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5 Feb 2018 · 1 min read

मुक्तक

पतझड़ लाया उदासी
फागुन बसंत बाहर
नई कोपलें। मुस्काई
प्रकृति का हुआ सृगार।

जीवन मे बसाया भरष्टाचार
भगवान से करवाया व्यापार
फ़ोटो धूप धर थाली में
भीख मंगवाया सरे बाजार।

Language: Hindi
269 Views
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