Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2017 · 1 min read

आत्म आलोचना

अपनी कमी देखना
आसान नही है ।
व्यवहार में इसका
प्रचार नही है।
पूर्वाग्रह नही हो
हो दृष्टि ईमानदार।
हर रात समीक्षा करो
है इसकी ही दरकार।
दूसरा अपने को जान
मन की निष्पक्ष करे।
दृष्टि को स्वछ बना
अपना समालोचन करें।
तभी अपनी कमियों को
हम पकड़ पाएंगे।
तथा कोई सुधार
अपने मे ला पाएंगे।
जीवन का लक्ष्य निरंतर
अपनी उन्नति करना है।
अपने मे इसी तरह
हमे सुधार करना है।।

Language: Hindi
388 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
(20) सजर #
(20) सजर #
Kishore Nigam
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
gurudeenverma198
दिल का हर अरमां।
दिल का हर अरमां।
Taj Mohammad
यूँ मोम सा हौसला लेकर तुम क्या जंग जित जाओगे?
यूँ मोम सा हौसला लेकर तुम क्या जंग जित जाओगे?
'अशांत' शेखर
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
DrLakshman Jha Parimal
मूकनायक
मूकनायक
मनोज कर्ण
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
" बंदिशें ज़ेल की "
Chunnu Lal Gupta
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
Neelam Sharma
■ चिंतन का निष्कर्ष
■ चिंतन का निष्कर्ष
*Author प्रणय प्रभात*
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
चलो कल चाय पर मुलाक़ात कर लेंगे,
गुप्तरत्न
इतना मत इठलाया कर इस जवानी पर
इतना मत इठलाया कर इस जवानी पर
Keshav kishor Kumar
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
ऐ माँ! मेरी मालिक हो तुम।
Harminder Kaur
खुद्दारी ( लघुकथा)
खुद्दारी ( लघुकथा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
आत्मा
आत्मा
Bodhisatva kastooriya
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
शेखर सिंह
दिल में गहराइयां
दिल में गहराइयां
Dr fauzia Naseem shad
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आज भी औरत जलती है
आज भी औरत जलती है
Shekhar Chandra Mitra
उजियारी ऋतुओं में भरती
उजियारी ऋतुओं में भरती
Rashmi Sanjay
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
Dushyant Kumar
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
क्योंकि मै प्रेम करता हु - क्योंकि तुम प्रेम करती हो
Basant Bhagawan Roy
2466.पूर्णिका
2466.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
उलझनें
उलझनें
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
भारत ने रचा इतिहास।
भारत ने रचा इतिहास।
Anil Mishra Prahari
मन
मन
Punam Pande
Loading...