मुक्तक
” बार बार आती है मुझको मधुर यादें बचपन की,
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी ,
निश्चिंत खेलना खाना फिरना निर्भय स्वच्छंद,
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद “
” बार बार आती है मुझको मधुर यादें बचपन की,
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी ,
निश्चिंत खेलना खाना फिरना निर्भय स्वच्छंद,
कैसे भूला जा सकता है बचपन का अतुलित आनंद “