पं आलोक पाण्डेय 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2020 · 2 min read गुप्त वंश के ब्राह्मण शासक - एक अवलोकन गुप्त वंश के शासक और ब्राह्मण - एक समीक्षा ( आप सभी सुहृदजनों के सुझाव सादर आमंत्रित हैं ) _______ प्रभावती गुप्त, जो चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री थी, ने अपने... Hindi · लेख 3 1 2k Share पं आलोक पाण्डेय 11 Jan 2017 · 1 min read नववर्ष धरा पर कब? क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इन दिनों में यह नववर्ष हमें स्वीकार नहीं । अभी ठंड , सर्वत्र धुंध कुहासा , अलसाई अंगड़ाई... Hindi · कविता 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 10 Jun 2017 · 1 min read ये देशद्रोही कौन हैं ! अभि कल तक जो देशद्रोह फैलाते मानवता पर गौण हैं, सेना को अपमानित करी,लोगों को कटवाया वर्षों से गोवध करने वाले आज मौन हैं; पहचान ! भारत ये कौन हैं... Hindi · कविता 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 16 May 2017 · 6 min read गौ - चिकित्सा गर्भ समस्या... गौ - चिकित्सा .गर्भ समस्या । - गौ - चिकित्सा .गर्भ समस्या ।गर्भ सम्बंधी रोग व निदान=======================१ - गर्भपात रोग==============कारण व लक्षण - यह एक प्रकार का छूत का रोग... Hindi · लेख 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 2 min read आर्यावर्त की गौरव गाथा आर्यावर्त की गौरव गाथा भ्रमण करते ब्रह्मांड में असंख्य पिण्ड दक्षिणावर्त सुदुर दिखते कहीं दृग में अन्य कोई वामावर्त हर विधा की नवीन कथा में निश्चय आधार होता आवर्त सभी... Hindi · कविता 4 3 649 Share पं आलोक पाण्डेय 29 Dec 2020 · 1 min read संक्रमण का खण्डचक्र ! दिव्य सनातन पूर्ण पुरातन सभ्यता का दर्पण ! यह कैसा पुनरावर्तन - विपदा का नर्तन ! पृथ्वी पानी पवन प्रकाश ; सब दूषित कलुषित आकाश ! स्वारथ में परमारथ लूटे... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 21 623 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read स्वदेशी लोग स्वदेशी लोग उदासीन जीवन को ले क्या-क्या करते होंगे वे लोग न जाने किन-किन स्वप्नों को छोड़ कितने बिलखते होंगो वे लोग। कितने संघर्ष गाथाओं में, अपनी एक गाथा जोड़ते... Hindi · कविता 1 595 Share पं आलोक पाण्डेय 10 Mar 2017 · 1 min read आ जा चित्तवन के चकोर स्वर्णिम यौवन का सागर-अपार टकरा रहा तन से बारंबार विपुल स्नेह से सींचित् ज्वार रसमय अह्लादित करता पुकार अन्तःस्थल में उठता हिलोर आ जा ! चित्तवन के चकोर ! सुरभित-... Hindi · कविता 1 554 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Mar 2018 · 3 min read राष्ट्रोदय यह राष्ट्र मुझे करता अभिसींचित् प्रतिपल मलय फुहारों से , प्रतिदानों में मिले ठोकरों , धिकारों, दुत्कारों से , जो लूट रहे मुझको हर क्षण ,उन कायर कुधारों से ,... Hindi · कविता 2 542 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Feb 2019 · 2 min read सुनो सिंहासन के रखवाले ! जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा में आतंकी हमले में हुतात्मा वीरों के याद में शासनतंत्र को कर्तव्यबोध दिलाती एक कवि की भावपूर्ण कविता - ________________ कविता ------------------ कह... Hindi · कविता 1 535 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Sep 2017 · 1 min read कहो सत्य कथा विस्तृत ! अहो बन्धु ! कहो सत्य कथा विस्तृत शुद्ध-भाव,उन्नत विचार लेकर हूँ प्रस्तुत योगिराज की ध्यान सुना दो या सुना दो जयघोष, हिमालय सा अटल, हिमगिरी की गंगा सा निर्मल अहा... Hindi · कविता 1 569 Share पं आलोक पाण्डेय 2 Jan 2020 · 1 min read प्रणय निवेदन है तुमसे ! प्रणय निवेदन है तुमसे ! प्रणय निवेदन है तुमसे हे प्राण रसिक मेरे आधार ! मधुर हृदयों में आस उमड़ती ; कर लेना प्रियवर स्वीकार ! मैं समरसता की प्रतिबिंब... Hindi · कविता 2 555 Share पं आलोक पाण्डेय 26 Mar 2017 · 1 min read काहें ! भूल गयले रे भाई ! काहें भूल गयले रे भाई ! अब आपन नया साल के मनाई ! काहें भूल गयले रे भाई ! जीवन के सौम्य - श्रृंगार के प्रकृति के बसंत-बहार के भारत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 513 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Feb 2019 · 1 min read वीर योद्धा अभिनन्दन भारतभू के प्रहरी जागे तू स्वदेश हित , धीर वीर तुम , तुम आस अभिमान हो , सत्य संधान , विज्ञान अनुसंधान तुम , करोड़ों देशवासियों के ह्रदय के ध्यान... Hindi · मुक्तक 457 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read हे मेरे राम ! हे मेरे राम ! जन जन के प्रिय नयनाभिराम ! तुम हृदयों में आ जा राम ! तुम आदर्श दिव्य स्वरुप हो भारत के गौरव विश्वरूप हो, तुम हो सजल... Hindi · कविता 2 471 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2018 · 2 min read रक्तिम - भँवर ?रक्तिम - भँवर? -------------------- --------------------- भर - भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों... Hindi · कविता 1 520 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read मंगलमय पुकार करूँ यदि जीवित रहूँ माते, तेरा ही श्रृंगार करूँ अर्पण करूँ सर्वस्व तूझे, हर त्याग से सत्कार करूँ; हो त्याग ऐसा वीरों सी, कलुषित विविध विकार हरूँ पुष्पित - पल्लवित कर... Hindi · कविता 1 506 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jul 2019 · 1 min read क्या लिखूं सोचता हूं... लिखूं काव्य चतुर्दिक विधाओं पर मुस्कुराती हर छटाओं पर कल कल जलधारों पर मलय की फुहारों पर टुकड़े-टुकड़ों के धरनों पर मानवता के गहनों पर जलहीन नदियों के... Hindi · कविता 1 467 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jul 2019 · 1 min read रुके हो क्यों ! रुके हो क्यों ? अभी तक खोते साम्राज्य, ध्वस्त पताकाएं, खंड-खंड होते स्तम्भ, धुंधली दिशाएं ! नहीं दीख रहा ! दग्ध ज्वालाएं , दहकती विभीषिका प्रकृति विक्षिन्न , निकृष्ट अधम... Hindi · कविता 1 1 464 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 1 min read धन्य-धन्य जो धरणी का भार हटाते हैं ! दग्ध ज्वालों को झेल-झेल , विषमय जीवन में खेल-खेल ; तप-त्याग-तेज, प्रचण्ड फैलाकर, दस्यु दल में हा-हाकार उठाकर ! अरि का मस्तक कर विदीर्ण , विद्युत गरल पी-कर जो आते... Hindi · कविता 2 491 Share पं आलोक पाण्डेय 25 May 2017 · 2 min read वीरव्रती बंटी तू मानवता के मूर्त्तमान, हे धर्मवीर ! तुझसे सम्मान प्रकृति के सदय पोषक तू, कंपन-व्यथन के अवशोषक तू | नित भिडे धरा पर शोषक से तू ; कवलित कर दे... Hindi · कविता 1 461 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Mar 2017 · 2 min read वह वह हर दिन आता सोचता बडबडाता,घबडाता कभी मस्त होकर प्रफुल्लता, कोमलता से सुमधुर गाता... न भूख से ही आकुल न ही दुःख से व्याकुल महान वैचारक धैर्य का परिचायक विकट... Hindi · कविता 467 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी सर्वत्र आलोकित स्फीत ज्वाल, अति दूर क्षितिज पर विटप माल, खग-विहग सस्मित , कलरव विशाल, नहीं काल का कोई चिह्न कराल ! शाश्वत सरस प्राणी सब निर्भय, संसृति चीर यौवन... Hindi · कविता 3 454 Share पं आलोक पाण्डेय 23 May 2020 · 1 min read देश ढहे जा रहा है ! देश ढहे जा रहा है ! सहस्त्राब्दियों से संवहित एक महान सभ्यता पुकार उठी है- अतीत के ध्वंसावशेषों विघटन-पलायन के भयानक संतापों को झेलते मलीन हुयी जा रही है ...... Hindi · कविता 1 1 426 Share पं आलोक पाण्डेय 18 Mar 2019 · 1 min read संस्कृति प्रवीर संभालें ! समर साध रहा समय है , सुविचारों संस्कारों का , वीरों के बलिदानों पर , निंदित हर विकारों का ; अपनी छाती पर अपनी संस्कृति नहीं लूटने देंगे , गोवंश... Hindi · घनाक्षरी 427 Share पं आलोक पाण्डेय 1 Jan 2020 · 1 min read जीवन को जीने दो ! जीवन को जीने दो ! ______ अभी बालक है सीखने दो , जीवन को जीने दो ! अभिलाषा का है आकांक्षी , पूरा करो करने दो , जीवन को जीने... Hindi · कविता 453 Share पं आलोक पाण्डेय 19 Jan 2017 · 1 min read भारत भूमण्डल के मंगलस्वरूप ! संसार की सार आधार हो, स्थूल, सूक्ष्म पावन विचार हो दिव्य शांति सौम्य विविध प्रकार जिनसे सर्वत्र क्लांत , क्रंदन की प्रतिकार ! करूणावरूणालया कल्याणकारिणी मनःशोक निवारिणी लीलाविहारिणी तत्वस्वरूपिणी दुःख... Hindi · कविता 1 462 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Feb 2017 · 1 min read तेरी याद सदा आती है तेरी याद सदा आती है.... मुझको तू हरदम भाती है... रहता हूँ शांत भरोसों से ..... पर विकट व्यथित हूँ झरोखों से... है बहुत अधीर है वीर ह्रदय वीरों की... Hindi · कविता 1 495 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read वीरों की यादें धरा के भव्य सुत तू राष्ट्र रक्षक दूत तू कहाँ करता विश्राम तू स्वाभिमानी बलवान तू; अनन्त कोटि जननायक तू मानवता के लायक तू अरिमर्दन यतींद्र तू हे वीर! व्रती... Hindi · कविता 1 457 Share पं आलोक पाण्डेय 13 May 2020 · 2 min read उन्मादी थूकलमान ! उन्मादी थूकलमान ! घोर घृणा की आग लगी है , भारत की भाग्य वीथिकाओं में ; मुरझा रही नित कोमल कलियां, भिन्न-भिन्न कलाओं में । डरा सहमा सा जीवन वैभव... Hindi · कविता 3 392 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read विक्षोभ विक्षोभ ——————– स्तब्धित दिशाएँ बेकली हवाएँ व्यथित अंबर कह रहा आज – बेहद निर्मोही , बडी निर्दयता से ‘ कैसी ‘ – मिट रही , क्यों कोई मिटा रहा लाज... Hindi · कविता 1 419 Share पं आलोक पाण्डेय 12 Jun 2017 · 1 min read धरा का तु श्रृंगार किया है रे ! तू धीर, वीर ,गंभीर सदा जीवन को उच्च जिया है रे, तु दुःखियों को सींचित् कर श्रुति स्नेह से कैसा ,ह्रदय रक्षण किया है रे ! तु भाग्य विधाता से... Hindi · कविता 1 430 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Mar 2019 · 1 min read दालान के वे दिन ! दालान के वे दिन ! _______________ वर्ष के सबसे काठिन्य दिनों में भी , बसंत में परिवेष्टित डूबा हुआ , न कुंठित न स्तम्भित श्वास तरंगी प्रतिक्षण शून्य में भी... Hindi · कविता 422 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jul 2019 · 1 min read कहीं फटे न व्योम अंगार ...! नहीं रहा अब न्याय धर्म , संकुचित पीड़ित सत्य विचार , पुण्य धरा हो रही आतंकित आक्रांत, झेल जिहादी बौछार , दिशाहीन भ्रष्ट शासनतंत्र किया कैसा प्यारा देश बंटाढार ;... Hindi · मुक्तक 1 453 Share पं आलोक पाण्डेय 7 Sep 2017 · 1 min read ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा महासमर की बेला है वीरों अब संधान करो, शत्रु को मर्दन करने को, त्वरित अनुसंधान करो | मातृभू की खातिर फिर लहू बहाना होगा; ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा|... Hindi · कविता 1 426 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read मांगों वत्स नि:संकोच ! मांगो , वत्स नि:संकोच ! ------------- नीति-नियामक काल-कर्म , विशुद्ध सन्निधिकारक सत्कर्म । मांगो सुहृद स्वच्छ आसन , नीति-नियंता राज सिंहासन ! असफलता का असि-धार, या विराट जीवन का ललकार... Hindi · कविता 2 382 Share पं आलोक पाण्डेय 14 May 2020 · 2 min read बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! बबुआ आ जा पुकारे तोहरे गांव हो ! नीम की डाली बैठी चिरैयां , चहक-चहक के गावे , शीतल जल में डुबकी लगा के , जीवन सन्देश सुनावे ; खुशहाली... Hindi · कविता 2 7 420 Share पं आलोक पाण्डेय 16 May 2019 · 1 min read नेत्र नेत्र ----------- विस्तृत नेत्रों के तरंग, और होंठो की लाली , दाह सा भरता उमंग लहरों की शीतलता संभाली ! भोली सी सरलता रूप लिए , विविधता का प्रतिरूप लिए... Hindi · कविता 415 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Apr 2020 · 2 min read बदले खण्डित इतिहास-भूगोल ! मारें ऐसे दांव पसार-डूबे बर्बर जिहादी संसार ! _________ विषमय मुखों को तोल-तोल , प्रचण्ड शौर्य हुंकारें खोल ; जहां जिहादें चढ़कर बोले , विघटन -विभेद की भाषा बोले !... Hindi · कविता 456 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Dec 2017 · 2 min read आहत ग्रामवासिनी मर्माहत कल ! उम्र बीत गयी ज्यों दासता के तले, मरकर यों ही ना दु:ख भूलाया कभी , मरना , है जीवन की एक दृढ कड़ी देखा एक मरा है , अभी-अभी !... Hindi · कविता 1 392 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Apr 2019 · 1 min read नववर्ष मंगलमय हो नववर्ष मंगलमय हो ! ______________ सत्य सनातन सभ्यता के रक्षक , हे उन्नत विचारों वाले , क्रुर , दु:सह दु:ख - जड़ता का विध्वंसक , हे उन्मत्त ! सुधारों वाले... Hindi · कविता 416 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Apr 2019 · 1 min read आचार्यवर आर्यभट्ट ग्रह नक्षत्र सूत्र समेकन नदियों का कल कल निनाद , गणित सार ज्योतिष रहस्य करता सदैव हे आर्यभट्ट याद ! है सत्य धरा को तूने शुन्य परिचय ज्ञान दिया ,... Hindi · कविता 396 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read अश्रु नभ को समर्पित करना ! अश्रु नभ को समर्पित करना ! _____ घनीभूत घोर घटाएं छाए नील गगन में, फटे हृदय अविचल हिमगिरि की कम्पन में, विघटन से छिन्न-भिन्न विकल धरा आज डोले, प्रलय के... Hindi · कविता 2 445 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Jun 2017 · 1 min read स्वर्णिम भारत की बेटियाँ संसार की सार अाधार हो तुम जीवन की हर सत्कार हो तुम मंगल शांति सुविचार हो तुम हर वीर मन की पुकार हो तुम प्रतिपल मन कहता हे बेटी जंजीरों... Hindi · कविता 1 418 Share पं आलोक पाण्डेय 1 Jan 2020 · 1 min read दुर्दमनीय तलवारें लिखें ! दुर्दमनीय तलवारें लिखें ! विश्व धरातल पर हुए अक्षम्य, इतिहासों के लिकों को लिखें , मानवता के गहनों के विध्वंसक चीखों को लिखें ! प्रतिमानों के स्तम्भों पर हुए, भयावह... Hindi · कविता 538 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read करना होगा पथ प्रशस्त ! करना होगा पथ प्रशस्त ! _________ फटे मही-व्योम अंगार मिले , कंपित सागर व्यथित तूफान भले , सर्वत्र झंझावातों के विषबेल खिले; शाश्वत जीवन मूल्यों के तार हिले ! हो... Hindi · कविता 379 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Mar 2017 · 2 min read वीरों नववर्ष मना लें हम है तिमिर धरा पर मिट चुकी आज भास्वर दिख रहे दिनमान , शस्य - श्यामला पुण्य धरा कर रही ; वीरों तेरा जयगान ! शुभ मुहुर्त्त में,महादेव को, सिंधु का... Hindi · कविता 1 395 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 2 min read सनातन ज्ञान-विज्ञान पर एक आघात ! सींचित वर्षों से सनातन तप-त्याग से , विराट दया-दान-सत्कर्म-धर्म से ; चिरप्रतिष्ठित काशी का अधिष्ठान , जहां अध्येता-अध्यायी निष्ठावान ! जड़-चेतन प्राणों से समस्त सृष्टि , विशुद्ध परमात्म व्याप्त दृष्टि... Hindi · कविता 399 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी उत्ताल तरंगाघात प्रलयघन गर्जन जलधि क्षण भर, धीर-वीर सौंदर्य गर्वित, खड़ा अविचल हिमगिरि , धीर-धर , शान्त सरोवर विशुद्ध धवल सिमटी हैं वर्तुल मृदुल लहर , क्षिति-जल-अनिल-अनल में , नभ... Hindi · कविता 407 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Dec 2019 · 1 min read भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी मृदुल सुमनोहर गात्र शिशु , करते क्रीड़ांगन धूल में लोट, देख रहा नभ , दिव्य विविधता , अपलक छुपे झुरमुट की ओट, फैला इनके तन का तप, पदतल में धूसरित... Hindi · कविता 390 Share Page 1 Next