Comments (3)
25 Dec 2019 08:17 AM
हमारे राष्ट्रकवि श्री मैथलीशरण गुप्त जी को माना जाता रहा है। किसी अन्य को अब तक यह मानद् उपाधि नही दी गई है । अतः स्वयं को इस राष्ट्रकवि की उपाधि से सज्जित करने के अधिकार का आधार स्पष्ट करने का कष्ट करें।
कृपया रचनाओं में कृलष्टता का समावेश अधिक न हो। अन्यथा रचनाएँ समझने में दुरुह हो जाएँँगी।
धन्यवाद
पं आलोक पाण्डेय
Author
25 Dec 2019 09:13 PM
महोदय , अपने राष्ट्र का हर एक कवि राष्ट्रकवि होता है … गुप्त जी उत्कृष्ट विचारधारा के हैं , वंदनीय हैं ,
जहां तक कृलष्टता की बात है , विशुद्ध हिन्दी प्रयोग की गयी है।
जय हिन्द वन्देमातरम्
यदि आपका तात्पर्य अपनी रचनाओं में अपने गहन हिन्दी ज्ञान प्रदर्शन हो जो जनसाधारण की समझ से परे हो। तो आप की रचनाओं की लोकप्रियता संकुचित हो सकती है।
आपके राष्ट्रकवि उपाधि के प्रयोग के तर्क से मै असहमत हूँ ।