डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" Tag: कविता 115 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Apr 2022 · 1 min read "आंसू " रुके हो इतने दिनों से, तो थोड़ा और थम जाओ। संभल जाऊं मैं जरा, और थाम लूं खुद को, फिर निकल पड़ना, नही तो कहीं, मैं बह ना जाऊं, टूट... Hindi · कविता 3 252 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Mar 2022 · 1 min read "ये शुष्क पीली पत्तियां" यूं ही नही गिरती वृक्षों से, ये शुष्क पीली पत्तियां। वर्षों की हरितिमा छुपाए मन में, ये कमजोर पत्तियां। प्रात की ओस लिए, भोर की आस लिए, दिनमान को समेटे,... Hindi · कविता 2 584 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Dec 2021 · 1 min read "फिर मिलो" कभी तुम मिलो तो, कहें कुछ अपने मन की। कहां तक संभाले रहे, जो रह गई थी कहीं, कभी बीते मिलन में। जो बातें सुनाएं थे दिल की, रह गई... Hindi · कविता 1 492 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Aug 2021 · 1 min read "चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं" चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं, हुए दिन बहुत खुद से बात करते हैं। ये जिस्म को ओढ़े मेरा मन, दबा है बहुत दिनो से, चलो आज उसे आज़ाद... Hindi · कविता 4 6 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Mar 2021 · 1 min read "सृजन को अभिलाषी" कुंदन सा दमक रहा नभ, देख धरा मन दीप जलाती। इस छोर से उस छोर तक, पुलक से भर भर जाती। जैसे हो बेल पल्लवित, कुसुमित नव अंकुरों से, हुई... Hindi · कविता 1 2 391 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Dec 2020 · 1 min read "ये कोरोना हार जाएगा" दबे पांव गुजर जाएगा, ये कोरोना हार जाएगा। सुनो रस होते है नौ, ये दसवां रस है वाय , ये किसी को ना भाय, कल हाथ मसलता , यूं ही... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 31 754 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Dec 2020 · 1 min read "अमलतास बन जाते हो" मेरे लिए अमलतास बन जाते हो, जब मेरे वजूद पर छा जाते हो । स्वर्ण रश्मियों में धूल कर तुम , देखो निखर -निखर से जाते हो। छूकर हवा मुझे... Hindi · कविता 1 4 557 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Oct 2020 · 1 min read " वो रावण जलाते रहे" वो रावण जलाते रहे, हम अपना अहम, वो राम पूजते रहे, हम अपना सत्य, वो करते रहे उपासना, माता सीता की, हम अपना कर्म, जीत किसकी, हार किसकी, अहम की... Hindi · कविता 2 2 406 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Oct 2020 · 1 min read "वो छू कर हमें हवा क्या गयी" वो छू कर हमें हवा क्या गयी, कि रास्ते में लगे रुख हवा का मोड़ने, अभी तो बदलियों का दौर है, जरा खिल कर चांद को आने तो दो, देखो... Hindi · कविता 4 4 440 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Oct 2020 · 1 min read "मन के आंगन में" मन के आंगन में उग आया है पेड़ कोई। पीत पात से गिर रहे, असंख्य स्मृति के पल कई। वो रीता रीता सा सावन, भीग रहा सूना आंगन। कोई दादुर... Hindi · कविता 3 2 362 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Oct 2020 · 1 min read "जिंदगी" जिंदगी कभी श्वेत श्याम सी, कभी हो जाती है रंगीन। इसको भी आता है खेलना, मदमस्त हो खेल संगीन, कभी कहीं झुक जाती है, तो कहीं अकड़ दिखाती है, किस्सा... Hindi · कविता 1 2 358 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Oct 2020 · 1 min read "बड़े दिनों बाद आए हो" बड़े दिनों बाद आए हो, साथ में क्या लाए हो, बीते हुए कुछ पल , या ख्वाबों के गलीचे, कुछ तो बताओ, क्या सोच रहे हो, देर तक बैठूंगी, ख्वाबों... Hindi · कविता 4 2 343 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 7 Oct 2020 · 1 min read "नाव कागज की" नाव कागज की, बनायी थी बचपन में मैंने। कुछ सपनों को रख, तैराया था पानी में मैंने। वो बूंदों ने भिगोया था, जो गीले से सपनों को , नाव कागज... Hindi · कविता 1 388 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Oct 2020 · 1 min read "कलम की धार" (1) अभी तो कलम, चली नहीं है मेरी। तू उड़ बन के फाख्ता, एक दिन कटेंगे पर तेरे, मेरी कलम की धार से। © डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद"... (2) वो... Hindi · कविता 2 575 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Oct 2020 · 1 min read "ये कोरोना हार जाएगा" दबे पांव गुजर जाएगा, ये कोरोना हार जाएगा। सुनो रस होते है नौ, ये दसवां रस है वाय, आया कहां से भाय, कल हाथ मसलता , यूं ही रह जाएगा,... Hindi · कविता 1 305 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Sep 2020 · 1 min read "मिटने को फिर एक बार" कितनी बार शुरू करूं वहीं से, दूर पहुंच जाती हूं कई बार, फिर करनी ही पड़ती है, एक नई शुरुआत हर बार, जैसे मिली हूं पहली बार। क्यूं बिखर जाऊं... Hindi · कविता 4 470 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Sep 2020 · 1 min read "पलाश" मैं निहार रही हूं तुम्हें, मुग्ध हूं, तुम्हारे विराट सौन्दर्य पर, हे पलाश! क्या तुम से सुंदर कोई हो सकता है? तुम्हारे पत्ते हवा में झूम रहे हैं, मानों खुशी... Hindi · कविता 3 523 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Sep 2020 · 1 min read "मन के चट्टानों से" मन के चट्टानों से, भावों का यूं टकराना। रह - रह कर, तह दर तह पर जाना। धार समय की यूं देखो, कैसे उमड़ उमड़ कर जाना। मन के चट्टानों... Hindi · कविता 2 384 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2020 · 1 min read "हिंदी, संस्कृति की पहचान तुम" भाषा का पहला निवाला, तुमने ही तो है खिलाया। मां को मां सबसे पहले, तुमने ही तो है बुलाया। लिपट कर तुझसे ही, तो पापा को मैंने बुलाया। गुड़िया- गुड्डे,... Hindi · कविता 3 4 389 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Sep 2020 · 1 min read "मुझ में तुम बहते रहे" मुझ में तुम बहते रहे, कभी बातों में , तो कभी आंखों में , वहीं सिहरन है, अभी मुझ में, कभी सांसों में , तो कभी यादों में , मुझ... Hindi · कविता 3 4 574 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Jun 2020 · 1 min read "मेरे अंदर के हिमनद को" मेरे अंदर के हिमनद को, तुम पिघला देते तो अच्छा होता। इस श्वेत गरल काे , श्याम बनाते तो अच्छा होता। इतनी जड़ता मेरे अंदर, तुम निर्झर कर देते तो... Hindi · कविता 4 2 680 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Apr 2020 · 1 min read "मौन की आहट" मौन की भी, आहट होती है। सुन सको तो सुनो, पदचाप उसकी। बाँटना है तो बाँट लो , व्यग्रता उस मौन की। कल नहीं होगा, वह आज जिसका। शूल से... Hindi · कविता 2 4 702 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Apr 2020 · 1 min read "वो भी क्या दिन थे" वो भी क्या दिन थे। जब हम सज संवर कर निकला करते थे। कुछ कहने- सुनने में समय व्यतीत किया करते थे वो भी क्या दिन थे । कहाँ कहाँ... Hindi · कविता 3 4 592 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Mar 2020 · 1 min read "मैं बहती नदी सी" मैं बहती नदी सी तुम प्रवाह रोक पाओगे... किंचित नहीं संशय मन में वर्जनाओं को तोड़ पाओगे... है व्यथा जो मन की बैठ कहीं सुन पाओगे... हैं कठोर दृग के... Hindi · कविता 4 546 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Dec 2019 · 1 min read 'मोमबत्ती' तू भी जली , मैं भी जली। तू मोम सी थी, इस लिये जली। मैं मोम की थी, इस लिये जली। तू छिपाने के लिये जली, मैं दिखाने के लिये... Hindi · कविता 3 2 597 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Nov 2019 · 1 min read "इस दीवाली" चलो इस बार दीवाली, करें मिल कर सफाई, कुछ बैर दिल से तुम निकालो, कुछ मैंल दिल से मैं दूर करूँ, कोई कोना ना रह जाये बाकी, कि मन में... Hindi · कविता 2 420 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2019 · 1 min read "क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार-बार" क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार-बार, क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार 'बार, दे चुकी हूँ जवाब कई बार, क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार -बार, हाँ... Hindi · कविता 1 458 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2019 · 1 min read "अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना" अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना भावों का उमड़ घुमड़ कर बरस जाना अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना नैनों के कोरों से रतीले पथ पर... Hindi · कविता 2 1 311 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Sep 2019 · 1 min read "हिन्दी-दिवस" हिन्दी-दिवस लो आ गयी मैं आज फिर से, कर लो एक दिन प्यार फिर से, दे दो आज सम्मान फिर से, लो आ गयी मैं आज फिर से। कहते हो... Hindi · कविता 2 392 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2019 · 1 min read "मैं आग चुनुंगी" तुम ख्वाब चुनो, मैं आग चुनुंगी, देश की खातिर, मिट्टी पर बलिदान चुनुंगी, तुम अर्थ चुनो, मैं मूल्य चुनुंगी, बच्चों की खातिर, शिक्षा का अधिकार चुनुंगी, तुम रात चुनों, मैं... Hindi · कविता 1 384 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Sep 2019 · 1 min read "क्यूँ" क्यूँ करूँ मैं नकल किसी की, जब मूल स्वर मेरा है अविजित, पंथ मेरा है कठिन किन्तु, नहीं होती कभी मैं विचलित, रोकती हैं असंख्य वर्जनायें, क्यूँ रूकूँ मैं अपने... Hindi · कविता 1 539 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Jul 2019 · 1 min read "जिन्दगी" दर्द ने हंस कर कहा मुझसे एक दिन तुझे जिंदगी से रूठना होगा चाहे कितना भी लड़ ले तू मुझसे पर एक दिन तुझे टूटना होगा. तेरी कोशिशे बेकार है... Hindi · कविता 1 494 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Jun 2019 · 1 min read "कैसे लिखूँ मैं" कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... मन में है कोहराम मचा। कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... इतनी बेशर्मी अत्याचार बढ़ा कुंठित मन और दूषित भुजा। कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... मन... Hindi · कविता 2 611 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Apr 2019 · 1 min read "मैं परी ही तो हूँ" "मैं परी ही तो हूँ" शीतल सरल सी सौम्य मनोरम सी मैं भोर ही तो हूँ... भौंरों की गुंजन सी पपीहे की कूक सी मैं गीत ही तो हूँ... सोन... Hindi · कविता 1 563 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 8 Mar 2019 · 1 min read "क्योंकि मैं नारी हूँ......" क्योंकि मैं नारी हूँ...... मैं वात्सल्य हूँ मैं श्रृंगार हूँ मैं मीत हूँ मैं प्रीत हूँ स्नेह में बंधी हूँ मगर उन्मुक्त हूँ प्रेम को समेटे हूँ मगर अँगार हूँ... Hindi · कविता 2 2 551 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Feb 2019 · 1 min read "माँ मुझे वरदान दो" माँ मुझे वरदान दो, ज्ञान से मुझको मान दो, माँ मुझे वरदान दो। शब्द- शब्द गुँजित हों , मेरे आँसुओं को सम्मान दो, माँ मुझे वरदान दो। छीन लो मेरा... Hindi · कविता 1 536 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Feb 2019 · 1 min read "बसंत" बासंती परिधान पहन, देख धरा इठलाती है। अपना नवरूप सजा, खुद पर ही इतराती है। धानी चुनरी ओढ़ सखी सी, अपनी ही मनवाती है। केसरिया मन लिये फिरे, गुनगुन भ्रमरों... Hindi · कविता 3 2 683 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Nov 2018 · 1 min read "माँ...मेरी आस्था मेरा विश्वास" मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 777 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Sep 2018 · 1 min read "उदासी की स्याह रात में" उदासी की स्याह रात में, मौन शब्द हैं चुभते, कितनी रजनीगंधा रख लो, एकाकी के शोले धधकते। स्नेहिल शब्दों की लड़ियों में, अश्रु ढुलक ही जाता है, भावों के महासमर... Hindi · कविता 3 2 432 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Aug 2018 · 1 min read "आज मैं झांकती हूँ " यादों के पर्दे उठा कर , आज मैं झांकती हूँ। कितने झिलमिलाते, रोशनी के कतरे हैं लहराते, कुछ गुनगुनाते से धुन, कानों में रस हैं घोलते, कभी नयन हो सजल... Hindi · कविता 1 327 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Aug 2018 · 1 min read "तीन रंग वाले कपड़े पहन कर" शहीदों पर ----' निकला हूँ आज मैं सज धज कर, देखो तीन रंग वाले कपड़े पहन कर, रोना नहीं मेरी प्यारी माँ, बाँहें फैलायें खड़ी मेरी भारत माँ। तेरा बरसों... Hindi · कविता 2 455 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Jun 2018 · 1 min read "नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा" नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा। देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा। आवाहन कर देश बुला रहा, सागर की लहरों में भी जोश उमड़... Hindi · कविता 1 356 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 May 2018 · 1 min read "मेरा सारा जीवन तेरे नाम" मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक... Hindi · कविता 2 315 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 May 2018 · 1 min read "सारा का सारा देकर" सारा का सारा देकर, थोड़ा सा पाया मैंनें। कितने सपने वारे तुम पर, फिर कुछ पाया मैंनें। साँसों के अनगिनते क्षण, जीये हैं बस तेरे खातिर। सारा का सारा देकर,... Hindi · कविता 2 239 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Apr 2018 · 1 min read "मेरी परछायीं मुझसे सवाल करती है" मेरी परछायीं मुझसे सवाल करती है, कितना चलती हो अथक ,पूछती है, किसके लिये चलती हो, कहती है, क्यों चलती हो, मुझे भी तो बताओ, कहती है ,क्यों मुझे भी... Hindi · कविता 1 554 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Mar 2018 · 1 min read "और मैं बिखर गयी" जाना था मुझको दूर कहीं निस्तब्ध निशा ने रोक लिया राह भटक कर चली गयी एक झोंका आँधी का आया और मैं बिखर गयी सपनों के मनके टूटे बिखर गये... Hindi · कविता 1 295 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Mar 2018 · 1 min read "उर की पुकार" सामाजिक ताना बाना ऐसा बुना गया है जो मनुष्य की सुविधा, सुरक्षा, समरसता बनाये रखे साथ ही उच्च मानवीय एवं चारित्रिक मूल्य स्थापित हो सके, किंतु कई बार ये व्यवस्था... Hindi · कविता 1 548 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Feb 2018 · 1 min read "खेलो शब्दों की होली" कितने फागुन बीत गये कितनी बीती रसवंती होली कितने बादल आये गुलाबी कितनी बीती गीली होली कितने टेसू उड़े गगन में कितनी बीती मीठी होली बीते इतने बरस हुए कहाँ... Hindi · कविता 1 305 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Feb 2018 · 1 min read "खौलता है खून" वो सूनी आँख का श्वेत कतरा , देखूँ , तो खौलता है खून। वो बचपन का खिलौना टूटा, देखूँ तो खौलता है खून। वो सूनी कलाइयों का ठिठकना, देखूँ तो... Hindi · कविता 518 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Jan 2018 · 1 min read "वो कैनवस ही तो ढूँढ रही हूँ" वो कैनवस ही तो ढूँढ रही हूँ, जिस पर उकेर सकूँ तुम्हें। कुछ उनींदी आँखें, जो सपनों में डूबी हों, कुछ बेपरवाह सी बातें , जो मधु में सनी हों,... Hindi · कविता 1 236 Share Page 1 Next