Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2019 · 2 min read

सनातन ज्ञान-विज्ञान पर एक आघात !

सींचित वर्षों से सनातन तप-त्याग से ,
विराट दया-दान-सत्कर्म-धर्म से ;
चिरप्रतिष्ठित काशी का अधिष्ठान ,
जहां अध्येता-अध्यायी निष्ठावान !
जड़-चेतन प्राणों से समस्त सृष्टि ,
विशुद्ध परमात्म व्याप्त दृष्टि ।
गुढ-गुह्यतम् ऋचाओं का कौन कर सकता ध्यान …
यह क्रीड़ाओं का प्रारुप नहीं , जो हर कोर्इ कर ले संधान ।
पापी कायर अधम जड़ म्लेच्छ कहां कर सकता है,
कोई वीर-व्रति-विप्र-यति-तपस्वी, उर्ध्वरेता ही कर सकता है।
आज सरस्वती की प्रतिष्ठान में,
एक म्लेच्छ चला है ज्ञान देने ,
अपने कुटिल दूषित मुखों से ,
वर्णहीन अशिष्ट विधिहीन स्वरों को ले,
शिखा-शाखा-सूत्रहीन
संस्कृति-सभ्यता-संस्कार विहीन !
तामसी वृत्ति से घिरा
है चला सात्त्विकी ज्ञान देने !
अधम विधर्मी को नियुक्ति का क्या आधार-औचित्य,
कैसे नत-झुक ,विकृतिपूर्ण ज्ञान ले पाएगा कोई विप्र संपूज्य !
सनातन मूल्यों पर अतिक्रमण ,
धर्म विज्ञान संकाय में ,
कुटिल-काल स्वार्थ प्रेरित
‘अरि’ चला है गुह्यतम वैदिक शीश पर स्यंदन चलाने !
विकृतियों को मिलाने सगुण साकार में ,
अशुद्धता-निकृष्टता , उपहास के प्रसार में !

अतीत के अवशेषों से नवजागृत भारत आविर्भूत ,
शौर्य रक्त का मूल्य चुकाने , जग चुका है ब्रह्मसूत्र ।
सूर्य सा दीपित समुन्नत भाल,
डोलते दावाग्नि पर्वत कांपते दिक्काल !
जग चुका शिला सा वक्ष , चट्टान सी भुजाएं ,
जग चुका है ब्रह्मतेज , करालाग्नि काल रेखाएं !

पिघल रहा उत्तर में हिमालय का हिम ,
दस्युओं के विकट संताप से ,
भारत-भारती का मध्य भाग, अनंत वन ,
परिवेष्टित आक्रांत क्रूरतम् ताप से !
मत करो अशांत-कंपित , अधिक व्यथित दीप्त तारों को,
नभोमण्डल से प्रतिक्षारत बरसने को तत्पर अंगारों को !
संचार वैदिक विज्ञान का मलेच्छों से ना करो रे ;
काशीगंगा की जलधारा को बहुत कुपित नहीं करो रे !
ले रोक प्रलय की काल रेखाएं , छोड़ दूषित खोटों को ,
यदि हुऐ नहीं समाधान सत्य तो , झेल लेना आमंत्रित विस्फोटों को !
सबकुछ होगा राख, भष्मीभूत , कराल-काल-विकराल ,
यदि धधकती दुर्निवार कालाग्नि की आ धमकेगी ज्वाल !

✍? आलोक पाण्डेय ‘विश्वबन्धु’
वाराणसी,भारतभूमि
मार्गशीर्ष कृष्ण उत्पन्ना एकादशी।

Language: Hindi
393 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
छत्तीसगढ़ी हाइकु
छत्तीसगढ़ी हाइकु
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*होय जो सबका मंगल*
*होय जो सबका मंगल*
Poonam Matia
इन तन्हाइयो में तुम्हारी याद आयेगी
इन तन्हाइयो में तुम्हारी याद आयेगी
Ram Krishan Rastogi
मैं प्यार के सरोवर मे पतवार हो गया।
मैं प्यार के सरोवर मे पतवार हो गया।
Anil chobisa
मीठे बोल
मीठे बोल
Sanjay ' शून्य'
💐प्रेम कौतुक-286💐
💐प्रेम कौतुक-286💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
Rekha khichi
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
दोष उनका कहां जो पढ़े कुछ नहीं,
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"समय का महत्व"
Yogendra Chaturwedi
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
वेलेंटाइन डे की प्रासंगिकता
मनोज कर्ण
आलसी व्यक्ति
आलसी व्यक्ति
Paras Nath Jha
प्रकृति
प्रकृति
Mukesh Kumar Sonkar
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
हर रास्ता मुकम्मल हो जरूरी है क्या
कवि दीपक बवेजा
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
*हिंदी दिवस मनावन का  मिला नेक ईनाम*
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2522.पूर्णिका
2522.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
राम नाम की प्रीत में, राम नाम जो गाए।
राम नाम की प्रीत में, राम नाम जो गाए।
manjula chauhan
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
सिर्फ पार्थिव शरीर को ही नहीं बल्कि जो लोग जीते जी मर जाते ह
पूर्वार्थ
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
सितारों की तरह चमकना है, तो सितारों की तरह जलना होगा।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
Ahtesham Ahmad
"सफाई की चाहत"
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आरुष का गिटार
आरुष का गिटार
shivanshi2011
In case you are more interested
In case you are more interested
Dhriti Mishra
Loading...