराने है। व्यभिचार का खून करे सभी समस्या दूर करें भारत माँ की राहों... Hindi · मुक्तक 198 Share इंदिरा गुप्ता 2 Jan 2018 · 1 min read तुम हमने तो कहा नही था। तुम खुद ही चले आये दिल और दिमाग पर कुछ इस तरह छाए। आदि से अंत तक सब कुछ बदल गया नैनो में हास मन... Hindi · कविता 197 Share इंदिरा गुप्ता 19 Aug 2018 · 1 min read जिस तरह जैसे रात के - सायों में घिरी, बिन पतवार- कोई कश्ती हो रवाँ। जिस तरह- चांदनी की, ओढ़ कर चूनर- हुई हो रात जवां । गल रहा हैदर्द किसी- गायक... Hindi · कविता 196 Share