शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' Language: Hindi 97 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Feb 2019 · 1 min read मुक्तक मुक्तक बुढ़ापे का सहारा जो रहीं ये लाठियाँ देखो दुकानों पर सजी हैं किस तरह ये लाठियाँ देखो बगावत आज तक इनको कभी करते नहीं देखा पुलिस बरसा रही है... Hindi · मुक्तक 315 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Feb 2019 · 1 min read कुण्डलिया कटी पेड़ की छाँह *************** शहरों-शहरों गाँव में, कटी पेड़ की छाँह नहीं पकड़ती बाँह अब, किसी बाँह की बाँह किसी बाँह की बाँह, लोग राजा हैं मन के अब... Hindi · कविता 237 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Feb 2019 · 1 min read दोहे डंडे झंडे शोरगुल ************** सत्ता-सुख की भूख ने, ऐसा मारा डंक. दिल्ली तक है आ गया, ढाका का आतंक. डंडे झंडे शोरगुल, जातिवाद अलगाव. भड़कीला भाषण हवस, अगला कदम चुनाव.... Hindi · कविता 243 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Feb 2019 · 1 min read गीत गरम जलेबी ********** नहीं फटकती घर-आंगन में आज कहीं गौरैया उजड़ गये हैं टँगे घोंसलों के वे पावन अड्डे उभर गये हैं दीवारों पर लामबंद के खड्डे जिन्स-पैन्ट के लिये... Hindi · कविता 476 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 5 Feb 2019 · 1 min read गीत ‘छ्ठुआ’ पास हुआ *************** कई साल के बाद आठवीं ‘छ्ठुआ’ पास हुआ सोमवार व्रत व्रत एकादशी सालों तक आये शनि-मंदिर के सभी चढ़ावे खुशबू पहुँचाये तब कुछ थोड़ी बात बनी... Hindi · कविता 601 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Feb 2019 · 1 min read गीत आते-आते आयेंगे *************** दूर देश से आये पंछी दूर देश जब जायेंगे पहुँचेगा संदेशा परिजन आते-आते आयेंगे करवट बदलेगी तनहाई घबड़ाया सा डर होगा छलकी आँखों के आँसू से रहा... Hindi · कविता 234 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Feb 2019 · 1 min read बाल कविता खाला रहती खालापार ******************* खाला रहती खालापार खाला के हैं बेटे चार टंपक टोली दाल बलंडी भंभक भोली ठंक ठिठोली खाला खाती पान मसाला पास हींग की रखती गोली डाँट-डपट... Hindi · कविता 319 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Feb 2019 · 11 min read लेख आम आदमी की व्यथा-कथा का अनुलोम-विलोम -डा.शिवजी श्रीवास्तव श्री शिवानन्द सिंह सहयोगी नवगीत के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं, अपनी विषय-वस्तु और अभिनव कहन शैली के कारण उनके नवगीतों की अलग पहचान... Hindi · कविता 306 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Feb 2019 · 1 min read कुंडलिया करना है 'जल संचयन' ******************* करना है ‘जल संचयन’, जल है ‘दूध अमूल’ ‘रहिमन पानी राखिये’, ‘बात’ न जान भूल बात न जाना भूल, गाँठ यह बाँधें मन में शंका... Hindi · कविता 211 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Feb 2019 · 1 min read गीत मैं गीत लिखता रह गया ********************* टूट सब सपने गये मैं गीत लिखता रह गया छूट सब अपने गये मैं गीत लिखता रह गया आँधी उठी उस रात की कितनी... Hindi · कविता 252 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 2 Feb 2019 · 1 min read गीत हे ! जनपथ के राजा ***************** हम रोज कुआँ खोदे हम रोज पिये पानी हे ! जनपथ के राजा हे ! जनपथ की रानी बीजों का ताजमहल धरती में हम... Hindi · कविता 494 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 2 Feb 2019 · 11 min read लेख आम आदमी की व्यथा-कथा का अनुलोम-विलोम -डा.शिवजी श्रीवास्तव श्री शिवानन्द सिंह सहयोगी नवगीत के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं, अपनी विषय-वस्तु और अभिनव कहन शैली के कारण उनके नवगीतों की अलग पहचान... Hindi · कविता 274 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 1 Feb 2019 · 1 min read दोहे उपवन के गुंजन बने, कवि के सुंदर गीत. आज उतारे आरती, माला जपे अतीत. कवि ही लिखता है सदा, जीवन का इतिहास. चाहे भूखी भूख हो, चाहे उठँगी प्यास. जीवन... Hindi · कविता 326 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 1 Feb 2019 · 1 min read गीत भाव कहाँ से लाऊँ ---------------- शब्दों की डोली सजवाऊँ भाव कहाँ से लाऊँ दर्दों की लोरी सुनवाऊँ घाव कहाँ से लाऊँ अक्षर बने पीर के मोती छंद बने घन बादल... Hindi · कविता 440 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 1 Feb 2019 · 1 min read बालगीत हम सोयेंगे ;;;;;;;;;;;;;;;;;; माई माई बिछा चटाई हम सोयेंगे मौसम है कुछ ठण्डा-ठण्डा आज न होगा गिल्ली-डंडा मत सुलगाओ घर में कंडा आज नहीं खायेंगे अंडा माई माई उढ़ा रजाई... Hindi · कविता 347 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 31 Jan 2019 · 1 min read नवगीत मुटुरी मौसी ********** चढ़ी बाँस पर पतई तोड़े बछिया खातिर मुटुरी मौसी झुककर पकड़ी ऊँची फुनगी जीती केवल अपनी जिनिगी डाल मरोड़ी अपने दम से पतई तोड़ी आते क्रम से... Hindi · कविता 387 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 31 Jan 2019 · 1 min read गीत ऐ हवाओ ! बताओ जरा ********************* प्राण लेकर गई हो कहाँ ऐ हवाओ ! बताओ जरा खलबली सी मची है यहाँ ऐ हवाओ ! बताओ जरा साथ जिसके हुआ कद... Hindi · कविता 217 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 31 Jan 2019 · 1 min read बाल गीत होरी चाचा लाये गाय ****************** होरी चाचा लाये गाय गाय पिलाती अपनी बाछी नाम पड़ा है सोनागाछी लाल-दुपट्टा लाये कीन कुछ लड्डू थोड़ा नमकीन मुसकी काटे घर की दाय बाछी... Hindi · कविता 1 266 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 30 Jan 2019 · 1 min read नवगीत कवि नहीं हूँ ********** एक अदना आदमी हूँ कवि नहीं हूँ मैं गरीबी की गली की गंदगी हूँ आँसुओं का बोझ बोझिल बंदगी हूँ एक ढिबरी जल रही जो रवि... Hindi · कविता 213 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Jan 2019 · 1 min read नवगीत आग अंदर थी ************ पिता की लत थी कि वह बीड़ी जलाते थे आग अंदर थी जिसे अक्सर बुझाते थे नहीं छूते थे कभी सिगरेट की डिबिया ली नहीं कोई... Hindi · कविता 564 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 3 Jan 2019 · 1 min read नवगीत हो सके तो क्षमा करना --------------------- हो सके तो क्षमा करना जो कहीं गलती हुई हो है असंभव कुछ नहीं यह बात संज्ञावान है धूप की छत पर छपे हर... Hindi · कविता 443 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 30 Dec 2018 · 1 min read नवगीत पेट को मैं टाँग आया --------------------- भूख की उस अरगनी पर तंग आकर पेट को मैं टाँग आया असह दुःख की मकड़ियों का सह चुका प्रतिबंध आँसू जोड़ डाला शकुनियों... Hindi · कविता 1 1 224 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 30 Dec 2018 · 1 min read नवगीत हम ठहरे गिरमिटिया -------------------- हम ठहरे गिरमिटिया बाबू तुम साधन संपन्न घर में निखहर फूटी कौड़ी सेंकी है बस रोट खायी है जिनिगी अड़चन का अनगिन अनगिन चोट हम बजार... Hindi · कविता 1 1 521 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 30 Dec 2018 · 1 min read बाल गीत खाला रहती खालापार -------------------- खाला रहती खालापार खाला के हैं बेटे चार टंपक टोली दाल बलंडी भंभक भोली ठंक ठिठोली खाला खाती पान मसाला पास हींग की रखती गोली डाँट-डपट... Hindi · कविता 239 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Dec 2018 · 1 min read दोहे औद्योगिक क्षमता लिये, उन्नति का मधुमास. गुड़ गुल चीनी जैगरी, बदलेंगे इतिहास. हरियाली की हो छटा, नई फसल का अन्न. हर किसान का स्वप्न है, खेती हो संपन्न. चल कबीर... Hindi · कविता 1 254 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Dec 2018 · 1 min read नवगीत कह रहा है मन -------------- जिन्दगी को और जी लो कह रहा है मन गगन की ऊँचाइयों तक झाँकता है डर काटने को दौड़ता है खिड़कियों से घर किन्तु पुरवा... Hindi · कविता 2 510 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 25 Dec 2018 · 1 min read नवगीत हे नदी ! ------- घाटियों की खाइयों की पर्वतीय ऊँचाइयों की चोट तुम सहती रही हो हे नदी ! मेघमाली पुण्य सलिला भूमि पर खेली सदा हो तुम समय के... Hindi · कविता 222 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 24 Dec 2018 · 1 min read समकालीन कविता माँ तुम एक छतरी हो नीली छतरी जिसमें क्षितिज ही नहीं क्षितिज के उस पार का भी एक-एक कोना यहाँ तक कि तल-अतल-चराचर एवं ब्रह्माण्ड की सभी कलायें बिम्ब-प्रतिबिम्ब के... Hindi · कविता 2 4 552 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 24 Dec 2018 · 1 min read नवगीत पहन रहा है मोजा जूता --------------------- पहन रहा है मोजा जूता सता रहा है शीत दस्तानों से बिठा लिये हैं अंगुलियों ने ताल ठण्डी रोटी सेंक रहा है गरम तवे... Hindi · कविता 502 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 10 Sep 2018 · 1 min read नवगीत मित्रो ! आज एक गीत **जो लिखा था पत्र तूने** जो लिखा था पत्र तूने आज से दो साल पहले कल मिला है सीप में मोती जमा ज्यों बाँस में... Hindi · गीत 227 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Sep 2017 · 1 min read नवगीत मित्रो ! ``````````````````````` ‘’*मौन रहने का अर्थ*’’ ````````````````````````` मौन रहने का नहीं है अर्थ सब कुछ मान लेना यह समुन्दर की लहर की आंतरिक गहराइयाँ को शांति की सीमा अनंतक... Hindi · कविता 604 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 7 Aug 2017 · 1 min read नवगीत बुरे दिन ! किसकी छत के नीचे गुजरे कल की लम्बी रात बुरे दिन ! पूँजीवादी प्रधी क्रियायें वैश्वीकरण-प्रभाव कब सहलाये मजदूरी के पग के छाले-घाव महल उठाएँ जो झोंपड़ियाँ... Hindi · कविता 613 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 19 Jul 2017 · 1 min read नवगीत **शब्दों की चकबंदी** पंखनुचे पंछी की पीड़ा शब्दों की चकबंदी गीत भावभूमि का शिला-लेख चिर अर्थ-गगन का श्याम-विवर भावपक्ष की गझिन पहाड़ी स्वर-संगम का विरल शिखर धीरे-धीरे स्वयं निखरता अन्तस्... Hindi · कविता 697 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 15 Jul 2017 · 1 min read नवगीत ‘नथुआ’ की मौसी -------------- पतई रही बुहार ‘बगइचा’ ‘नथुआ’ की मौसी पीट ‘महाबल’ ‘घरभरना’ को भेज दिये ‘बहराइच’ उतरे करजा किसी तरह से उतरे उधार-पाँइच रचे महावर पाँव-पाँव में होता... Hindi · कविता 699 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 8 Jul 2017 · 1 min read नवगीत लगे किसान पिता पकड़े हल की मूँठ खुरदरी लगे किसान पिता मीसिरजी के कल का आटा पचा न पाता पेट कभी डबलरोटी से चसका नहीं किया है भेंट जाँता-लोढ़ा-सिलवट-बटुई लगे... Hindi · कविता 460 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 26 Jun 2017 · 1 min read नवगीत **मजूरी पेट होती है** कमाती और खाती है मजूरी पेट होती है कहीं है पालना माँ है कहीं पोंछा कहीं बरतन निरंतर नाम बदली है किया है रूप परिवर्तन पसीना... Hindi · कविता 634 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 17 Jun 2017 · 1 min read पवन-डाकिया पवन-डाकिया पवन-डाकिया लेकर आया खुले गाँव की मधुरिम गंध मिलने पहुँचे नदी किनारे तोड़-ताड़ तरलित तटबंध तितली फिसली भँवरे भटके बिछुड़ चुके पुलकित मकरंद धोखा खायीं विचलित लहरें करके चिपचिप... Hindi · कविता 595 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 21 May 2017 · 1 min read नवगीत लौट आओ गाँव अब तुम सुन रहा हूँ इस तरह कुछ हो चला है और मधुरिम आपसी संबंध लौट आओ गाँव अब तुम अब सटे हैं प्रेम-पर्यक बटी रस्सी की... Hindi · कविता 667 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Apr 2017 · 1 min read नवगीत *दस चावल का दो चावल* अगली सुबह अँधेरी होगी चौकस रहना है पुनर्जन्म का पता लिख लिये छिली हथेली पर गई सदी का नाम लिख लिये नई हवेली पर कल... Hindi · कविता 676 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Apr 2017 · 2 min read नवगीत आखिर कब तक लज्जा ढोये ‘शब्दों पर पहरे हैं’ फिर भी ‘पंखुड़ियों पर गीत’ ‘लिखने का कारण’ ‘अंधायुग’ है ‘मुर्दों का गाँव’ ‘पल्लव’ ‘परिमल’ ‘कालजयी’ है ‘सात घरों का गाँव’... Hindi · कविता 468 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 6 Apr 2017 · 1 min read माँ ‘माँ’ निकलती है सबेरे-सबेरे अकेले-अकेले ले बुढ़ौती का सहारा ठेगनी छड़ी माँ ! पास वाले पार्क में जहाँ फूलों से बतियाती तितली और भँवरे होते खेलती मदमस्त हवा बाँटती वह... Hindi · कविता 511 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Apr 2017 · 1 min read नवगीत नवगीत हूँ मैं यदि नई कविता हो तुम संचेतना ! नवगीत हूँ मैं यदि हो तुम मधुरिम गजल परिकल्पना ! जनगीत हूँ मैं यदि विनय की आरती तुम, हवन हो... Hindi · कविता 607 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 4 Apr 2017 · 2 min read दोहा ''काशी-कथा अनंत'' ‘काशी-कथा’ अनंत ‘आर्यों’ का आना हुआ ‘सूर्यवंश’ का ‘वास’ ‘गंगा’ के तट पर बसा ‘काशी’ का ‘इतिहास’ ‘नाटे कद’ के ‘लोग’ थे और ‘साँवला’ ‘रंग’ ‘कपड़े’ का ‘व्यापार’ था ‘चाँदी’... Hindi · कविता 3 2 8k Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 28 Mar 2017 · 1 min read नवगीत लौट रहा है दिन घर की छत पर लिये चाँदनी उतर रहा है चाँद जाग रहा है सूनसान में एक धुएँ का पुल धूमिल बिजली की बतियाहट दीया-बाती गुल छिपा-छिपी... Hindi · कविता 611 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 18 Jan 2017 · 1 min read नवगीत नवगीत हूँ मैं यदि नई कविता हो तुम संचेतना ! नवगीत हूँ मैं यदि हो तुम मधुरिम गजल परिकल्पना ! जनगीत हूँ मैं यदि विनय की आरती तुम, हवन हो... Hindi · कविता 1 452 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Jan 2017 · 2 min read ''बेटी पर दुमदार दोहे'' .. ** बेटी पर दुमदार दोहे ** बेटी बेटी माँ ननद भावज सास पतोह आजी नानी भानजी बहन सुता सम्मोह रिश्तों की है श्रृंखला. बेटी योग्या अर्चिता घर की कुशल... Hindi · दोहा 718 Share शिवानन्द सिंह 'सहयोगी' 12 Jan 2017 · 1 min read बिटिया कविता,गीत,नवगीत,कहानी,दुमदार दोहे,क्षणिका आदि पर कार्य. **बिटिया** दीं उसने बिना कहे सुने खुशियाँ ढेर दीं उसने सब कुछ बिना टालमटोल बिना जी हुजूरी दीं उसने फूलों का चमन हरी भरी क्यारी... Hindi · कविता 440 Share Previous Page 2