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5 Dec 2017 · 1 min read

कविता तुम

तुम
तुम क्या गए इस जिंदगी से जान ले गए
खिलखिलातीसांसो की पहचान ले गए
बोल छुटे सब यहीं स्वर तान ले गए
झूमती खुशियों कामधुर गान ले गए।
जिन पड़ रहा है सब सुख चैन वार के
नियति के खेल हुए दावों से हार के।
इस तरह रीते नहीं थे कोई रात दिन
तुम अपने संग अधरों की मुस्कान ले गए।
किस तरह तन्हाई में बीतेगा यह सफर
तुम गए सब स्वप्न और अरमान ले गए ।

Language: Hindi
343 Views
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