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15 Jul 2017 · 1 min read

नवगीत

‘नथुआ’ की मौसी
————–

पतई रही
बुहार ‘बगइचा’
‘नथुआ’ की मौसी

पीट ‘महाबल’
‘घरभरना’ को
भेज दिये ‘बहराइच’
उतरे करजा
किसी तरह से
उतरे उधार-पाँइच
रचे महावर
पाँव-पाँव में
होता जहाँ ‘बरइछा’
‘नथुआ’ की मौसी

पहुँच शिवाला
रोज फेरती
झाडू और खरहरी
नहीं देखती
हुआ भोर है
या है ठीक दुपहरी
और चढ़ाती
जो कुछ होता
भाखा सिर का ‘अँइछा’
‘नथुआ’ की मौसी

हुई विदाई
बिटिया जाती
है अपनी ‘ससुरारी’
सभी पड़ोसिन
पहुँच गई हैं
रोती है महतारी
आँख रुआँसी
पैर फड़कते
आँचल भरती ‘खोंइछा’
‘नथुआ’ की मौसी

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

प्रयुक्त भोजपुरी के शब्दों का अर्थ
““““““““““““`
‘बगइचा’-बागीचा
‘बरइछा’-वरपक्ष को दिया जानेवाला द्रव्य वर छेंकने के समय
‘अँइछा’-सिर के चारों ओर घुमाकर दाल-चावल या द्रव्य का रखा चढ़ावा
‘ससुरारी’-ससुराल
‘खोंइछा’-साड़ी के आँचल में विदा के समय कुछ रखा अन्न या द्रव्य

Language: Hindi
617 Views
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