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1 Feb 2019 · 1 min read

दोहे

उपवन के गुंजन बने, कवि के सुंदर गीत.
आज उतारे आरती, माला जपे अतीत.

कवि ही लिखता है सदा, जीवन का इतिहास.
चाहे भूखी भूख हो, चाहे उठँगी प्यास.

जीवन के नव पैंतरे, जीवन की नव चाल.
कहीं भूख ढिमला रही, कहीं लुढ़कता थाल.

सीमा पर आतंक है, संसद में घमसान.
सडकों पर हत्या जहाँ, क्या वह देश महान?

भौतिकता की आग में, झुलस रहा हो देश.
प्रजातंत्र क्या देश वह ? नेता जहाँ नरेश.

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
298 Views
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