डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" Tag: कविता 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Dec 2017 · 1 min read "शोर है बारिशों का" ये रोर है घनघोर देखो, शोर है बारिशों का। अलमस्त बूंदो की है लड़ियाँ, या श्रृंगार है धरा का। नाचती हैं कोंपलें, स्नात -पुष्प हैं सिहरते। रोम- रोम हैं प्रफुल्लित,... Hindi · कविता 1 235 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Dec 2017 · 1 min read "मेरे उर के अंतस तक " मेरे उर के अंतस तक , पहुँचो तो कोई बात बने। नवरंग भरा नवगीत लिखूँ मैं, उमंग भरा संगीत बनूँ मैं। मेरे उर के अंतस तक , पहुँचो तो कोई... Hindi · कविता 1 719 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Dec 2017 · 1 min read "मैं दर्द हूँ..." मैं दर्द हूँ ... कभी आँख से टपक जाती हूँ, कभी साँस में दफ्न हो जाती हूँ, देखना कभी छूकर मुझे, मैं कोई तस्वीर नही, जिसे फ्रेम कर सको, मैं... Hindi · कविता 1 2 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Dec 2017 · 1 min read "पूनम की रात" आज चाँद पूरी कला में है, पूनम की रात जो है, चाँदनी से मिलन की रात है, देखो तो चाँदनी सोलह श्रृंगार में, कितना इठला रही है, ये सौंदर्य ये... Hindi · कविता 2 1 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Nov 2017 · 1 min read "थोड़ा -सा एक दिन में" कुछ अनन्त सी बातों का सिलसिला, जो शुरू हुआ कविताओं में, रख देती हूँ ,थोड़ा -सा एक दिन में | नरम -नरम से कुछ शब्दों में , भावों से उपजे... Hindi · कविता 1 241 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Nov 2017 · 1 min read "ये शब्दों का लिबास ओढ़कर, जब तुम आती हो" ये शब्दों का लिबास ओढ़कर, जब तुम आती हो|| गुनगुनी धूप सी चादर हो जैसे, मन को तुम सेंक जाती हो|| क्या कहूँ ,कभी ओस सी लगती हो, कभी दूब... Hindi · कविता 1 348 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Nov 2017 · 1 min read "यूँ ही कभी..." यूँ ही कभी विगत स्मृतियों के संग, बैठी चाय की चुस्की लेती, विहगों को विराट अनन्त की ओर, निरुद्देश्य बढ़ते देखती। यूँ ही कभी विगत स्मृतियों के संग, कुछ मधुर... Hindi · कविता 1 579 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Nov 2017 · 1 min read "उस पार जाना चाहती हूँ" शब्दों पर तैरना चाहती हूँ, खोलते हैं मन के कपाट, भींड़ में कातर दृष्टि से निहारते हैं, कुछ नहीं कहते हुए सब कुछ बयां करते हैं। तभी तो खेना चाहती... Hindi · कविता 1 396 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Aug 2017 · 1 min read "गुजरना कभी" मन की इन वीथियों से गुजरना कभी, इतनी तंग भी नहीं हैं जैसा तुम सोचते हो, कुछ कंगूरे बहुत आकर्षित करने वाले हैं, कुछ रंग तुम्हारे भी जीवन में बहार... Hindi · कविता 1 427 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Jul 2017 · 1 min read "कब आओगे " मन के सूने कोठर में कब आओगे , गहरी स्याही रात सजी है, जुगनू से चमके है मन के दर्पन , गीले मृद में सने सूखे पतझर, द्वार देहरी पर... Hindi · कविता 1 332 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Mar 2017 · 1 min read "हम चलते रहे" कितने ठहराव रहे जिन्दगी के मगर हम चलते रहे। देख साहिल दूर से हम भँवर में मचलते रहे। कितने खामोश किस्से रेत बन आँखों में किरकिरी सी उड़ते रहे। वक्त... Hindi · कविता 1 316 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Feb 2017 · 1 min read "चलो ना" चलो ना कुछ सपनों में रंग भरें, सोंधी -सोंधी सी खुशबू लिये, रेत की चादर पर सीपीयों के संग। चलो ना भिगो दें कुछ पल, निचोड़ लायें विगत स्मृतियाँ, स्याह... Hindi · कविता 2 481 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Feb 2017 · 1 min read "बाहर क्यों सन्नाटा है" मन में इतना शोर मचा है, बाहर क्यों सन्नाटा है। गहरे दरिया में तूफान घना है, साहिल क्यों घबराता है। मन में इतना शोर मचा है, बाहर क्यों सन्नाटा है।... Hindi · कविता 1 579 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Jan 2017 · 1 min read "शब्दऔर समर्पण" है मेरे पास इक दरिया खामोशी का , और कुछ शब्द न्योछावर हैं तुम पर, मखमल से उडते ख्वाबों पर, मन तैरा करता है जज्बातों संग, नयी सुबह की उम्मीदों... Hindi · कविता 1 267 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Dec 2016 · 1 min read "चलो मोड़ दो एक बार फ़िर" चलो मोड़ दो एक बार फ़िर मेरी ज़िंदगी के गीले पन्नों को बहुत कुछ सोख रखा है इसने कुछ ख्वाहिशें, कुछ हकीकत निचोड़ना मुमकिन नहीं है मगर एक नया पन्ना... Hindi · कविता 1 363 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 19 Dec 2016 · 1 min read "मन की वीना सुनोगे कभी तुम" मन की वीना सुनोगे कभी तुम , तार -तार झंकृत हुआ ये मन | सरगम सी उठती हैं साँसें मेरी जैसे लहरों का हो संगीत कोई | मन की वीना... Hindi · कविता 1 438 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Dec 2016 · 1 min read "कोमल सेजों पर सोए सपने " कोमल सेजों पर सोए सपने , जब अंगार बन जाते हैं . एक चिंगारी अश्रु की, गले के उद्द्गार बन जाते हैं . डोलती कश्ती भवर में , जब जिंदगी... Hindi · कविता 1 296 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Nov 2016 · 1 min read "ऐ चाँद !ना हँस मेरी तन्हाई पर " ऐ चाँद ! ना हँस मेरी तन्हाई पर , तू भी अकेला है मेरी तरह | तेरी रोशनी भी उधार की है , मेरी गुमसुम हँसी की तरह || ऐ... Hindi · कविता 1 2 513 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 8 Nov 2016 · 1 min read "सपनों के खंडहर में " सपनों के खंडहर में , एक लता बेल की, आज लहरा रही है , अंतहीन उमंग में देखो| साँझ की फैली है उदासी, मगर,विहगों के कलरव हैं पुकारते , नीड़... Hindi · कविता 1 2 586 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 31 Oct 2016 · 1 min read ऐ ! तिमिर दूर हो जा ऐ ! तिमिर, देख मैने दीप सजाये, झिलमिल रोशनी ने, तेरे अरमान हैं मिटाये | बातियों सी हूँ जली मैं , नीर को बना तेल मैं ,... Hindi · कविता 1 1 535 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Oct 2016 · 1 min read "अलसाती सुबह" देखो मुख मंजीर में ढाकें, मतवाली, मदिरगामिनी, धूप की चादर को तानें , है खड़ी अलसाती सुबह| आंखों में कुछ रंग निशा के, स्वप्न लिये उमंग जीवन के, मधु मकरंद... Hindi · कविता 1 509 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Oct 2016 · 1 min read "खो गये उन्मुक्त दिन " क्यों खो गये वो उन्मुक्त दिन , बरबस आँखों में उमड़ गये , निज सूने मन में ले अंगड़ाई , झरने से निर्झर बरस पड़े , कहाँ गये वह खेल... Hindi · कविता 1 244 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Sep 2016 · 1 min read "शब्दों से हारी लो आज मैं " शब्दों से हारी लो आज मैं , अवतरित हो मेरी कलम से, बह चली जो धारा अविरल , छोड़ मुझ अकिंचन को , जाने किस सागर की ओर चली, नित्य,... Hindi · कविता 1 4 480 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Sep 2016 · 1 min read "सब व्यर्थ, यहीं रह जाना है " कुछ अनकही, कुछ अनसुनी है ये जिन्दगी बडी अनबुझी कुछ अनछुयी , कुछ अनसिली है ये ज़िंदगी बडी अनसुलझी कोई कह न पाया ,सुन न पाया कोई छू न पाया,सिल... Hindi · कविता 1 1 344 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Sep 2016 · 1 min read " आशा दीप " संध्या ऊषा का सम्बल खोकर , नीरवता में डूब जाती , फ़िर भी जग हेतु नक्षत्र के , आशा दीप जलाकर जाती , हमें बताती ,निशा यदि है , दिवस... Hindi · कविता 1 511 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Sep 2016 · 1 min read "जय हिंद से करूँ वन्दना" "जय हिंद " मेरे वीर सिपाही बोलो , किन शब्दों में करूँ वन्दना | छलनी हो जाता है मन, जब -जब तेरा लहू टपकता | मेरे वीर सिपाही बोलो ,... Hindi · कविता 331 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Sep 2016 · 1 min read "कोमल से एहसास" शब्दों की भींड में अकेली खडी, मैं हूँ नर्म - कोमल से एहसास , पंक्तियों से बाहर निकल कर, मोतियों सी टूट कर बिखर रही, कहाँ हैं वो तार कि... Hindi · कविता 2 378 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Sep 2016 · 1 min read "मेरे जीवन की स्वर्णप्रभा" अभी अभी तो आयी है , मेरे जीवन की स्वर्णप्रभा, अलसायी कली हो उठी मुखरित, जैसे रश्मियों से हो अनुरंजित, अधखिली खिली सी कली, लाज से रक्ताभ हो चली, सकुचाती... Hindi · कविता 1 314 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Sep 2016 · 1 min read "तुम शब्द बन कर आ गये" तुम्हे ही तो लिख रही थी कि तुम शब्द बन कर आ गये, शान्त स्निग्ध नयनों से, अविराम दृष्टि गड़ाये हुए , अक्षरों की ओट से निहारते, मन के पुलिन... Hindi · कविता 3 2 676 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Sep 2016 · 1 min read "राग द्वेष से सुदूर चले" चलो निदारुण शब्दों की भींड से निकल कर , निनादित मौन के संग चले, छोडकर गुंफित सृजन को स्वच्छ निहंग व्योम के तले , विहग संग धरा से उठ कर... Hindi · कविता 1 434 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Sep 2016 · 1 min read "गीत सुनाओ जीवन के" आओ बैठो क्षण दो क्षण , सुनो सुनाओ पल दो पल, जीते क्यों हो रीतेपन में , रहते क्यों हो खाली मन से, कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी कहो ,... Hindi · कविता 1 1 349 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Sep 2016 · 1 min read "बच्चे " जो कोरे कागज सी खुशबू लिये सुबह सुबह बस्तों का बोझ लिये नये रंग , नये ढंग ,नये तेवर लिये चलते हैं ज़िंदगी को मनाने के लिये उन नौनिहालों से... Hindi · कविता 364 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Sep 2016 · 1 min read "पुष्प" कुछ पुष्प होते हैं ऐसे , निशा काल में हैं खिलते | एकाकी तो होते हैं लेकिन , सुरभि बयारों में फैलाते | भीनी -भीनी सुगंध के संग , मंद-मंद... Hindi · कविता 356 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Sep 2016 · 1 min read "मन की सिलवटें " ये जो मन की सिलवटें हैं , कई स्वप्न वहीं पड़े हैं , ये सीपी-सीपी से मन है , और मोती-मोती से स्वप्न | ये जो ज़िंदगी की उलझनें हैं... Hindi · कविता 1 297 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Sep 2016 · 1 min read "ओस" छूना नहीं आकर मुझे , मैं भीगी रात की ओस हूँ , कतरा -कतरा बिखर जाऊँगी , हूँ नन्ही सी कोमल एहसास , सम्भाल कर रखना मुझे , टूट -टूट... Hindi · कविता 2 523 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2016 · 1 min read "साँझ" सुरमई सांझ, सुवासित सुमन, सुमधुर गीत, भ्रमरों का गुंजन, सिन्दूरी नभ के कंचन मंडप में, वल्लरियों का सतरंगी उपवन | …निधि… Hindi · कविता 1 642 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2016 · 1 min read "स्वप्न" स्वप्न बेपरवाह होते हैं, अनियमित होते हैं. स्वप्न खंडित होते हैं, रंगीन होते हैं. स्वप्न कुछ तलाशते हैं, और हम भटक जाते हैं. मंजिल तक पहुँचने से पहले, यथार्थ के... Hindi · कविता 530 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Sep 2016 · 1 min read "हाँ मैनें देखा है " सत्य को हारते देखाहै, दर्द को जीतते देखा है, वक्त को बदलते देखाहै, सम्मान का समर्पण देखाहै , रंग बदले गिरगिट देखा है, हाँ!मैने छल- कपट देखा है, देखा है... Hindi · कविता 295 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Sep 2016 · 1 min read "बीता पल" वो पल ,जो था कल , कितना प्यारा था, कितना न्यारा था| बीत गया जो पल, आये ना वो कल , सोयी थी जब मैं , बन के सपना अँखियों... Hindi · कविता 1 337 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Sep 2016 · 1 min read "सभ्यता और संस्कार" यूँ सभ्यता को लुटने न दो, यूँ सत्यता को मिटने न दो, यूँ कल्पना को तोडो नहीं , यूँ मनुष्यता को रौंदो नही , समय की पुकार सुनो तुम सभी,... Hindi · कविता 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Sep 2016 · 1 min read " आज उमड़ जाने दो " पलकों पर रुका है सागर जो , उसे आज उमड़ जाने दो. कि इस ज्वार को रोको नही , उसे आज मचल जाने दो . ये जो लहरें बावरी सी... Hindi · कविता 1 1 330 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Aug 2016 · 1 min read "दर्द" जज़्बातों की नर्म चादर लपेटे, लफ्जो के तकिये पे लेटे, करवटें बदलते रहे ताउम्र, हौसलों को आगोश में समेटे, रूह पर पहरे लगे हैं, ज़ुबां भी खामोश है , धधकते... Hindi · कविता 1 676 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Aug 2016 · 1 min read "कभी शाम को सिसकते सुना है " कभी शाम को सिसकते सुना है , उदासी में बैठी विरहनी की तरह, जब काजल आँसुओं में बह कर , क्षितिज में स्याह सी फैल जाती है , गीत विरह... Hindi · कविता 536 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Aug 2016 · 1 min read "खो गये हैं शब्द मेरे" आजकल खो गये हैं शब्द मेरे , भींड से बचते ही रहते है , ज़्यादा खुले घूमने की , बुरी आदत जो नही . सम्भाल कर रखा था, मगर चुपके... Hindi · कविता 4 516 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 19 Aug 2016 · 1 min read "खेलो चाहे कितना भी" खेलो चाहे कितना भी मेरे जज़्बातों से, हार नहीं मानूँगी अपमान भरी बातों से, नोचो मेरे अरमानों की कोमल कलियाँ , तोडो मेरे अस्तित्व की सुंदर डालियां, हर बार खडी... Hindi · कविता 1 500 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Aug 2016 · 1 min read "खूबसूरत जिन्दगी " ख्वाहिशों के पन्ने ना पलटिये , सिलवटें पड़ जाती हैं , और उम्र गुज़र जाती है , मगर पूरी नहीं होती हैं , यादों को भी समेट दीजिये, इन्हीं पन्नों... Hindi · कविता 4 490 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Aug 2016 · 1 min read "हूँ एक कहानी" हूँ एक कहानी, थोडी जानी, थोडी पहचानी , पढ सको तो पढ लो , नहीं कोइ अनजानी, हूँ एक कहानी. शब्दों में सनी हूँ , भावों में सिमटी हूँ ,... Hindi · कविता 2 592 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Aug 2016 · 1 min read "धरती का श्रृंगार " आज नवरूप धरा है मैनें, पंखुरी-पंखुरी सजाया मैनें, अलग रंग अलग रूप देखो , धानी-धानी सी चुनर हुई है , सोंधी-सोंधी सी खुशबू समेटे, सोलह श्रृंगार कर नव वधू सी,... Hindi · कविता 320 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Aug 2016 · 1 min read "संवेदना" कितनी संवेदनायें उग आती हैं पल भर में , कुछ मुठ्ठी छींट देती हूँ गीले कागज़ों पर , और अंकुरित होकर जब ये फूट पड़ती हैं , अनावृत हो जाती... Hindi · कविता 401 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Aug 2016 · 1 min read "स्मृति" वासन्ती पुष्पों ने फिर से, लायी भीनी -भीनी सी सुगंध, अमवा की डाली से होकर , पुरवा का झोंका मंद-मंद, सखी लो फिर से आया, ऋतु मृदु मधु वसंत, दूर... Hindi · कविता 517 Share Previous Page 2 Next