Bikash Baruah Language: Hindi 100 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bikash Baruah 18 Apr 2018 · 1 min read मैं आजाद हूं! कैसे कहूं कि मैं आजाद हूं, नजाने कौन-सी सियासत रची जाए अपने ही देश में गुलाम कहलाऊं, बनकर बुथ की तरह यहाँ वहाँ रखा जाऊं, भेड़ बकरी की तरह घास-फूस... Hindi · कविता 281 Share Bikash Baruah 9 Dec 2017 · 1 min read बेबसी नजाने दुनिया में क्या हो रहा है चैनो सूकून कहाँ खो गया है, धन दौलत सबके पास होते हुए नजाने सब क्यों परेशान लग रहा है । दुआएं हजार करते... Hindi · कविता 489 Share Bikash Baruah 25 Nov 2017 · 1 min read मुक्तक दिल में हमने चोट हज़ारों खाए हुए है मगर फिर भी जी रहे है एक बुथ की तरह, शिकवा किसीसे क्या करें भरोसा हमने खो दिया सबका बस अंतिम यात्रा... Hindi · मुक्तक 292 Share Bikash Baruah 30 Oct 2017 · 1 min read माथे पर शिकन लो बन गया हमारे माथे पर शिकन चिंता की थपेड़ों से , भूल न करना पहचानना मत कहना भाग्यरेखा इसे; भाग्यरेखा हमारे कहा अभागे जन्मे है हम, दुर्भाग्य हमारा साथी... Hindi · कविता 1 1k Share Bikash Baruah 24 Oct 2017 · 1 min read क्या यह ठीक हुआ? क्या यह ठीक हुआ, जिसकी कोख में पले बढ़े और फिर दुनिया में जनम लिया उसे ही घर से बाहर किया? क्या यह ठीक हुआ, हाथों ने जिसके पकड़कर ऊंगलियाँ... Hindi · कविता 293 Share Bikash Baruah 23 Oct 2017 · 1 min read कभी अगर चाहो तो कभी अगर चाहो तो मेरे बारे में सोच लेना, फुर्सत मिले तुम्हें काश तस्वीर मेरा देख लेना । कभी अगर चाहो तो गम हमसे बाँट लेना, खुशी अगर नसीब हो... Hindi · कविता 366 Share Bikash Baruah 18 Oct 2017 · 1 min read हरेक दिन अमावस जल रहे है दिए घरों में रौशनी फैलाए, चारों ओर खुशी की रौनक मन हर्षोल्लास पूर्ण सबके; लेकिन फिर भी कहीं किसी कोने में है अंधेरे, न जलता दिया न... Hindi · कविता 269 Share Bikash Baruah 17 Oct 2017 · 1 min read किसे कोसूँ एक तरफ रोकता है यह हाथ जुर्म करने को, वही दूसरा हाथ दागदार है पेट की आग बुझाने को; कभी डरता हूँ लोगों को अपना परिचय देने में , कभी... Hindi · कविता 522 Share Bikash Baruah 13 Oct 2017 · 1 min read दर्द सह लूंगा दर्द सह लूंगा मैं यूंही जिंदगी गुजार दूंगा मैं यूंही, शिकवा किसीसे कुछ नहीं साया भी छोड़ देती साथ यूंही। बहाऊँ आसूँ क्यों किसके लिए नहीं जब कोई यहाँ अपने-पराए,... Hindi · कविता 341 Share Bikash Baruah 4 Oct 2017 · 1 min read एक घर चाहिए मुझे एक घर चाहिए मुझे जो ईंट पत्थर से नहीं बना हो प्रेम जज्बात से, लड़ाई न कोई फसाद हो एकता एवं शांति बिरजते हो, जहाँ नारी-पुरुष छोटे-बड़े सब एक समान... Hindi · कविता 1 531 Share Bikash Baruah 30 Sep 2017 · 1 min read रावण का वध कौन कर सकेगा आज रावण का वध, गलि गलि में भरे हुए हैं रावण कितने सारे, लेकिन वध करने उनको एक भी राम आज जनम नहीं ले पाते या आज... Hindi · कविता 919 Share Bikash Baruah 28 Sep 2017 · 1 min read माँ दुर्गा कई दुर्गाओं को आज मैंने हाथ फैलाए दुर्गा के सामने ही खड़ी होकर लोगों से भीख मांगते देखा है ; आज दुर्गा शायद कमजोर पड़ गई है, जो पेट की... Hindi · कविता 1 379 Share Bikash Baruah 27 Sep 2017 · 1 min read वक्त कपड़ों से तन को ढका जाता है ना कि दिखाया जाता, मगर आजकल यह आलम है सरेआम जिस्म की नुमाइश हो जाता । कोई कहता वक्त का तकाजा कोई बदलाव... Hindi · कविता 1 1 484 Share Bikash Baruah 26 Sep 2017 · 1 min read गुलशन गुलशन सजते है गुलों से पतझड़ से, खारो से नहीं। भंवरा कलि को फूल बना देते भले उसकी सच्ची कदर होती नहीं । फूल महल में पले या कुटिया में... Hindi · शेर 284 Share Bikash Baruah 24 Sep 2017 · 1 min read मैं मृत कहलाऊंगा शायद यह मेरा अंतिम क्षण है होंठ सुख गए है शरीर शीतल हो गया है बिस्तर पर पड़ा हूँ चलने की शक्ति खो चुका हूँ, मगर फिर भी कमबख्त यह... Hindi · कविता 339 Share Bikash Baruah 22 Sep 2017 · 1 min read फूलों की किस्मत बाग में महकने वाले फूलों को माली संभाल लिया करते है, मगर कीचड़ में उगने वाले फूलों को संभालने वाला माली जग में कहाँ मिलते है? यों तो महफिल ताजे... Hindi · कविता 503 Share Bikash Baruah 20 Sep 2017 · 1 min read गुरबत फिर एक बार शरत आया है अपने साथ लेकर नवरात्रि का पर्व , चारो ओर चहल-पहल खुशी की है माहौल, रंग बिरंगे कपड़े पहनकर निकलेंगे सब सजधजकर, मगर फिर भी... Hindi · कविता 333 Share Bikash Baruah 19 Sep 2017 · 1 min read नेताओं की वाणी नेताओं की वाणी पर हरगिज विश्वास न करना ऐ मेरे भोले भारतवासी, चुनाव से पहले जो कहते वादा जो करते भूल जाते, पहले चार वर्ष वह लोग अपने लिए जीते... Hindi · कविता 475 Share Bikash Baruah 18 Sep 2017 · 1 min read मोहब्बत लड़खड़ाता है होंठ मेरा जब भी दिल की बात जुबान पर लाने की नाकाम कोशिश करता हूँ, बड़े अदब से पास उनके जाता तो हूँ मगर पसीने में तरबतर होकर... Hindi · कविता 299 Share Bikash Baruah 18 Sep 2017 · 1 min read स्वार्थी कौन कहता है कि वह स्वार्थी नहीं, मुझसे पूछो अगर मैं कहूंगा तुमसे संसार में रहने वाले हर एक है स्वार्थी, ममता के लिए अगर माँ-बाप बनते कोई तो कोई... Hindi · कविता 687 Share Bikash Baruah 17 Sep 2017 · 1 min read एक तिली हूँ यह सच है मैं एक तिली हूँ, मुल्य मेरा कुछ नहीं , अस्तित्व मेरा है और ना भी, मगर फिर भी काफी हूँ मैं , सबकुछ राख में तब्दील कर... Hindi · कविता 575 Share Bikash Baruah 15 Sep 2017 · 1 min read कोशिश तपती सड़क पर नंगे पाँव चलना उतना ही मुश्किल जितना महाकाश में नए ग्रह तलाशना , लेकिन असंभव नहीं संभव सब कुछ हासिल कर पाना , अगर हौसला हो दिल... Hindi · कविता 292 Share Bikash Baruah 14 Sep 2017 · 1 min read हिन्दी मेरी प्यारी सारे जहाँ से अच्छा हिंदी और हिन्द हमारा, हमें नाज है दोनो पर आला भाषा है यह और आला देश हमारा; भाषा हिन्दी है ऐसी जो सबको है समा लेती,... Hindi · कविता 526 Share Bikash Baruah 14 Sep 2017 · 1 min read पानी कहीं पर बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों की कतार दिखाई देती, तो कहीं लोग बेझिझक व्यर्थ में ही उसे जाया करती; कुछ लोग पानी की अस्तित्व जान... Hindi · कविता 570 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read मुक्तक भगवान् को खोजे मंदिर में अल्लाह को खोजे मस्जिद में, पर इंसान को कोई न खोजे जो काम आए दुख-सुख में। Hindi · मुक्तक 456 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read आपकी बेवफाई जरा सी बात पर आपको क्यों इतना गुस्सा आया, यकीन था हमें आपकी वफा पे फिर क्यों हमें रुला दिया । आपको गर हमसे कोई शिकवा था आप हमें हाल-ए-दिल... Hindi · शेर 456 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read घृणा घृणा करो अगर घृणित न हो, घृणित होकर अगर घृणा करोगे किसीसे तो मूर्खता होगी तुम्हारी; आदमी होकर अगर आदमी से ही घृणा करोगे तो कैसे इंसान बन पाओगे? घृणा... Hindi · कविता 509 Share Bikash Baruah 11 Sep 2017 · 1 min read जुनून ऊँची इमारतों को देखकर चक्कर आना कोई मेरी कमजोरी नहीं बल्कि नादानी है, क्योंकि ख्याली पुलाव कभी पकते नहीं और जागकर सपने कोई देखते नहीं; फिर भी कमबख्त कुटिया में... Hindi · कविता 490 Share Bikash Baruah 10 Sep 2017 · 1 min read घुटन आजकल कुछ घुटन सा महसूस होने लगा है अपने ही घर में अपनों के बीच रहकर, शायद उन्हें नागवार हो अब मेरी हरकतें, उलझनें और परेशानियाँ, क्योंकि अब मैं एक... Hindi · कविता 389 Share Bikash Baruah 10 Sep 2017 · 1 min read महसूस तुम क्या जानो मेरे दिल को तुम्हारी कौन सी बात चूभ गई है, बेखबर सी रहती हो फुर्सत नहीं है किस कदर परेशान हूँ तुम्हारी बेअदबी से, अब कैसे कटेगी... Hindi · कविता 613 Share Bikash Baruah 8 Sep 2017 · 1 min read अत्याचारी अत्याचारी!तुम लाख करो अत्याचार नहीं टूटेगी हमारी सहने की डोर, हमारे खुन का एक कतरा भी तुम्हारे खिलाफ नहीं मचाएगा शोर । अत्याचारी!चाहे जितना भी हो कठोर प्यार-जज्बात नहीं आँखों... Hindi · कविता 596 Share Bikash Baruah 8 Sep 2017 · 1 min read अत्याचारी अत्याचारी!तुम लाख करो अत्याचार नहीं टूटेगी हमारी सहने की डोर, हमारे खुन का एक कतरा भी तुम्हारे खिलाफ नहीं मचाएगा शोर । अत्याचारी!चाहे जितना भी हो कठोर प्यार-जज्बात नहीं आँखों... Hindi · कविता 1 364 Share Bikash Baruah 7 Sep 2017 · 1 min read कटोरा कटोरा सिर्फ पात्र नहीं खान-पान की व्यंजन परोसने के लिए, कटोरा पहचान भी हो सकता है भिन्न-भिन्न जनसमुदाय का; एक समुदाय बाँटते है या भेंट करते है चाँदी,सोने का कटोरा... Hindi · कविता 476 Share Bikash Baruah 5 Sep 2017 · 1 min read तलाश राह मिल नहीं रहा , भटक रहे है सब रोशनी की तलाश में, दिन के बाद रात रात्रि के बाद प्रभात हर लम्हा सिर्फ एक खोज ऊजाले की, फिर भी... Hindi · कविता 286 Share Bikash Baruah 5 Sep 2017 · 1 min read जिन्दगी का राज कल जो हमारे साथ चला करता था ऊंगली पकड़कर, आज कतराते है वह हमारे हाथ थामने को, टाल देते है हमें अक्सर किसी बहाने से , सामने रहकर भी कितने... Hindi · कविता 318 Share Bikash Baruah 31 Aug 2017 · 1 min read दोमुहे चरित्र पुरुष हो या नारी हर एक व्यक्ति के दोमुहे चरित्र होते है, जो सिर्फ कभी-कभी उजागर होते है; यहाँ तो मुँह में राम राम और बगल में छुरा , रिश्ते-नातों... Hindi · कविता 373 Share Bikash Baruah 27 Aug 2017 · 1 min read एक शुद्ध सवेरा आज मिली मुझे एक शुद्ध सवेरा, ठंडी हवा का झोंका नर्म धूप सुनहरा; खुशबु बिखेरता फूल चारों तरफ हैं खिला, चिड़ियों की चहचहाटें मन को है बहला रहा; हर तरफ... Hindi · कविता 369 Share Bikash Baruah 27 Aug 2017 · 1 min read गंगा और भगीरथ हे! पुत्र,हजारों साल पहले तुमने मेरी तपस्या कर जग एवं जनकल्याण हेतु मुझे बुलाया धरती पर, परंतु स्वार्थी ये मानवगण शिखर पर जिनके अंधापन मुझे विषैली कर, मेरे अस्तित्व को... Hindi · कविता 1 431 Share Bikash Baruah 26 Aug 2017 · 1 min read बद बद-वाक् और बद-भाव बदतर मनुष्य का आविर्भाव, बदतर खान-पान और पोशाक बदतर बना जाति का चिह्न-स्वभाव; बदतर भाषा और संस्कृति बदतर घी से जलती दीए की बाती, बदतर पानी से... Hindi · कविता 1 326 Share Bikash Baruah 25 Aug 2017 · 1 min read प्रतीक्षा बैठे है सड़क के किनारे सब्जियों में अपने गमो को छुपाकर, आँखे बिछाए ताँक रहे है शायद आ जाए कोई उनके गम को खरीदने बदले में अपनी खुशी देकर । Hindi · कविता 320 Share Bikash Baruah 24 Aug 2017 · 1 min read कदम बढ़ाए चलो प्रेमचंद की 'कफ़न' की सच्चाई इस युग की है कहानी, जानवर से बदतर बन गया आदमी देख पछताता खुदा आसमानी । रंग जमाई बच्चन की 'मधुशाला' पढ़कर सभी हो जाते... Hindi · कविता 261 Share Bikash Baruah 24 Aug 2017 · 1 min read मैं तुम्हारी सुनहरा अतीत मैं तुम्हारी सुनहरा अतीत, जब कोई तुम्हें आघात दे दिल को तोड़ दे, मायूस न होकर देखना एकबार मेरी तरफ मन की आँखे खोलकर; मैं तुम्हारी सुनहरा अतीत, दुख की... Hindi · कविता 316 Share Bikash Baruah 23 Aug 2017 · 1 min read जय भारती क्यों न करूँ मैं गर्व देश पर, धन्य हुआ मैं यहाँ जन्म लेकर, गीत गाऊँ मैं अपने देश के, गर्व से कहूं जय भारती! जय भारती! कितनी पावन धरती है... Hindi · कविता 655 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनानेवाले कहलाते है वे कुम्हार, पृथ्वी की रचना करनेवाले भगवान को भी देते आकार; क्या गरिमा है उसकी हमसे न पूछो मेरे यार, अदृृश्यमान सृष्टिकर्ता है भगवान... Hindi · कविता 1 466 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read अधिकार आसमान को छत समझकर फुटपाथ को बिस्तर सा सजाकर लोग जो बस रहे हैं जहाँ में , अरमान उनके भी है दिलो में आहट उनके भी है कदमों में, नहीं... Hindi · कविता 437 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read मैं जिंदा हूँ मैं जिंदा हूँ क्योंकि मुझ में अभी साँस बाकि है, मैं जिंदा हूँ क्योंकि मुझ में अभी आश बाकी है, मैं जिंदा हूँ क्योंकि मुझ में अभी सभ्यता बाकी है,... Hindi · कविता 271 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read एक चेहरा एक चेहरा खूबसूरत सा जैसे कोई गुलाब लहराता, सभी चाहते उसको पाना मुश्किल हुआ उसका जीना, लोग दौड़ते उसके पीछे दामन बचाकर वह भागते, आखिर कब तक बचता वह गिरफ्त... Hindi · कविता 250 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read एक कुर्सी घर में परा है एक कुर्सी, टाँग टूट चुकी है जिसकी; बैठ नहीं सकता है वह, किसीको बिठा भी नहीं पाता वह; उसकी मरम्मत हो नहीं सकती, उम्र ढल चुकी... Hindi · कविता 1 275 Share Bikash Baruah 21 Aug 2017 · 1 min read नाथूराम ने किसको मारा? नाथूराम ने किसको मारा ? एक आदमी की देह को, जिनकी आत्मा उन्हें पहले ही छोड़ चुके थे, वे हमारे बापू नहीं थे; नाथूराम ने एक कंकाल की हत्या की,... Hindi · कविता 1 442 Share Bikash Baruah 20 Aug 2017 · 1 min read पहाड़ मूर्खता की दौड़ मेें जब तुम नंगे थे कपड़ा पहनना भी तुम्हें नहीं आता था, हम उससे कई युग पहले ही से लिबास पहने हुए थे; अब अक्ल की दौड़... Hindi · कविता 502 Share Page 1 Next